तेलंगाना में अब नहीं बन पाएगी बदरीनाथ और पंचकेदार मंदिर की कॉपी! BKTC ने भेजा कानूनी नोटिस

तेलंगाना में अब नहीं बन पाएगी बदरीनाथ और पंचकेदार मंदिर की कॉपी! BKTC ने भेजा कानूनी नोटिस

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने तेलंगाना में प्रस्तावित बद्रीनाथ और पंचकेदार मंदिर की प्रतिकृति बनाने की योजना पर कड़ा विरोध जताते हुए संबंधित ट्रस्टों को कानूनी नोटिस भेजा है. समिति ने इसे धार्मिक आस्थाओं, परंपराओं और मान्यताओं के विरुद्ध बताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड के बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर, जिन्हें सनातन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों के रूप में देखा जाता है, की प्रतिकृतियां तेलंगाना में बनाए जाने की खबरें सामने आई थीं. इन प्रतिकृतियों का प्रचार-प्रसार वास्तविक बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के नाम पर किया जा रहा है. मंदिर समिति ने इसे सनातन धर्मावलंबियों की आस्था और भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय प्रसाद थपलियाल द्वारा हस्ताक्षरित कानूनी नोटिस में तेलंगाना के दो प्रमुख ट्रस्टों को संबोधित किया गया है. इनमें “उत्तराखंड कल्याणकारी संस्था बांदा, मैलाराम” और “दक्षिणेश्वर केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट, हैदराबाद” शामिल हैं. नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति उत्तराखंड सरकार के अधीन संचालित होती है और मंदिरों की देखरेख तथा धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने की जिम्मेदारी समिति की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नोटिस में उल्लेख किया गया है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम न केवल उत्तराखंड बल्कि विश्वभर के सनातन धर्मावलंबियों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र हैं. इनके निर्माण की पवित्रता और प्राचीन मान्यताओं को सनातन ग्रंथों में भी वर्णित किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति ने आरोप लगाया है कि तेलंगाना में प्रस्तावित मंदिरों का प्रचार-प्रसार बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के रूप में किया जा रहा है. इन मंदिरों की धार्मिक मान्यता नहीं होने के बावजूद इन्हें वास्तविक धाम के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. समिति का कहना है कि यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सनातन धर्मावलंबियों की आस्था को आहत करने का प्रयास है</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मंदिर समिति ने लगाए ये आरोप</strong><br />मंदिर समिति ने आरोप लगाया कि तेलंगाना में इन मंदिरों का निर्माण केवल व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किया जा रहा है. यह न केवल भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं का अपमान भी है. नोटिस में ट्रस्टों से दो सप्ताह के भीतर अपने उद्देश्य, कार्यकलाप और वैधानिकता से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है. ऐसा न करने पर दीवानी और फौजदारी न्यायिक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार और धर्मस्व विभाग को भी इस मामले की जानकारी दी है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और अन्य अधिकारियों को इस मुद्दे पर आवश्यक कदम उठाने के लिए पत्र भेजा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि ट्रस्टों को भेजे गए नोटिस में स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि निर्धारित समय में संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति ने सभी ट्रस्टों और संगठनों से अपील की है कि वे धार्मिक स्थलों की पवित्रता और प्राचीन मान्यताओं का सम्मान करें. समिति का कहना है कि ऐसे निर्माण कार्य केवल भ्रम और विवाद उत्पन्न करते हैं, जिससे भक्तों की आस्था प्रभावित होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/chardham-yatra-tax-on-vehicles-going-to-chardham-money-will-be-deducted-from-fastag-through-special-cameras-ann-2867028″><strong>चारधाम जाने वालों की जेब होगी ढीली! अब गाड़ियों पर ये टैक्स लगाएगी सरकार, ऐसे कटेंगे रुपये</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मुद्दे पर देशभर के सनातन धर्मावलंबियों में नाराजगी देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर लोग इस कदम की आलोचना कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी धार्मिक धरोहर की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर जाने के लिए तैयार है. अब यह देखना होगा कि तेलंगाना के ट्रस्ट इस कानूनी नोटिस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने तेलंगाना में प्रस्तावित बद्रीनाथ और पंचकेदार मंदिर की प्रतिकृति बनाने की योजना पर कड़ा विरोध जताते हुए संबंधित ट्रस्टों को कानूनी नोटिस भेजा है. समिति ने इसे धार्मिक आस्थाओं, परंपराओं और मान्यताओं के विरुद्ध बताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड के बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर, जिन्हें सनातन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों के रूप में देखा जाता है, की प्रतिकृतियां तेलंगाना में बनाए जाने की खबरें सामने आई थीं. इन प्रतिकृतियों का प्रचार-प्रसार वास्तविक बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के नाम पर किया जा रहा है. मंदिर समिति ने इसे सनातन धर्मावलंबियों की आस्था और भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय प्रसाद थपलियाल द्वारा हस्ताक्षरित कानूनी नोटिस में तेलंगाना के दो प्रमुख ट्रस्टों को संबोधित किया गया है. इनमें “उत्तराखंड कल्याणकारी संस्था बांदा, मैलाराम” और “दक्षिणेश्वर केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट, हैदराबाद” शामिल हैं. नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति उत्तराखंड सरकार के अधीन संचालित होती है और मंदिरों की देखरेख तथा धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने की जिम्मेदारी समिति की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नोटिस में उल्लेख किया गया है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम न केवल उत्तराखंड बल्कि विश्वभर के सनातन धर्मावलंबियों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र हैं. इनके निर्माण की पवित्रता और प्राचीन मान्यताओं को सनातन ग्रंथों में भी वर्णित किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति ने आरोप लगाया है कि तेलंगाना में प्रस्तावित मंदिरों का प्रचार-प्रसार बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के रूप में किया जा रहा है. इन मंदिरों की धार्मिक मान्यता नहीं होने के बावजूद इन्हें वास्तविक धाम के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. समिति का कहना है कि यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सनातन धर्मावलंबियों की आस्था को आहत करने का प्रयास है</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मंदिर समिति ने लगाए ये आरोप</strong><br />मंदिर समिति ने आरोप लगाया कि तेलंगाना में इन मंदिरों का निर्माण केवल व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किया जा रहा है. यह न केवल भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं का अपमान भी है. नोटिस में ट्रस्टों से दो सप्ताह के भीतर अपने उद्देश्य, कार्यकलाप और वैधानिकता से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है. ऐसा न करने पर दीवानी और फौजदारी न्यायिक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार और धर्मस्व विभाग को भी इस मामले की जानकारी दी है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और अन्य अधिकारियों को इस मुद्दे पर आवश्यक कदम उठाने के लिए पत्र भेजा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि ट्रस्टों को भेजे गए नोटिस में स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि निर्धारित समय में संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंदिर समिति ने सभी ट्रस्टों और संगठनों से अपील की है कि वे धार्मिक स्थलों की पवित्रता और प्राचीन मान्यताओं का सम्मान करें. समिति का कहना है कि ऐसे निर्माण कार्य केवल भ्रम और विवाद उत्पन्न करते हैं, जिससे भक्तों की आस्था प्रभावित होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/chardham-yatra-tax-on-vehicles-going-to-chardham-money-will-be-deducted-from-fastag-through-special-cameras-ann-2867028″><strong>चारधाम जाने वालों की जेब होगी ढीली! अब गाड़ियों पर ये टैक्स लगाएगी सरकार, ऐसे कटेंगे रुपये</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मुद्दे पर देशभर के सनातन धर्मावलंबियों में नाराजगी देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर लोग इस कदम की आलोचना कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी धार्मिक धरोहर की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर जाने के लिए तैयार है. अब यह देखना होगा कि तेलंगाना के ट्रस्ट इस कानूनी नोटिस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे: आशारोड़ी-झाझरा एलिवेटेड रोड तैयार, फोरलेन प्रोजेक्ट को मिली रफ्तार