दिल्ली कूच के लिए किसानों के हरियाणा में 4 पड़ाव:पहली पंक्ति में किसान नेताओं के मरजीवड़े जत्थे होंगे; दिन में चलेंगे, रात सड़क पर सोएंगे

दिल्ली कूच के लिए किसानों के हरियाणा में 4 पड़ाव:पहली पंक्ति में किसान नेताओं के मरजीवड़े जत्थे होंगे; दिन में चलेंगे, रात सड़क पर सोएंगे

शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए किसानों ने पूरी तैयारी कर ली है। रविवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान नेताओं ने इसका खुलासा किया। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा है कि 6 दिसंबर को किसान पैदल ही दिल्ली के लिए रवाना होंगे। किसानों का नेतृत्व कर रहे नेता मरजीवड़ों (मरने को तैयार) के जत्थों के तौर पर पहली पंक्ति में चलेंगे। उनके पीछे अन्य किसान आएंगे। जहां रात होगी, किसान वहीं सड़क पर ही डेरा डालेंगे। सुबह होते ही फिर से दिल्ली की ओर चलना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के कई मंत्रियों और केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू का बयान आया है कि अगर किसान पैदल जाते है तो उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं। ऐसे में हम आशा करते हैं कि वे अपने बयानों पर कायम रहेंगे। पंधेर ने कहा कि किसान अपने साथ जरूरी सामान लेकर जाएंगे। पहला पड़ाव जग्गी सिटी अंबाला में डालेंगे। इसके बाद मोहड़ा मंडी, खानपुर जट्‌टां के और पीपली में किसानों का जत्था पहुंचेगा। सभी किसान रोजाना सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ही चलेंगे। केवल MSP कानून चाहते हैं किसान
पंधेर ने कहा कि 18 फरवरी के बाद सरकार की किसानों से बातचीत बंद की गई है। भाजपा प्रवक्ता सिर्फ मीडिया में ही बातें करते हैं। असलियत यह है कि खुद पीयूष गोयल कह चुके हैं कि वह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चाहते हैं जबकि, किसान MSP कानून चाहते हैं। पंधेर ने कहा कि इस समय सदन चल रहा है। देखना है कि कितने लोगों ने किसानों की बातों को सदन में उठाया? हम सिर्फ MSP कानून की बात कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में भी कहा गया कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा। इसलिए किसान MSP कानून की मांग कर रहा है। हिरासत से छोड़े डल्लेवाल की सुरक्षा में किसान तैनात
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर से हिरासत में लेने के बाद से किसान अलर्ट पर हैं। डल्लेवाल की सुरक्षा खुद किसानों ने संभाल ली है। फार्मर फोर्स की तरह करीब 70 किसान मोर्चे के दोनों तरफ तैनात हैं। डल्लेवाल के पास किसान 4-4 घंटे की शिफ्ट में पहरा दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि 26 नवंबर को पंजाब पुलिस ने डल्लेवाल को हिरासत में लिया था। तब उनका वजन करीब 86.800 किलोग्राम था। वहां से आने के बाद उनका वजन 4 किलो घट गया है। वह 26 नवंबर से ही मरणव्रत पर हैं। डल्लेवाल के लिए मोर्च पर नई स्टेज बनाई गई है। आज से वह यहीं बैठकर अपना मरणव्रत जारी रखेंगे। स्टेज के आसपास भी किसानों की ड्यूटी लगाई गई है। किसान बोले- डल्लेवाल के पास किसी को नहीं पहुंचने देंगे
किसान नेताओं का कहना है कि सभी किसान सुरक्षा में हैं। जगजीत सिंह डल्लेवाल के पास अब किसी को भी पहुंचने नहीं दिया जाएगा। हमें मारकर या हमारी लाशों को लांघकर ही कोई आगे बढ़ सकता है। वहीं, महिला किसानों का कहना है कि जब डल्लेवाल ने मरणव्रत की घोषणा की थी, तभी महिला किसानों ने भी संघर्ष में शामिल होने की घोषणा कर दी थी। पहरों में पहले पुरुष ही होते थे, लेकिन सरकार की नाकामयाबी के कारण अब महिलाओं को भी आना पड़ा है। 6 राज्य के किसान नेताओं की मीटिंग हुई
एक दिन पहले शनिवार को किसान मजदूर मोर्चा ने 6 राज्यों के किसान संगठनों के नेताओं के साथ बैठक की। बैठक की अध्यक्षता केरल के किसान नेता पीटी जोन और पंजाब के गुरअमनीत सिंह मांगट ने की। किसानों ने कहा कि डल्लेवाल को हिरासत में लेना आम आदमी पार्टी सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करता है। 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की तैयारी को लेकर सभी संगठनों के बीच सहमति बन गई है। बैठक में लंगरों की व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन और वालंटियर्स की संख्या पर चर्चा की गई। रिहा होने के बाद डल्लेवाल ने कहीं 3 अहम बातें… 1. मुझे जहां रखा, वहां मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी
लुधियाना DMC अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा- मुझे रात खनौरी से उठाया और अस्पताल में दाखिल किया। मुझे जहां रखा, वहां मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी। दूसरे मरीजों को भी मोबाइल नहीं लाने दिया। सच्चाई ये थी कि मुझे यहां नजरबंद रखा गया। मैं किसानों की मेहनत की वजह से बाहर आया हूं। 2. टेस्ट करने की कई कोशिशें की
ये लोग बहुत कोशिश करते रहे कि मुझे ट्रीटमेंट दे दें। ब्लड टेस्ट, दवा देने, टेस्ट करने की कई कोशिशें की। अगर मुझे मरणव्रत पर नहीं बैठना होता तो पुलिसवालों की चाय पी लेता। 3. हमारा पंजाब से कोई झगड़ा नहीं
लड़ाई 13 फरवरी से शुरू हुई। ये लड़ाई किसानी का फ्यूचर बचाने के लिए है। इस लड़ाई को शांतिमय तरीके से ऊपर ले जाने का एक ही तरीका बचता है कि नेता अपने प्राणों की आहूति देने की तैयारी करें। पंजाब सरकार ने जो किया, वो केंद्र की बुक्कल में बैठकर किया। हमारा पंजाब से कोई झगड़ा ही नहीं है। पंजाब सरकार को हमसे कोई लेना देना ही नहीं है। शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए किसानों ने पूरी तैयारी कर ली है। रविवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान नेताओं ने इसका खुलासा किया। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा है कि 6 दिसंबर को किसान पैदल ही दिल्ली के लिए रवाना होंगे। किसानों का नेतृत्व कर रहे नेता मरजीवड़ों (मरने को तैयार) के जत्थों के तौर पर पहली पंक्ति में चलेंगे। उनके पीछे अन्य किसान आएंगे। जहां रात होगी, किसान वहीं सड़क पर ही डेरा डालेंगे। सुबह होते ही फिर से दिल्ली की ओर चलना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के कई मंत्रियों और केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू का बयान आया है कि अगर किसान पैदल जाते है तो उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं। ऐसे में हम आशा करते हैं कि वे अपने बयानों पर कायम रहेंगे। पंधेर ने कहा कि किसान अपने साथ जरूरी सामान लेकर जाएंगे। पहला पड़ाव जग्गी सिटी अंबाला में डालेंगे। इसके बाद मोहड़ा मंडी, खानपुर जट्‌टां के और पीपली में किसानों का जत्था पहुंचेगा। सभी किसान रोजाना सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ही चलेंगे। केवल MSP कानून चाहते हैं किसान
पंधेर ने कहा कि 18 फरवरी के बाद सरकार की किसानों से बातचीत बंद की गई है। भाजपा प्रवक्ता सिर्फ मीडिया में ही बातें करते हैं। असलियत यह है कि खुद पीयूष गोयल कह चुके हैं कि वह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चाहते हैं जबकि, किसान MSP कानून चाहते हैं। पंधेर ने कहा कि इस समय सदन चल रहा है। देखना है कि कितने लोगों ने किसानों की बातों को सदन में उठाया? हम सिर्फ MSP कानून की बात कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में भी कहा गया कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा। इसलिए किसान MSP कानून की मांग कर रहा है। हिरासत से छोड़े डल्लेवाल की सुरक्षा में किसान तैनात
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर से हिरासत में लेने के बाद से किसान अलर्ट पर हैं। डल्लेवाल की सुरक्षा खुद किसानों ने संभाल ली है। फार्मर फोर्स की तरह करीब 70 किसान मोर्चे के दोनों तरफ तैनात हैं। डल्लेवाल के पास किसान 4-4 घंटे की शिफ्ट में पहरा दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि 26 नवंबर को पंजाब पुलिस ने डल्लेवाल को हिरासत में लिया था। तब उनका वजन करीब 86.800 किलोग्राम था। वहां से आने के बाद उनका वजन 4 किलो घट गया है। वह 26 नवंबर से ही मरणव्रत पर हैं। डल्लेवाल के लिए मोर्च पर नई स्टेज बनाई गई है। आज से वह यहीं बैठकर अपना मरणव्रत जारी रखेंगे। स्टेज के आसपास भी किसानों की ड्यूटी लगाई गई है। किसान बोले- डल्लेवाल के पास किसी को नहीं पहुंचने देंगे
किसान नेताओं का कहना है कि सभी किसान सुरक्षा में हैं। जगजीत सिंह डल्लेवाल के पास अब किसी को भी पहुंचने नहीं दिया जाएगा। हमें मारकर या हमारी लाशों को लांघकर ही कोई आगे बढ़ सकता है। वहीं, महिला किसानों का कहना है कि जब डल्लेवाल ने मरणव्रत की घोषणा की थी, तभी महिला किसानों ने भी संघर्ष में शामिल होने की घोषणा कर दी थी। पहरों में पहले पुरुष ही होते थे, लेकिन सरकार की नाकामयाबी के कारण अब महिलाओं को भी आना पड़ा है। 6 राज्य के किसान नेताओं की मीटिंग हुई
एक दिन पहले शनिवार को किसान मजदूर मोर्चा ने 6 राज्यों के किसान संगठनों के नेताओं के साथ बैठक की। बैठक की अध्यक्षता केरल के किसान नेता पीटी जोन और पंजाब के गुरअमनीत सिंह मांगट ने की। किसानों ने कहा कि डल्लेवाल को हिरासत में लेना आम आदमी पार्टी सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करता है। 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की तैयारी को लेकर सभी संगठनों के बीच सहमति बन गई है। बैठक में लंगरों की व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन और वालंटियर्स की संख्या पर चर्चा की गई। रिहा होने के बाद डल्लेवाल ने कहीं 3 अहम बातें… 1. मुझे जहां रखा, वहां मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी
लुधियाना DMC अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा- मुझे रात खनौरी से उठाया और अस्पताल में दाखिल किया। मुझे जहां रखा, वहां मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी। दूसरे मरीजों को भी मोबाइल नहीं लाने दिया। सच्चाई ये थी कि मुझे यहां नजरबंद रखा गया। मैं किसानों की मेहनत की वजह से बाहर आया हूं। 2. टेस्ट करने की कई कोशिशें की
ये लोग बहुत कोशिश करते रहे कि मुझे ट्रीटमेंट दे दें। ब्लड टेस्ट, दवा देने, टेस्ट करने की कई कोशिशें की। अगर मुझे मरणव्रत पर नहीं बैठना होता तो पुलिसवालों की चाय पी लेता। 3. हमारा पंजाब से कोई झगड़ा नहीं
लड़ाई 13 फरवरी से शुरू हुई। ये लड़ाई किसानी का फ्यूचर बचाने के लिए है। इस लड़ाई को शांतिमय तरीके से ऊपर ले जाने का एक ही तरीका बचता है कि नेता अपने प्राणों की आहूति देने की तैयारी करें। पंजाब सरकार ने जो किया, वो केंद्र की बुक्कल में बैठकर किया। हमारा पंजाब से कोई झगड़ा ही नहीं है। पंजाब सरकार को हमसे कोई लेना देना ही नहीं है।   पंजाब | दैनिक भास्कर