यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। इस दौरान सरकार और संगठन को लेकर चर्चा हुई। केशव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के साथ आज ही दिल्ली पहुंचे। रात करीब वह 8 बजे वह नड्डा से मिलने भाजपा मुख्यालय पहुंचे। केशव की 3 दिन में नड्डा से दूसरी बार मुलाकात है। केशव के बाद भूपेंद्र चौधरी ने भी नड्डा से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, केशव और नड्डा के बीच यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव और यूपी सरकार के कामकाज पर बातचीत हुई। पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का मानना है कि यूपी में नेताओं की ओर से बेवजह बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। सरकार और संगठन के तालमेल को लेकर जनता में गलत संदेश नहीं जाना चाहिए। सभी को मिलकर विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत पर फोकस करना चाहिए, ताकि लोकसभा चुनाव से बिगड़े माहौल को ठीक किया जा सके। कैबिनेट बैठक समेत कार्यक्रमों से दूर हो गए थे केशव
जेपी नड्डा 14 जुलाई को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने लखनऊ आए थे। उस समय भी भूपेंद्र चौधरी और केशव मौर्य की जेपी नड्डा से लंबी बातचीत हुई थी। केशव मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच अनबन की खबरें थी। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केशव ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने नड्डा की मौजूदगी में लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार की वजह बताई थी। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से केशव मौर्य कैबिनेट की बैठक में भी नहीं जा रहे। लखनऊ में रहने के बाद भी एक बार वह मीटिंग में नहीं गए थे। पौधरोपण कार्यक्रम को लेकर सीएम योगी ने जो बैठक बुलाई, उसमें भी केशव गैरहाजिर रहे थे। आखिर क्यों नाराज हैं केशव?
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिल गई। केशव को डिप्टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा। इसके बाद अक्सर केशव और योगी के बीच मन-मुटाव की खबरें आती रहीं। 2022 के विधानसभा चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से भी हार गए। इस चुनाव से पहले भी योगी और केशव के बीच अनबन की खबरें सामने आती रहीं। इन चर्चाओं को रोकने के लिए योगी खुद केशव के घर गए और साथ में भोजन किया। 2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। वहीं, केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया। 2 साल पहले 21 अगस्त, 2022 को भी मौर्य ने यही बयान दिया था। उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था। तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी। कहीं फिर से केशव को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी तो नहीं?
2017 में जब भाजपा ने यूपी के विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था, तब केशव मौर्य प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन इस बार जब भाजपा की लोकसभा चुनाव में कम सीटें आईं, तब भूपेंद्र चौधरी प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह कहकर हलचल फैला दी थी कि अगर भाजपा भारी बहुमत से जीती तो उसके दो महीने के अंदर योगी को हटा दिया जाएगा। लेकिन, भाजपा यूपी में इंडी गठबंधन से हार गई। एक बड़ा सवाल अभी भी जस का तस है कि इस हार की नैतिक जिम्मेदारी किसकी है? योगी की या भूपेंद्र चौधरी की? ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा फिलहाल केशव की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी करके डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में है। जून में भी 6 दिन दिल्ली में रहे थे केशव
डिप्टी सीएम केशव मौर्य जून महीने में भी 6 दिन दिल्ली में रहे थे। इस बीच सीएम योगी ने 2 बार कैबिनेट की बैठक की, लेकिन वह इसमें भी शामिल नहीं हुए थे। उस समय भी सत्ता से लेकर राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह के कयास शुरू हो गए थे। कहा जा रहा था कि केशव मौर्य को केंद्र या प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, इसलिए उन्हें दिल्ली में रोका गया। तब केशव से बीएल संतोष और जेपी नड्डा ने बातचीत की थी। केशव को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है… 1- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष एक साथ दो पद नहीं रख सकते। इस वजह से पार्टी को नए अध्यक्ष की भी तलाश है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भाजपा में जिन चेहरों का नाम सबसे आगे चल रहा है, उनमें केशव मौर्य भी शामिल हैं। बताया जाता है कि इसी को लेकर उन्हें पिछले महीने दिल्ली में रोका गया था। उन्होंने संगठन और सरकार के टॉप लीडर्स के साथ बैठक की थी। यह भी कहा गया था कि इस बार भाजपा पिछड़ा वर्ग से अध्यक्ष बनाना चाहती है, उसमें केशव फिट बैठते हैं। 2- फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है
लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के बदलने के कयास लग रहे हैं। कहा जा रहा है, भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की, हालांकि अभी स्वीकार नहीं किया गया। लेकिन आने वाले समय में इनके इस्तीफों को स्वीकार किया जा सकता है। इसके बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की लिस्ट में केशव सबसे फिट बैठते हैं। ये उस OBC समुदाय से आते हैं, जिसका वोट शिफ्ट होने से भाजपा को यूपी में तगड़ा झटका लगा। केशव इससे पहले भी 2016 से 2017 तक प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, उनके कार्यकाल में भाजपा ने यूपी में 403 में 325 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था। यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। इस दौरान सरकार और संगठन को लेकर चर्चा हुई। केशव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के साथ आज ही दिल्ली पहुंचे। रात करीब वह 8 बजे वह नड्डा से मिलने भाजपा मुख्यालय पहुंचे। केशव की 3 दिन में नड्डा से दूसरी बार मुलाकात है। केशव के बाद भूपेंद्र चौधरी ने भी नड्डा से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, केशव और नड्डा के बीच यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव और यूपी सरकार के कामकाज पर बातचीत हुई। पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का मानना है कि यूपी में नेताओं की ओर से बेवजह बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। सरकार और संगठन के तालमेल को लेकर जनता में गलत संदेश नहीं जाना चाहिए। सभी को मिलकर विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत पर फोकस करना चाहिए, ताकि लोकसभा चुनाव से बिगड़े माहौल को ठीक किया जा सके। कैबिनेट बैठक समेत कार्यक्रमों से दूर हो गए थे केशव
जेपी नड्डा 14 जुलाई को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने लखनऊ आए थे। उस समय भी भूपेंद्र चौधरी और केशव मौर्य की जेपी नड्डा से लंबी बातचीत हुई थी। केशव मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच अनबन की खबरें थी। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केशव ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने नड्डा की मौजूदगी में लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार की वजह बताई थी। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से केशव मौर्य कैबिनेट की बैठक में भी नहीं जा रहे। लखनऊ में रहने के बाद भी एक बार वह मीटिंग में नहीं गए थे। पौधरोपण कार्यक्रम को लेकर सीएम योगी ने जो बैठक बुलाई, उसमें भी केशव गैरहाजिर रहे थे। आखिर क्यों नाराज हैं केशव?
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिल गई। केशव को डिप्टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा। इसके बाद अक्सर केशव और योगी के बीच मन-मुटाव की खबरें आती रहीं। 2022 के विधानसभा चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से भी हार गए। इस चुनाव से पहले भी योगी और केशव के बीच अनबन की खबरें सामने आती रहीं। इन चर्चाओं को रोकने के लिए योगी खुद केशव के घर गए और साथ में भोजन किया। 2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। वहीं, केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया। 2 साल पहले 21 अगस्त, 2022 को भी मौर्य ने यही बयान दिया था। उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था। तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी। कहीं फिर से केशव को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी तो नहीं?
2017 में जब भाजपा ने यूपी के विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था, तब केशव मौर्य प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन इस बार जब भाजपा की लोकसभा चुनाव में कम सीटें आईं, तब भूपेंद्र चौधरी प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह कहकर हलचल फैला दी थी कि अगर भाजपा भारी बहुमत से जीती तो उसके दो महीने के अंदर योगी को हटा दिया जाएगा। लेकिन, भाजपा यूपी में इंडी गठबंधन से हार गई। एक बड़ा सवाल अभी भी जस का तस है कि इस हार की नैतिक जिम्मेदारी किसकी है? योगी की या भूपेंद्र चौधरी की? ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा फिलहाल केशव की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी करके डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में है। जून में भी 6 दिन दिल्ली में रहे थे केशव
डिप्टी सीएम केशव मौर्य जून महीने में भी 6 दिन दिल्ली में रहे थे। इस बीच सीएम योगी ने 2 बार कैबिनेट की बैठक की, लेकिन वह इसमें भी शामिल नहीं हुए थे। उस समय भी सत्ता से लेकर राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह के कयास शुरू हो गए थे। कहा जा रहा था कि केशव मौर्य को केंद्र या प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, इसलिए उन्हें दिल्ली में रोका गया। तब केशव से बीएल संतोष और जेपी नड्डा ने बातचीत की थी। केशव को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है… 1- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष एक साथ दो पद नहीं रख सकते। इस वजह से पार्टी को नए अध्यक्ष की भी तलाश है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भाजपा में जिन चेहरों का नाम सबसे आगे चल रहा है, उनमें केशव मौर्य भी शामिल हैं। बताया जाता है कि इसी को लेकर उन्हें पिछले महीने दिल्ली में रोका गया था। उन्होंने संगठन और सरकार के टॉप लीडर्स के साथ बैठक की थी। यह भी कहा गया था कि इस बार भाजपा पिछड़ा वर्ग से अध्यक्ष बनाना चाहती है, उसमें केशव फिट बैठते हैं। 2- फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है
लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के बदलने के कयास लग रहे हैं। कहा जा रहा है, भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की, हालांकि अभी स्वीकार नहीं किया गया। लेकिन आने वाले समय में इनके इस्तीफों को स्वीकार किया जा सकता है। इसके बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की लिस्ट में केशव सबसे फिट बैठते हैं। ये उस OBC समुदाय से आते हैं, जिसका वोट शिफ्ट होने से भाजपा को यूपी में तगड़ा झटका लगा। केशव इससे पहले भी 2016 से 2017 तक प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, उनके कार्यकाल में भाजपा ने यूपी में 403 में 325 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर