पंजाब के कपूरथला में शहीद हुए हरियाणा के चरखी दादरी जिले के समसपुर निवासी फौजी मनोज फोगाट के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। शहीद के पिता, भाई और बहन की पहले ही मौत हो चुकी है, अब उनकी बूढ़ी मां और परिवार के लिए कोई सहारा नहीं बचा है। शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार को जब घर पहुंचा तो मां संतोष और पत्नी रेखा का रो-रोकर बुरा हाल था। मां और दादी को रोता देख शहीद की बेटी दीक्षा (8) और बेटा प्रिंस (5) की आंखों से भी आंसू बहने लगे। शहीद की मां एक फौजी से लिपटकर रोती रहीं और कहती रहीं, “मेरा मनोज नहीं रहा, अब मैं किसके सहारे जीऊंगी।” फौजी से लिपटकर रोई मां
शहीद की मां व पत्नी ने रोते हुए हाथ जोड़कर कहा कि उनका कोई सहारा नहीं बचा वे छोटे-छोटे बच्चों को कैसे संभालेंगी। इस मार्मिक दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गई बल्कि महिलाएं तो अपने गांव के लाल के लिए फूट-फूटकर रोने लगी। पत्नी बोली कोई सहारा नहीं रहा पत्नी रेखा ने रोते हुए कहा, “मेरी दुनिया उजड़ गई है। छोटे-छोटे बच्चे हैं, ना ही ससुर हैं, ना देवर-जेठ। कोई सहारा नहीं है, बच्चों का पालन-पोषण कैसे करूंगी।” उन्होंने हाथ जोड़कर सरकार से मदद की गुहार लगाई। परिवार के पास आय का साधन नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि शहीद मनोज के परिवार के पास करीब एक एकड़ ही जमीन है। पहले उनके पिता राजबीर पशुपालन कर परिवार का गुजर-बसर करते थे लेकिन 10-12 साल पहले उनका भी निधन हो गया। उसके बाद उनके भाई की एक्सीडेंट में व बहन की बीमारी के कारण मौत हो गई। परिवार संभालने का पूरा दारोमदार मनोज पर था लेकिन अब वे शहीद हो गए। इससे परिवार अपने आप-आप को असहाय महसूस कर रहा है। उनके परिवार में उनकी बूढी मां संतोष, पत्नी रेखा, 8 साल की बेटी दीक्षा और 5 साल का बेटा प्रिंस हैं। 15 मई को हुए थे शहीद
बता दे कि 15 मई को लांसनायक मनोज कपूरथला में शहीद हो गए। 17 मई को गमगीन माहौल में हजारों की संख्या में लोगों ने उनको नम आखों से अंतिम विदाई दी और उनके पैतृक गांव समसपुर में सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। जिसमें हरियाणा की कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी व सांसद धर्मबीर सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। तीन सप्ताह में दादरी के चार जवानों के शव पहुंचे गांव
चरखी दादरी जिले में तीन सप्ताह के दौरान चार जवानों के पार्थिव शव उनके पैतृक गांवों में पहुंच चुके हैं जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ है। ये जवान वायु सेना, नौ सेना व थल सेना में कार्यरत थे। 29 अप्रैल को हुई नवीन श्योराण की अंत्येष्टि
सबसे पहले लेह-लद्दाख में शहीद हुए जिले के गांव काकड़ौली हुक्मी निवासी वायु सेना के जवान नवीन श्योराण का पार्थिव शव उनके गांव पहुंचा था जहां 29 अप्रैल को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। नवीन अविवाहित था और उसकी सगाई की हुई थी और घर में शादी की तैयारी की जा रही थी इसी बीच वे शहीद हो गए थे। 6 मई को अमित सांगवान को दी अंतिम विदाई
बीते 6 मई को जिले के सांरगपुर निवासी अमित सांगवान जो इंडियन आर्मी में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए थे उनका पार्थिव शव उनके गांव पहुंचा था जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। वे जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए थे। उनके पिता की पहले मौत हो चुकी थी और वह अपनी मां का इकलौता बेटा था। उसकी बहन ने उसे मुखाग्नि दी थी। अमित की भी शहीद होने से एक माह पहले ही सगाई की गई थी और नवंबर में शादी होने वाली थी लेकिन उससे पहले ही वे शहीद हो गए। 11 मई नेवी के जवान पंचतत्व में विलीन हुए
इंडियन नेवी 2015 में भर्ती हुए और वर्तमान में दिल्ली नेवी सेंटर पर तैनात जिले के गांव लाड निवासी मनोज मान का पीलिया बीमारी के कारण निधन हो गया था। उनका पार्थिव शव उनके गांव लाया गया जहां नौ सेना की टुकड़ी ने फायर दागकर उन्हें सलामी दी और सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। उनके करीब 7 वर्षीय बेटे लक्षित ने उन्हें मुखाग्नि दी। 17 मई को मनोज फोगाट को दी अंतिम विदाई
तीन सप्ताह के दौरान दादरी जिले के सेना के चौथे जवान मनोज का पार्थिव शव 17 मई को उनके गांव पहुंचा जहां हजारों की भीड़ के साथ उनकी शव यात्रा निकाली गई। गांव के बस अड्डे के समीप सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके 5 साल के बेटे प्रिंस ने उन्हें मुखाग्नि दी। पंजाब के कपूरथला में शहीद हुए हरियाणा के चरखी दादरी जिले के समसपुर निवासी फौजी मनोज फोगाट के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। शहीद के पिता, भाई और बहन की पहले ही मौत हो चुकी है, अब उनकी बूढ़ी मां और परिवार के लिए कोई सहारा नहीं बचा है। शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार को जब घर पहुंचा तो मां संतोष और पत्नी रेखा का रो-रोकर बुरा हाल था। मां और दादी को रोता देख शहीद की बेटी दीक्षा (8) और बेटा प्रिंस (5) की आंखों से भी आंसू बहने लगे। शहीद की मां एक फौजी से लिपटकर रोती रहीं और कहती रहीं, “मेरा मनोज नहीं रहा, अब मैं किसके सहारे जीऊंगी।” फौजी से लिपटकर रोई मां
शहीद की मां व पत्नी ने रोते हुए हाथ जोड़कर कहा कि उनका कोई सहारा नहीं बचा वे छोटे-छोटे बच्चों को कैसे संभालेंगी। इस मार्मिक दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गई बल्कि महिलाएं तो अपने गांव के लाल के लिए फूट-फूटकर रोने लगी। पत्नी बोली कोई सहारा नहीं रहा पत्नी रेखा ने रोते हुए कहा, “मेरी दुनिया उजड़ गई है। छोटे-छोटे बच्चे हैं, ना ही ससुर हैं, ना देवर-जेठ। कोई सहारा नहीं है, बच्चों का पालन-पोषण कैसे करूंगी।” उन्होंने हाथ जोड़कर सरकार से मदद की गुहार लगाई। परिवार के पास आय का साधन नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि शहीद मनोज के परिवार के पास करीब एक एकड़ ही जमीन है। पहले उनके पिता राजबीर पशुपालन कर परिवार का गुजर-बसर करते थे लेकिन 10-12 साल पहले उनका भी निधन हो गया। उसके बाद उनके भाई की एक्सीडेंट में व बहन की बीमारी के कारण मौत हो गई। परिवार संभालने का पूरा दारोमदार मनोज पर था लेकिन अब वे शहीद हो गए। इससे परिवार अपने आप-आप को असहाय महसूस कर रहा है। उनके परिवार में उनकी बूढी मां संतोष, पत्नी रेखा, 8 साल की बेटी दीक्षा और 5 साल का बेटा प्रिंस हैं। 15 मई को हुए थे शहीद
बता दे कि 15 मई को लांसनायक मनोज कपूरथला में शहीद हो गए। 17 मई को गमगीन माहौल में हजारों की संख्या में लोगों ने उनको नम आखों से अंतिम विदाई दी और उनके पैतृक गांव समसपुर में सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। जिसमें हरियाणा की कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी व सांसद धर्मबीर सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। तीन सप्ताह में दादरी के चार जवानों के शव पहुंचे गांव
चरखी दादरी जिले में तीन सप्ताह के दौरान चार जवानों के पार्थिव शव उनके पैतृक गांवों में पहुंच चुके हैं जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ है। ये जवान वायु सेना, नौ सेना व थल सेना में कार्यरत थे। 29 अप्रैल को हुई नवीन श्योराण की अंत्येष्टि
सबसे पहले लेह-लद्दाख में शहीद हुए जिले के गांव काकड़ौली हुक्मी निवासी वायु सेना के जवान नवीन श्योराण का पार्थिव शव उनके गांव पहुंचा था जहां 29 अप्रैल को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। नवीन अविवाहित था और उसकी सगाई की हुई थी और घर में शादी की तैयारी की जा रही थी इसी बीच वे शहीद हो गए थे। 6 मई को अमित सांगवान को दी अंतिम विदाई
बीते 6 मई को जिले के सांरगपुर निवासी अमित सांगवान जो इंडियन आर्मी में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए थे उनका पार्थिव शव उनके गांव पहुंचा था जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। वे जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए थे। उनके पिता की पहले मौत हो चुकी थी और वह अपनी मां का इकलौता बेटा था। उसकी बहन ने उसे मुखाग्नि दी थी। अमित की भी शहीद होने से एक माह पहले ही सगाई की गई थी और नवंबर में शादी होने वाली थी लेकिन उससे पहले ही वे शहीद हो गए। 11 मई नेवी के जवान पंचतत्व में विलीन हुए
इंडियन नेवी 2015 में भर्ती हुए और वर्तमान में दिल्ली नेवी सेंटर पर तैनात जिले के गांव लाड निवासी मनोज मान का पीलिया बीमारी के कारण निधन हो गया था। उनका पार्थिव शव उनके गांव लाया गया जहां नौ सेना की टुकड़ी ने फायर दागकर उन्हें सलामी दी और सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। उनके करीब 7 वर्षीय बेटे लक्षित ने उन्हें मुखाग्नि दी। 17 मई को मनोज फोगाट को दी अंतिम विदाई
तीन सप्ताह के दौरान दादरी जिले के सेना के चौथे जवान मनोज का पार्थिव शव 17 मई को उनके गांव पहुंचा जहां हजारों की भीड़ के साथ उनकी शव यात्रा निकाली गई। गांव के बस अड्डे के समीप सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके 5 साल के बेटे प्रिंस ने उन्हें मुखाग्नि दी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
