हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला विधानसभा में आज सांसद दीपेंद्र हुड्डा के कार्यक्रम से पहले ग्रामीणों ने जमकर बवाल किया। उनका आरोप था कि इस जनसभा में शहीद का अपमान किया गया है। ग्रामीणों ने सभा करवाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राम निवास घोड़ेला को घेर लिया। उन्होंने नारेबाजी कर घोड़ेला खूब खरी-खरी सुनाई। घोड़ेला ने गांव सरसौद में दीपेंद्र की जनसभा रखवाई थी। स्टेडियम में रखी थी जनसभा
इस जनसभा का स्थान गांव के स्टेडियम को बनाया गया। जहां शहीद की प्रतिमा लगी थी, मगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने स्टेडियम में लगी शहीद अजीत सिंह की प्रतिमा पर पोस्टर लगा दिए। जब इस बारे में शहीद के परिजनों को पता चला तो वह भड़क गए। इसी दौरान जब कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास घोड़ेला जनसभा स्थल पर पहुंचे तो शहीद के परिजनों और ग्रामीणों ने घोड़ेला को घेर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। शहीद की मां बोली- पोस्टर लगाकर अपमान कर रहे
शहीद की मां ने रामनिवास घोड़ेला से कहा कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया। तुम उसका सम्मान करने के बजाय उसकी प्रतिमा पर पोस्टर लगाकर अपमान कर रहे हो। इसके बाद बाकी ग्रामीण भी शहीद की मां के साथ विरोध में उतर आए। बाद में दीपेंद्र हुड्डा के आने से पहले शहीद की प्रतिमा से पोस्टर हटा लिए गए ताकि कार्यक्रम में किसी तरह का बवाल ना हो जाए। शहीद की प्रतिमा पर पोस्टर लगाना गलत : पूर्व सरपंच
गांव के पूर्व सरपंच दिलबाग भयाणा ने बताया कि 12 बजे दीपेंद्र हुड्डा का गांव में कार्यक्रम था। मगर कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास घोड़ेला के समर्थकों और कांग्रेस वर्करों ने शहीद अजीत सिंह की प्रतिमा पर पोस्टर लगा दिए जिससे शहीद का अपमान हुआ है। शहीद की मां को जब इसका पता चला तो उसने घोड़ेला से सवाल-जवाब किए। ग्रामीणों ने घोड़ेला को घेर लिया कि ऐसा नहीं होना चाहिए। सबको शहीदों का मान सम्मान करना चाहिए। 2020 में शहीद हुए थे अजीत सिंह
सरसौद गांव के अजीत सिंह भारतीय सेना में थे और 2020 को वह शहीद हो गए थे। उनका जब पार्थिव शरीर गांव पहुंचा था तो पूरा गांव एकत्रित हुआ था। शहीद के परिवार में उनके पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। बेटा विदेश में है और बेटी पढ़ाई कर रही है। उनके परिवार में अजीत सिंह के पिता दलेल सिंह हैं। इनके अलावा 2 भाई हैं। जिनमें एक बीएसएफ में हैं और दूसरे भाई खेती करते हैं। सरंपच किताब सिंह बोले- जो हुआ गलत हुआ
वहीं इस मामले में सरपंच किताब सिंह का कहना है कि शहीद की प्रतिमा पर पोस्टर लगाना गलत है। शहीद की प्रतिमा उस जगह बनी है, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था। ऐसे में परिवार की भावनाएं प्रतिमाएं और स्थान दोनों से जुड़ी हुई है। जब अजीत सिंह शहीद हुए तो पंचायत ने ही 6 महीने बाद प्रतिमा लगवाई थी। हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला विधानसभा में आज सांसद दीपेंद्र हुड्डा के कार्यक्रम से पहले ग्रामीणों ने जमकर बवाल किया। उनका आरोप था कि इस जनसभा में शहीद का अपमान किया गया है। ग्रामीणों ने सभा करवाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राम निवास घोड़ेला को घेर लिया। उन्होंने नारेबाजी कर घोड़ेला खूब खरी-खरी सुनाई। घोड़ेला ने गांव सरसौद में दीपेंद्र की जनसभा रखवाई थी। स्टेडियम में रखी थी जनसभा
इस जनसभा का स्थान गांव के स्टेडियम को बनाया गया। जहां शहीद की प्रतिमा लगी थी, मगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने स्टेडियम में लगी शहीद अजीत सिंह की प्रतिमा पर पोस्टर लगा दिए। जब इस बारे में शहीद के परिजनों को पता चला तो वह भड़क गए। इसी दौरान जब कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास घोड़ेला जनसभा स्थल पर पहुंचे तो शहीद के परिजनों और ग्रामीणों ने घोड़ेला को घेर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। शहीद की मां बोली- पोस्टर लगाकर अपमान कर रहे
शहीद की मां ने रामनिवास घोड़ेला से कहा कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया। तुम उसका सम्मान करने के बजाय उसकी प्रतिमा पर पोस्टर लगाकर अपमान कर रहे हो। इसके बाद बाकी ग्रामीण भी शहीद की मां के साथ विरोध में उतर आए। बाद में दीपेंद्र हुड्डा के आने से पहले शहीद की प्रतिमा से पोस्टर हटा लिए गए ताकि कार्यक्रम में किसी तरह का बवाल ना हो जाए। शहीद की प्रतिमा पर पोस्टर लगाना गलत : पूर्व सरपंच
गांव के पूर्व सरपंच दिलबाग भयाणा ने बताया कि 12 बजे दीपेंद्र हुड्डा का गांव में कार्यक्रम था। मगर कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास घोड़ेला के समर्थकों और कांग्रेस वर्करों ने शहीद अजीत सिंह की प्रतिमा पर पोस्टर लगा दिए जिससे शहीद का अपमान हुआ है। शहीद की मां को जब इसका पता चला तो उसने घोड़ेला से सवाल-जवाब किए। ग्रामीणों ने घोड़ेला को घेर लिया कि ऐसा नहीं होना चाहिए। सबको शहीदों का मान सम्मान करना चाहिए। 2020 में शहीद हुए थे अजीत सिंह
सरसौद गांव के अजीत सिंह भारतीय सेना में थे और 2020 को वह शहीद हो गए थे। उनका जब पार्थिव शरीर गांव पहुंचा था तो पूरा गांव एकत्रित हुआ था। शहीद के परिवार में उनके पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। बेटा विदेश में है और बेटी पढ़ाई कर रही है। उनके परिवार में अजीत सिंह के पिता दलेल सिंह हैं। इनके अलावा 2 भाई हैं। जिनमें एक बीएसएफ में हैं और दूसरे भाई खेती करते हैं। सरंपच किताब सिंह बोले- जो हुआ गलत हुआ
वहीं इस मामले में सरपंच किताब सिंह का कहना है कि शहीद की प्रतिमा पर पोस्टर लगाना गलत है। शहीद की प्रतिमा उस जगह बनी है, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था। ऐसे में परिवार की भावनाएं प्रतिमाएं और स्थान दोनों से जुड़ी हुई है। जब अजीत सिंह शहीद हुए तो पंचायत ने ही 6 महीने बाद प्रतिमा लगवाई थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर