‘इस बार आम के पेड़ पर बौर बहुत आया, लेकिन तेज आंधी से फूल को नुकसान हुआ। इसलिए वह फल में नहीं बदल पाया। इस बार आम की पैदावार कम होगी।’ यह बात मलिहाबाद में 5 बीघा आम के बाग की रखवाली कर रहे जुगल किशोर तिवारी ने कही। वह इस समय परिवार के साथ बाग में ही रहते हैं। बाग में रामकेला, दशहरी, चौसा और बंबइया आम लगे हैं। कई पेड़ों में कीड़े लगे हैं, इसलिए वह दवा डालकर धुलाई कर रहे थे। लखनऊ मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर मलिहाबाद में आम के ज्यादातर बागों का यही हाल है। अपने स्वाद, आकार और वैराइटी को लेकर मशहूर मलिहाबाद के आम इस साल कम आएंगे। दैनिक भास्कर की टीम इस साल मलिहाबाद में आमों की पैदावार को समझने वहां के बागों में पहुंची। आम कब से टूटना शुरू होगा? इस साल क्या कुछ उम्मीद है? क्या चुनौतियां रहीं? कौन-कौन सी क्वालिटी के आम मार्केट में आने वाले हैं? इन सवालों के जवाब जाने। आम के रखरखाव को समझा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… जिन पेड़ों में कभी बौर नहीं आए, वो भी इस बार लदे थे
इस साल यहां उन पेड़ों में भी बौर आया, जिनमें पिछले 2-4 सालों से नहीं आया था। आम के पेड़ों पर रिकॉर्ड बौर आया, बागवान खुश हो गए। वो बेहतर आम तैयार करने में जुट गए। लेकिन, अप्रैल और मई महीने के पहले हफ्ते में चली तेज आंधी ने उनकी उम्मीद को झटका दिया। करीब 50% बौर को नुकसान पहुंचा। यही कारण है कि जितना बौर था, उसका 50% आम ही नजर आ रहा है। अब आम के पेड़ों में लगे कीड़े किसानों के लिए चिंता बन गए हैं। सबसे बड़ी चुनौती आंधी-पानी से बचे आम को बचाना
हमारी मुलाकात एक बाग में सोहन लाल से हुई। उनके बाग में कई पेड़ ऐसे हैं, जिनमें आमों को बैग में रखा गया है। हमने इसकी वजह पूछी। सोहन लाल कहते हैं- इसको लगा देने से जो कटर कीड़ा आम को काट कर गिरा देता है या फिर उसे खराब कर देता है, वह ऐसा नहीं कर पाता। हमने कटर कीड़ा के बारे में पूछा तो वह कहते हैं- यह एक कीड़ा है, जो पहले आम को डाल से काटता है। फिर आम के अंदर सुराख कर देता है। इससे आम खराब हो जाता है। पिछले महीने लगातार 7 दिन तक पश्चिम से हवा चली फिर पानी बरस गया, इसलिए आम को नुकसान हुआ है। सोहन लाल कहते हैं- आम को बैग के अंदर कर देने से यह सुरक्षित हो जाता है> इसका कलर बढ़िया हो जाता है। जून के पहले हफ्ते में यह तोड़ा जाएगा। तब जो आम खुले में है, वह अगर 30 रुपए किलो गया तो जो बैग में है, वह 60 से 70 रुपए तक बिक जाता है। बस इसकी बंधाई महंगी है। एक बैग करीब 2 रुपए का पड़ता है और फिर इसे लगाने में भी खर्च आता है। जो आम नीचे हैं, उन्हीं में यह लगाया जा सकता है। अगले 4 महीने तक अलग-अलग वैराइटी के आम निकलेंगे
हमारी मुलाकात एक दूसरे बाग में दीपक तिवारी से हुई। दीपक के पास करीब 5 बीघे का बाग है। उन्होंने हमें अलग-अलग किस्म के आम दिखाए। एक आम को दिखाते हुए वह कहते हैं- यह गुलाब खास या फिर कहें गुलाब जामुन आम है। इसका एक आम 800-900 ग्राम तक का होता है। जब दशहरी आम टूट जाता है, तो इसके बाद इसका टूटना शुरू होता है। दीपक इसके बाद बगल के ही एक पेड़ की तरफ इशारा करते हैं, उसमें बड़े-बड़े आम लगे थे। वह कहते हैं- यह मलका आम है। आगे चलकर यह एक-एक किलो का आम हो जाएगा। यह कम मीठा होता है, इसलिए इसे शुगर फ्री आम भी कहते हैं। शुगर के मरीज इसे ज्यादा पसंद करते हैं। मार्केट में दशहरी और गुलाब खास आम के बाद इसको तोड़ना शुरू करते हैं। यह आम सबसे बाद में मार्केट में पहुंचता है। दीपक इसके बाद लखनउआ और चौसा आम के पेड़ दिखाते हैं। वह कहते हैं- लखनउआ आम को सफेदा भी कहते हैं। लोग इसे लेकर एक लाइन बोलते हैं, दशहरी डाल का, लखनउआ पाल का। मतलब दशहरी आम डाल का पका अच्छा होता है और लखनऊ आम तोड़कर पकाकर खाने में ज्यादा अच्छा होता है। कटर पिलर ने किसानों को परेशान किया
हम कई बाग में गए। ज्यादातर बागवानों ने हमें एक ही समस्या बताई। वह समस्या थी, कटर पिलर कीड़े की। हर पेड़ में कहीं न कहीं यह कीड़ा नजर आ रहा था। यह कीड़ा आम पर दो तरह से हमला करता है। पहला- यह किसी आम की टहनी को खा जाएगा और उसे नीचे गिरा देगा। दूसरा- यह पेड़ में लगे आम में छेद कर देगा। इसके बाद आम अपने आप सूखने लगेगा और खराब हो जाएगा। इससे निपटने के लिए किसान लगातार बाग में दवा का छिड़काव कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि जल्दी से आम तैयार हो जाए और उसे बाजार में उतारा जाए। काकोरी और माल इलाके में भी यही स्थिति
न सिर्फ मलिहाबाद, इसके पास काकोरी और माल इलाके में भी आम बागवानों की यही स्थिति है। वे लोग भी बौर आ जाने के बाद बेहद खुश थे, लेकिन आंधी-पानी ने उन्हें निराश किया। हालांकि, अभी भी पेड़ों में इतने आम हैं जितने पिछली बार नहीं थे। इन इलाकों के बागवान अपनी फसलों को लखनऊ के ही बाजार में बेचते रहे हैं। कई ऐसे भी हैं, जिनके आम पहले से ही कंपनियां खरीद कर विदेश तक भेजती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या उन लोगों की है जो दुबग्गा मंडी में आम बेचते रहे हैं। एक पेड़ जिसमें 12 तरीके के आम
मलिहाबाद में ही फिरोज खान ने पेड़ों की नर्सरी लगा रखी है। वह इसमें लगातार एक्सपेरिमेंट करते रहे हैं। हम उनके पास पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले एक ऐसा पेड़ दिखाया, जिसमें 12 तरह के आम आएंगे। वह कहते हैं- हमने इसे 4 साल में ग्राफ्ट करके तैयार किया है। अलग-अलग आमों की टहनियों को इसमें जोड़ा गया है। इस बार इसमें मलका आम आए हैं, अगली बार इसमें सभी तरह के आम आएंगे। इसके बाद फिरोज खान अपनी नर्सरी के तमाम और पेड़ दिखाते हैं। कुछ पेड़ तो ऐसे जिनकी उम्र महज 1 साल है और उसमें आम लगे हैं। उन्होंने कई ऐसे पेड़ तैयार किए हैं, जो गमले तक में लगाए जा सकते हैं। जहां चोरी का डर वहां से टूटकर आ रहे आम
हम दुबग्गा सब्जी-फल मंडी पहुंचे। यहां पूरी मार्केट घूमने पर दिखता है कि आम बहुत सीमित मात्रा में आ रहा। यहीं हमें सूरज प्रसाद यादव मिले। वह कहते हैं- अभी जो आम आ रहा, वह मंडी के ही आसपास के इलाकों से आ रहा है। खासकर उन जगहों से, जहां बाग में आम चोरी हो रहे हैं। इसलिए बागवान आम को बाजार में बेच दे रहे हैं। रेट क्या रहेगा… मलिहाबाद वाले आम यहां 20 मई के बाद आना शुरू होंगे। व्यापारी सूरज प्रसाद यादव कहते हैं- अभी जो कच्चा आम आ रहा है, उसे हम 20 रुपए किलो के भाव से बेच रहे हैं। व्यापारियों का मानना है कि पैदावार कम होगी, तो आम के रेट पर असर भी दिखेगा। इस बार आम महंगा हो सकता है। जैसे पिछले साल दशहरी आम का रेट शुरू में मंडी में किसान को 40 रुपए प्रति किलो मिला था। दो हफ्ते बाद रेट 20 या इससे कम हो गए थे। इस बार पैदावार कम होने की वजह से इसमें 10 रुपए ज्यादा थोक मंडी में रेट रह सकता है। ——————– ये खबर भी पढ़ें… कानपुर में इंजीनियर की मौत, हेयर ट्रांसप्लांट में कितना खतरा?, शादी से पहले सर्जरी कराने वाले जवान की गई थी जान कानपुर में पनकी पावर प्लांट के असिस्टेंट इंजीनियर विनीत की हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान मौत हो गई। उनकी पत्नी जया के मुताबिक, हेयर ट्रांसप्लांट के बाद उनके चेहरे पर इतनी सूजन आ गई थी कि चेहरा गुब्बारे की तरह हो गया था। आंखें बाहर आ गई थीं। वे पहचान में नहीं आ रहे थे। पुलिस ने 54 दिन बाद FIR दर्ज की। जिस क्लिनिक पर हेयर ट्रांसप्लांट हुआ है, वहां पर डर्मेटोलॉजिस्ट या फिर प्लास्टिक सर्जन एक्सपर्ट नहीं था। इसके पहले भी हेयर ट्रांसप्लांट के बाद मौतें हुई हैं। आखिर हेयर ट्रांसप्लांट से जान को कितना खतरा रहता है? पढ़ें पूरी खबर ‘इस बार आम के पेड़ पर बौर बहुत आया, लेकिन तेज आंधी से फूल को नुकसान हुआ। इसलिए वह फल में नहीं बदल पाया। इस बार आम की पैदावार कम होगी।’ यह बात मलिहाबाद में 5 बीघा आम के बाग की रखवाली कर रहे जुगल किशोर तिवारी ने कही। वह इस समय परिवार के साथ बाग में ही रहते हैं। बाग में रामकेला, दशहरी, चौसा और बंबइया आम लगे हैं। कई पेड़ों में कीड़े लगे हैं, इसलिए वह दवा डालकर धुलाई कर रहे थे। लखनऊ मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर मलिहाबाद में आम के ज्यादातर बागों का यही हाल है। अपने स्वाद, आकार और वैराइटी को लेकर मशहूर मलिहाबाद के आम इस साल कम आएंगे। दैनिक भास्कर की टीम इस साल मलिहाबाद में आमों की पैदावार को समझने वहां के बागों में पहुंची। आम कब से टूटना शुरू होगा? इस साल क्या कुछ उम्मीद है? क्या चुनौतियां रहीं? कौन-कौन सी क्वालिटी के आम मार्केट में आने वाले हैं? इन सवालों के जवाब जाने। आम के रखरखाव को समझा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… जिन पेड़ों में कभी बौर नहीं आए, वो भी इस बार लदे थे
इस साल यहां उन पेड़ों में भी बौर आया, जिनमें पिछले 2-4 सालों से नहीं आया था। आम के पेड़ों पर रिकॉर्ड बौर आया, बागवान खुश हो गए। वो बेहतर आम तैयार करने में जुट गए। लेकिन, अप्रैल और मई महीने के पहले हफ्ते में चली तेज आंधी ने उनकी उम्मीद को झटका दिया। करीब 50% बौर को नुकसान पहुंचा। यही कारण है कि जितना बौर था, उसका 50% आम ही नजर आ रहा है। अब आम के पेड़ों में लगे कीड़े किसानों के लिए चिंता बन गए हैं। सबसे बड़ी चुनौती आंधी-पानी से बचे आम को बचाना
हमारी मुलाकात एक बाग में सोहन लाल से हुई। उनके बाग में कई पेड़ ऐसे हैं, जिनमें आमों को बैग में रखा गया है। हमने इसकी वजह पूछी। सोहन लाल कहते हैं- इसको लगा देने से जो कटर कीड़ा आम को काट कर गिरा देता है या फिर उसे खराब कर देता है, वह ऐसा नहीं कर पाता। हमने कटर कीड़ा के बारे में पूछा तो वह कहते हैं- यह एक कीड़ा है, जो पहले आम को डाल से काटता है। फिर आम के अंदर सुराख कर देता है। इससे आम खराब हो जाता है। पिछले महीने लगातार 7 दिन तक पश्चिम से हवा चली फिर पानी बरस गया, इसलिए आम को नुकसान हुआ है। सोहन लाल कहते हैं- आम को बैग के अंदर कर देने से यह सुरक्षित हो जाता है> इसका कलर बढ़िया हो जाता है। जून के पहले हफ्ते में यह तोड़ा जाएगा। तब जो आम खुले में है, वह अगर 30 रुपए किलो गया तो जो बैग में है, वह 60 से 70 रुपए तक बिक जाता है। बस इसकी बंधाई महंगी है। एक बैग करीब 2 रुपए का पड़ता है और फिर इसे लगाने में भी खर्च आता है। जो आम नीचे हैं, उन्हीं में यह लगाया जा सकता है। अगले 4 महीने तक अलग-अलग वैराइटी के आम निकलेंगे
हमारी मुलाकात एक दूसरे बाग में दीपक तिवारी से हुई। दीपक के पास करीब 5 बीघे का बाग है। उन्होंने हमें अलग-अलग किस्म के आम दिखाए। एक आम को दिखाते हुए वह कहते हैं- यह गुलाब खास या फिर कहें गुलाब जामुन आम है। इसका एक आम 800-900 ग्राम तक का होता है। जब दशहरी आम टूट जाता है, तो इसके बाद इसका टूटना शुरू होता है। दीपक इसके बाद बगल के ही एक पेड़ की तरफ इशारा करते हैं, उसमें बड़े-बड़े आम लगे थे। वह कहते हैं- यह मलका आम है। आगे चलकर यह एक-एक किलो का आम हो जाएगा। यह कम मीठा होता है, इसलिए इसे शुगर फ्री आम भी कहते हैं। शुगर के मरीज इसे ज्यादा पसंद करते हैं। मार्केट में दशहरी और गुलाब खास आम के बाद इसको तोड़ना शुरू करते हैं। यह आम सबसे बाद में मार्केट में पहुंचता है। दीपक इसके बाद लखनउआ और चौसा आम के पेड़ दिखाते हैं। वह कहते हैं- लखनउआ आम को सफेदा भी कहते हैं। लोग इसे लेकर एक लाइन बोलते हैं, दशहरी डाल का, लखनउआ पाल का। मतलब दशहरी आम डाल का पका अच्छा होता है और लखनऊ आम तोड़कर पकाकर खाने में ज्यादा अच्छा होता है। कटर पिलर ने किसानों को परेशान किया
हम कई बाग में गए। ज्यादातर बागवानों ने हमें एक ही समस्या बताई। वह समस्या थी, कटर पिलर कीड़े की। हर पेड़ में कहीं न कहीं यह कीड़ा नजर आ रहा था। यह कीड़ा आम पर दो तरह से हमला करता है। पहला- यह किसी आम की टहनी को खा जाएगा और उसे नीचे गिरा देगा। दूसरा- यह पेड़ में लगे आम में छेद कर देगा। इसके बाद आम अपने आप सूखने लगेगा और खराब हो जाएगा। इससे निपटने के लिए किसान लगातार बाग में दवा का छिड़काव कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि जल्दी से आम तैयार हो जाए और उसे बाजार में उतारा जाए। काकोरी और माल इलाके में भी यही स्थिति
न सिर्फ मलिहाबाद, इसके पास काकोरी और माल इलाके में भी आम बागवानों की यही स्थिति है। वे लोग भी बौर आ जाने के बाद बेहद खुश थे, लेकिन आंधी-पानी ने उन्हें निराश किया। हालांकि, अभी भी पेड़ों में इतने आम हैं जितने पिछली बार नहीं थे। इन इलाकों के बागवान अपनी फसलों को लखनऊ के ही बाजार में बेचते रहे हैं। कई ऐसे भी हैं, जिनके आम पहले से ही कंपनियां खरीद कर विदेश तक भेजती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या उन लोगों की है जो दुबग्गा मंडी में आम बेचते रहे हैं। एक पेड़ जिसमें 12 तरीके के आम
मलिहाबाद में ही फिरोज खान ने पेड़ों की नर्सरी लगा रखी है। वह इसमें लगातार एक्सपेरिमेंट करते रहे हैं। हम उनके पास पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले एक ऐसा पेड़ दिखाया, जिसमें 12 तरह के आम आएंगे। वह कहते हैं- हमने इसे 4 साल में ग्राफ्ट करके तैयार किया है। अलग-अलग आमों की टहनियों को इसमें जोड़ा गया है। इस बार इसमें मलका आम आए हैं, अगली बार इसमें सभी तरह के आम आएंगे। इसके बाद फिरोज खान अपनी नर्सरी के तमाम और पेड़ दिखाते हैं। कुछ पेड़ तो ऐसे जिनकी उम्र महज 1 साल है और उसमें आम लगे हैं। उन्होंने कई ऐसे पेड़ तैयार किए हैं, जो गमले तक में लगाए जा सकते हैं। जहां चोरी का डर वहां से टूटकर आ रहे आम
हम दुबग्गा सब्जी-फल मंडी पहुंचे। यहां पूरी मार्केट घूमने पर दिखता है कि आम बहुत सीमित मात्रा में आ रहा। यहीं हमें सूरज प्रसाद यादव मिले। वह कहते हैं- अभी जो आम आ रहा, वह मंडी के ही आसपास के इलाकों से आ रहा है। खासकर उन जगहों से, जहां बाग में आम चोरी हो रहे हैं। इसलिए बागवान आम को बाजार में बेच दे रहे हैं। रेट क्या रहेगा… मलिहाबाद वाले आम यहां 20 मई के बाद आना शुरू होंगे। व्यापारी सूरज प्रसाद यादव कहते हैं- अभी जो कच्चा आम आ रहा है, उसे हम 20 रुपए किलो के भाव से बेच रहे हैं। व्यापारियों का मानना है कि पैदावार कम होगी, तो आम के रेट पर असर भी दिखेगा। इस बार आम महंगा हो सकता है। जैसे पिछले साल दशहरी आम का रेट शुरू में मंडी में किसान को 40 रुपए प्रति किलो मिला था। दो हफ्ते बाद रेट 20 या इससे कम हो गए थे। इस बार पैदावार कम होने की वजह से इसमें 10 रुपए ज्यादा थोक मंडी में रेट रह सकता है। ——————– ये खबर भी पढ़ें… कानपुर में इंजीनियर की मौत, हेयर ट्रांसप्लांट में कितना खतरा?, शादी से पहले सर्जरी कराने वाले जवान की गई थी जान कानपुर में पनकी पावर प्लांट के असिस्टेंट इंजीनियर विनीत की हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान मौत हो गई। उनकी पत्नी जया के मुताबिक, हेयर ट्रांसप्लांट के बाद उनके चेहरे पर इतनी सूजन आ गई थी कि चेहरा गुब्बारे की तरह हो गया था। आंखें बाहर आ गई थीं। वे पहचान में नहीं आ रहे थे। पुलिस ने 54 दिन बाद FIR दर्ज की। जिस क्लिनिक पर हेयर ट्रांसप्लांट हुआ है, वहां पर डर्मेटोलॉजिस्ट या फिर प्लास्टिक सर्जन एक्सपर्ट नहीं था। इसके पहले भी हेयर ट्रांसप्लांट के बाद मौतें हुई हैं। आखिर हेयर ट्रांसप्लांट से जान को कितना खतरा रहता है? पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
दवा-बैग लगाकर कीड़ों से बचा रहे मलिहाबाद के आम:आंधी-पानी से आधी हुई पैदावार, बागों में लगे हैं एक-एक किलो वाले आम
