डिंपल बोलीं- भाजपा परिवार बांटने वाली पार्टी:करहल में उन्हें कोई प्रत्याशी ही नहीं मिला; ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नाम पर डरा रहे

डिंपल बोलीं- भाजपा परिवार बांटने वाली पार्टी:करहल में उन्हें कोई प्रत्याशी ही नहीं मिला; ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नाम पर डरा रहे

यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इसमें मैनपुरी की हॉट सीट करहल भी है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अखिलेश इसी सीट से विधायक थे। भाजपा ने यहां से सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश प्रताप को टिकट देकर माहौल गरमा दिया है। सपा का इस सीट पर 22 साल से लगातार कब्जा है। ऐसे में इस बार भी सपा यहां पर बडे़ अंतर से जीत हासिल करने के लिए मेहनत कर रही है। सपा सांसद डिंपल यादव लगातार क्षेत्र में सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के समर्थन में जनसभा कर रही हैं। दैनिक भास्कर से डिंपल यादव ने कहा- भाजपा परिवारों को बांटने वाली पार्टी है। करहल में उन्हें कोई प्रत्याशी ही नहीं मिला। जनता इनका पूरा सच जान चुकी है। इनकी सोच यही रहती है कि कम वोट पड़वाएं। भाजपा धमकाकर अपने हक में वोटिंग कराएगी। ये ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नाम पर समाज को डरा रहे हैं। डिंपल यादव से खास बातचीत पढ़िए… सवाल : उपचुनाव को लेकर प्रचार कैसा चल रहा है?
जवाब : चुनाव प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है। लोगों का समर्थन मिल रहा है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से कार्यकर्ता प्रचार के लिए आए हैं। सवाल : भाजपा ने यहां से सैफई परिवार के अनुजेश यादव को टिकट दिया है, क्या लगता है?
जवाब : भाजपा को करहल से कोई कैंडिडेट ही नहीं मिला। ये तो परिवार के विरुद्ध वाली पार्टी है। ये परिवारों में बंटवारा करा देते हैं। हमारी लड़ाई विचारधारा, सम्मान और अधिकार की है। हमें लगता है कि इस लड़ाई में सपा को सर्व समाज और सभी वर्ग का साथ मिलेगा। सवाल : भाजपा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की बात कर रही है?
जवाब : हम देख रहे हैं कि एक भाषण के बाद सभी लोग एक ही बात कह रहे हैं। किसी का ध्यान महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और किसान की घटती आय पर नहीं है। ये भाजपा के विचार और मानसिकता को दर्शाता है। हमें समझ लेना चाहिए कि भाजपा का तौर-तरीका केवल वोट बंटोरने का है। समाज सेवा करने का नहीं है। ये ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नाम पर समाज को डरा रहे हैं। सवाल : आपने और शिवपाल यादव ने चुनाव के दिन गड़बड़ी होने की आशंका जाहिर की है?
जवाब : 2019 से लगातार चार चुनावों से ऐसा हो रहा है। इनके द्वारा ऐसी प्रणाली अपना ली गई है कि वोट कम पड़वाएं। लोगों को डराकर वोट न पड़ने दें। मगर, हम इसके खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। भाजपा को भी पता है कि वो करहल विधानसभा चुनाव तो हरा नहीं सकती। लेकिन, वो वोटों की गिनती को कम करने में लगे हैं। मैनपुरी लोकसभा चुनाव में भी इन्होंने वोटों की गिनती को गिराने का पूरा प्रयास किया था। इस बार भी हमें ऐसी जानकारी मिल रही है। सपा इसकी शिकायत कर रही है। इलेक्शन और काउंटिंग वाले दिन मैं खुद क्षेत्र में रहूंगी। किसी भी कार्यकर्ता को गड़बड़ी की सूचना मिले तो जरूर बताएं। प्रशासन चुनाव से पहले सपा कार्यकर्ताओं को धमका रहा है। हमें शिकायत मिल रही है। हम अपने कार्यकर्ताओं से कहते हैं कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। पूरी पार्टी आपके साथ खड़ी है। सवाल : 2022 में अखिलेश यादव 67 हजार वोट से जीते थे, इस बार कितने वोट से जीत का अनुमान है?
जवाब : बहुत ही ऐतिहासिक परिणाम होंगे। सपा को बड़ी जीत मिलेगी। —————- यह खबर भी पढ़ें… अखिलेश बोले- लखनऊ-दिल्ली में सब ठीक नहीं, रिंग से वह भागता, जिसे हारने का डर यूपी विधानसभा उपचुनाव में कैंपेन की शुरुआत अखिलेश यादव ने गाजियाबाद से की। DGP चयन की पॉलिसी बदलने के मुद्दे पर अखिलेश ने कहा- जिनको खुद का भविष्य नहीं पता है, वो दो साल के नियम बना रहे हैं। इस पॉलिसी से ये भी पता चलता है कि लखनऊ और दिल्ली के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। पूरी खबर पढ़ें… यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इसमें मैनपुरी की हॉट सीट करहल भी है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अखिलेश इसी सीट से विधायक थे। भाजपा ने यहां से सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश प्रताप को टिकट देकर माहौल गरमा दिया है। सपा का इस सीट पर 22 साल से लगातार कब्जा है। ऐसे में इस बार भी सपा यहां पर बडे़ अंतर से जीत हासिल करने के लिए मेहनत कर रही है। सपा सांसद डिंपल यादव लगातार क्षेत्र में सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के समर्थन में जनसभा कर रही हैं। दैनिक भास्कर से डिंपल यादव ने कहा- भाजपा परिवारों को बांटने वाली पार्टी है। करहल में उन्हें कोई प्रत्याशी ही नहीं मिला। जनता इनका पूरा सच जान चुकी है। इनकी सोच यही रहती है कि कम वोट पड़वाएं। भाजपा धमकाकर अपने हक में वोटिंग कराएगी। ये ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नाम पर समाज को डरा रहे हैं। डिंपल यादव से खास बातचीत पढ़िए… सवाल : उपचुनाव को लेकर प्रचार कैसा चल रहा है?
जवाब : चुनाव प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है। लोगों का समर्थन मिल रहा है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से कार्यकर्ता प्रचार के लिए आए हैं। सवाल : भाजपा ने यहां से सैफई परिवार के अनुजेश यादव को टिकट दिया है, क्या लगता है?
जवाब : भाजपा को करहल से कोई कैंडिडेट ही नहीं मिला। ये तो परिवार के विरुद्ध वाली पार्टी है। ये परिवारों में बंटवारा करा देते हैं। हमारी लड़ाई विचारधारा, सम्मान और अधिकार की है। हमें लगता है कि इस लड़ाई में सपा को सर्व समाज और सभी वर्ग का साथ मिलेगा। सवाल : भाजपा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की बात कर रही है?
जवाब : हम देख रहे हैं कि एक भाषण के बाद सभी लोग एक ही बात कह रहे हैं। किसी का ध्यान महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और किसान की घटती आय पर नहीं है। ये भाजपा के विचार और मानसिकता को दर्शाता है। हमें समझ लेना चाहिए कि भाजपा का तौर-तरीका केवल वोट बंटोरने का है। समाज सेवा करने का नहीं है। ये ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नाम पर समाज को डरा रहे हैं। सवाल : आपने और शिवपाल यादव ने चुनाव के दिन गड़बड़ी होने की आशंका जाहिर की है?
जवाब : 2019 से लगातार चार चुनावों से ऐसा हो रहा है। इनके द्वारा ऐसी प्रणाली अपना ली गई है कि वोट कम पड़वाएं। लोगों को डराकर वोट न पड़ने दें। मगर, हम इसके खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। भाजपा को भी पता है कि वो करहल विधानसभा चुनाव तो हरा नहीं सकती। लेकिन, वो वोटों की गिनती को कम करने में लगे हैं। मैनपुरी लोकसभा चुनाव में भी इन्होंने वोटों की गिनती को गिराने का पूरा प्रयास किया था। इस बार भी हमें ऐसी जानकारी मिल रही है। सपा इसकी शिकायत कर रही है। इलेक्शन और काउंटिंग वाले दिन मैं खुद क्षेत्र में रहूंगी। किसी भी कार्यकर्ता को गड़बड़ी की सूचना मिले तो जरूर बताएं। प्रशासन चुनाव से पहले सपा कार्यकर्ताओं को धमका रहा है। हमें शिकायत मिल रही है। हम अपने कार्यकर्ताओं से कहते हैं कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। पूरी पार्टी आपके साथ खड़ी है। सवाल : 2022 में अखिलेश यादव 67 हजार वोट से जीते थे, इस बार कितने वोट से जीत का अनुमान है?
जवाब : बहुत ही ऐतिहासिक परिणाम होंगे। सपा को बड़ी जीत मिलेगी। —————- यह खबर भी पढ़ें… अखिलेश बोले- लखनऊ-दिल्ली में सब ठीक नहीं, रिंग से वह भागता, जिसे हारने का डर यूपी विधानसभा उपचुनाव में कैंपेन की शुरुआत अखिलेश यादव ने गाजियाबाद से की। DGP चयन की पॉलिसी बदलने के मुद्दे पर अखिलेश ने कहा- जिनको खुद का भविष्य नहीं पता है, वो दो साल के नियम बना रहे हैं। इस पॉलिसी से ये भी पता चलता है कि लखनऊ और दिल्ली के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर