<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Pollution News:</strong> दिल्ली समेत देश भर में वायु प्रदूषण से सख्ती से निपटने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए सख्त कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मापदंडों में बड़ा बदलाव किया जा रहा है, जिसके तहत PM10 की गिनती अब AQI में नहीं की जाएगी. इसके स्थान पर PM1 को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि प्रदूषण की अधिक सटीक तस्वीर सामने आ सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पीएम10 के बड़े कणों से स्वास्थ्य पर नहीं होता असर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>देश में 2015 से AQI के तहत आठ प्रदूषकों को मापा जाता है, जिनमें पीएम10, पीएम2.5, समेत कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया और लेड आदि शामिल हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम10 अब उतना उपयोगी नहीं रहा, क्योंकि यह कण आकार में बड़ा होता है, जो मानव जनित न प्राकृतिक बताए जाते हैं और इसका असर स्वास्थ्य पर कम होता है. इसके मुकाबले, पीएम2.5 और पीएम1 जैसे सूक्ष्म कण अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि ये सीधे फेफड़ों और खून तक पहुंच सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तेजी से बदलती जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य संस्थाएं AQI को अधिक वैज्ञानिक और प्रासंगिक बनाने की दिशा में काम कर रही हैं. अब नए प्रस्ताव के तहत पीएम1 को AQI में शामिल किया जा सकता है, जबकि लेड और अमोनिया जैसे तत्वों को हटाने पर भी विचार हो रहा है क्योंकि इनका प्रभाव कम या सीमित क्षेत्रों में होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वास्थ्य प्रभाव को मिलेगी प्राथमिकता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नया मानक तय करते समय प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को प्राथमिकता दी जाएगी. पीएम1 जैसे सूक्ष्म कणों को मापने की व्यवस्था होने से भविष्य में वायु गुणवत्ता का मूल्यांकन और अधिक सटीक होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें साफ हवा को एक मूलभूत आवश्यकता माना गया है. सीपीसीबी इस बदलाव को लेकर व्यापक रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसे जल्द ही पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा जाएगा. जिसके आधार पर जल्द ही नए AQI मानक लागू किए जाने के संकेत हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-north-west-district-police-arrest-two-wanted-criminals-from-shalimar-bagh-ann-2957913″>गैंगस्टर बेटे के साथ मिलकर मम्मी-पापा भी करने लगे रंगदारी, दिल्ली पुलिस ने ऐसे किया गिरफ्तार</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”> </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Pollution News:</strong> दिल्ली समेत देश भर में वायु प्रदूषण से सख्ती से निपटने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए सख्त कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मापदंडों में बड़ा बदलाव किया जा रहा है, जिसके तहत PM10 की गिनती अब AQI में नहीं की जाएगी. इसके स्थान पर PM1 को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि प्रदूषण की अधिक सटीक तस्वीर सामने आ सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पीएम10 के बड़े कणों से स्वास्थ्य पर नहीं होता असर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>देश में 2015 से AQI के तहत आठ प्रदूषकों को मापा जाता है, जिनमें पीएम10, पीएम2.5, समेत कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया और लेड आदि शामिल हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम10 अब उतना उपयोगी नहीं रहा, क्योंकि यह कण आकार में बड़ा होता है, जो मानव जनित न प्राकृतिक बताए जाते हैं और इसका असर स्वास्थ्य पर कम होता है. इसके मुकाबले, पीएम2.5 और पीएम1 जैसे सूक्ष्म कण अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि ये सीधे फेफड़ों और खून तक पहुंच सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तेजी से बदलती जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य संस्थाएं AQI को अधिक वैज्ञानिक और प्रासंगिक बनाने की दिशा में काम कर रही हैं. अब नए प्रस्ताव के तहत पीएम1 को AQI में शामिल किया जा सकता है, जबकि लेड और अमोनिया जैसे तत्वों को हटाने पर भी विचार हो रहा है क्योंकि इनका प्रभाव कम या सीमित क्षेत्रों में होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वास्थ्य प्रभाव को मिलेगी प्राथमिकता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नया मानक तय करते समय प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को प्राथमिकता दी जाएगी. पीएम1 जैसे सूक्ष्म कणों को मापने की व्यवस्था होने से भविष्य में वायु गुणवत्ता का मूल्यांकन और अधिक सटीक होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें साफ हवा को एक मूलभूत आवश्यकता माना गया है. सीपीसीबी इस बदलाव को लेकर व्यापक रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसे जल्द ही पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा जाएगा. जिसके आधार पर जल्द ही नए AQI मानक लागू किए जाने के संकेत हैं.</p>
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