स्टेट कौंसिल आफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) पंजाब की ओर से पांचवीं बोर्ड की परीक्षा करवाई जा रही है। पहले जारी की गई डेटशीट में पहली भाषा संबंधी प्राइवेट स्कूलों के लिए तारीख का निर्णय नहीं लिया गया था। परंतु सोमवार को पहली भाषा संबंधी भी निर्णय लेते हुए जिला शिक्षा अफसर पंजाब द्वारा दोबारा डेटशीट जारी कर दी गई है। जिसमें इंग्लिश का पेपर 7 मार्च, गणित का पेपर 10 मार्च, पहली भाषा पंजाबी, हिंदी, उर्दू का पेपर 11 मार्च, दूसरी भाषा पंजाबी, हिंदी, उर्दू का पेपर 12 मार्च, वातावरण शिक्षा का पेपर 13 मार्च को करवाया जाएगा। स्टेट कौंसिल आफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) पंजाब की ओर से पांचवीं बोर्ड की परीक्षा करवाई जा रही है। पहले जारी की गई डेटशीट में पहली भाषा संबंधी प्राइवेट स्कूलों के लिए तारीख का निर्णय नहीं लिया गया था। परंतु सोमवार को पहली भाषा संबंधी भी निर्णय लेते हुए जिला शिक्षा अफसर पंजाब द्वारा दोबारा डेटशीट जारी कर दी गई है। जिसमें इंग्लिश का पेपर 7 मार्च, गणित का पेपर 10 मार्च, पहली भाषा पंजाबी, हिंदी, उर्दू का पेपर 11 मार्च, दूसरी भाषा पंजाबी, हिंदी, उर्दू का पेपर 12 मार्च, वातावरण शिक्षा का पेपर 13 मार्च को करवाया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts

जालंधर में चुनावी माहौल के दौरान चली गोलियां:2 युवक गंभीर जख्मी, दोनों की हालत खतरे से बाहर, पुलिस जांच में जुटी
जालंधर में चुनावी माहौल के दौरान चली गोलियां:2 युवक गंभीर जख्मी, दोनों की हालत खतरे से बाहर, पुलिस जांच में जुटी पंजाब के जालंधर में चुनावी माहौल के दौरान बड़ी वारदात हो गई है। मोता सिंह नगर के पास मामूली विवाद के बाद एक व्यक्ति ने 2 युवकों को गोलियां मार दी। घटना में दोनों युवक गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। जिनकी पहचान हनी चहल और करणवीर के रूप में हुआ है। आसपास के लोगों द्वारा दोनों को इलाज के लिए सिविल अस्पताल जालंधर में भर्ती करवाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल दोनों जख्मियों की हालत खतरे से बाहर है। वहीं, गोली मारने वाले आरोपी की पहचान गुरविंदर बाबा के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार ये घटना मोता सिंह नगर में हुई है। फिलहाल मामले की जांच के लिए थाना 6 की पुलिस मौके पर पहुंच गई है। गुरविंदर के पेट में लगी गोली बता दें कि जख्मी हुए करणवीर सिंह उर्फ करण टीसी के पेट में गोली लगी है। जिसकी हालत अब खतरे से बाहर है। वहीं, हनी चहल के पैर और हाथ के पास गोली लगी है। दोनों का इलाज चल रहा है। फिलहाल ये नहीं क्लियर हुआ है कि उक्त वारदात किस रंजिश में की गई है। पुलिस सभी एंगलों पर जांच कर रही है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि गुरविंदर बाबा के साथ दोनों का पुराना झगड़ा चल रहा था। जिसके चलते आज उन पर हमला किया गया है। दोनों पक्ष मोता सिंह नगर के पास ही एक दूसरे से बातचीत करने के लिए पहुंचे थे। फिलहाल पुलिस ने मामले में कोई भी स्पष्ट बयान जारी नहीं किया है।

CAA के तहत 20 अफगानी सिखों को मिली नागरिकता:32 साल का इंतजार हुआ खत्म; अधिकतर अमृतसर, लुधियाना के, 380 केस पैंडिंग
CAA के तहत 20 अफगानी सिखों को मिली नागरिकता:32 साल का इंतजार हुआ खत्म; अधिकतर अमृतसर, लुधियाना के, 380 केस पैंडिंग 1992 में पहली अफगान वामपंथी सरकार के गिरने के बाद भारत में प्रवेश करने वाले 400 अफगानी सिखों में से 20 को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता मिल गई है। इनमें से अधिक अमृतसर, जालंधर और लुधियाना में बसे हैं। जबकि अभी भी 380 के करीब केस केंद्र सरकार के पास पैंडिंग पड़े हुए हैं। परिवारों से बातचीत के बाद पता चला कि 32 साल पहले 1992 में अफगानिस्तान का माहौल खराब होने के बाद करीब 400 अफगान सिख भारत आ गए थे। कई अमृतसर, जालंधर और लुधियाना में बस गए। जबकि कुछ ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपना डेरा बसाया। भारत में शरण लेने वाले इन सिख परिवारों को रहने के लिए अपना वीजा एक्सटेंड करवाना पड़ता था। हालांकि, 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों के लिए लांग टर्म वीजा (LTV) मानदंडों में काफी ढील दी। जिसे देखते हुए 1955 नागरिकता एक्ट के तहत आवेदन कर दिए गए, लेकिन तब से इनके आवेदन केंद्र के पास पेंडिंग पड़े थे। CAA के तहत दिए आवेदन बीते माह इन अफगान सिखों ने गृह मंत्रालय भारत सरकार से 1955 एक्ट के आवेदनों को CAA में बदलने की याचिका दायर की। ये याचिका अप्रैल महीने के की गई। जिसके बाद केंद्र ने इनके आवेदनों पर विचार किया और अब 20 अफगानी सिखों को भारतीय नागरिकता मिल गई है। कई खो चुके हैं अपने डॉक्यूमेंट 1992 में भारत में आने वाले कई अफगान सिख अपने डॉक्यूमेंट्स खो चुके हैं। कइयों के पास पासपोर्ट नहीं हैं तो कई अपने जरूरी डॉक्यूमेंट खो चुके हैं। परिवारों ने बताया कि पहले आवेदन करने के लिए राज्य सरकारों का हस्ताक्षेप होता था, लेकिन CAA में उसे हटा दिया गया। जिसके चलते उनके आवेदनों पर जल्द कार्रवाई हो रही है। बदल जाएगा भारत में रहना अफगान सिख बीते 32 सालों से भारतीय नागरिकता हासिल करने के जद्दोजहद कर रहे थे। इन्हें हर साल अपना लांग टर्म वीजा एक्सटेंड करवाना पड़ता था। जिसके लिए कभी चंडीगढ़ तो कभी दिल्ली के चक्कर काटने पड़ते थे। इनमें से कई इतने बुजुर्ग हो चुके हैं कि उनके लिए दिल्ली जाना आसान नहीं होता था। कई भारतीय नागरिकता के इंतजार में अपनी जान भी गवां चुके हैं। लेकिन अब जब इन्हें भारतीय नागरिकता का सर्टिफिकेट मिल चुके है, ये पासपोर्ट एप्लाई कर सकते हैं और भारतीय पहचान पत्र बनवा सकते हैं। बंगलादेश को देखकर डर का माहौल अमृतसर में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले एक परिवार से दैनिक भास्कर की टीम ने संपर्क किया। उनके परिवार के 8 के करीब सदस्यों भारतीय नागरिकता मिली है। लेकिन, वे ना खुशी जाहिर करना चाहते हैं और ना अधिक बात करना चाहते हैं। उनका कहना है कि अभी भी उनके परिवार के कई सदस्यों को CAA के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया चल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ बांग्लादेश में माहौल खराब हो चुका है। अगर कहीं भारतीय सरकार ने उन्हें नागरिकता देना रोक दिया तो उनके भाई-बहनों को कई साल फिर से इंतजार करना होगा।

अमृतसर में छुट्टी पर आए फौजी की मौत:स्कूटर पर सवार होकर जा रहा था, आवारा पशु के आने से हुआ हादसा
अमृतसर में छुट्टी पर आए फौजी की मौत:स्कूटर पर सवार होकर जा रहा था, आवारा पशु के आने से हुआ हादसा अमृतसर के गांव अटारी निवासी अवतार सिंह का आवारा पशुओं के कारण एक्सीडेंट हो गया। जिसके बाद मौके पर ही उसकी मौत हो गई। मृतक फौजी अवतार सिंह सिख रेजीमेंट के तहत गंगानगर में ड्यूटी निभा रहा था और छुट्टी पर अपने गांव आया था। अटारी के गांव बागड़ियां निवासी फौजी अवतार सिंह कुछ दिन पहले छुट्टी पर आया था। फौजी देर शाम स्कूटर पर सवार होकर होशियार नगर के पुल के नजदीक पहुंचा तो सामने से आवारा पशु आ गया। जिसके बाद उसका स्कूटर पलट गया और उसके सिर में चोट लग गई। अवतार सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। उसके बाद स्थानीय पुलिस ने उसका पोस्टमार्टम करवा कर शव को परिवार का हवाले कर दिया। दो साल की बच्ची का पिता था अवतार सिंह अवतार सिंह अपने पीछे पत्नी के साथ 2 साल की बच्ची छोड़ गया है। वहीं उसके माता, पिता, भाई और बहन को भी उसकी अचानक हुई मौत से सदमा पहुंचा है। सम्मान के साथ अंतिम संस्कार अवतार सिंह का राजकीय सम्मान के साथ संस्कार किया गया। उसके पिता और भाई ने उसे मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के समय पूरा गांव इक्कठा था और हर किसी की आंखें नम थी। इस मौके पर सेना के जवानों ने अंतिम संस्कार के दौरान दिवंगत सैनिक अवतार सिंह को श्रद्धांजलि दी और उन्हें सलामी भी दी।