खबर की शुरुआत 2 बयानों से… ‘टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे। पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाकी सीटों के उपचुनाव की तारीख, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी। दरअसल बात ये है कि यूपी में ‘महा-बेरोजगारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोजगार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर यूपी आए हुए हैं, और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे।’ –अखिलेश यादव, सपा प्रमुख ‘कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख 20 नवंबर तय कर जनता की भावनाओं का आदर किया है। लेकिन, सपा मुखिया अखिलेश यादव का तिथि परिवर्तन पर “दुखी” होना… वाह! यह वही दुख है जो साइकिल पंचर होने पर होता है।’ -केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम प्रदेश की 9 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में वोटिंग की तारीख बदलने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। तारीख बदले जाने पर बड़े–बड़े नेता बड़े–बड़े बयान दे रहे हैं। बेचैनी सबसे ज्यादा सपा नेताओं में है, इसकी वजह भी है। जानिए चुनाव आयोग के तारीख बदलने के फैसले से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान? सबसे पहले जानिए किस आधार पर चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख बढ़ाई भाजपा और सहयोगी पार्टी रालोद ने आयोग से कार्तिक पूर्णिमा के चलते तारीख बदलने की मांग की थी। तर्क था- कार्तिक पूर्णिमा का स्नान प्रयागराज में होता है, पश्चिमी यूपी से आने वाले श्रद्धालुओं को आने जाने में तीन से चार दिन का समय लगता है। ऐसे में चुनाव के समय बड़ी संख्या में लोग बाहर रहेंगे और मतदान करने से वंचित रह जाएंगे। चुनाव आयोग ने यह बात मान ली और 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को वोटिंग की डेट तय कर दी। क्या तारीख तय करते समय आयोग ने इस पहलू का नहीं रखा ध्यान? आयोग हर चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के साथ बैठक करता है। यूपी में भी 10 सीटों पर चुनाव होना था। ऐसे में स्वाभाविक है कि तारीख घोषित होने से पहले आयोग सरकार के अफसरों से फोर्स की उपलब्धता, सुरक्षा, कानून व्यवस्था समेत तमाम पहलुओं पर मंथन करता है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी कहते हैं कि क्योंकि यूपी में माहौल भाजपा के खिलाफ है। इसी वजह से यूपी की सीटों पर हरियाणा और जम्मू के साथ चुनाव नहीं कराया गया। रिट का बहाना बना कर मिल्कीपुर में चुनाव टाल दिया गया। जब तारीख घोषित होने के बाद भी भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई तो तारीख ही बदल दी गई। क्योंकि इससे ज्यादा चुनाव टाला नहीं जा सकता था, वजह किसी भी सीट के रिक्त होने से 6 महीने के अंदर चुनाव कराना अनिवार्य होता है, इसलिए चुनाव कराना मजबूरी थी। भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व में पत्रकार रहे अवनीश त्यागी कहते हैं कि 13 नवंबर को चुनाव होने से फायदा किसी का नहीं, नुकसान सभी का था। उत्तर प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान प्रमुख स्नानों में से एक है। गंगा स्नान के इस मेले में सिर्फ अगड़े नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में पिछड़ी जाति के लोग जाते हैं। कुछ मान्यता ऐसी होती है, जिसे पूरा करने के लिए इसमें जाना जरूरी होता है। इसमें सिर्फ भाजपा के वोटर जाते हैं, यह बात सही नहीं है। जहां तक आयोग की इस ओर ध्यान न देने की बात है, तो आयोग बड़े त्योहारों को देखता है, रूट लेवल पर ध्यान नहीं देता। खास बात यह है कि इस चुनाव के लिए जो पुलिस प्रबंध की आवश्यकता होती है, वह भी इस दिन पूरी नहीं हो पाती। वजह सिर्फ त्योहार या कुछ और भी? दरअसल चुनाव आयोग कोई भी चुनाव का शेड्यूल तय करता है तो कैलेंडर उसके सामने होता है। आयोग यह भी देखता है कि जिस दिन मतदान होगा, उस इलाके का मौसम आम तौर पर उन दिनों में कैसा रहता है। ऐसे में आयोग से चूक हुई या फिर सत्ता पक्ष का कोई ऐसा दबाव था, जिसकी वजह से चुनाव की तारीख को बदलना पड़ा। विपक्ष कह रहा है कि तारीख बदलने से परिणाम नहीं बदलेंगे। त्योहारों की वजह से भाजपा अपनी तैयारी पूरी नहीं कर सकी थी, जिसकी वजह से तारीख को आगे बढ़ाया गया है। तारीख बढ़ने से किसको ज्यादा फायदा होगा? इस पर पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि सपा ने नौ अक्टूबर को ही मीरापुर, कुंदरकी, खैर और गाजियाबाद सदर की सीट छोड़कर 6 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। हालांकि घोषणा से पहले से ही प्रत्याशियों को सपा ने तैयारी के लिए कह दिया था। जबकि भाजपा इसमें पिछड़ गई थी। नामांकन शुरू हुआ तब जाकर भाजपा ने 24 अक्टूबर को 7 प्रत्याशी घोषित किए। इसलिए तैयारियों में सपा प्रत्याशी की तुलना में भाजपा प्रत्याशियों को प्रचार के लिए कम समय मिल पाया था। दूसरी बात यह है कि सीएम योगी झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में हैं। उनकी वहां ज्यादा डिमांड है। इसलिए कम समय होने की वजह से वो यूपी के उपचुनाव में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। अब उन्हें समय मिल जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि तारीख बदलने की मांग केवल सत्ता पक्ष की थी, जिसे आयोग ने मान लिया। हरियाणा में भी केवल भाजपा ने तारीख बदलने की मांग की थी। जाहिर है भाजपा ने अपनी सुविधा और अपने लाभ के लिए तारीख बदलवाई है, ताकि उसे प्रचार के लिए अधिक समय मिल जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्यादातर कार्यक्रम झारखंड और महाराष्ट्र में नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में लगे हुए हैं। ऐसे में यूपी के उपचुनावों में अधिक प्रचार नहीं कर पाते। इसलिए तारीख आगे बढ़वाई गई है। लेकिन इसका लाभ सिर्फ उन्हें ही मिलेगा, इसकी गारंटी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र कुमार कहते हैं कि भाजपा सोच रही है कि चुनाव को जितना लंबा खींचा जाएगा, उन्हें प्रचार करने का समय ज्यादा मिलेगा। मांग केवल मीरापुर के लिए हुई थी। इनको लगता है कि स्थितियां अपने पक्ष में कर लेंगे। ऐसा हो पाएगा या नहीं, यह चुनाव के परिणाम होने के बाद पता चलेगा। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 15 को है। हर काम धर्म के नाम पर हो रहा है। विपक्ष क्यों पहले चाह रहा था चुनाव एक्सपर्ट्स कहते हैं– चुनाव में आयोग की ओर से खर्च करने की भले ही सीमा तय हो, लेकिन प्रत्याशी अपने हिसाब से पैसे खर्च करता है। जो प्रत्याशी पहले से घोषित हो चुके होते हैं, उनका खर्च ज्यादा होता है। तारीख बढ़ने के बाद यह खर्च भी बढ़ जाता है। जबकि सत्ता पक्ष पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उसके पास तमाम ऐसे संसाधन होते हैं, जिनसे खर्च मैनेज हो जाता है। प्रत्याशी की जेब से कम पैसे खर्च होते हैं। इसके अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन को लोकसभा चुनाव में जीत मिली है। सपा को लग रहा है कि हवा उसके पक्ष में हैं। जनता भाजपा से नाराज है, इसलिए इस गुस्से का फायदा उपचुनाव में भी मिलेगा। इसलिए वह जल्द वोटिंग चाह रही है। अखिलेश के दावों में कितनी सच्चाई है? चुनाव की तारीख बदलने पर अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में महा-बेरोजगारी है। जो दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए जाते हैं, वे दिवाली और छठ पर अपने गांव लौटे हैं। वे उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं। ये भाजपा की पुरानी चाल है। हारेंगे तो टालेंगे। इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस बात में ज्यादा दम नहीं है। जिन सीटों पर वोटिंग होनी है, वो अधिकतर मध्य और पश्चिम की सीटें हैं। सिर्फ फूलपुर सीट पूर्वांचल में आती है। वहां भी छठ का क्रेज नहीं है। दिवाली के बाद 10-12 दिन रुककर बहुत कम लोग होंगे जो वोट डालेंगे। अगर ये सीटें बिहार से लगी यूपी के जिलों में होती तो यह बात सही होती। ———————————— यह भी पढ़ें:- योगी बोले-घंटी और शंख भी नहीं बजाने देंगे:ताकत का एहसास करवाइए, जब भी हिंदू बंटे, निर्ममता से कटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झारखंड के कोडरमा और बड़कागांव में बटेंगे तो कटेंगे का नारा दोहराया। उन्होंने जनता से कहा- अपनी ताकत का एहसास करवाइए। अपनी ताकत का अहसास कराएंगे तो यह जो पत्थरबाज हैं, आपके लिए झाड़ू लगाकर रास्ता साफ करते हुए दिखाई देंगे। हमें जातियों में नहीं बंटना है। जाति के नाम पर कुछ लोग आपको बांटेंगे, कांग्रेस और विपक्ष यही काम करती है। ये लोग बांग्लादेशी घुसपैठियों, रोहिंग्या को बुला रहे हैं। एक दिन ये लोग आपको घर के अंदर घंटी और शंख भी नहीं बजाने देंगे। इसलिए एक रहिए और नेक रहिए। मैं तो कहता हूं कि देश का इतिहास गवाह है जब भी बंटे हैं, निर्ममता से कटे हैं। पढ़ें पूरी खबर… खबर की शुरुआत 2 बयानों से… ‘टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे। पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाकी सीटों के उपचुनाव की तारीख, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी। दरअसल बात ये है कि यूपी में ‘महा-बेरोजगारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोजगार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर यूपी आए हुए हैं, और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे।’ –अखिलेश यादव, सपा प्रमुख ‘कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख 20 नवंबर तय कर जनता की भावनाओं का आदर किया है। लेकिन, सपा मुखिया अखिलेश यादव का तिथि परिवर्तन पर “दुखी” होना… वाह! यह वही दुख है जो साइकिल पंचर होने पर होता है।’ -केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम प्रदेश की 9 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में वोटिंग की तारीख बदलने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। तारीख बदले जाने पर बड़े–बड़े नेता बड़े–बड़े बयान दे रहे हैं। बेचैनी सबसे ज्यादा सपा नेताओं में है, इसकी वजह भी है। जानिए चुनाव आयोग के तारीख बदलने के फैसले से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान? सबसे पहले जानिए किस आधार पर चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख बढ़ाई भाजपा और सहयोगी पार्टी रालोद ने आयोग से कार्तिक पूर्णिमा के चलते तारीख बदलने की मांग की थी। तर्क था- कार्तिक पूर्णिमा का स्नान प्रयागराज में होता है, पश्चिमी यूपी से आने वाले श्रद्धालुओं को आने जाने में तीन से चार दिन का समय लगता है। ऐसे में चुनाव के समय बड़ी संख्या में लोग बाहर रहेंगे और मतदान करने से वंचित रह जाएंगे। चुनाव आयोग ने यह बात मान ली और 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को वोटिंग की डेट तय कर दी। क्या तारीख तय करते समय आयोग ने इस पहलू का नहीं रखा ध्यान? आयोग हर चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के साथ बैठक करता है। यूपी में भी 10 सीटों पर चुनाव होना था। ऐसे में स्वाभाविक है कि तारीख घोषित होने से पहले आयोग सरकार के अफसरों से फोर्स की उपलब्धता, सुरक्षा, कानून व्यवस्था समेत तमाम पहलुओं पर मंथन करता है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी कहते हैं कि क्योंकि यूपी में माहौल भाजपा के खिलाफ है। इसी वजह से यूपी की सीटों पर हरियाणा और जम्मू के साथ चुनाव नहीं कराया गया। रिट का बहाना बना कर मिल्कीपुर में चुनाव टाल दिया गया। जब तारीख घोषित होने के बाद भी भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई तो तारीख ही बदल दी गई। क्योंकि इससे ज्यादा चुनाव टाला नहीं जा सकता था, वजह किसी भी सीट के रिक्त होने से 6 महीने के अंदर चुनाव कराना अनिवार्य होता है, इसलिए चुनाव कराना मजबूरी थी। भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व में पत्रकार रहे अवनीश त्यागी कहते हैं कि 13 नवंबर को चुनाव होने से फायदा किसी का नहीं, नुकसान सभी का था। उत्तर प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान प्रमुख स्नानों में से एक है। गंगा स्नान के इस मेले में सिर्फ अगड़े नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में पिछड़ी जाति के लोग जाते हैं। कुछ मान्यता ऐसी होती है, जिसे पूरा करने के लिए इसमें जाना जरूरी होता है। इसमें सिर्फ भाजपा के वोटर जाते हैं, यह बात सही नहीं है। जहां तक आयोग की इस ओर ध्यान न देने की बात है, तो आयोग बड़े त्योहारों को देखता है, रूट लेवल पर ध्यान नहीं देता। खास बात यह है कि इस चुनाव के लिए जो पुलिस प्रबंध की आवश्यकता होती है, वह भी इस दिन पूरी नहीं हो पाती। वजह सिर्फ त्योहार या कुछ और भी? दरअसल चुनाव आयोग कोई भी चुनाव का शेड्यूल तय करता है तो कैलेंडर उसके सामने होता है। आयोग यह भी देखता है कि जिस दिन मतदान होगा, उस इलाके का मौसम आम तौर पर उन दिनों में कैसा रहता है। ऐसे में आयोग से चूक हुई या फिर सत्ता पक्ष का कोई ऐसा दबाव था, जिसकी वजह से चुनाव की तारीख को बदलना पड़ा। विपक्ष कह रहा है कि तारीख बदलने से परिणाम नहीं बदलेंगे। त्योहारों की वजह से भाजपा अपनी तैयारी पूरी नहीं कर सकी थी, जिसकी वजह से तारीख को आगे बढ़ाया गया है। तारीख बढ़ने से किसको ज्यादा फायदा होगा? इस पर पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि सपा ने नौ अक्टूबर को ही मीरापुर, कुंदरकी, खैर और गाजियाबाद सदर की सीट छोड़कर 6 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। हालांकि घोषणा से पहले से ही प्रत्याशियों को सपा ने तैयारी के लिए कह दिया था। जबकि भाजपा इसमें पिछड़ गई थी। नामांकन शुरू हुआ तब जाकर भाजपा ने 24 अक्टूबर को 7 प्रत्याशी घोषित किए। इसलिए तैयारियों में सपा प्रत्याशी की तुलना में भाजपा प्रत्याशियों को प्रचार के लिए कम समय मिल पाया था। दूसरी बात यह है कि सीएम योगी झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में हैं। उनकी वहां ज्यादा डिमांड है। इसलिए कम समय होने की वजह से वो यूपी के उपचुनाव में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। अब उन्हें समय मिल जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि तारीख बदलने की मांग केवल सत्ता पक्ष की थी, जिसे आयोग ने मान लिया। हरियाणा में भी केवल भाजपा ने तारीख बदलने की मांग की थी। जाहिर है भाजपा ने अपनी सुविधा और अपने लाभ के लिए तारीख बदलवाई है, ताकि उसे प्रचार के लिए अधिक समय मिल जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्यादातर कार्यक्रम झारखंड और महाराष्ट्र में नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में लगे हुए हैं। ऐसे में यूपी के उपचुनावों में अधिक प्रचार नहीं कर पाते। इसलिए तारीख आगे बढ़वाई गई है। लेकिन इसका लाभ सिर्फ उन्हें ही मिलेगा, इसकी गारंटी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र कुमार कहते हैं कि भाजपा सोच रही है कि चुनाव को जितना लंबा खींचा जाएगा, उन्हें प्रचार करने का समय ज्यादा मिलेगा। मांग केवल मीरापुर के लिए हुई थी। इनको लगता है कि स्थितियां अपने पक्ष में कर लेंगे। ऐसा हो पाएगा या नहीं, यह चुनाव के परिणाम होने के बाद पता चलेगा। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 15 को है। हर काम धर्म के नाम पर हो रहा है। विपक्ष क्यों पहले चाह रहा था चुनाव एक्सपर्ट्स कहते हैं– चुनाव में आयोग की ओर से खर्च करने की भले ही सीमा तय हो, लेकिन प्रत्याशी अपने हिसाब से पैसे खर्च करता है। जो प्रत्याशी पहले से घोषित हो चुके होते हैं, उनका खर्च ज्यादा होता है। तारीख बढ़ने के बाद यह खर्च भी बढ़ जाता है। जबकि सत्ता पक्ष पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उसके पास तमाम ऐसे संसाधन होते हैं, जिनसे खर्च मैनेज हो जाता है। प्रत्याशी की जेब से कम पैसे खर्च होते हैं। इसके अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन को लोकसभा चुनाव में जीत मिली है। सपा को लग रहा है कि हवा उसके पक्ष में हैं। जनता भाजपा से नाराज है, इसलिए इस गुस्से का फायदा उपचुनाव में भी मिलेगा। इसलिए वह जल्द वोटिंग चाह रही है। अखिलेश के दावों में कितनी सच्चाई है? चुनाव की तारीख बदलने पर अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में महा-बेरोजगारी है। जो दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए जाते हैं, वे दिवाली और छठ पर अपने गांव लौटे हैं। वे उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं। ये भाजपा की पुरानी चाल है। हारेंगे तो टालेंगे। इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस बात में ज्यादा दम नहीं है। जिन सीटों पर वोटिंग होनी है, वो अधिकतर मध्य और पश्चिम की सीटें हैं। सिर्फ फूलपुर सीट पूर्वांचल में आती है। वहां भी छठ का क्रेज नहीं है। दिवाली के बाद 10-12 दिन रुककर बहुत कम लोग होंगे जो वोट डालेंगे। अगर ये सीटें बिहार से लगी यूपी के जिलों में होती तो यह बात सही होती। ———————————— यह भी पढ़ें:- योगी बोले-घंटी और शंख भी नहीं बजाने देंगे:ताकत का एहसास करवाइए, जब भी हिंदू बंटे, निर्ममता से कटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झारखंड के कोडरमा और बड़कागांव में बटेंगे तो कटेंगे का नारा दोहराया। उन्होंने जनता से कहा- अपनी ताकत का एहसास करवाइए। अपनी ताकत का अहसास कराएंगे तो यह जो पत्थरबाज हैं, आपके लिए झाड़ू लगाकर रास्ता साफ करते हुए दिखाई देंगे। हमें जातियों में नहीं बंटना है। जाति के नाम पर कुछ लोग आपको बांटेंगे, कांग्रेस और विपक्ष यही काम करती है। ये लोग बांग्लादेशी घुसपैठियों, रोहिंग्या को बुला रहे हैं। एक दिन ये लोग आपको घर के अंदर घंटी और शंख भी नहीं बजाने देंगे। इसलिए एक रहिए और नेक रहिए। मैं तो कहता हूं कि देश का इतिहास गवाह है जब भी बंटे हैं, निर्ममता से कटे हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल में पंजाब के पर्यटकों ने ड्राइवर का मर्डर किया:दोनों आरोपी लुधियाना से गिरफ्तार; पैसे के लिए हत्या, गमछे से गला घोंटकर मारा
हिमाचल में पंजाब के पर्यटकों ने ड्राइवर का मर्डर किया:दोनों आरोपी लुधियाना से गिरफ्तार; पैसे के लिए हत्या, गमछे से गला घोंटकर मारा हिमाचल प्रदेश के टैक्सी ड्राइवर का पंजाब के दो पर्यटकों ने पैसे के लिए मर्डर कर डाला। ड्राइवर हरि कृष्ण की बीते 25 जून को हत्या के बाद उसका शव किरतपुर नहर में फेंक दिया, जिसका अब तक सुराग नहीं लग पाया। पुलिस ने आज दोनों आरोपी पंजाब के लुधियाना से गिरफ्तार कर बिलासपुर ला दिए हैं। दोनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस के अनुसार, लुधियाना निवासी गुरमीत सिंह (28 साल) और जसपाल करण सिंह (20) ने पैसे के लालच में आकर ड्राइवर की हत्या कर डाली। बताया जा रहा है कि हरि कृष्ण के पास 15 हजार रुपए से ज्यादा की नगदी थी। दोनों आरोपियों ने उसके पास पैसे देख लिए थे और मनाली से वापस लौटते वक्त उन्होंने बिलासपुर के घाघस के आसपास हरि कृष्ण को मौत के घाट उतार दिया। आरोपी चला रहा था गाड़ी पुलिस की अब तक की प्रारंभिक जांच के मुताबिक, हरि कृष्ण की हत्या के वक्त एक आरोपी गुरमीत सिंह गाड़ी चला रहा था, जबकि हरि कृष्ण कंडक्टर सीट पर बैठा था। इस दौरान दूसरा आरोपी जसपाल पीछे वाली सीट पर था। गमछे से गला घोंटकर हत्या, बाद में पत्थर से भी वार किए पुलिस के अनुसार, जसपाल ने गमछे से हरि कृष्ण को गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद दोनों आरोपियों ने पत्थर से भी कई बार हरि कृष्ण पर वार किए। आरोपियों के मुताबिक उन्होंने शव को किरतपुर नहर में फेंक दिया। हत्या की इस वारदात को 25 जून को शाम करीब सवा आठ बजे के बाद अंजाम दिया गया। जन्मदिन मनाने हिमाचल आए थे आरोपी पुलिस के अनुसार, हरि कृष्ण अपनी टैक्सी नंबर एचपी-01-ए 5150 में पंजाब के दोनों आरोपियों को लेकर बीते 24 जून को शिमला से मनाली गया। दोनों आरोपी हिमाचल में घूमने के लिए आए थे। दोनों आरोपी जसपाल का जन्मदिन मनाने आए थे। हरिकृष्ण के बेटे ने कराई थी FIR हरि कृष्ण के बेटे देसराज रनोट ने शिमला के सदर थाना में तीन दिन पहले जीरो FIR कराई थी। इसके बाद यह एफआईआर बिलासपुर के बरमाणा के लिए ट्रांसफर किया गया, क्योंकि हरि कृष्ण बरमाणा क्षेत्र से लापता हुए थे। देसराज ने पिता के अपहरण का शक जताया था। पुलिस के अनुसार, हरि कृष्ण की ऑल्टो गाड़ी लुधियाना में जरूर देखे जाने की सूचना है। मगर अब तक पुलिस ने उसे रिकवर नहीं किया। आरोपी खुद ही इस गाड़ी को चलाकर लुधियाना ले गए थे। 25 जून को बेटे की आखिरी बार हरि कृष्ण से बात हुई बीते 25 जून रात 8 बजकर 20 मिनट पर बेटे देसराज की अपने पिता से मोबाइल पर बात हुई तो पिता ने बताया कि वह बरमाणा पहुंच रहे हैं। देर रात वह शिमला लौटेंगे। रात सवा 11 बजे के करीब बेटे ने जब दोबारा पिता को फोन किया तो उनका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। दोनों के खिलाफ हत्या का मामला: DSP DSP बिलासपुर मदन धीमान ने बताया कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर दिया गया है। उन्होंने ड्राइवर की का मर्डर कर दिया है और शव किरतपुर नहर में फेंक दिया है। पुलिस अब शव को खोजने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि पिछले कल दोनों आरोपी उत्तर प्रदेश के कानपुर फरार हो गए थे। मगर आज सुबह वह वापस पंजाब लौट आए। दोनों को आज अलग-अलग लोकेशन से गिरफ्तार किया गया है।
AAP का बड़ा आरोप, ‘CM अरविंद केजरीवाल को जान से मारने की साजिश रच रही BJP’
AAP का बड़ा आरोप, ‘CM अरविंद केजरीवाल को जान से मारने की साजिश रच रही BJP’ <p style=”text-align: justify;”>आप नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने बीजेपी पर आरोप बड़ा लगाया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जान से मारने की साजिश रच रही है. उन्होंने कहा कि ईडी सीएम केजरीवाल के इलाज कराने का विरोध क्यों रह रही है. ये ईडी का विरोध नहीं है, बीजेपी की साजिश है. आतिशी ने कहा कि दिल्ली के सीएम को कैंसर, किडनी र हार्ट की जांच करानी है. </p>
गोंडा में राशन कार्ड निरस्त करने की कार्रवाई शुरू, जानें क्या है इसके पीछे की वजह?
गोंडा में राशन कार्ड निरस्त करने की कार्रवाई शुरू, जानें क्या है इसके पीछे की वजह? <p style=”text-align: justify;”><strong>Gonda Latest News: </strong>गोंडा में गरीबों के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में भी लोगों के लालच और सरकारी सिस्टम के भ्रष्टाचार ने सेंध लगा दी है. सक्षम होते हुए भी बीते 4 वर्ष से हजारों आयकर दाता गरीबों के राशन पर डाका डालते रहे. शिकायतों का संज्ञान लेकर सरकार के निर्देश पर आयुक्त खाद एवं रसद विभाग ने इसकी जांच कारवाई तो मामला सामने आया. अब जिलेवार अपात्र की सूची भेज कर जिला पूर्ति अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रकरण गोंडा का है, जहां अब गोंडा की पूर्ति विभाग ने राशन कार्ड निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है. अगर गोंडा की बात करें तो गोंडा में ही अकेले योजना के तहत 7866 आयकर दाता प्रतिमा 63.63 लाख रुपए का राशन मुफ्त ले रहे हैं. इस तरह से देखें तो बीते 4 वर्षों में आयकर दाता एक जिले में 30.54 करोड रुपए का राशन मुफ्त में खा गए. अकेले गोंडा ही नहीं अयोध्या, हरदोई, बाराबंकी, बहराइच और सुल्तानपुर में हजारों लोग इसका अनुचित फायदा लेते पाए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>करोड़ों का राशन डकार गए आयकर दाता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्र सरकार ने जून 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की थी. योजना में पात्र गृहस्थी राशन कार्ड के प्रत्येक सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त देने की व्यवस्था है. आयकर देने वाले लोगों ने न सिर्फ राशन कार्ड बनवाया बल्कि लगातार 4 वर्ष से मुफ्त राशन भी ले रहे हैं. आयुक्त खाद एवं रसद विभाग ने दो महीने पहले आधार सीडिंग के बाद आयकर, कृषि व अन्य विभागों से योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थियों की सूची मांगी थी. आधार से मिलान के बाद आयकर दाता और अन्य योजनाओं का लाभ लेने के साथ ही मुफ्त राशन लेने वालों की पुष्टि हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रिपोर्ट आते ही होगी कार्रवाई</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सूची मिलने के बाद भले ही विभाग ने उनके राशन कार्ड को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी हो, लेकिन राशन कार्ड बनवाने की प्रक्रिया और पात्रों के चयन पर भी सवाल खड़ा हो रहा है. तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव और पूर्व आपूर्ति निरीक्षक की लापरवाही से हुए सरकारी नुकसान की भरपाई कैसे होगी इसका जवाब देने से जिम्मेदार कतरा रहे हैं. इस संबंध में जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया है कि आयुक्त खाद एवं रसद विभाग की तरफ से एक सूची प्राप्त हुई है, जिसका सत्यापन अब ब्लॉक वार खंड विकास अधिकारी स्तर से कराया जा रहा है. जांच रिपोर्ट आते ही वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं जिला पूर्ति अधिकारी कृष्ण गोपाल पांडे और जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया है कि इनकम टैक्स पे करने वालों की सूची मिल गई है. उसका सत्यापन करवाया जाएगा और सत्यापन में सही मिलने पर उनके कार्ड को निरस्त किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”मेरठ में डीएम-एसएसपी ने किया कांवड़ यात्रा का निरीक्षण, हाईटेक कांट्रोल रूम की तारीफ की” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/meerut-dm-ssp-inspected-the-control-room-of-kawad-yatra-2024-ann-2738155″ target=”_self”>मेरठ में डीएम-एसएसपी ने किया कांवड़ यात्रा का निरीक्षण, हाईटेक कांट्रोल रूम की तारीफ की</a></strong></p>