ध्रुव ने अपनी भक्ति भाव के आधार पर किया था भगवान को प्रसन्न: भारद्वाज

ध्रुव ने अपनी भक्ति भाव के आधार पर किया था भगवान को प्रसन्न: भारद्वाज

भास्कर न्यूज | जालंधर मां बगलामुखी धाम, गुलमोहर सिटी में भक्तों ने मां बगलामुखी जी का हवन किया। सर्व प्रथम ब्राह्मणों ने मुख्य यजमान चेतन अरोड़ा से विधिवत वैदिक रिती के अनुसार पंचोपचार , षोडशोपचार, नवग्रह पूजन कराया। इसके बाद हवन कुंड में आहुतियां डलवाईं। धाम के संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने कहा कि अधिकतर लोग भगवान को तभी याद करते हैं, जब वे मुसीबत में होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। भगवान की भक्ति हर पल करनी चाहिए। दुख में ही नहीं, सुख के दिनों में भी प्रार्थना करनी चाहिए। भक्त के भाव पवित्र होने चाहिए, तभी भगवान की कृपा मिल सकती है। भक्ति कैसी होनी चाहिए, ये हम भक्त ध्रुव की कथा से समझ सकते हैं। ध्रुव के पिता की दो पत्नियां थीं। एक दिन एक सभा के दौरान ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठने के लिए आगे बढ़ा तो सौतेली मां ने उसे रोक दिया। उस समय ध्रुव पांच साल का ही था। वह रोने लगा। सौतेली मां की डांट खाकर रोते हुए ध्रुव अपनी मां के पास पहुंचे तो ध्रुव की मां ने प्रेरणा दी कि वे संसार के पालनहार भगवान की गोद में बैठने के लिए तपस्या करें। वह जंगल गए और पेड़ के नीचे बैठकर ध्रुव ने ध्यान लगाया। उस समय वहां नारदजी पहुंचे और उन्होंने बालक ध्रुव को गुरु मंत्र दिया। बालक ध्रुव मन से भगवान को पुकारने लगा। बच्चे का निर्दोष भावों से भगवान विष्णु भी पिघल गए। वे प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। पांच साल के ध्रुव ने सिर्फ भावों से ही भगवान को प्रसन्न कर लिया था। इस मौके पर राकेश प्रभाकर, बलजिंदर सिंह, जगदीश डोगरा, अमरेंद्र कुमार शर्मा, अजीत कुमार, रिंकू सैनी, नरिंदर मौजूद रहे। भास्कर न्यूज | जालंधर मां बगलामुखी धाम, गुलमोहर सिटी में भक्तों ने मां बगलामुखी जी का हवन किया। सर्व प्रथम ब्राह्मणों ने मुख्य यजमान चेतन अरोड़ा से विधिवत वैदिक रिती के अनुसार पंचोपचार , षोडशोपचार, नवग्रह पूजन कराया। इसके बाद हवन कुंड में आहुतियां डलवाईं। धाम के संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने कहा कि अधिकतर लोग भगवान को तभी याद करते हैं, जब वे मुसीबत में होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। भगवान की भक्ति हर पल करनी चाहिए। दुख में ही नहीं, सुख के दिनों में भी प्रार्थना करनी चाहिए। भक्त के भाव पवित्र होने चाहिए, तभी भगवान की कृपा मिल सकती है। भक्ति कैसी होनी चाहिए, ये हम भक्त ध्रुव की कथा से समझ सकते हैं। ध्रुव के पिता की दो पत्नियां थीं। एक दिन एक सभा के दौरान ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठने के लिए आगे बढ़ा तो सौतेली मां ने उसे रोक दिया। उस समय ध्रुव पांच साल का ही था। वह रोने लगा। सौतेली मां की डांट खाकर रोते हुए ध्रुव अपनी मां के पास पहुंचे तो ध्रुव की मां ने प्रेरणा दी कि वे संसार के पालनहार भगवान की गोद में बैठने के लिए तपस्या करें। वह जंगल गए और पेड़ के नीचे बैठकर ध्रुव ने ध्यान लगाया। उस समय वहां नारदजी पहुंचे और उन्होंने बालक ध्रुव को गुरु मंत्र दिया। बालक ध्रुव मन से भगवान को पुकारने लगा। बच्चे का निर्दोष भावों से भगवान विष्णु भी पिघल गए। वे प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। पांच साल के ध्रुव ने सिर्फ भावों से ही भगवान को प्रसन्न कर लिया था। इस मौके पर राकेश प्रभाकर, बलजिंदर सिंह, जगदीश डोगरा, अमरेंद्र कुमार शर्मा, अजीत कुमार, रिंकू सैनी, नरिंदर मौजूद रहे।   पंजाब | दैनिक भास्कर