दो जिलाध्यक्ष बना बीजेपी सिरसा में तलाश रही राजनीतिक जमीन:चौटाला का तोड़ना चाह रही गढ़, 1996 के बाद नहीं बना भाजपा विधायक

दो जिलाध्यक्ष बना बीजेपी सिरसा में तलाश रही राजनीतिक जमीन:चौटाला का तोड़ना चाह रही गढ़, 1996 के बाद नहीं बना भाजपा विधायक

हरियाणा के सिरसा जिले में बीजेपी ने सांगठनिक तौर पर दो जिलाध्यक्ष बनाकर चौटाला परिवार के गढ़ में राजनीतिक रूप से बंजर जमीन पर कमल खिलाने के लिए प्लान तैयार किया है। बीजेपी द्वारा सिरसा और डबवाली के अलग-अलग जिलाध्यक्ष बनाने से संगठन को प्रभावी रूप से मजबूत करना आसान रहेगा, वहीं पार्टी के नेताओं की खेमेबाजी पर भी कुछ हद तक अंकुश लग सकेगा।
दरअसल, सिरसा जिले में बीजेपी के अलग-अलग खेमे बने हुए हैं। सिरसा में सीएम के राजनीतिक सलाहकार रह चुके जगदीश चोपड़ा, पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल, गोबिंद कांडा के खेमे हैं। जब भी किसी को टिकट देने या पद देने की बारी आती है, तो यह खेमे सक्रिय हो जाते हैं। कई बार आपसी खींचतान में न्यूट्रल कार्यकर्ता बाजी मार जाता है। जिलाध्यक्ष पद चुनने के लिए भी ऐसा ही हुआ है। खेमेबाजी के चक्कर में पार्टी ने यतिंद्र सिंह को ही दूसरी बार जिलाध्यक्ष बना दिया है।
दोनों ही जिलाध्यक्षों के लिए कड़ी चुनौती
सिरसा और डबवाली दोनों ही जिलाध्यक्षों के लिए संगठन का विस्तार और पार्टी की जीत के लिए रास्ते तैयार करनी की बड़ी चुनौती है। साल 1996 के बाद अभी तक बीजेपी सिरसा में विधानसभा चुनाव में कमल नहीं खिला पाई है। बड़ी मुश्किल से इतने सालों बाद बीजेपी के कमल के निशान पर नगर परिषद चुनाव में जीत मिली है। डबवाली में चौटाला परिवार का ही कब्जा
डबवाली में तो लंबे समय से चौटाला परिवार का ही कब्जा रहा है। पिछले 25 सालों में से तो 20 साल तक इनेलो का ही विधायक रहा है। बीच में एक बार 2019 में कांग्रेस से अमित सिहाग विधायक बने थे। मगर वह भी पूर्व सीएम स्व.ओमप्रकाश चौटाला के कुनबे से ही हैं। ऐसे में यहां तो बीजेपी के लिए संगठन को मजबूत करना सबसे बड़ी चुनौती है। सिरसा में कांडा का ही सहारा
साल 2014 में प्रदेश की सत्ता में आई बीजेपी को सिरसा में पूर्व मंत्री गोपाल कांडा व उनके भाई गोबिंद कांडा के सहारे पर ही चलना पड़ रहा है। पहले गोबिंद कांडा को बीजेपी में शामिल करवा कर ऐलनाबाद से उपचुनाव लड़वाया गया। फिर गोपाल कांडा का विधानसभा चुनाव में सहयोग करने के लिए अपने उम्मीदवार का नामांकन वापस करवाया। हरियाणा के सिरसा जिले में बीजेपी ने सांगठनिक तौर पर दो जिलाध्यक्ष बनाकर चौटाला परिवार के गढ़ में राजनीतिक रूप से बंजर जमीन पर कमल खिलाने के लिए प्लान तैयार किया है। बीजेपी द्वारा सिरसा और डबवाली के अलग-अलग जिलाध्यक्ष बनाने से संगठन को प्रभावी रूप से मजबूत करना आसान रहेगा, वहीं पार्टी के नेताओं की खेमेबाजी पर भी कुछ हद तक अंकुश लग सकेगा।
दरअसल, सिरसा जिले में बीजेपी के अलग-अलग खेमे बने हुए हैं। सिरसा में सीएम के राजनीतिक सलाहकार रह चुके जगदीश चोपड़ा, पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल, गोबिंद कांडा के खेमे हैं। जब भी किसी को टिकट देने या पद देने की बारी आती है, तो यह खेमे सक्रिय हो जाते हैं। कई बार आपसी खींचतान में न्यूट्रल कार्यकर्ता बाजी मार जाता है। जिलाध्यक्ष पद चुनने के लिए भी ऐसा ही हुआ है। खेमेबाजी के चक्कर में पार्टी ने यतिंद्र सिंह को ही दूसरी बार जिलाध्यक्ष बना दिया है।
दोनों ही जिलाध्यक्षों के लिए कड़ी चुनौती
सिरसा और डबवाली दोनों ही जिलाध्यक्षों के लिए संगठन का विस्तार और पार्टी की जीत के लिए रास्ते तैयार करनी की बड़ी चुनौती है। साल 1996 के बाद अभी तक बीजेपी सिरसा में विधानसभा चुनाव में कमल नहीं खिला पाई है। बड़ी मुश्किल से इतने सालों बाद बीजेपी के कमल के निशान पर नगर परिषद चुनाव में जीत मिली है। डबवाली में चौटाला परिवार का ही कब्जा
डबवाली में तो लंबे समय से चौटाला परिवार का ही कब्जा रहा है। पिछले 25 सालों में से तो 20 साल तक इनेलो का ही विधायक रहा है। बीच में एक बार 2019 में कांग्रेस से अमित सिहाग विधायक बने थे। मगर वह भी पूर्व सीएम स्व.ओमप्रकाश चौटाला के कुनबे से ही हैं। ऐसे में यहां तो बीजेपी के लिए संगठन को मजबूत करना सबसे बड़ी चुनौती है। सिरसा में कांडा का ही सहारा
साल 2014 में प्रदेश की सत्ता में आई बीजेपी को सिरसा में पूर्व मंत्री गोपाल कांडा व उनके भाई गोबिंद कांडा के सहारे पर ही चलना पड़ रहा है। पहले गोबिंद कांडा को बीजेपी में शामिल करवा कर ऐलनाबाद से उपचुनाव लड़वाया गया। फिर गोपाल कांडा का विधानसभा चुनाव में सहयोग करने के लिए अपने उम्मीदवार का नामांकन वापस करवाया।   हरियाणा | दैनिक भास्कर