अमृतसर | पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की डिसिप्लिनरी एक्शन कमेटी का सदस्य बनने पर पूर्व विधायक जुगल किशोर शर्मा को कांग्रेसियों ने बधाई दी। इस मौके पर प्रभदयाल महाजन, रमन तलवार, सुरिंदर केवलानी, राम भवन, दर्शन धीर, ओम प्रकाश, रजिंदर सिंह, चमन लाल, जज केसर, अजय महेश्वरी आदि मौजूद थे। अमृतसर | पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की डिसिप्लिनरी एक्शन कमेटी का सदस्य बनने पर पूर्व विधायक जुगल किशोर शर्मा को कांग्रेसियों ने बधाई दी। इस मौके पर प्रभदयाल महाजन, रमन तलवार, सुरिंदर केवलानी, राम भवन, दर्शन धीर, ओम प्रकाश, रजिंदर सिंह, चमन लाल, जज केसर, अजय महेश्वरी आदि मौजूद थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाबी सूबा दिवस आज:सुखबीर बादल ने कहा- पंजाब के साथ केंद्र का मतभेद जारी; SGPC बोली-पंजाबियों के साथ हुई बेईमानी
पंजाबी सूबा दिवस आज:सुखबीर बादल ने कहा- पंजाब के साथ केंद्र का मतभेद जारी; SGPC बोली-पंजाबियों के साथ हुई बेईमानी आज 1 नवंबर को पूरे पंजाब में दिवाली और बंदी छोड़ दिवस के साथ पंजाबी राज्य दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन 1966 में पंजाबी राज्य के अस्तित्व में आने की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। जब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश को भाषा के आधार पर अलग कर पंजाब को अलग कर दिया गया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने इस दिन पर केंद्र सरकार पर मतभेद के आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट को शेयर किया है। जिसमें उन्होंने कहा- देश की आजादी के लिए सबसे ज्यादा बलिदान देने वाले सिख समुदाय से कांग्रेस नेताओं ने आजादी से पहले कई वादे किए थे। लेकिन जैसे ही देश आजाद हुआ, कांग्रेस नेता उन वादों से मुकर गए। इन्हीं ज्यादतियों के आक्रोश से शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व में मातृभाषा पंजाबी भाषा के आधार पर ‘पंजाबी प्रांत’ की मांग उठी, जिसके लिए हजारों अकाली नेताओं ने केंद्र सरकार की यातनाएं सहन की और चले गए। जेल गए, धरने दिए और सभी प्रकार की जबरदस्ती का विरोध किया। आखिरकार लंबे संघर्ष और कई बलिदानों के बाद 1 नवंबर, 1966 को ‘पंजाबी प्रांत’ का गठन हुआ। केंद्र सरकार का पंजाब के साथ भेदभाव लगातार जारी है, हमारी जायज़ मांगें आज तक भी नहीं मानी गईं। शिरोमणि अकाली दल इसके लिए संघर्ष करता रहेगा। SGPC ने कहा- पंजाब तकसीम दार तकसीम होता गया सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से भी इस दिन पर केंद्र के खिलाफ रोष जाहिर किया गया है। SGPC के सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट शेयर की गई। जिसमें लिखा है- आज ही के दिन 1966 में भाषा के आधार पर विभाजित पंजाबी राज्य अस्तित्व में आया था। भारत के विभाजन के बाद दक्षिण से लेकर उत्तर तक भाषा के आधार पर प्रांतों के परिसीमन का मुद्दा उठा। आंध्र प्रदेश के गठन के बाद पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने पंजाबी राज्य की मांग रखी। एक लंबे संघर्ष के बाद (जिसमें हजारों सिखों ने जेल भरीं, यातनाएं झेली, शहादतें दी) 1 नवंबर 1966 को पंजाबी को एक राज्य बनाया गया। केंद्र ने पंजाबियों के साथ बेईमानी करते हुए जान-बूझकर कई पंजाबी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान में मिला लिया, न केवल पंजाब को खंडित कर दिया, बल्कि उसके जल, बांधों और राजधानी पर भी कब्जा करके बड़ी चोट पहुंचाई। पंजाब पुनर्गठन का इतिहास 1960 के दशक में पंजाबी सूबा आंदोलन के तहत सिखों और पंजाबी भाषी लोगों ने एक अलग राज्य की मांग की थी। 1966 में यह मांग पूरी हुई, और भाषा के आधार पर पंजाब का पुनर्गठन हुआ। इसके बाद पंजाब को मुख्य रूप से पंजाबी बोलने वालों का राज्य घोषित किया गया और हरियाणा को एक अलग हिंदी भाषी राज्य के रूप में पहचान मिली। साथ ही, हिमाचल प्रदेश का भी एक अलग राज्य के रूप में गठन किया गया। इस पुनर्गठन का उद्देश्य भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना था।
10 तक करनी होगी स्टूडेंट्स की इवेल्युएशन, इसके आधार पर बनेगी रिपोर्ट
10 तक करनी होगी स्टूडेंट्स की इवेल्युएशन, इसके आधार पर बनेगी रिपोर्ट भास्कर न्यूज | जालंधर शिक्षा विभाग द्वारा प्री-प्राइमरी क्लास में एलकेजी और यूकेजी के लिए बेसलाइन असेस्मेंट और इसके लिए तैयार होने वाले रिपोर्ट कार्ड को लेकर निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के तहत 10 अगस्त तक बच्चों की इवेल्युएशन करवानी होगी। विभाग द्वारा यह भी निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों की ऑब्जर्वेशन के बाद उनका रिजल्ट तैयार होगा, ताकि स्टूडेंट्स को बेहतर करने का लिए काम किया जा सके। इवेल्युएशन और रिपोर्ट कार्ड तैयार होने के बाद पेरेंट्स के साथ ही रिजल्ट्स को साझा किया जाएगा। बच्चों के शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक व भावनात्मक, अंग्रेजी व भाषाई विकास की जांच की जाएगी। एक भाग की जांच के लिए तीन स्तर पर ऑब्जर्वेशन की जाएगी। इनमें अगर स्टूडेंट्स पहले स्तर की गतिविधि नहीं कर पाएंगे तो उन्हें नौ अंक िमलेंगे। एक स्तर को सफलतापूर्वक करने पर दूसरा स्तर जांचा जाएगा। इसी तरह दूसरा स्तर पूरा होने पर तीसरा स्तर जांचा जाएगा। तीनों स्तर पूरे होने पर टीचर द्वारा रिपोर्ट कार्ड में अपनी टिप्पणी दी जाएगी। टिप्पणी में सुनिश्चित करना होगा कि सिर्फ पॉजिटिव बातें ही लिखी जाएं। सभी स्कूलों को 16 अगस्त तक रिपोर्ट ऑनलाइन अपडेट करनी होगी। रिपोर्ट कार्ड के पहले पेज पर स्टूडेंट का नाम, उम्र, क्लास, शरीर का भार, बच्चे की उंचाई, स्कूल का पूरा नाम समेत कई जानकारी देनी होंगी। इसके साथ ही कार्ड में स्टूडेंट्स के कितने हेल्थ चेकअप हुए हैं, इसकी भी जानकारी दी जाएगी। स्कूल में अगर आंगनबाड़ी है तो इसकी भी जानकारी देनी होगी।
लुधियाना के उद्योगपति बढ़ी बिजली दरों से नाराज:सीएम मान पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया, बोले- उद्योगों की हालत पहले से ही खराब
लुधियाना के उद्योगपति बढ़ी बिजली दरों से नाराज:सीएम मान पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया, बोले- उद्योगों की हालत पहले से ही खराब पंजाब सरकार द्वारा घरेलू और उद्योगपतियों के लिए बिजली की दरों में की गई बढ़ोतरी के बाद लुधियाना के उद्योगपतियों ने बढ़ी हुई दरों का विरोध किया है। उद्योगपतियों ने सीएम भगवंत मान पर धोखा देने का आरोप लगाया है और सरकार से इन दरों को तुरंत वापस लेने की अपील की है। एक साल में करोड़ों का नुकसान होगा सरकार ने बिजली की दरों में मामूली बढ़ोतरी को मामूली बताया है और कहा है कि पंजाब में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने इन दरों में मामूली बढ़ोतरी की है, लेकिन इन दरों के बाद लुधियाना के उद्योगपति भड़क गए हैं। उनका कहना है कि यूनिट दर केवल 10 से 15 पैसे है, लेकिन चूंकि उद्योग रोजाना लाखों यूनिट की खपत करता है, इसलिए दरों में प्रतिदिन 10 से 15 लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई है और पूरे साल में उद्योग को करोड़ों रुपये का भारी नुकसान होगा। दरें कम करने का वादा किया था यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डीएस चावला ने कहा कि पंजाब के सीएम भगवंत मान ने हमें धोखा दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले सीएम मान और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उद्योगपतियों से मुलाकात कर उन्हें बिजली की दरें कम करने का आश्वासन दिया था। हमें पूरी उम्मीद थी कि सरकार अपना वादा पूरा करेगी, लेकिन आज सरकार ने दरें बढ़ाकर उद्योग जगत को नुकसान पहुंचाया है। छोटे उद्योग बर्बाद हो जाएंगे
लुधियाना के उद्योगपतियों ने इन दरों को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि इससे छोटे उद्योग बर्बाद हो जाएंगे। उद्योग जगत की हालत पहले से ही कमजोर है और उत्पादन पहले से ही आधे से भी कम हो गया है और लुधियाना में लेबर की पूरी तरह कमी है, जिसके कारण उद्योग चलाना बहुत मुश्किल हो गया है।