हिमाचल के धर्मशाला में गीले कचरे को रिसाइकिल कर बिजली और जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। एक टन कचरे से 35 से 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस/बायोमीथेन और एक टन कचरे से 1.25 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है। पिछले एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादित हुई है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी से एकत्रित होने वाले गीले कचरे को रिसाइकिल कर बिजली और जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। इससे जहां हर माह इस प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए बिजली मिल रही है, वहीं जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2.15 करोड़ रुपए से प्री-सेग्रिगेट एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट लगाया गया है। इसमें धर्मशाला शहर के गीले कूड़े-कचरे का निष्पादन होने के साथ ही बिजली व खाद भी तैयार हो रही है। बस स्टैंड के पास बनाई डंपिंग साइट इस तरह का हिमाचल में पहला प्लांट बताया जा रहा है। इससे पहले 60 हजार के लगभग आबादी वाले नगर निगम धर्मशाला, जो कि पर्यटन सीजन में लाखों पर्यटकों का जिम्मा भी संभालता है, और उतने ही बड़े स्तर पर होटलों, रेस्तरां व पर्यटक स्थलों से कूड़ा-कचरा भी निकालता है, लेकिन इससे पहले धर्मशाला बस स्टैंड के पास सुधेड़ में ही एक मात्र डंपिंग साइट है। जिसमें सभी प्रकार का गीला व सूखा कचरा एक साथ ही एकत्रित किया जाता था। जिसके कारण कूड़ा-कचरा सही प्रकार से सेग्रिगेट नहीं हो पाता था, जिससे शहर का वातावरण भी प्रदूषित होता था। स्मार्ट सिटी धर्मशाला के तहत बायोगैस प्लांट लगने से गीले कचरे को एक ही स्थान पर सग्रिग्रेशन किया जा रहा है। धर्मशाला के स्टेडियम के साथ दाड़ी आईटीआई रोड चरान खड्ड में प्री-सेग्रिगेट एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट बनाया गया है। प्लांट के बनने से गीले कचरे से बिजली तैयार की जा रही है जिसे प्लांट में प्रयोग करने के साथ-साथ ही नगर निगम धर्मशाला के क्षेत्रों में भी प्रयोग में लाया जा सकेगा। प्रतिदिन 5 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन नगर निगम धर्मशाला में गीला और सूखा कूड़ा-कचरा घर-घर से एकत्रित किया जा रहा है। नगर निगम धर्मशाला के आयुक्त एवं स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ एवं एमडी ज़फर इकबाल ने बताया कि 2.15 करोड़ से प्री-सेग्रिगेटेड एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्लांट की मदद से प्रतिदिन 5 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन किया जाएगा। जहां इससे बायोगैस/बायोमीथेन और बिजली तैयार की जा रही है। वहीं, ठोस कचरे से खाद बनाई जा रही है जिससे कि पर्यावरण के साथ-साथ जल को भी स्वच्छ रखा जा सकेगा। एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादन स्मार्ट सिटी के इंजीनियर रोबिन महाजन ने बताया कि संयंत्र में दो से 2.5 टन गीले कचरे को रोजाना रिसाइकिल करने की क्षमता है। एक टन कचरे से 35 से 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस/बायोमीथेन और एक टन कचरे से 1.25 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है। पिछले एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादित हुई है। प्लांट में गीले कचरे की मशीन से कटिंग की जाती है। फिर मिक्सर की मदद से घोल तैयार किया जाता है। घोल को डाइजेस्टर टैंक में डाला जाता है। जिससे बनी 250-350 क्यूबिक बायोगैस को जनरेटर की मदद से बिजली में बदला जाता है। वहीं लिक्विड (तरल) खाद निकलती है, जिसका उपयोग फसल और सब्जी उत्पादन में किया जा सकता है। हिमाचल के धर्मशाला में गीले कचरे को रिसाइकिल कर बिजली और जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। एक टन कचरे से 35 से 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस/बायोमीथेन और एक टन कचरे से 1.25 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है। पिछले एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादित हुई है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी से एकत्रित होने वाले गीले कचरे को रिसाइकिल कर बिजली और जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। इससे जहां हर माह इस प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए बिजली मिल रही है, वहीं जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2.15 करोड़ रुपए से प्री-सेग्रिगेट एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट लगाया गया है। इसमें धर्मशाला शहर के गीले कूड़े-कचरे का निष्पादन होने के साथ ही बिजली व खाद भी तैयार हो रही है। बस स्टैंड के पास बनाई डंपिंग साइट इस तरह का हिमाचल में पहला प्लांट बताया जा रहा है। इससे पहले 60 हजार के लगभग आबादी वाले नगर निगम धर्मशाला, जो कि पर्यटन सीजन में लाखों पर्यटकों का जिम्मा भी संभालता है, और उतने ही बड़े स्तर पर होटलों, रेस्तरां व पर्यटक स्थलों से कूड़ा-कचरा भी निकालता है, लेकिन इससे पहले धर्मशाला बस स्टैंड के पास सुधेड़ में ही एक मात्र डंपिंग साइट है। जिसमें सभी प्रकार का गीला व सूखा कचरा एक साथ ही एकत्रित किया जाता था। जिसके कारण कूड़ा-कचरा सही प्रकार से सेग्रिगेट नहीं हो पाता था, जिससे शहर का वातावरण भी प्रदूषित होता था। स्मार्ट सिटी धर्मशाला के तहत बायोगैस प्लांट लगने से गीले कचरे को एक ही स्थान पर सग्रिग्रेशन किया जा रहा है। धर्मशाला के स्टेडियम के साथ दाड़ी आईटीआई रोड चरान खड्ड में प्री-सेग्रिगेट एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट बनाया गया है। प्लांट के बनने से गीले कचरे से बिजली तैयार की जा रही है जिसे प्लांट में प्रयोग करने के साथ-साथ ही नगर निगम धर्मशाला के क्षेत्रों में भी प्रयोग में लाया जा सकेगा। प्रतिदिन 5 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन नगर निगम धर्मशाला में गीला और सूखा कूड़ा-कचरा घर-घर से एकत्रित किया जा रहा है। नगर निगम धर्मशाला के आयुक्त एवं स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ एवं एमडी ज़फर इकबाल ने बताया कि 2.15 करोड़ से प्री-सेग्रिगेटेड एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्लांट की मदद से प्रतिदिन 5 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन किया जाएगा। जहां इससे बायोगैस/बायोमीथेन और बिजली तैयार की जा रही है। वहीं, ठोस कचरे से खाद बनाई जा रही है जिससे कि पर्यावरण के साथ-साथ जल को भी स्वच्छ रखा जा सकेगा। एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादन स्मार्ट सिटी के इंजीनियर रोबिन महाजन ने बताया कि संयंत्र में दो से 2.5 टन गीले कचरे को रोजाना रिसाइकिल करने की क्षमता है। एक टन कचरे से 35 से 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस/बायोमीथेन और एक टन कचरे से 1.25 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है। पिछले एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादित हुई है। प्लांट में गीले कचरे की मशीन से कटिंग की जाती है। फिर मिक्सर की मदद से घोल तैयार किया जाता है। घोल को डाइजेस्टर टैंक में डाला जाता है। जिससे बनी 250-350 क्यूबिक बायोगैस को जनरेटर की मदद से बिजली में बदला जाता है। वहीं लिक्विड (तरल) खाद निकलती है, जिसका उपयोग फसल और सब्जी उत्पादन में किया जा सकता है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी में सराज टेलेन्ट एंड टूरिज्म फेस्टिवल:डिप्टी सीएम अग्निहोत्री हुए शामिल; बोले- सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए विदेशों में भेजे जाएंगे लोक कलाकार मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र के जंजैहली (चोलूथाच) में सिविक सेंस सोसायटी के तत्वावधान में तीन दिवसीय सराज टेलेन्ट एंड टूरिज्म फेस्टिवल का समापन हो गया।जिसमें उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शिरकत की। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि सोसायटी द्वारा इस महोत्सव के माध्यम से एक बहुत अच्छा प्रयास किया गया है। जिसमें स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि यहां के स्थानीय लोग अपनी परम्परागत वेश-भूषा और स्थानीय बोली में यहां की संस्कृति को संरक्षित करने में जुटे हैं। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए कार्यक्रमों के अंतर्गत हिमाचल के लोक सांस्कृतिक दलों को देश व विदेश में भेजा जाएगा। लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए सरकार कर रही काम उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार लोक संस्कृति एवं लोक मान्यताओं के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पहाड़ को मान्यता एवं पहचान दिलाने तथा हिमाचल के गठन में प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार के प्रयासों को प्रदेशवासी कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने पहाड़ी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रयासों को भी याद किया। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पहाड़ की संस्कृति आपस में गहरे से जुड़ी है और विशेषतौर पर कुल्लू व मंडी जिला की संस्कृति में काफी समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि ढाटू व टोपी हमारी पहचान हैं। आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिमाचली वेशभूषा प्रसिद्ध है। लोक सांस्कृतिक दलों को सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए विदेश भेजा जाएगा उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के अंतर्गत हिमाचल के लोक सांस्कृतिक दलों को देश व विदेश में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बड़े मेलों में एक सांस्कृतिक संध्या स्थानीय कलाकारों के लिए समर्पित करने तथा इन कार्यक्रमों पर व्यय होने वाली राशि में से 50 प्रतिशत स्थानीय कलाकारों पर खर्च हो, ऐसे प्रयास भी भाषा संस्कृति विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। उन्होंने छतरी में जल शक्ति विभाग के विश्राम गृह तथा जंजैहली व थुनाग में बस अड्डों के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर उन्होंने चौलूथाच में स्थित कामरू देवता मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 10 लाख रुपए तथा इस तीन दिवसीय उत्सव के सफल आयोजन के लिए एक लाख रुपए आयोजक मंडल को देने की घोषणा।
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पूर्व भाजपा सरकार के समय कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने ढली जनजातीय भवन के कमरों की खस्ताहालत व जनजातीय भवन में कमरों का बंदर बांट का मुद्दा उठाया था। जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह के मार्गदर्शन में जनजातीय सलाहकार परिषद सदस्य अधिवक्ता अमर चंद नेगी व डॉ. सूर्य बोरस ने ढली ट्राइबल भवन का निरीक्षण किया। डॉ. सूर्या बोरस व अधिवक्ता अमर चंद नेगी ने कहा कि सरकार बनने के बाद जगत सिंह नेगी ने कड़ा संज्ञान लेते हुए ढली ट्राइबल भवन के जीर्णोद्धार के किए बजट मुहैया कवाया। आज इस भवन का पूरा कायाकल्प हो रहा है। मीटिंग हाल सहित सभी कमरों को बेहतर कर सभी सुविधाओं से परिपूर्ण किया है। उन्होंने कहा कि जगत सिंह नेगी के मार्ग दर्शन में प्रदेश में जनजातीय भवनों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। हाल ही में धर्मशाला जनजातीय भवन के जीर्णोद्धार के लिए बजट मुहैया करवाया गया है।
हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों पर अगले 48 घंटे बर्फबारी:ताजा हिमपात के बाद मनाली-लेह, कोकसर-लोसर और दारचा-सचरू सड़क बंद; 4 दिसंबर से साफ होगा मौसम
हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों पर अगले 48 घंटे बर्फबारी:ताजा हिमपात के बाद मनाली-लेह, कोकसर-लोसर और दारचा-सचरू सड़क बंद; 4 दिसंबर से साफ होगा मौसम हिमाचल प्रदेश के अधिक ऊंचे पहाड़ों पर आज और कल बर्फबारी के आसार है। बीती शाम को भी रोहतांग, बारालाचा, कुंजम दर्रे में दो इंच तक ताजा बर्फबारी हुई। इसके बाद रोहतांग टॉप, शिंकुला और कुंजम दर्रा के लिए वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है। मनाली-लेह हाईवे, कोकसर-लोसर और दारचा-सचरू सड़क को भी बंद करना पड़ा है, क्योंकि बर्फ जमने की वजह से सड़कें खतरनाक हो गई है। बीते 24 घंटे के दौरान हिमपात के बाद पर्यटक भी बर्फ देखने के लिए लाहौल स्पीति के पहाड़ों पर पहुंच रहा है। मगर खराब मौसम के बीच पर्यटकों को रोहतांग टॉप, बारालाच, शिकुंला दर्रा, कुंजम दर्रा जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इन क्षेत्रों में कभी भी बर्फबारी हो जाती है और फंसने की संभावना रहती है। इसी तरह सड़क पर बर्फ जमने से वाहनों की फिसलन बड़ गई है। ऊंचे क्षेत्रों में तापमान माइनस में होने से की वजह से सड़कों पर ब्लैक आइस जम रही है। बहता हुआ पानी जमकर ब्लैक आइस में तब्दील हो रहा है। इसे देखते हुए लाहौल स्पीति पुलिस ने ऊंचे क्षेत्रों की यात्रा टालने और सावधानी से गाड़ी चलाने की सलाह दी है। अगले 48 घंटे बर्फबारी मौमस विभाग की माने तो चंबा, लाहौल स्पीति, किन्नौर और कांगड़ा की ऊंची चोटियों पर अगले 48 घंटे के दौरान हल्का हिमपात हो सकता है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। 4 दिसंबर से पूरे प्रदेश में मौसम साफ हो जाएगा और अगले दो सप्ताह तक बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। 11 जिलों में नहीं टूटा ड्राइ स्पेल बेशक, बीते दो दिनों के दौरान लाहौल स्पीति के ऊंचे पहाड़ों पर हल्का हिमपात हुआ है। मगर प्रदेश के 11 जिलों में दो महीने से ज्यादा का ड्राइ स्पेल नहीं टूट पाया। प्रदेशवासी बारिश-बर्फबारी के इंतजार में है। पहले मानसून सीजन में नॉर्मल से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई। अक्टूबर-नवंबर के बाद अब दिसंबर भी नहीं बरस रहा अब पोस्ट मानसून सीजन में भी सामान्य से 98 प्रतिशत कम बादल दो महीने में बरसे है। अक्टूबर व नवंबर सूखे बीते है। अब दिसंबर में भी बारिश नहीं हो रही। अगले दो सप्ताह तक भी अच्छी बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों-बागवानों और टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ी है।