प्रशासन की ओर से ड्रग्स को जड़ से समाप्त करने और नशे के दलदल में डूबे युवाओं से नशा छुड़ाने के लिए कवायद की गई है। प्रशासन ड्रग एडिक्टों से नशा छुड़ाने के लिए योजना तैयार कर रहा है। प्रशासन ने नगर निगम, पुलिस, शिक्षा विभाग समेत 10 डिपार्टमेंट से नशा छुड़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बाबत रिपोर्ट मांगी है। सभी डिपार्टमेंट को पंद्रह दिन के भीतर प्रशासन को जवाब देना है। पंजाब का सबसे बड़ा दर्द नशा है। नशे की जद में आ रहे लोगों के वीडियो वायरल होते हैं और कई की मौत तक हो जाती है जिससे कई घर बर्बाद हो गए। सन 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में नशा प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना था। 2022 में पंजाब की सत्ता आम आदमी पार्टी के हाथों में आई है। सीएम भगवंत मान ने सत्ता में आने के बाद नशे को रोकने के लिए मुहिम शुरू की है। सरकार ने लुधियाना समेत अन्य जिलों के अधिकारियों को युवाओं में बढ़ते नशे को रोकने और ड्रग एडिक्टों के उपचार के लिए हरसंभव योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में प्रशासन ने लुधियाना डीसी ऑफिस में एंट्री ड्रग सेल स्थापित किया है। पुलिस प्रशासन की ओर से नशा तस्करों की प्रॉपर्टी हो रही सील नशा तस्करी रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से सख्त रुख अख्तियार किया गया है। पुलिस की ओर से गिरोह चिह्नित किए गए हैं जो नशे की सामग्री की सप्लाई कर रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है और नशे की सामग्री बेचकर तैयार की गई संपत्ति को भी सील किया है। अब पूरी टीम पूरे नेक्सस को समाप्त करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। प्रशासन की ओर से भी हाट स्पॉट चिन्हित कर कार्रवाई को निर्देशित किया गया है। नशा मुक्ति अभियान के तहत स्टाफ की भी की जा रही भर्ती डीसी साक्षी साहनी की ओर से नशे की चपेट में आए लोगों को उपचार दिलाने, काउंसलिंग, नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती करने और पूरी तरह से नशा छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू की है। इसी क्रम में प्रशासन की ओर से नगर निगम, एसएसपी खन्ना, सिविल सर्जन, डीडीपीओ, खेतीबाड़ी विभाग, शिक्षा विभाग, जीएम इंडस्ट्री समेत अन्य डिपार्टमेंट प्रमुखों को पत्र जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है कि लोगों से नशा छुड़ाने के लिए क्या प्रयास किया जाए और क्या गतिविधियां की जाएं, इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। बाकायदा कैलेंडर बनाकर उपलब्ध कराने को निर्देशित किया गया है। एडीसी जनरल मेजर अमित सरीन ने बताया कि नशा मुक्ति अभियान के तहत पीड़ितों को सेंटरों में उपचार दिलाया जाएगा। उनकी डाइट में भी बदलाव किया जा रहा है और स्टाफ की भर्ती की जा रही है। हाईकोर्ट ने भी नशे के मुद्दे पर सरकार से मांगा था जवाब पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में नशे के मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा था। पूछा था कि पंजाब में कितने लोग नशे के आदी हैं और रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए गए हैं। हाईकोर्ट ने पंजाब में हजारों करोड़ रुपये की नशा सामग्री पकड़े जाने के बावजूद नशे के बढ़ते प्रभाव पर नाराजगी जताई थी। इससे पंजाब सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से पूछा था कि हरियाणा और पंजाब में नशे के आदी लोगों की संख्या कितनी है। बता दें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुटका साहिब हाथ में लेकर एक चुनावी रैली में नशा का मुद्दा उठाया था और उन्होंने कहा था कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने पर चार सप्ताह में नशे की कमर तोड़ दी जाएगी। इसके बाद कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं लेकिन पूरे कार्यकाल में नशे को लेकर सख्त एक्शन नहीं हुआ था। 2022 में आप सरकार ने सत्ता हासिल की थी। नहीं मिला लाभ…एंटी ड्रग सेल बने दो हफ्ते बीते, एक भी पंजीकरण नहीं प्रशासन ने दो सप्ताह पहले डीसी परिसर में एंटी ड्रग सेल स्थापित किया है। बकाया एडीसी जनरल ने सभी विभागों की मीटिंग लेकर नशा मुक्त अभियान के लिए योजना पर काम करने के निर्देश दिए थे। उम्मीद थी कि नशे की जद में आए लोग प्रशासन के पास पहुंचकर अपनी समस्या से अवगत कराएंगे और उपचार के लिए पंजीकरण कराएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। सूत्रों के अनुसार इस सेल के बारे में प्रचार प्रसार अधिक नहीं हो सका है जिसके चलते इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक ये भी कारण है कि जहां यह सेल स्थापित किया गया है वहां एमए ब्रांच का दफ्तर है। एमए ब्रांच के कर्मचारी और एंटी ड्रग सेल के कर्मचारी एक साथ बैठ रहे हैं जिस कारण इस सेल के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पा रही है। प्रशासन की ओर से ड्रग्स को जड़ से समाप्त करने और नशे के दलदल में डूबे युवाओं से नशा छुड़ाने के लिए कवायद की गई है। प्रशासन ड्रग एडिक्टों से नशा छुड़ाने के लिए योजना तैयार कर रहा है। प्रशासन ने नगर निगम, पुलिस, शिक्षा विभाग समेत 10 डिपार्टमेंट से नशा छुड़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बाबत रिपोर्ट मांगी है। सभी डिपार्टमेंट को पंद्रह दिन के भीतर प्रशासन को जवाब देना है। पंजाब का सबसे बड़ा दर्द नशा है। नशे की जद में आ रहे लोगों के वीडियो वायरल होते हैं और कई की मौत तक हो जाती है जिससे कई घर बर्बाद हो गए। सन 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में नशा प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना था। 2022 में पंजाब की सत्ता आम आदमी पार्टी के हाथों में आई है। सीएम भगवंत मान ने सत्ता में आने के बाद नशे को रोकने के लिए मुहिम शुरू की है। सरकार ने लुधियाना समेत अन्य जिलों के अधिकारियों को युवाओं में बढ़ते नशे को रोकने और ड्रग एडिक्टों के उपचार के लिए हरसंभव योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में प्रशासन ने लुधियाना डीसी ऑफिस में एंट्री ड्रग सेल स्थापित किया है। पुलिस प्रशासन की ओर से नशा तस्करों की प्रॉपर्टी हो रही सील नशा तस्करी रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से सख्त रुख अख्तियार किया गया है। पुलिस की ओर से गिरोह चिह्नित किए गए हैं जो नशे की सामग्री की सप्लाई कर रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है और नशे की सामग्री बेचकर तैयार की गई संपत्ति को भी सील किया है। अब पूरी टीम पूरे नेक्सस को समाप्त करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। प्रशासन की ओर से भी हाट स्पॉट चिन्हित कर कार्रवाई को निर्देशित किया गया है। नशा मुक्ति अभियान के तहत स्टाफ की भी की जा रही भर्ती डीसी साक्षी साहनी की ओर से नशे की चपेट में आए लोगों को उपचार दिलाने, काउंसलिंग, नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती करने और पूरी तरह से नशा छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू की है। इसी क्रम में प्रशासन की ओर से नगर निगम, एसएसपी खन्ना, सिविल सर्जन, डीडीपीओ, खेतीबाड़ी विभाग, शिक्षा विभाग, जीएम इंडस्ट्री समेत अन्य डिपार्टमेंट प्रमुखों को पत्र जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है कि लोगों से नशा छुड़ाने के लिए क्या प्रयास किया जाए और क्या गतिविधियां की जाएं, इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। बाकायदा कैलेंडर बनाकर उपलब्ध कराने को निर्देशित किया गया है। एडीसी जनरल मेजर अमित सरीन ने बताया कि नशा मुक्ति अभियान के तहत पीड़ितों को सेंटरों में उपचार दिलाया जाएगा। उनकी डाइट में भी बदलाव किया जा रहा है और स्टाफ की भर्ती की जा रही है। हाईकोर्ट ने भी नशे के मुद्दे पर सरकार से मांगा था जवाब पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में नशे के मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा था। पूछा था कि पंजाब में कितने लोग नशे के आदी हैं और रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए गए हैं। हाईकोर्ट ने पंजाब में हजारों करोड़ रुपये की नशा सामग्री पकड़े जाने के बावजूद नशे के बढ़ते प्रभाव पर नाराजगी जताई थी। इससे पंजाब सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से पूछा था कि हरियाणा और पंजाब में नशे के आदी लोगों की संख्या कितनी है। बता दें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुटका साहिब हाथ में लेकर एक चुनावी रैली में नशा का मुद्दा उठाया था और उन्होंने कहा था कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने पर चार सप्ताह में नशे की कमर तोड़ दी जाएगी। इसके बाद कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं लेकिन पूरे कार्यकाल में नशे को लेकर सख्त एक्शन नहीं हुआ था। 2022 में आप सरकार ने सत्ता हासिल की थी। नहीं मिला लाभ…एंटी ड्रग सेल बने दो हफ्ते बीते, एक भी पंजीकरण नहीं प्रशासन ने दो सप्ताह पहले डीसी परिसर में एंटी ड्रग सेल स्थापित किया है। बकाया एडीसी जनरल ने सभी विभागों की मीटिंग लेकर नशा मुक्त अभियान के लिए योजना पर काम करने के निर्देश दिए थे। उम्मीद थी कि नशे की जद में आए लोग प्रशासन के पास पहुंचकर अपनी समस्या से अवगत कराएंगे और उपचार के लिए पंजीकरण कराएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। सूत्रों के अनुसार इस सेल के बारे में प्रचार प्रसार अधिक नहीं हो सका है जिसके चलते इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक ये भी कारण है कि जहां यह सेल स्थापित किया गया है वहां एमए ब्रांच का दफ्तर है। एमए ब्रांच के कर्मचारी और एंटी ड्रग सेल के कर्मचारी एक साथ बैठ रहे हैं जिस कारण इस सेल के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पा रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
चंडीगढ़ के सेक्टर 56 में लोगों की प्रशासन से झड़प:हाउसिंग बोर्ड के फ्लैटों को सील करने पहुंची टीम, भारी पुलिस बल तैनात
चंडीगढ़ के सेक्टर 56 में लोगों की प्रशासन से झड़प:हाउसिंग बोर्ड के फ्लैटों को सील करने पहुंची टीम, भारी पुलिस बल तैनात चंडीगढ़ के सेक्टर 56 में हाउसिंग बोर्ड के फ्लैटों को सील करने पहुंची टीम के साथ स्थानीय निवासियों की झड़प हो गई। यह टीम उन फ्लैटों को सील करने पहुंची थी जिनका किराया बकाया था। इलाके के पार्षद मुनव्वर भी मौके पर पहुंचे और इस कार्रवाई का विरोध किया। प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल बुला लिया है। वहीं, स्थानीय निवासी लगातार नारेबाजी कर इसका विरोध कर रहे हैं। सामान उठाने का मौका भी नहीं दिया स्थानीय निवासियों का आरोप है कि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की टीम ने उन्हें उनके घर से सामान उठाने का मौका भी नहीं दिया और फ्लैटों को सील करना शुरू कर दिया। उनकी इस कार्रवाई से 1 मिनट में पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा। अगर चंडीगढ़ प्रशासन ने यह कार्रवाई यहीं नहीं रोकी तो वे अपने बच्चों के साथ चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के दफ्तर में जाकर रहेंगे। क्योंकि अगर उनके पास बाहर किराया देने के लिए पैसे होते तो वे इस फ्लैट का किराया दे देते। पैसे न होने की वजह से इन फ्लैटों का किराया बकाया है। यहां देखें हंगामा की कुछ तस्वीरें…
लुधियाना में सब इंस्पेक्टर-ASI सस्पेंड:सिविल सर्जन को स्वतंत्रता दिवस समारोह में जाने से रोका था, डीसी बोलीं-निमंत्रण होने के बावजूद नहीं जाने दिया
लुधियाना में सब इंस्पेक्टर-ASI सस्पेंड:सिविल सर्जन को स्वतंत्रता दिवस समारोह में जाने से रोका था, डीसी बोलीं-निमंत्रण होने के बावजूद नहीं जाने दिया लुधियाना में विगत दिवस PAU मैदान में राज्य स्तरीय आजादी दिवस मनाया गया। शहर से समस्त लोगों के साथ-साथ सीनियर अधिकारी भी समारोह में शिरकत करने पहुंचे। इस बीच लुधियाना के सिविल सर्जन जसबीर सिंह औलख की आजादी समारोह में एंट्री नहीं होने दी गई। उनके पास समारोह का निमंत्रण पत्र भी था। इसके बावजूद पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें समारोह में नहीं जाने दिया। इस मामले में पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल के आदेश पर सब इंस्पेक्टर जसपाल सिंह और एएसआई जसपाल सिंह को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। 2 पुलिस कर्मचारियों को पुलिस लाइन लुधियाना भेज दिया गया है। सीपी के आदेशानुसार एएसआई जसपाल सिंह रोजाना रोल कॉल और परेड में मौजूद रहेंगे। इन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। डीसी ने लिखा पुलिस कमिश्नर को पत्र जैसे ही मामला सीनियर अधिकारियों तक पहुंचा तो तुरंत एक्शन लेते हुए डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने जिला पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख दिया। डीसी ने पत्र में लिखा कि, सिविल सर्जन लुधियाना सेहत विभाग के सीनियर अधिकारी है। उन्हें प्रशासन की तरफ से आजादी दिवस समारोह का निमंत्रण (पास) भी भेजा गया था। समारोह स्थल पर अंदर आने से रोका इसके बावजूद उन्हें समारोह स्थल पर अंदर आने से रोका गया है। यह भी पता चला है कि कुछ पुलिस कर्मचारियों ने उनकी बाजू पकड़ कर बदतमीजी की है। इस घटना के बाद यह एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रोटोकाॅल के मुताबिक सिविल सर्जन एक बड़ा पद है जिनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है। इस मामले में तुरंत एक्शन लेते हुए उस जगह की पहचान की जाए जहां उनकी बाजू पकड़ी और बदतमीजी हुई है। वहां कौन से पुलिस कर्मचारी या अधिकारी तैनात थे उनसे जवाब तलबी की जाए कि उन्होंने निमंत्रण पत्र होने के बावजूद सिविल सर्जन से बदतमीजी करके उनके सम्मान को ठेस क्यों पहुंचाई। सिविल सर्जन ओलख का फेसबुक पर छलका दर्द…
सिविल सर्जन जसबीर सिंह ओलख ने फेसबुक पर लिखा-आज आजादी दिवस था, लुधियाना में भी मनाया गया। मुझे भी VIP कार्ड नंबर 962 जारी हुआ था। मैं 8.40 बजे PAU काम्प्लैक्स (जहां जिला स्तरी समागम था) में पहुंच गया। गेट पर तैनात कर्मचारियों/अधिकारियों ने सूची चैक की। बतौर सिविल सर्जन लुधियाना मेरा नाम उस सूची में नहीं था। खैर मैं अपना VIP पत्र और अपना पहचान पत्र कार्ड भी उन्हें दिखाया लेकिन एक अन्य कर्मचारी ने मुझे बाजु से पकड़ कर गेट से बाहर निकाल दिया। मेरे सामने काफी महमान बिना पास और पहचान पत्र कार्ड के अंदर जा रहे थे। मैने बहसबाजी करने की बजाय गांधी गिरी का रास्ता अपनाया। मैंने सारा समारोह सरकारी गाड़ी में बैठकर सुना, राष्ट्रीय गान के समय खड़े होकर बनता सम्मान भी दिया। इसकी सूचना/शिकायत डिप्टी कमिश्नर लुधियाना को ईमेल की गई, जिन्होंने एक एसडीएम की इस मामले में डयूटी लगाई जबकि सिविल सर्जन स्तर के अधिकारी द्वारा भेजा गई शिकायत पर तुरंत एक्शन होना बनता था। यह बेइज्जती डा. जसबीर सिंह ओलख की नहीं बल्कि समस्त पंजाब सिविल मैडिकल सर्विसज (PCMS) केडर की है, जो की पहले ही RMO/ आम आदमी क्लीनिक वगैरा-वगैरा में बांट कर आखरी सांसों पर है।
अमृतसर में स्वॉट अफसर और गनमैन में बहस:गाड़ी पर काली फिल्म लगाने को लेकर कहासुनी, आफिसर्स ने बताया बदतमीज
अमृतसर में स्वॉट अफसर और गनमैन में बहस:गाड़ी पर काली फिल्म लगाने को लेकर कहासुनी, आफिसर्स ने बताया बदतमीज अमृतसर में दो पुलिस अधिकारियों की बहस की वीडियो खूब वायरल हो रही है जिसमें स्पेशल वैपन एंड टेक्टिस (SWAT) अधिकारी और एक डीएसपी का गनमैन बहस कर रहे हैं। डीएसपी का गनमैन खुद को सही बता रहा था, जबकि स्वॉट आफिसर्स उसे बदतमीज बता रहे थे। सोशल मीडिया के यूजर्स भी इस बहस को लेकर दो हिस्सों में बंट गए हैं। वहीं, कहीं ना कहीं इससे पुलिस की छवि खराब हो रही है। इस मामले में कांस्टेबल शुभकर्मन सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन वीडियो वायरल करने वाले अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बीते दिन दो पुलिस मुलाजिमों की ओर से बहस की एक वीडियो जमकर वायरल हो रही है, जिसमें चेकिंग के दौरान जब एक काली थार गाड़ी को रोका गया तो अंदर बैठे युवक ने बहस करनी शुरू कर दी। युवक की गाड़ी पर काली जालियां लगी थीं जो कि लीगल नहीं है। स्पेशल वैपन एंड टेक्टिस की टीम की ओर से कहा गया कि काली फिल्में लगाना मना है, आप गाड़ी साइड में लेकर जाएं। जिसके बाद युवक ने बहस करनी शुरु कर दी। उसने कहा कि वह डीएसपी गुरिंदर पाल सिंह नागरा का गनमैन है। उसकी गाड़ी में सरकारी असलाह पड़ा है और वह काली फिल्में हटाकर उसे गुम नहीं कर सकते। नशे को लेकर बहस उसके बाद नशे को लेकर बहस करनी शुरू कर दी। उसने कहा कि वह भी मुलाजिम हैं और आप भी मुलाजिम हो। फिर उसने कहा कि आज स्वॉट टीम ने कितना नशा पकड़ा है। पुलिस मुलाजिम ने कहा कि वह क्विंटलों के हिसाब से नशा पकड़ चुके हैं और उनके नाकों से ही नशा निकलकर जाता है। फिर स्वॉट टीम की मेंबर की ओर से बनाई जा रही वीडियो पर भी उसने एतराज जताया और उससे भी बदतमीजी की। स्वॉट टीम के मुलाजिमों ने कहा कि वह भी अपनी ड्यूटी कर रहा है और काली फिल्मे तो उतारनी ही पड़ेंगी। फिर मुलाजिम ने कहा कि वह डीएसपी से बात करवा देता है जिसके बाद चेकिंग टीम के मेंबर से डीएसपी से बात करनी शुरू की।