<p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf (Amendment) Bill:</strong> केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया था, लेकिन विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. जिसके बाद इसे जेपीसी को भेज दिया गया. वहीं इसे लेकर मुस्लिम संगठन भी बेहद नाराज दिखाई दे रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ल़ॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भी इस वक्फ बिल पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों को अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में इस पर कई सवाल उठाए और कहा कि हमें लगता है कि वर्तमान समय में जो वक्फ कानून है वो सब संभालने के लिए पर्याप्त हैं. इनमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि वक्फ की संरचना लोकतांत्रिक हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई आपत्ति</strong><br />मौलाना फिरंगी महली ने कहा वक्फ के चेयरमैन का चुनाव वक्फ संपत्ति के केयरटेर्स के वोटों से होता है. मौजूदा वक्फ बोर्ड में सरकार के दो नुमाइंदे होते हैं, दो सांसद और दो विधायक और दो बार काउंसिल, दो महिलाएं भी इसकी सदस्य होती हैं. चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर भी सरकार अपाइंटमेंट करती है. नया बिल कहता है कि चेयरमैन का चुनाव नहीं होगा उसे नियुक्त किया जाएगा. जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्फ अधिनियम में पर्याप्त से अधिक कानून हैं जो किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के तहत दर्ज करने की कानूनी प्रक्रिया को परिभाषित करते हैं. अपने मजहबी चीजों को मैनेज करने के लिए उसी मजहब के जानकार ही कर सकते हैं. उसमें नॉन मुस्लिम को रखने का क्लॉज ला रहे हैं हम इसे लोकतंत्र के लिए सही नहीं मानते. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्फ को लेकर गलत दृष्टिकोण </strong><br />पिछले कुछ सालों में वक्फ को लेकर एक गलत दृष्टिकोण बनाया गया है. जैसे मुस्लिमों ने किसी भी संपत्ति पर हाथ रख दिया और कहा कि ये वक्फ की हो जाती है. ये आरोप एकदम गलत है. अगर आपको कोई भी संपत्ति वक़्फ़ करनी है तो उसकी एक प्रक्रिया है. उसके बाद ही कोई संपत्ति वक्फ की होती है. और जो ये कहा जा रहा है कि वक्फ की लाखों करोड़ की संपत्ति है तो इसमें ये बात जहन में रखने की है इस संपत्ति में 80 फीसद संपत्तियों में मस्जिदें, दरगाहें, कब्रें है जिन्हें न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है और न उनसे कोई एक रुपये की आमदनी होती है. </p>
<p><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/pm-narendra-modi-fulfilled-demand-of-mayawati-and-chandrashekhar-azad-on-sc-st-reservation-2757734″>UP Politics: PM मोदी ने पूरी कर दी मायावती और चंद्रशेखर आजाद की मांग!</a><br /></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”>मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में इस पर कई सवाल उठाए और कहा कि हमें लगता है कि वर्तमान समय में जो वक्फ कानून है वो सब संभालने के लिए पर्याप्त हैं. इनमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि वक्फ की संरचना लोकतांत्रिक हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई आपत्ति</strong><br />मौलाना फिरंगी महली ने कहा वक्फ के चेयरमैन का चुनाव वक्फ संपत्ति के केयरटेर्स के वोटों से होता है. मौजूदा वक्फ बोर्ड में सरकार के दो नुमाइंदे होते हैं, दो सांसद और दो विधायक और दो बार काउंसिल, दो महिलाएं भी इसकी सदस्य होती हैं. चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर भी सरकार अपाइंटमेंट करती है. नया बिल कहता है कि चेयरमैन का चुनाव नहीं होगा उसे नियुक्त किया जाएगा. जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्फ अधिनियम में पर्याप्त से अधिक कानून हैं जो किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के तहत दर्ज करने की कानूनी प्रक्रिया को परिभाषित करते हैं. अपने मजहबी चीजों को मैनेज करने के लिए उसी मजहब के जानकार ही कर सकते हैं. उसमें नॉन मुस्लिम को रखने का क्लॉज ला रहे हैं हम इसे लोकतंत्र के लिए सही नहीं मानते. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्फ को लेकर गलत दृष्टिकोण </strong><br />पिछले कुछ सालों में वक्फ को लेकर एक गलत दृष्टिकोण बनाया गया है. जैसे मुस्लिमों ने किसी भी संपत्ति पर हाथ रख दिया और कहा कि ये वक्फ की हो जाती है. ये आरोप एकदम गलत है. अगर आपको कोई भी संपत्ति वक़्फ़ करनी है तो उसकी एक प्रक्रिया है. उसके बाद ही कोई संपत्ति वक्फ की होती है. और जो ये कहा जा रहा है कि वक्फ की लाखों करोड़ की संपत्ति है तो इसमें ये बात जहन में रखने की है इस संपत्ति में 80 फीसद संपत्तियों में मस्जिदें, दरगाहें, कब्रें है जिन्हें न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है और न उनसे कोई एक रुपये की आमदनी होती है. </p>
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