ट्रेन हादसा, ट्रैक के पास भरा था पानी:पटरी 4 फीट खिसक गई, फोरेंसिक टीम ने लोहा-मिट्‌टी के सैंपल लिए; डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे की 3 वजहें

ट्रेन हादसा, ट्रैक के पास भरा था पानी:पटरी 4 फीट खिसक गई, फोरेंसिक टीम ने लोहा-मिट्‌टी के सैंपल लिए; डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे की 3 वजहें

यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 3 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है। ट्रैक के पास पानी भरा हुआ था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर होने की आशंका है। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी के लोहा और मिट्‌टी का सैंपल लिया है। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद हादसे की 3 वजह समझ आ रही है… वजह 1. बारिश के पानी ने ट्रैक कमजोर किया अभी तक की जांच में रेलवे ट्रैक में दिक्कत होने की बात सामने आई है। क्योंकि, हादसे के स्पॉट के आस-पास गड्ढे हैं, वहां बारिश का पानी भरा हुआ था। ये पानी रेलवे ट्रैक तक पहुंच गया है। ऐसे में आशंका है कि पानी की वजह से रेलवे ट्रैक कमजोर हो गया होगा। जब तेज रफ्तार ट्रेन पटरी पर दौड़ी होगी तो पटरी अपनी जगह से खिसक गई होगी, इससे हादसा होने की आशंका है। रेल पटरी अपनी जगह से 4 फीट खिसकी हुई मिली है। ऐसे में इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पटरी में खामियों की वजह से ही ट्रेन डिरेल हुई होगी। हादसे के बाद इस मामले की जांच करने पहुंची फोरेंसिक टीम ने भी जो एविडेंस कलेक्ट किए हैं, उनमें हादसे वाली जगह की मिट्टी और रेल की पटरी का लोहा है। रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य यातायात श्री प्रकाश ने बताया- मानसून में कई बार ट्रैक के नीचे की जमीन धंस जाती है। इससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, इस पूरे मामले पर पूर्वोत्तर रेलवे ने हाई लेवल की जांच टीम गठित की है। वजह 2. एक दिन पहले ट्रैक की मरम्मत हुई, धीमी रफ्तार पर चल रही थीं ट्रेनें
जिस जगह पर यह हादसा हुआ, वहां एक दिन पहले ट्रैक के मरम्मत का काम हुआ था। यात्री ट्रेनों को 15-20 किमी प्रति घंटा की धीमी रफ्तार (कॉशन) पर चलाया गया। इसके अगले दिन उसी जगह पर ट्रेन हादसा हो गया। रेलवे के दस्तावेज के मुताबिक, गोंडा-मनकापुर सेक्शन पर ट्रैक ठीक करने के लिए 17 जुलाई, 2024 को सतर्कता आदेश जारी किया गया था। इसके तहत ही ट्रेनों को धीमी रफ्तार से वहां से गुजारा गया। इसी सेक्शन पर 27 अगस्त, 2023 और 10 जून, 2022 को सतर्कता आदेश जारी करके ट्रेनों को 15 किमी प्रति घंटे की प्रतिबंधित रफ्तार पर चलाया गया था। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ट्रैक को बदलने-मरम्मत करने के लिए यह आदेश जारी करते हैं। गुरुवार को किसी तरह का सर्तकता आदेश न जारी होने के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस अपनी अधिकतम रफ्तार पर दौड़ते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गई। वजह 3. तीन साल से ट्रैक की मरम्मत चल रही
रेलवे सोर्स के मुताबिक, ट्रेन के डिरेल होने के 2 ही कारण होते हैं। इनमें ट्रैक की खामी या इंजन-कोच के पहियों में गड़बड़ी मुख्य हैं। पिछले 3 साल से इस सेक्शन में लगातार ट्रैक का काम किया जा रहा है। इसलिए हादसे का कारण ट्रैक में गड़बड़ी को माना जा रहा है। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे में ट्रैक में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कहा कि ट्रेन के लोको पायलट ने हादसे से पहले तेज धमाके की आवाज सुनी थी। इस आशंका को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी किए जा चुके हैं। 2 तस्वीरों में ट्रैक को खाली कराने की कोशिश देखिए… इन वजहों से भी होते हैं हादसे… रेल ट्रैक चटकने से होती है ट्रेन डिरेल
रेलवे अफसरों के मुताबिक, कई बार मौसम बदलने के साथ ही पटरी चटक जाती है। चटकी हुई पटरी कई बार तत्काल तो अलग नहीं होती लेकिन जैसे ही उस पर तेज रफ्तार ट्रेन आती है, पटरियां अलग हो जाती हैं और ट्रेन ​डिरेल हो जाती है। ओवरस्पीडिंग भी एक वजह
ट्रेन के ओवरस्पीड होने की वजह से भी कई बार ट्रेन पटरी से उतर जाती है। जांच में देखा जा रहा है कि डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे के वक्त कितनी स्पीड से दौड़ रही थी। विस्फोट होने के नहीं मिले सुराग
पूर्वोत्तर रेलवे के CPRO पंकज कुमार ने बताया- लोको पायलट ने एक्सीडेंट के पहले धमाके की आवाज सुनी थी। हालांकि, DGP प्रशांत कुमार ने किसी तरह के विस्फोट होने की बात से इनकार किया है। वहीं, जानकारों का कहना है कि अगर पटरी पर कोई विस्फोटक होगा तो सबसे पहले इसका असर ट्रेन के इंजन पर पड़ेगा। जबकि, इंजन के पीछे लगे SLR कोच और जनरल- AC बोगियां डिरेल हुईं, फिर पीछे की तरफ की बोगियां पटरी से उतरी हैं। आगे की बोगी जहां पर डिरेल हुईं, वहां बारिश का पानी भरा हुआ था। ये भी पढ़ें: चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे की आंखों देखी:धमाके के बाद बोगियों ने झकझोरा, एक दूसरे पर लोग गिर रहे थे; पैर कट गया तो किसी का हाथ ‘गोंडा से ट्रेन रवाना हुए 15-20 मिनट हुए थे। अचानक तेज धमाका हुआ…और जोरदार झटका लगा। बोगियां डगमगाने लगीं। इंजन के पीछे जनरल बोगी थी, उसके बाद हमारी एसी बोगी थी। बोगी ने 2 बार बाईं तरफ, फिर दाईं तरफ झकझोरा। फिर बोगी बाईं तरफ पलट गई। यात्री एक-दूसरे पर गिरे। चीख पुकार मच गई।’…(पढ़ें पूरी खबर) यूपी में ट्रेन हादसे के 11 VIDEOS:बोगियां बिखरीं, शीशे तोड़कर बाहर निकले लोग, चारपाई पर ले गए अस्पताल उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 18 जुलाई को ट्रेन हादसा हो गया। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां झिलाही स्टेशन के पास पटरी से उतर गईं। इनमें 5 AC कोच थे। डिरेल होने के बाद AC के 3 कोच पलट गए। हादसे में 3 यात्रियों की मौत हुई है। 25 यात्री घायल हैं…(पढ़ें पूरी खबर) यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 3 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है। ट्रैक के पास पानी भरा हुआ था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर होने की आशंका है। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी के लोहा और मिट्‌टी का सैंपल लिया है। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद हादसे की 3 वजह समझ आ रही है… वजह 1. बारिश के पानी ने ट्रैक कमजोर किया अभी तक की जांच में रेलवे ट्रैक में दिक्कत होने की बात सामने आई है। क्योंकि, हादसे के स्पॉट के आस-पास गड्ढे हैं, वहां बारिश का पानी भरा हुआ था। ये पानी रेलवे ट्रैक तक पहुंच गया है। ऐसे में आशंका है कि पानी की वजह से रेलवे ट्रैक कमजोर हो गया होगा। जब तेज रफ्तार ट्रेन पटरी पर दौड़ी होगी तो पटरी अपनी जगह से खिसक गई होगी, इससे हादसा होने की आशंका है। रेल पटरी अपनी जगह से 4 फीट खिसकी हुई मिली है। ऐसे में इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पटरी में खामियों की वजह से ही ट्रेन डिरेल हुई होगी। हादसे के बाद इस मामले की जांच करने पहुंची फोरेंसिक टीम ने भी जो एविडेंस कलेक्ट किए हैं, उनमें हादसे वाली जगह की मिट्टी और रेल की पटरी का लोहा है। रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य यातायात श्री प्रकाश ने बताया- मानसून में कई बार ट्रैक के नीचे की जमीन धंस जाती है। इससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, इस पूरे मामले पर पूर्वोत्तर रेलवे ने हाई लेवल की जांच टीम गठित की है। वजह 2. एक दिन पहले ट्रैक की मरम्मत हुई, धीमी रफ्तार पर चल रही थीं ट्रेनें
जिस जगह पर यह हादसा हुआ, वहां एक दिन पहले ट्रैक के मरम्मत का काम हुआ था। यात्री ट्रेनों को 15-20 किमी प्रति घंटा की धीमी रफ्तार (कॉशन) पर चलाया गया। इसके अगले दिन उसी जगह पर ट्रेन हादसा हो गया। रेलवे के दस्तावेज के मुताबिक, गोंडा-मनकापुर सेक्शन पर ट्रैक ठीक करने के लिए 17 जुलाई, 2024 को सतर्कता आदेश जारी किया गया था। इसके तहत ही ट्रेनों को धीमी रफ्तार से वहां से गुजारा गया। इसी सेक्शन पर 27 अगस्त, 2023 और 10 जून, 2022 को सतर्कता आदेश जारी करके ट्रेनों को 15 किमी प्रति घंटे की प्रतिबंधित रफ्तार पर चलाया गया था। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ट्रैक को बदलने-मरम्मत करने के लिए यह आदेश जारी करते हैं। गुरुवार को किसी तरह का सर्तकता आदेश न जारी होने के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस अपनी अधिकतम रफ्तार पर दौड़ते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गई। वजह 3. तीन साल से ट्रैक की मरम्मत चल रही
रेलवे सोर्स के मुताबिक, ट्रेन के डिरेल होने के 2 ही कारण होते हैं। इनमें ट्रैक की खामी या इंजन-कोच के पहियों में गड़बड़ी मुख्य हैं। पिछले 3 साल से इस सेक्शन में लगातार ट्रैक का काम किया जा रहा है। इसलिए हादसे का कारण ट्रैक में गड़बड़ी को माना जा रहा है। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे में ट्रैक में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कहा कि ट्रेन के लोको पायलट ने हादसे से पहले तेज धमाके की आवाज सुनी थी। इस आशंका को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी किए जा चुके हैं। 2 तस्वीरों में ट्रैक को खाली कराने की कोशिश देखिए… इन वजहों से भी होते हैं हादसे… रेल ट्रैक चटकने से होती है ट्रेन डिरेल
रेलवे अफसरों के मुताबिक, कई बार मौसम बदलने के साथ ही पटरी चटक जाती है। चटकी हुई पटरी कई बार तत्काल तो अलग नहीं होती लेकिन जैसे ही उस पर तेज रफ्तार ट्रेन आती है, पटरियां अलग हो जाती हैं और ट्रेन ​डिरेल हो जाती है। ओवरस्पीडिंग भी एक वजह
ट्रेन के ओवरस्पीड होने की वजह से भी कई बार ट्रेन पटरी से उतर जाती है। जांच में देखा जा रहा है कि डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे के वक्त कितनी स्पीड से दौड़ रही थी। विस्फोट होने के नहीं मिले सुराग
पूर्वोत्तर रेलवे के CPRO पंकज कुमार ने बताया- लोको पायलट ने एक्सीडेंट के पहले धमाके की आवाज सुनी थी। हालांकि, DGP प्रशांत कुमार ने किसी तरह के विस्फोट होने की बात से इनकार किया है। वहीं, जानकारों का कहना है कि अगर पटरी पर कोई विस्फोटक होगा तो सबसे पहले इसका असर ट्रेन के इंजन पर पड़ेगा। जबकि, इंजन के पीछे लगे SLR कोच और जनरल- AC बोगियां डिरेल हुईं, फिर पीछे की तरफ की बोगियां पटरी से उतरी हैं। आगे की बोगी जहां पर डिरेल हुईं, वहां बारिश का पानी भरा हुआ था। ये भी पढ़ें: चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे की आंखों देखी:धमाके के बाद बोगियों ने झकझोरा, एक दूसरे पर लोग गिर रहे थे; पैर कट गया तो किसी का हाथ ‘गोंडा से ट्रेन रवाना हुए 15-20 मिनट हुए थे। अचानक तेज धमाका हुआ…और जोरदार झटका लगा। बोगियां डगमगाने लगीं। इंजन के पीछे जनरल बोगी थी, उसके बाद हमारी एसी बोगी थी। बोगी ने 2 बार बाईं तरफ, फिर दाईं तरफ झकझोरा। फिर बोगी बाईं तरफ पलट गई। यात्री एक-दूसरे पर गिरे। चीख पुकार मच गई।’…(पढ़ें पूरी खबर) यूपी में ट्रेन हादसे के 11 VIDEOS:बोगियां बिखरीं, शीशे तोड़कर बाहर निकले लोग, चारपाई पर ले गए अस्पताल उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 18 जुलाई को ट्रेन हादसा हो गया। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां झिलाही स्टेशन के पास पटरी से उतर गईं। इनमें 5 AC कोच थे। डिरेल होने के बाद AC के 3 कोच पलट गए। हादसे में 3 यात्रियों की मौत हुई है। 25 यात्री घायल हैं…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर