हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एनएच 503 पर स्थित नंगला माता मंदिर के समीप एक कार बस से टकरा गई। कार में सवार लोगों को मामूली चोटे आईं हैं। कार बारात में जा रही थी, वहीं हादसे का शिकार हुई गाड़ी के ठीक पीछ ही दूल्हे भी कार थी। लेकिन उसके ड्राइवर की सूझबूझ से बड़ा हादसा होने से टल गया। जानकारी के अनुसार, बारात ऊना जिले के अम्ब अंदौरा से कांगड़ा जिले के बैजनाथ जा रही थी। बारात की कार के पीछे दूल्हे की गाड़ी चल रही थी। जब बारात की कार बस से टकराई तो दूल्हे के गाड़ी के ड्राइवर ने अपनी सूझबूझ और तत्परता से गाड़ी को काबू में रखते हुए एक बड़े हादसे को टाल दिया। यदि ड्राइवर समय रहते सतर्क न होता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था और कई लोगों की जान जा सकती थी। वहीं हादसे की शिकार हुई कार में सवार लोगों को हल्की-फुल्की चोटें आईं हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एनएच 503 पर स्थित नंगला माता मंदिर के समीप एक कार बस से टकरा गई। कार में सवार लोगों को मामूली चोटे आईं हैं। कार बारात में जा रही थी, वहीं हादसे का शिकार हुई गाड़ी के ठीक पीछ ही दूल्हे भी कार थी। लेकिन उसके ड्राइवर की सूझबूझ से बड़ा हादसा होने से टल गया। जानकारी के अनुसार, बारात ऊना जिले के अम्ब अंदौरा से कांगड़ा जिले के बैजनाथ जा रही थी। बारात की कार के पीछे दूल्हे की गाड़ी चल रही थी। जब बारात की कार बस से टकराई तो दूल्हे के गाड़ी के ड्राइवर ने अपनी सूझबूझ और तत्परता से गाड़ी को काबू में रखते हुए एक बड़े हादसे को टाल दिया। यदि ड्राइवर समय रहते सतर्क न होता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था और कई लोगों की जान जा सकती थी। वहीं हादसे की शिकार हुई कार में सवार लोगों को हल्की-फुल्की चोटें आईं हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में बाढ़ ने 18 परिवार उजाड़े:किसी का पूरा परिवार दफन, किसी की पत्नी-बेटी लापता; जिंदा बचे रिश्तेदार मलबे में परिजनों को ढूंढ रहे
हिमाचल में बाढ़ ने 18 परिवार उजाड़े:किसी का पूरा परिवार दफन, किसी की पत्नी-बेटी लापता; जिंदा बचे रिश्तेदार मलबे में परिजनों को ढूंढ रहे हिमाचल के श्रीखंड में बादल फटने के बाद शिमला के रामपुर के समेच में एक ही झटके में 18 परिवार उजड़ गए। जो घर पर थे, वे लापता हो गए। जो उस वक्त घर से बाहर थे, उनकी जान तो बच गई लेकिन अपनों को खोने के डर से वह खौफ में हैं। किसी की बेटियां लापता हैं तो किसी का पोता। स्थिति यह है कि परिवार के लोग ऊंचाई वाली जगह पर बाढ़ से तबाह हो चुकी अपने घर को निहार कर परिजनों के जिंदा होने की प्रार्थना कर रहे हैं। यहां समेच खड्ड में बाढ़ के बाद अशोक कुमार का पूरा परिवार बाढ़ की चपेट में आ गया। घर पर न होने की वजह से अशोक खुद तो बच गए लेकिन उनकी पत्नी अनिता (40), बेटी योग प्रिया (11) और बेटा मुकेश (19) लापता है। इसी खड्ड की चपेट में कनराहड़ निवासी सूरत राम का परिवार भी आ गया। सूरत राम (58) समेत उनकी पत्नी संतोष (54), बेटा नीरज कुमार (30), छोटे बेटे की पत्नी रचना (23) और घर पर निरमंड से आए मेहमान वेदराज (55) भी मलबे में दब गए। अब सूरत राम के परिवार में छोटा बेटा राजेश कुमार, बड़े बेटे की बहू व पोता तीन लोग बचे है। गोपाल का घर बहने से 12 दबे
वहीं समेच खड्ड हादसे में सुगा गांव के गोपाल की पत्नी शिक्षा (37) और बेटी जिया (15) भी हादसे का शिकार हो गई। गोपाल और उनका बेटा खुद घर पर नहीं थे और किसी काम से झाखड़ी गए थे। इस वजह से दोनों की जान बच गई। गोपाल के ही घर पर रहने वाले ग्रीनको हाइड्रो प्रोजेक्ट के 7 कर्मचारियों तथा 3 अन्य भी लापता है। सनैल निवासी जय सिंह की पत्नी कल्पना (34), बेटी अक्षिता (7) और बेटा अद्विक (4) की भी इस हादसे में लापता है। इस हादसे में समेच निवासी चंद्र सिंह के परिवार के चार सदस्य लापता है, जबकि चंद्र सिंह दंपती घर पर नहीं होने की वजह से सुरक्षित है। सूचना के अनुसार, चंद्र सिंह के बेटे श्याम सिंह (39), बहु सरस्वती (33), पोता अरुण (15) और पोती आरुषि (13) लापता है। रविंदर केदारटा की दोनों बेटियां लापता
समेच गांव में रविंदर केदारटा की दो बेटी भी बाढ़ की चपेट में आने से दब गई। तनु केदारटा (15) और रानू कदारटा (16) का अभी तक सुराग नहीं लग पाया है। बताया जा रहा है कि इनके माता-पिता यानी रविंदर केदारटा दंपती दूसरे मकान में थे। इससे वह सुरक्षित है। मगर उनकी दोनों बेटियां बाढ़ में बह गई है। इस हादसे में घर पर अकेले रह रही दो वृद्ध महिलाएं भी लापता हैं। समेच निवासी मंगला देवी पत्नी सुना राम और कृष्णा देवी (70) सरपारा गांव का भी सुराग नहीं लग पाया है। जैसे जैसे वक्त बीतता जा रहा है, इनके जिंदा होने की उम्मीद भी कम होती जा रही है। मलबे में जिंदगी की तलाश की 3 तस्वीरें… प्रोजेक्ट में काम करने वाले सात कर्मचारी भी लापता
समेच खड्ड हादसे में न केवल स्थानीय लोगों बल्कि ग्रीन समेच हाइड्रो प्रोजेक्ट में बाहर काम करने वाले झारखंड और प्रदेश के अन्य जिलों के लोग भी लापता है। इनमें पुष्प देव शर्मा ग्राम खुन्ना रामपुर, हरदीप सिंह ग्राम नगरोटा बगवां कांगड़ा, हरदेव सिंह ग्राम सैंज, कुल्लू, अजय कुमार निवासी शिलाई सिरमौर, भाग चंद निवासी शिंगला रामपुर, सिद्धार्थ खेड़ा निवासी कांगड़ा और रूप सिंह गांव सिका सेरी सरपारा रामपुर शामिल है। झारखंड के 4 मजदूर भी लापता
इसी तरह झारखंड के 4 प्रवासी मजदूर भी लापता है। इनमें ममता पत्नी राज कुमार पांडे निवासी झारखंड, मुस्कान पुत्री राज कुमार पांडे निवासी झारखंड, रूपनी देवी पत्नी भोला नाथ उरांव झारखंड और अंजलि पुत्री भोला नाथ उराव पता झारखंड शामिल है। हिमाचल में बाढ़ की पूरी खबर पढ़ें हिमाचल में बाढ़, 4 मरे, 49 लापता: मलबे में मिले शरीर के अंग, 4 सेकंड में गिरी 5 मंजिला बिल्डिंग; चंडीगढ़-मनाली हाईवे बहा हिमाचल प्रदेश में बीती रात भारी बारिश से तबाही हुई है। जिसमें 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 49 लोग लापता हैं। NDRF, SDRF, पुलिस और होम गार्ड लोगों को रेस्क्यू करने में लगे हुए हैं। मनाली में 4 सेकंड में सब्जी मंडी की 5 मंजिला बिल्डिंग ढह गई। बारिश के बाद से नदियां और नाले उफान पर हैं। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे के साथ 4 पुल बह गए हैं। बीती रात कुल्लू, मंडी, चंबा और शिमला के रामपुर में बादल फटा। सबसे ज्यादा तबाही रामपुर में हुई। यहां समेज गांव के कई घर, स्कूल, गेस्ट हाउस और एक बिजली प्रोजेक्ट का पावर हाउस बह गया है (पूरी खबर पढ़ें)
हिमाचल के 600 पटवार-कानूनगो दफ्तर पर लटक सकते है ताले:महासंघ का फैसला; एसडीएम-तहसीलदार को सौंपेंगे ऑफिस की चाबी, ऑनलाइन काम 10 दिन से बंद
हिमाचल के 600 पटवार-कानूनगो दफ्तर पर लटक सकते है ताले:महासंघ का फैसला; एसडीएम-तहसीलदार को सौंपेंगे ऑफिस की चाबी, ऑनलाइन काम 10 दिन से बंद हिमाचल प्रदेश के लगभग 600 पटवार सर्कल और कानूनगो दफ्तर में कल से ताले लटक सकते हैं। पटवारी-कानूनगो को स्टेट कॉडर बनाने जाने से नाराज हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने इसका ऐलान कर दिया है। महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि स्टेट कॉडर बनाने के फैसले से सरकार पीछे नहीं हटती है तो 25 जुलाई से एडिशनल पटवार और कानूनगो सर्कल का काम देखना बंद करेंगे। ऐसा हुआ तो प्रदेश के लोगों को इससे परेशानी झेलनी पड़ेगी। प्रदेश में पहले 10 दिन से ऑनलाइन सेवाएं इनकी हड़ताल की वजह से बंद पड़ी है। स्टेट कॉडर बनाए जाने से नाराज पटवारी कानून ने बीते 15 जुलाई से ही ऑनलाइन काम करने बंद कर दिए है। इससे लोग परेशान है। लेकिन अब तक सरकार ने महासंघ को वार्ता के लिए भी नहीं बुलाया। इससे नाराज महासंघ ने कल से एडिशनल काम बंद करने का ऐलान कर दिया है। शिमला कानूनगो-पटवारी महासंघ शिमला के अध्यक्ष चमन ठाकुर ने बताया कि कल कानूनगो-पटवारी एडिशनल चार्ज वाले दफ्तरों की कल संबंधित एसडीएम और तहसीलदार को चाबी सौंप देंगे। किस वजह से हड़ताल कर रहे कानूनगो-पटवारी दरअसल, 12 जुलाई की कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने पटवारी-कानूनगो को स्टेट कॉडर बनाने का फैसला लिया था। अभी पटवारी और कानूनगो दोनों ही जिला कॉडर है। कैबिनेट द्वारा इन्हें स्टेट कॉडर बनाए जाने के फैसले लिया है। इस पर महासघ भड़क गया है। कैबिनेट के फैसले के बाद पटवारी कानूनगो सभी ऑफिशियल वॉट्सऐप ग्रुप से भी एग्जिट कर चुके है। ये काम 10 दिन से प्रभावित बोनोफाइड सर्टिफकेट, करेक्टर सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट, एग्रीकल्चर सर्टिफिकेट, अन-इम्पलायमेंट सर्टिफिकेट, लैंड होल्डिंग सर्टिफिकेट, PM किसान सम्मान निधि योजना की ऑनलाइन रिपोर्टिंग जैसे काम बंद कर दिए हैं। स्टेट कॉडर से प्रभावित होगी सीनियोरिटी: सतीश हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने बताया कि पटवारी और कानूनगों की भर्ती जिला कॉडर के हिसाब से हुई है। अब उन्हें अचानक स्टेट कॉडर बना देने से सीनियोरिटी प्रभावित होगी। इससे प्रमोशन में देरी होगी और स्टेट कॉडर में मर्ज होने से सीनियोरिटी में पीछे जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि पटवारी कानून को इसलिए जिला कॉडर में रखा गया, क्योंकि अपने जिला में उन्हें लोकल बोल चाल और एरिया के बारे में जानकारी होती है। यदि उन्हें दूसरे जिला में ट्रांसफर जाता है तो इससे उन्हें बोल चाल और एरिया समझने में वक्त लगेगा। इससे काम में एफिशिएंसी नहीं आएगी। उन्होंने बताया कि भर्ती एवं पदोन्नति नियम के हिसाब से उन्हें जिला कॉडर में रखा जाए।
हिमाचल में 16वें वित्त आयोग की टीम:सीएम-मंत्री और अधिकारियों से चल रही मीटिंग; फाइनांस कमीशन की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी प्रदेश की आर्थिक सेहत
हिमाचल में 16वें वित्त आयोग की टीम:सीएम-मंत्री और अधिकारियों से चल रही मीटिंग; फाइनांस कमीशन की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी प्रदेश की आर्थिक सेहत 16वां वित्त आयोग की टीम तीन दिन के हिमाचल दौरे पर है। चेयरमैन डा. अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में प्रदेश पहुंची वित्त आयोग की टीम आज हिमाचल के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ शिमला के पीटरहॉफ में मीटिंग कर रही है। इस कमीशन की रिपोर्ट पर हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत निर्भर करेगी। मुख्यमंत्री सहित उनके कैबिनेट मंत्री वित्तीय स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन दे रहे हैं। इसके जरिए सरकार 2026 से पांच साल के लिए ज्यादा से ज्यादा राजस्व अनुदान घाटा ग्रांट लेने का प्रयास कर रही है। फाइनेंस कमीशन विपक्षी दल के साथ साथ शहरी निकाय और पंचायत जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेगा। इसके बाद यह टीम आगामी पांच सालों के लिए आर्थिक मदद को लेकर एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगी। पहली अप्रैल 2026 से वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होगी। इन्हीं सिफारिशों के तहत राज्य को राजस्व का वितरण होता है। राज्य सरकार के लिए इस समय रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट को बचाना चुनौती है। यदि हिमाचल सरकार अपनी वित्तीय जरूरतें फाइनांस कमीशन के सामने सही तरीके से दिखा गई, तो 2026 के बाद अगले पांच साल आराम से निकल सकते हैं। सरकार की राजस्व प्राप्तियां और राजस्व खर्चों के अंतर को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया, तो अगले पांच साल मुश्किल हो जाएंगे। इसमें सबसे बड़ी वजह अभी ओल्ड पेंशन देने का फैसला दिख रहा है। 26 से बढ़कर 30% हुआ कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च इससे पहले 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल सरकार को अपनी प्रतिबद्ध देनदारी कम करने को कहा था, लेकिन वेतन की अदायगी और कुछ चुनावी फैसलों के कारण कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च होने वाला पैसा 26 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच गया है। राज्य सरकार ने ओल्ड पेंशन (OPS) देने का भी निर्णय कर लिया। इससे 16वें वित्त आयोग की अवधि में पेंशन देनदारी ओर बढ़ेगी। इसलिए फाइनांस कमीशन के सामने सरकार को इस फैसले की जरूरत को प्रदर्शित करना होगा। 15वें वित्त आयोग ने दिए थे 81977 करोड़ 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल को कुल 81977 करोड़ रुपए पांच साल के लिए दिए थे। इसमें से 37200 करोड़ रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के तौर पर थे। फाइनांस कमीशन ने इस पांच साल की अवधि के लिए राजस्व घाटा अनुदान (RDG) को साल दर साल कम कर दिया था। यदि औसत राशि देखें तो हर महीने 620 करोड़ ही RDG के तौर पर मिल रहे हैं। राज्य सरकार कर्मचारियों को जो सैलरी देती है, उसमें एक बड़ा हिस्सा इसी ग्रांट का है। प्रदेश को 7000 करोड़ सालाना RGD की जरूरत यदि इस साल के राज्य सरकार के बजट की बात करें, तो राजस्व घाटा अनुदान 4514 करोड़ रुपए है, जबकि वित्तीय घाटा 10784 करोड़ हो गया है। अगले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7127 करोड़ का होगा, लेकिन इससे अगले साल यानी 2026-27 के वर्ष में राज्य सरकार को राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर ही 7000 करोड़ से ज्यादा वार्षिक तौर पर चाहिए। इस जरूरत को सिर्फ फाइनांस कमीशन ही पूरा कर सकता है। राज्य सरकार की ओर से अब तक राजस्व बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का ज्यादा अच्छा रिजल्ट नहीं मिला है। फाइनेंस कमीशन की टीम में ये सदस्य डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में वित्त आयोग की 13 सदसीय टीम हिमाचल आई है। इनमें से सदस्य डा. मनोज पांडा, अजय नारायण झा, एन जॉर्ज मैथ्यू, डा. सौम्या क्रांति घोष, सचिव रित्विक पांडे, संयुक्त सचिव राहुल जैन, संयुक्त निदेशक अमरूथा, मानस बाजपेयी, सहायक निदेशक कुलदीप सिंह मीणा, सहायक निदेशक आनंद कुमार और निजी सचिव कुमार विवेक शामिल है।