<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh Assembly Winter Session:</strong> हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 18 दिसंबर से शुरू होगा. इस सत्र में कुल चार बैठकें प्रस्तावित हैं. विधानसभा का शीतकालीन सत्र 21 दिसंबर तक चलेगा. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की मंजूरी के बाद इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. साल 2023 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर को शुरू हुआ था और 23 दिसंबर तक चला था. इसमें कुल पांच बैठकें हुई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार एक महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक भी पेश करने जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिमाचल में दो विधानसभा की आखिर क्या है वजह?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश 75 लाख की जनसंख्या वाला छोटा सा पहाड़ी प्रदेश है. बावजूद इसके यहां दो विधानसभा हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर छोटे प्रदेश में दो विधानसभा की जरूरत क्या है. पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में दो विधानसभा के पीछे की वजह सीधे तौर पर राजनीतिक है. पहाड़ी प्रदेश में ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति देखने को मिलती रही.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने इस राजनीति को साधने के लिए ही धर्मशाला में विधानसभा का निर्माण करवाया. तब से लेकर अब तक हर बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला में ही होता रहा है. तपोवन विधानसभा में साल भर के दौरान केवल एक बार शीतकालीन सत्र पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति साधने की कवायद</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>15 फरवरी, 2006 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने इस विधानसभा का उद्घाटन किया था. हिमाचल प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा बताते हैं कि इस विधानसभा के बनने से पहले एक सत्र धर्मशाला कॉलेज के प्रयास भवन में आयोजित किया गया था. प्रयास भवन के नामकरण की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. इस भवन को छात्रों के प्रयास से तैयार किया गया था. इसी वजह से नाम प्रयास भवन रखा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक साल के छोटे से अंतराल में वीरभद्र सरकार ने इस विधानसभा का निर्माण पूरा करवा दिया. साल 2006 का शीतकालीन सत्र इसी विधानसभा में हुआ, लेकिन साल 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. जिस ऊपरी और निचले हिमाचल के समीकरण को साधने के लिए वीरभद्र सिंह ने इस विधानसभा का निर्माण करवाया था, उससे ठीक उलट विधानसभा चुनाव में परिणाम देखने को मिले और सत्ता में प्रेम कुमार धूमल की वापसी हो गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2016 में धर्मशाला को बनाया गया था शीतकालीन राजधानी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2016 में एक बार फिर ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति को साधने के लिए तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने धर्मशाला को शीतकालीन राजधानी बना दिया. माना जाता है कि कांगड़ा के एक कद्दावर नेता की ओर से दबाव में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने फैसला लिया था. हालांकि बाद में अन्य जिलों के बड़े नेताओं की ओर से दबाव बनने के बाद चार दिन में ही तत्कालीन सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति को साधना चाहते थे. उन्होंने कई बार इन समीकरणों को साधने की कोशिश की, लेकिन बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश की जनता ने रिवाज रखने का ही काम किया. हर पांच साल में हिमाचल प्रदेश की सत्ता बदलती रही. आज करीब चार दशक बाद भी हिमाचल प्रदेश में सत्ता बदलने का रिवाज कायम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़े: <a title=”हिमाचल में पंचायत स्तर तक आधुनिक सुविधाओं से लैस लाइब्रेरी होगी स्थापित, CM सुक्खू ने किया ऐलान” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-cm-sukhvinder-singh-sukhu-announces-to-establish-libraries-at-panchayat-level-2834330″ target=”_self”>हिमाचल में पंचायत स्तर तक आधुनिक सुविधाओं से लैस लाइब्रेरी होगी स्थापित, CM सुक्खू ने किया ऐलान</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh Assembly Winter Session:</strong> हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 18 दिसंबर से शुरू होगा. इस सत्र में कुल चार बैठकें प्रस्तावित हैं. विधानसभा का शीतकालीन सत्र 21 दिसंबर तक चलेगा. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की मंजूरी के बाद इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. साल 2023 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर को शुरू हुआ था और 23 दिसंबर तक चला था. इसमें कुल पांच बैठकें हुई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार एक महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक भी पेश करने जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिमाचल में दो विधानसभा की आखिर क्या है वजह?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश 75 लाख की जनसंख्या वाला छोटा सा पहाड़ी प्रदेश है. बावजूद इसके यहां दो विधानसभा हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर छोटे प्रदेश में दो विधानसभा की जरूरत क्या है. पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में दो विधानसभा के पीछे की वजह सीधे तौर पर राजनीतिक है. पहाड़ी प्रदेश में ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति देखने को मिलती रही.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने इस राजनीति को साधने के लिए ही धर्मशाला में विधानसभा का निर्माण करवाया. तब से लेकर अब तक हर बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला में ही होता रहा है. तपोवन विधानसभा में साल भर के दौरान केवल एक बार शीतकालीन सत्र पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति साधने की कवायद</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>15 फरवरी, 2006 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने इस विधानसभा का उद्घाटन किया था. हिमाचल प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा बताते हैं कि इस विधानसभा के बनने से पहले एक सत्र धर्मशाला कॉलेज के प्रयास भवन में आयोजित किया गया था. प्रयास भवन के नामकरण की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. इस भवन को छात्रों के प्रयास से तैयार किया गया था. इसी वजह से नाम प्रयास भवन रखा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक साल के छोटे से अंतराल में वीरभद्र सरकार ने इस विधानसभा का निर्माण पूरा करवा दिया. साल 2006 का शीतकालीन सत्र इसी विधानसभा में हुआ, लेकिन साल 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. जिस ऊपरी और निचले हिमाचल के समीकरण को साधने के लिए वीरभद्र सिंह ने इस विधानसभा का निर्माण करवाया था, उससे ठीक उलट विधानसभा चुनाव में परिणाम देखने को मिले और सत्ता में प्रेम कुमार धूमल की वापसी हो गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2016 में धर्मशाला को बनाया गया था शीतकालीन राजधानी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2016 में एक बार फिर ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति को साधने के लिए तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने धर्मशाला को शीतकालीन राजधानी बना दिया. माना जाता है कि कांगड़ा के एक कद्दावर नेता की ओर से दबाव में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने फैसला लिया था. हालांकि बाद में अन्य जिलों के बड़े नेताओं की ओर से दबाव बनने के बाद चार दिन में ही तत्कालीन सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ऊपरी और निचले हिमाचल की राजनीति को साधना चाहते थे. उन्होंने कई बार इन समीकरणों को साधने की कोशिश की, लेकिन बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश की जनता ने रिवाज रखने का ही काम किया. हर पांच साल में हिमाचल प्रदेश की सत्ता बदलती रही. आज करीब चार दशक बाद भी हिमाचल प्रदेश में सत्ता बदलने का रिवाज कायम है.</p>
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