पंजाब के पुलिस स्टेशनों व जेलों में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से शौचालय व लॉकअप की मांग को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसे लेकर पंजाब सरकार को नोटिस भी भेजा गया। जिसके जवाब में पंजाब पुलिस का कहना है कि ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है। दरअसल, वकील सनप्रीत सिंह द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिसमें सनप्रीत ने कहा था कि ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में पहचाना जाता है। NALSA बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के मद्देनजर, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न से बचाने के लिए जेलों के अंदर अलग सेल, वार्ड, बैरक और शौचालय बनाए जाने चाहिए। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में अलग-अलग लॉकअप भी बनाए जाने चाहिए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल ने की। सुनवाई के बाद अगली तारीख 27 सितंबर निर्धारित की गई है। पंजाब में उपलब्ध नहीं सुविधाएं पंजाब पुलिस ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष अपना हलफनामा प्रस्तुत किया है। जिसमें कहा गया कि जिला पुलिस स्टेशनों में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग लॉकअप का कोई प्रावधान नहीं है और ऐसे कोई अलग शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। जब किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पुलिस स्टेशन या हवालात में ले जाया जाता है तो ट्रांसजेंडर व्यक्ति की पहचान या तो मेडिकल जांच के माध्यम से या फॉर्म में ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ प्रमाण आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि के सत्यापन के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है। जेलों अंदर ट्रांसजेंडर्स के साथ होती है यौन हिंसा याचिका में जेलों में ट्रांसजेंडर्स कैदियों के साथ यौन हिंसा का भी हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जेलों में बंद पुरुष कैदियों द्वारा ट्रांसजेंडर्स के साथ दुर्व्यवहार का एक बड़ा खतरा होता है। याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने पंजाब सरकार, हरियाणा सरकार और भारत सरकार से जवाब मांगा था। पंजाब के पुलिस स्टेशनों व जेलों में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से शौचालय व लॉकअप की मांग को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसे लेकर पंजाब सरकार को नोटिस भी भेजा गया। जिसके जवाब में पंजाब पुलिस का कहना है कि ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है। दरअसल, वकील सनप्रीत सिंह द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिसमें सनप्रीत ने कहा था कि ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में पहचाना जाता है। NALSA बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के मद्देनजर, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न से बचाने के लिए जेलों के अंदर अलग सेल, वार्ड, बैरक और शौचालय बनाए जाने चाहिए। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में अलग-अलग लॉकअप भी बनाए जाने चाहिए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल ने की। सुनवाई के बाद अगली तारीख 27 सितंबर निर्धारित की गई है। पंजाब में उपलब्ध नहीं सुविधाएं पंजाब पुलिस ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष अपना हलफनामा प्रस्तुत किया है। जिसमें कहा गया कि जिला पुलिस स्टेशनों में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग लॉकअप का कोई प्रावधान नहीं है और ऐसे कोई अलग शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। जब किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पुलिस स्टेशन या हवालात में ले जाया जाता है तो ट्रांसजेंडर व्यक्ति की पहचान या तो मेडिकल जांच के माध्यम से या फॉर्म में ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ प्रमाण आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि के सत्यापन के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है। जेलों अंदर ट्रांसजेंडर्स के साथ होती है यौन हिंसा याचिका में जेलों में ट्रांसजेंडर्स कैदियों के साथ यौन हिंसा का भी हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जेलों में बंद पुरुष कैदियों द्वारा ट्रांसजेंडर्स के साथ दुर्व्यवहार का एक बड़ा खतरा होता है। याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने पंजाब सरकार, हरियाणा सरकार और भारत सरकार से जवाब मांगा था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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