हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में अटेली थाना के अंतर्गत आने वाले गांव बोचड़िया में एक व्यक्ति ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस ने मृतक का नारनौल के नागरिक अस्पताल से पोस्टमॉर्टम करवा शव परिजनों को सौंप दिया। जहर खाने से बिगड़ी तबीयत मृतक के परिजनों के अनुसार करीब 26 वर्षीय अनिल कुमार लोढिंग मशीन पर मजदूरी का कार्य करता था। वह शराब का आदी था। गत शाम को उसने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ गई। आस पड़ोस के लोगों ने उसको इलाज के लिए नारनौल के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया। जहां पर डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। इसकी जानकारी परिजनों ने पुलिस को दी। पुलिस ने परिजनों को सौंपा शव जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर उसका नागरिक अस्पताल से पोस्टमॉर्टम कराया। बताया जा रहा है कि अनिल कुमार की शादी करीब 4 साल पहले ही हुई थी तथा उसके एक ढाई साल का लड़का है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में अटेली थाना के अंतर्गत आने वाले गांव बोचड़िया में एक व्यक्ति ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस ने मृतक का नारनौल के नागरिक अस्पताल से पोस्टमॉर्टम करवा शव परिजनों को सौंप दिया। जहर खाने से बिगड़ी तबीयत मृतक के परिजनों के अनुसार करीब 26 वर्षीय अनिल कुमार लोढिंग मशीन पर मजदूरी का कार्य करता था। वह शराब का आदी था। गत शाम को उसने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ गई। आस पड़ोस के लोगों ने उसको इलाज के लिए नारनौल के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया। जहां पर डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। इसकी जानकारी परिजनों ने पुलिस को दी। पुलिस ने परिजनों को सौंपा शव जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर उसका नागरिक अस्पताल से पोस्टमॉर्टम कराया। बताया जा रहा है कि अनिल कुमार की शादी करीब 4 साल पहले ही हुई थी तथा उसके एक ढाई साल का लड़का है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में पत्नी से तंग आकर खुदकुशी:पति ने सुसाइड नोट छोड़ा, लिखा- मेरी लाश गांव पहुंचा देना, पत्नी को हाथ न लगाने देना
हरियाणा में पत्नी से तंग आकर खुदकुशी:पति ने सुसाइड नोट छोड़ा, लिखा- मेरी लाश गांव पहुंचा देना, पत्नी को हाथ न लगाने देना हरियाणा के हिसार में करीब 48 वर्षीय व्यक्ति आत्महत्या कर ली। उसका शव के CRM लॉ कॉलेज की दीवार के पास पेड़ से लटका मिला। उसकी पहचान चंद्रलोक कॉलोनी में रहने वाले शमशेर के तौर पर हुई। उसके पास से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए अपनी पत्नी व उसके भाई को जिम्मेदार बताया। आजाद नगर थाना में मृतक के बेटे नवरत्न के बयान पर पत्नी शीला व उसके भाई सहित अन्य पर केस दर्ज किया है। शव को पोस्टमॉर्टम करा परिजनों को सौंप दिया। चंद्रलोक कॉलोनी निवासी नवरत्न ने बताया कि हम तीन भाई-बहन हैं। उनका परिवार 8-10 साल से हिसार में चंद्रालोक कॉलोनी, आजाद नगर मे किराए पर रहता है। उसकी मां ऋषि नगर में एकेडमी मे प्राइवेट नौकरी करती है। वह राजगुरू मार्केट कपड़े की दुकान पर काम करता है। पिता शमशेर नशा करने का आदि था। पिता हर रोज उसकी मां से नशा करने के लिए पैसे मांगता था। कभी कभी पीछे से घर मे अलमारी से रुपए निकाल लेता। इससे पति-पत्नी में झगड़ा रहता था। फोन पर कहा…अब घर नहीं आउंगा
नवरत्न ने बताया कि 15 जून को वह काम पर गया हुआ था। बीती रात को 9 बजे वापस आया तो उसकी मां ने कहा कि तुम्हारे पिता उससे झगड़ा करके बाहर चले गए हैं। पिता ने फोन करके कहा है कि वह अब घर नही आएगा। उसने कहा कि रात 10 बजे उसने पिता को फोन मिलाया, लेकिन पिता ने फोन को नहीं उठाया। उन्होंने सोचा कि देर रात तक पिता घर आ जाएंगे। क्योंकि अक्सर झगड़ा करने के बाद वे बाहर चले जाते थे और देर रात तक वापस आ जाते थे। पुलिस ने दी सुसाइड की सूचना
नवरत्न ने बताया कि सुबह पुलिस का उनके पास फोन आया। उनको बताया कि राजगढ़ रोड पर नहर के पास छज्जू राम कॉलेज की दीवार के नजदीक पेड़ से शमशेर ने खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या की हुई है। सुसाइड नोट में बताई पीड़ा..लिखा-मेरे पास कोई चारा नहीं
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर छानबीन की। इस दौरान शमशेर के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला। सुसाइड नोट में उसने बताया कि वह मूल रूप से कैथल का रहने वाला था। उसकी पत्नी उससे झगड़ा करती थी और उसके साथ मारपीट करती थी। बार-बार उसे धमकी देती थी। उसके भाई ने भी मुझे मारा और मेरे बच्चों को भी मेरे खिलाफ कर दिया। मेरा मन टूट गया, मेरा किसी भी काम मे मन नही लगता था। बच्चे मुझे कहने लग गए कि आप मर क्यों न जाते। अब मैं क्या करूं, मेरे पास कुछ भी नही बचा। मैं अन्दर टूट गया हूं। मेरे पास आखिरी रास्ता सिर्फ मौत का बचा है। जब लड़की की शादी करी, तो पत्नी बोली- अगर तेरे परिवार को बुलाएगा तो मैं मर जाऊंगी। निवेदन है कि मेरी लाश मेरे गांव में पहुंचा देना। मेरी पत्नी को हाथ तक न लगाने देना। सर जी, हो सके मुझे इंसाफ दिला देना। मेरे पास आखरी रास्ता यही बचा। जो भी मैंने लिखा बिल्कुल सच्चाई है जी, धन्यवाद।
कुरुक्षेत्र में 18 दिनों तक चलेगा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव:मुख्यमंत्री सैनी ने दी जानकारी, तंजानिया बनेगा कंट्री पार्टनर, ओडिशा होगा सहयोगी राज्य
कुरुक्षेत्र में 18 दिनों तक चलेगा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव:मुख्यमंत्री सैनी ने दी जानकारी, तंजानिया बनेगा कंट्री पार्टनर, ओडिशा होगा सहयोगी राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चंडीगढ़ में प्रेसवार्ता कर अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के कार्यक्रम की घोषणा की। इस मौके पर ओडिशा के कैबिनेट मंत्री सूर्यवंशी सूरज और तंजानिया की हाई कमिश्नर अनीशा और स्वामी ज्ञानानंद भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का इस बार 28 नवंबर से 15 दिसंबर तक आयोजन होगा। यह आयोजन 18 दिन तक चलेगा। 2016 से यह महोत्सव चल रहा है। इस महोत्सव में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस मेले को देश विदेश में लोकप्रियता मिली है। 2023 में इस महोत्सव में 45 लाख लोगों ने 18 अलग-अलग दिनों में हिस्सेदारी की थी। कुरूक्षेत्र के बारे में जानकारी देते हुए सैनी ने कहा कि धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र 48 कोस में फैला हुआ है। यहां 182 महाभारत कालीन तीर्थ हैं। 5162 वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की धरती पर गीता का उपदेश दिया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि 2019 में मॉरिशस, लंदन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, श्रीलंका और इंग्लैंड में भी अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव मनाया गया था। गीता के 5151 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी ने चिंता जाहिर की थी। गीता का संदेश पूरी दुनिया में जाना चाहिए। गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज पूरी दुनिया में गीता का संदेश फैला रहे हैं। सूरजकुंड मेले में भी पार्टनर होगा तंजानिया
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बताया कि सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 7 से 23 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जाएगा। इसमें भी तंजानिया भागीदारी के रूप में शामिल होगा। तंजानिया में गीता और श्रीमद्भागवत का आयोजन होता रहता है। वहां भी हिंदू मंदिर है। इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ओडिशा सहयोगी राज्य के रूप में शामिल होगा। मुख्यमंत्री ने बताया इस महोत्सव पर ब्रह्म सरोसर के भव्य गीता महाआरती होगी। 28 नवंबर को कुरुक्षेत्र के सभी तीर्थ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 5 दिसंबर को ब्रह्म सरोवर पर पूजन से इस महोत्सव को विधिवत शुरुआत होगी। कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में तीन दिन की संगोष्ठी होगी। ब्रह्म सरोवर पर धर्म सम्मेलन होगा। ज्योतिसर तीर्थ पर 18 हजार विद्यार्थी वैश्विक पाठ करेंगे।
घरौंडा में कांग्रेस की वापसी पर संकट:भीतरघात का खतरा, मंच से गायब टिकट के प्रबल दावेदार, 3 दशक से नहीं बना पार्टी का विधायक
घरौंडा में कांग्रेस की वापसी पर संकट:भीतरघात का खतरा, मंच से गायब टिकट के प्रबल दावेदार, 3 दशक से नहीं बना पार्टी का विधायक हरियाणा में करनाल जिले की घरौंडा विधानसभा सीट पर 3 दशक से कांग्रेस पार्टी अपना विधायक नहीं बना पाई है। विधानसभा-2024 के चुनावी कैंपेन में भी घरौंडा के बड़े चेहरे कांग्रेस प्रत्याशी के मंच पर नजर नहीं आ रहे। टिकट के मजबूत दावेदारों में टिकट कटने की टीस अभी तक नजर आ रही है। सतीश रणा को छोड़कर कोई भी बड़ा कांग्रेस का नेता मंच पर नजर नहीं आ रहा है। टिकट के प्रबल दावेदार पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान और युवा नेता भूपिंद्र सिंह लाठर तो पहले ही घोषणा कर चुके है कि वे राठौर के साथ मंच सांझा नहीं करेंगे। सतपाल कश्यप भी इशारा कर चुके है कि वे कांग्रेस के साथ है। वीरेंद्र राठौर ने अनिल राणा, रघबीर संधू, सतीश राणा से मुलाकात की। नेताओं से गले मिलते हुए तस्वीरें भी सामने आई, लेकिन नेताओं के शायद दिल नहीं मिले। नतीजन, नरेंद्र सांगवान, भूप्पी लाठर, सतपाल कश्यप, वीरेंद्र लामरा, रघबीर संधू जैसे टिकट के प्रबल दावेदार मंच से गायब है। कांग्रेस का भीतर घात राठौर के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कांग्रेस में बीजेपी की सेंधमारी घरौंडा सीट से 40 नेताओं ने टिकट के लिए अप्लाई किया था, लेकिन कांग्रेस ने 3 बार हारे हुए प्रत्याशी को टिकट दे दिया। सूत्रों की माने तो टिकट कटने से खफ़ा कांग्रेस नेताओं को बीजेपी अपने पक्ष में करने की जुगत में लगी है। गुप्त बैठकों का भी दौर जारी है। ऐसे में अगर बीजेपी नाराज कांग्रेसियों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाती है तो वीरेंद्र सिंह राठौर को मोटा नुकसान होगा। 1991 के बाद नहीं आई कांग्रेस 1991 के बाद कांग्रेस घरौंडा विधानसभा में कभी वापसी नहीं कर पाई। 32 साल के सूखे को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने कोशिशें की, लेकिन नाकाम रही। 1967 से आज तक कांग्रेस सिर्फ 3 बार ही घरौंडा में अपना विधायक बना पाई है। 1967 में मूलचंद जैन, 1982 में वेदपाल और 1991 में कंवर रामपाल कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने। 1972 में लाला रूलिया राम इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) से विधायक बने थे, क्योंकि 12 नवंबर 1969 में कांग्रेस अलग हो गई थी। जिसके मुख्य लीडर के. कामराजा और मोराजी देसाई थे। जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर) की मेन लीडर इंदिरा गांधी थी। 2005 से रहा है त्रिकोणीय मुकाबला घरौंडा विधानसभा चुनाव में 2005 से त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। 2019 में आमने-सामने की टक्कर देखी गई थी, और 2024 में भी आमने सामने की टक्कर ही नजर आ रही है। आप पार्टी, इनेलो और जेजेपी तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही है। 2005 में इनेलो से रेखा राणा, आजाद उम्मीदवार जयपाल शर्मा और कांग्रेस से वीरेंद्र राठौर के बीच मुकाबला था, राठौर तीसरे नंबर पर रहे थे। 2009 में नरेंद्र सांगवान इनेलो, वीरेंद्र राठौर कांग्रेस और हरविंद्र कल्याण बीएसपी के बीच टक्कर थी। राठौर दूसरे नंबर पर रहे थे। 2014 में हरविंद्र कल्याण बीजेपी, नरेंद्र सांगवान इनेलो और वीरेंद्र राठौर कांग्रेस के बीच फाइट हुई, और राठौर फिर तीसरे नंबर पर आए। 2019 में बीजेपी को कांग्रेस के अनिल राणा ने टक्कर दी थी और हार गए थे। नरेंद्र सांगवान के प्रतिद्वंदी थे राठौर 2009 में नरेंद सांगवान इनेलो में थे और इन्होंने राठौर को 1660 वोट से हराया था। 2014 में भी सांगवान दूसरे स्थान पर रहे थे और राठौर तीसरे पर, तब भी सांगवान ने राठौर को 468 वोट से पछाड़ा था। विशेषज्ञों की माने तो राठौर, नरेंद्र सांगवान के प्रतिद्वंदी रहे है और उन्होंने राठौर को बार-बार हराया है।
कांग्रेस के बीच अंदरूनी तौर पर छिड़ी इस गहमागहमी के बीच कांग्रेस का घरौंडा में विधायक बनाने का सपना सिर्फ सपना ही रह सकता है। हालांकि नेता डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश जरूर कर रहे है, लेकिन डैमेज कंट्रोल होता नजर नहीं आ रहा। वह देखना है कि आने वाले दिनों में बड़े नेताओं की एंट्री से कितना फर्क पड़ेगा। फिलहाल इतना जरूर है कि बीजेपी के प्रति एंटी इनकेंबेंसी जरूर है, लेकिन कांग्रेस इसका कितना फायदा ले सकती है, वह समय के घेरे में है।