लुधियाना | तबीयत ठीक न होने का कहकर नौकरी से घर गई 18 वर्षीय युवती संदिग्ध हालात में लापता हो गई। थाना मोती नगर की पुलिस ने इस मामले में अज्ञात आरोपी पर अगवा कर बंधक बनाकर रखने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपी व युवती की तलाश कर रही है। पुलिस ने यह मामला युवती के पिता की शिकायत पर दर्ज किया है। उसके पिता का कहना है कि उसकी बेटी व पत्नी एक ही कंपनी में काम करती हैं। 15 मार्च को उसकी बेटी तबीयत खराब होने का कहकर कंपनी से छुट्टी लेकर घर चली गई। लेकिन जब शाम को उसकी पत्नी घर पहुंची तो बेटी वहां नहीं थी। उन्होंने उसकी तलाश की, लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। उन्हें शक है कि उनकी बेटी को किसी ने बरगला कर अगवा किया है। लुधियाना | तबीयत ठीक न होने का कहकर नौकरी से घर गई 18 वर्षीय युवती संदिग्ध हालात में लापता हो गई। थाना मोती नगर की पुलिस ने इस मामले में अज्ञात आरोपी पर अगवा कर बंधक बनाकर रखने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपी व युवती की तलाश कर रही है। पुलिस ने यह मामला युवती के पिता की शिकायत पर दर्ज किया है। उसके पिता का कहना है कि उसकी बेटी व पत्नी एक ही कंपनी में काम करती हैं। 15 मार्च को उसकी बेटी तबीयत खराब होने का कहकर कंपनी से छुट्टी लेकर घर चली गई। लेकिन जब शाम को उसकी पत्नी घर पहुंची तो बेटी वहां नहीं थी। उन्होंने उसकी तलाश की, लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। उन्हें शक है कि उनकी बेटी को किसी ने बरगला कर अगवा किया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अमृतसर में NEET परीक्षा को लेकर DC की बैठक:बोलीं- पारदर्शी पानी की बोतल ही ले जा सकेंगे स्टूडेंट्स, तीन चीजों की अनुमति होगी
अमृतसर में NEET परीक्षा को लेकर DC की बैठक:बोलीं- पारदर्शी पानी की बोतल ही ले जा सकेंगे स्टूडेंट्स, तीन चीजों की अनुमति होगी अमृतसर में 4 मई को होने वाली नीट परीक्षा को लेकर डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। परीक्षा केंद्र में स्टूडेंट्स सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक प्रवेश कर सकेंगे। परीक्षार्थियों को एडमिट कार्ड के साथ पहचान पत्र के रूप में पैन कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड, राशन कार्ड या स्कूल आईडी में से कोई एक लाना अनिवार्य है। इसके अलावा केवल पारदर्शी पानी की बोतल की अनुमति होगी। परीक्षा केंद्र में प्रिंटेड सामग्री, किताबें, कागज, पेंसिल बॉक्स, ज्यामिति बॉक्स, प्लास्टिक पाउच, पेन, स्केल, लॉग टेबल, पैड, इरेजर या कैलकुलेटर नहीं ले जा सकते। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन, इयरफोन, स्मार्टवॉच, पेन ड्राइव, क्रेडिट-डेबिट कार्ड भी प्रतिबंधित हैं। साथ ही बटुआ, कैमरा, चश्मा, गहने, हेयर बैंड, बेल्ट, टोपी, स्कार्फ या खाने-पीने की वस्तुएं भी नहीं ले जा सकते। नियमों का उल्लंघन करने वाले परीक्षार्थियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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लुधियाना में कांग्रेस-भाजपा में हो सकता गठबंधन:BJP प्रधान बोले- मेयर हमारा होगा, कांग्रेस ने कहा- AAP को रोकने के लिए विकल्प तलाश रहे पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हुए। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सभी राजनीतिक दल खरीद-फरोख्त में व्यस्त हैं। आम आदमी पार्टी को 41 सीटें मिली हैं। बता दें कि निगम में कुल 95 वार्ड हैं। निगम क्षेत्र में आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों के विधायक भी निगम सदन के सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 48 या 51 (102 के हिसाब से) का आंकड़ा चाहिए। अगर पार्षदों की संख्या को ही माना जाए तो मेयर चुनने के लिए 48 सीटों की जरूरत है। अगर विधायकों को इसमें जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 51 हो जाता है। ऐसे में जोड़-तोड़ करके भी आप का मेयर बनता नहीं दिख रहा है। आप को रोकने के लिए कांग्रेस-भाजपा को गठबंधन करना होगा मौजूदा स्थिति के अनुसार कांग्रेस को 30 सीटें मिली हैं। कांग्रेस और भाजपा से एक-एक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में थे, जो कांग्रेस और भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। फिर भी कांग्रेस के पास 31 और भाजपा के पास 20 सीटें हैं। अकाली दल ने 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीती हैं। आम आदमी पार्टी को मेयर की सीट तक पहुंचने से रोकने के लिए विपक्षी कांग्रेस और भाजपा गठबंधन बनाने की तैयारी में हैं। 33 साल पुराना फॉर्मूला हो सकता लागू 33 साल पुराना फार्मूला फिर से मेयर बनाने के लिए दोहराया जा सकता है। कांग्रेस ने बीते दिन ही स्पष्ट कर दिया था कि वह आप को किसी सूरत में भी सर्मथन नहीं देंगे लेकिन शहर के विकास के लिए वह अन्य दलों को विकल्प के रूप में देख सकते हैं। हाईकमान से चल रही गठजोड़ को लेकर बातचीत-प्रधान धीमान उधर, भाजपा के जिला प्रधान रजनीश धीमान ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने के लिए प्रदेश हाईकमान से बातचीत चल रही है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि यदि कांग्रेस के साथ गठजोड़ होगा तो बीजेपी अपना मेयर बनाएगी ताकि शहर के विकास कार्यों के लिए केन्द्र से फंड लाया जा सके। जिला प्रधान तलवाड़ बोले-किसी कीमत पर नहीं देगें आप को समर्थन वहीं जिला कांग्रेस के प्रधान संजय तलवाड़ ने कहा कि ढाई साल से सत्ताधारियों ने चुनाव न करवाकर निगम पर कब्जा जमा रखा था। लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए कांग्रेस किसी कीमत पर आप को समर्थन नहीं देगी। हां हमारे पास अन्य विकल्प अभी खुले है। 1991 में हुआ था कांग्रेस और भाजपा का गठजोड़
33 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा गठजोड़ कर सकती है। साल 1991 में पहली बार नगर निगम के चुनाव हुए थे। इन चुनाव में बीजेपी को बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुमत नहीं मिला था। उस समय पंजाब में स्व. बेअंत सिंह की सरकार थी। दोनों दलों ने उस समय एक दूसरे को समर्थन देने का ऐलान किया था। दोनों पक्षों में इस शर्त पर गठजोड़ हुआ था कि ढाई साल भाजपा तो ढाई साल कांग्रेस का मेयर बनेगा। इस समझौते के बाद ही 12 जून 1991 में लुधियाना का पहला मेयर चुना गया था। ढाई साल चौधरी सत्य प्रकाश का कार्यकाल देखने के बाद कांग्रेस ने फैसला लिया था कि अगले ढाई साल भी वही मेयर रहेंगे। 11 जून 1996 तक यह गठजोड़ पूरे 5 साल चला।

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अकाली दल में अंदरूनी कलह बढ़ी:फतेहगढ़ साहिब में प्रस्ताव पास, बगावत करने वालों को पार्टी से बाहर करने की मांग पंजाब में शिरोमणि अकाली दल का अंदरूनी कलह बढ़ती जा रहा है। अब फतेहगढ़ साहिब में जिला जत्थेबंदी ने एक बैठक करके पार्टी प्रधान सुखबीर बादल से मांग की है कि बगावत करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। साथ ही सुखबीर बादल के समर्थन का प्रस्ताव भी पास किया गया। यूथ विंग अध्यक्ष की अगुवाई में बैठक अकाली दल में आपसी फूट के चलते दिनोदिनों दोनों गुट एक दूसरे खिलाफ मीटिंग्स कर रहे हैं। आज फतेहगढ़ साहिब में यूथ विंग अध्यक्ष सरबजीत सिंह झिंझर की अगुवाई में बैठक हुई। जिसमें जिला इकाई के पदाधिकारी शामिल हुए और ऐलान किया कि वे सुखबीर बादल के साथ हैं। झिंझर ने कहा कि इसके साथ ही उनकी तरफ से एक प्रस्ताव पास करके पार्टी प्रधान से यह मांग की गई है कि जो लोग पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं उन्हें बाहर निकाला जाए और वापस कभी अकाली दल में शामिल न किया जाए। चंदूमाजरा के करीबी रहे गैरहाजिर फतेहगढ़ साहिब में काफी समय से पहले ही अकाली दल में आपसी फूट पार्टी को कमजोर कर चुकी है। पंथक हल्का कभी अकाली दल का गढ़ होता था और आज यहां पार्टी को अपनों से बचाकर रखना ही इनके लिए बड़ी चुनौती हो गया है। सुखबीर बादल के समर्थन में हुई बैठक से भी जिले के कई अकाली नेता गायब थे। इनमें काफी नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा के करीबी हैं।