भास्कर न्यूज | अमृतसर अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में शामिल 30 पंजाबियों में 20 से ज्यादा ऐसे हैं, जिन्हें एजेंटों ने दुबई-ब्राजील से पनामा के जंगलों तक पहुंचाकर अमेरिका का बॉर्डर क्रॉस करवाया। मगर ट्रंप सरकार की सख्ती के कारण वह बॉर्डर पर ही पकड़े गए और उन्हें कैंप में 15 से 20 दिन रखने के बाद डिपोर्ट कर दिया गया। अब ये लोग कभी विदेश नहीं जा पाएंगे। इनमें से कई ने 50 लाख तो कई ने 60 लाख रुपए तक एजेंटों को दिए, मगर डिपोर्ट होने के कारण यह सारा पैसा स्वाह हो गया है। इन लोगों में ज्यादातर बॉर्डर पर क्रॉस करते ही पकड़े गए। हालांकि पकड़े सभी बीते महीने के दौरान गए, मगर यहां से कोई 15 दिन पहले गया था तो कई 6 महीने पहले। मगर जनवरी महीने में जब इन्होंने बॉर्डर क्रास किया तो पकड़े गए। बुधवार दोपहर से रात 8 बजे तक इन लोगों से पूछताछ चली। फिर पुलिस इन्हें एयरपोर्ट की कारगो फेसिलिटी के पिछले गेट से मीडिया से बचाकर बंद गाड़ियों में बैठाकर सीधे इनके घर या रिश्तेदारों के यहां छोड़ आई। एयरपोर्ट पर पहुंचे अजयदीप सिंह (20) के दादा ने बताया कि अजय 15 दिन पहले अमरीका गया था। वह उसे लेने के लिए आए हैं। वह तो बच्चों को खुद बाहर नहीं भेजना चाहते हैं, मगर जाने युवाओं के दिमाग में क्या भरा हुआ है कि पंजाब में रहकर काम नहीं कर सकते। अजय को लेकर चिंतित उनके उनके दादा को पुलिस ने एयरपोर्ट से घर भेज दिया, जबकि बाद अजय को पुलिस खुद उसके घर छोड़ आई। बड़ी गिनती में फोर्स रही तैनात एयरपोर्ट पर पहुंचे अजयदीप के दादा और दादी। अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों का मुद्दा सांसद गुरजीत सिंह औजला संसद में उठाएंगे। औजला ने कहा कि सरकार उन भारतीयों के रोजगार के लिए प्रयास करे क्योंकि यहां उन्हें रोजगार नहीं दिया गया तभी वो विदेशों में जाने को मजबूर हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारी नाकामयाबी है कि युवा विदेशों में गए। उन्होंने कहा कि हर स्टेट की सरकार डिपोर्ट किए युवाओं की मदद करे और उन्हें रोजगार दे। भास्कर न्यूज | अमृतसर अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में शामिल 30 पंजाबियों में 20 से ज्यादा ऐसे हैं, जिन्हें एजेंटों ने दुबई-ब्राजील से पनामा के जंगलों तक पहुंचाकर अमेरिका का बॉर्डर क्रॉस करवाया। मगर ट्रंप सरकार की सख्ती के कारण वह बॉर्डर पर ही पकड़े गए और उन्हें कैंप में 15 से 20 दिन रखने के बाद डिपोर्ट कर दिया गया। अब ये लोग कभी विदेश नहीं जा पाएंगे। इनमें से कई ने 50 लाख तो कई ने 60 लाख रुपए तक एजेंटों को दिए, मगर डिपोर्ट होने के कारण यह सारा पैसा स्वाह हो गया है। इन लोगों में ज्यादातर बॉर्डर पर क्रॉस करते ही पकड़े गए। हालांकि पकड़े सभी बीते महीने के दौरान गए, मगर यहां से कोई 15 दिन पहले गया था तो कई 6 महीने पहले। मगर जनवरी महीने में जब इन्होंने बॉर्डर क्रास किया तो पकड़े गए। बुधवार दोपहर से रात 8 बजे तक इन लोगों से पूछताछ चली। फिर पुलिस इन्हें एयरपोर्ट की कारगो फेसिलिटी के पिछले गेट से मीडिया से बचाकर बंद गाड़ियों में बैठाकर सीधे इनके घर या रिश्तेदारों के यहां छोड़ आई। एयरपोर्ट पर पहुंचे अजयदीप सिंह (20) के दादा ने बताया कि अजय 15 दिन पहले अमरीका गया था। वह उसे लेने के लिए आए हैं। वह तो बच्चों को खुद बाहर नहीं भेजना चाहते हैं, मगर जाने युवाओं के दिमाग में क्या भरा हुआ है कि पंजाब में रहकर काम नहीं कर सकते। अजय को लेकर चिंतित उनके उनके दादा को पुलिस ने एयरपोर्ट से घर भेज दिया, जबकि बाद अजय को पुलिस खुद उसके घर छोड़ आई। बड़ी गिनती में फोर्स रही तैनात एयरपोर्ट पर पहुंचे अजयदीप के दादा और दादी। अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों का मुद्दा सांसद गुरजीत सिंह औजला संसद में उठाएंगे। औजला ने कहा कि सरकार उन भारतीयों के रोजगार के लिए प्रयास करे क्योंकि यहां उन्हें रोजगार नहीं दिया गया तभी वो विदेशों में जाने को मजबूर हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारी नाकामयाबी है कि युवा विदेशों में गए। उन्होंने कहा कि हर स्टेट की सरकार डिपोर्ट किए युवाओं की मदद करे और उन्हें रोजगार दे। पंजाब | दैनिक भास्कर
