पंजाब में निकाय चुनाव करवाने के मामले को लेकर अब राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। सरकार वार्डबंदी करवाने के बाद ही चुनाव करवाना चाहती है। इसके लिए जल्दी ही सरकार द्वारा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। सरकार की तरफ से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश की कॉपी की स्टडी की जा रही है। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने मीडिया से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उनका कहना है कि कई नगर निगमों व नगर काउंसिलों में वार्डबंदी हो चुकी है, जबकि कुछ जगह चल रही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जनवरी व फरवरी अंत तक पूरी हो जाएगी। बाकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तय होगा। इससे पहले वीरवार को निकाय चुनाव को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग को अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन पर उच्च अदालत के आदेशों की पालन न करने का आरोप है। अदालत ने पहले 15 दिन में निकाय चुनाव करवाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश पंजाब सरकार व स्टेट निर्वाचन आयोग को दिए थे। लेकिन इस दिशा में काेई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके बाद अदालत में इस संबंधी याचिका दायर हुई है। अदालत ने अब अपने आदेश में कहा है कि 10 दिनों में नोटिफिकेशन जारी नहीं हुई तो 50 हजार का जुर्माना लगेगा, साथ ही अवमानना का केस चलेगा। 5 निगमों और 42 परिषदों का कार्यकाल हुआ पूरा राज्य में फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना नगर निगमों और 42 नगर परिषदों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इस समय को पूरा हुए काफी समय बीत गया है। लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नहीं करवाए हैं। चुनाव की मांग को लेकर यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा था। गत 14 अक्टूबर को सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिए थे कि चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन बिना वार्डबंदी से 15 दिनों में जारी की जाए। लेकिन तय समय अवधि यह प्रक्रिया नहीं हुई। इस दौरान बीच में सरकारी छुटि्टयां भी आ गई थी। इसके बाद इसी मामले लेकर अवमानना की याचिका दाखिल हुई थी। जिस पर सुनवाई देते हुए उच्च अदालत ने आदेश जारी किए हैं। वार्डबंदी के लिए 16 सप्ताह की जरूरत गत सुनवाई पर सरकारी वकील की तरफ से अदालत में दलील थी वार्डबंदी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल 16 सप्ताह की जरूरत है। उन्होंने अदालत को बताया कि वार्डबंदी संबंधी फैसला पिछली बार 17 अक्टूबर 2023 को रद्द किया गया था। ऐसे में नए सिरे से वार्डबंदी की काफी जरूरत है। हालांकि अदालत ने बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को कहा था। वहीं, याचिका में निकाय चुनाव न होने से लोगों को आ रही दिक्कतों को भी उठाया गया था। पंजाब में निकाय चुनाव करवाने के मामले को लेकर अब राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। सरकार वार्डबंदी करवाने के बाद ही चुनाव करवाना चाहती है। इसके लिए जल्दी ही सरकार द्वारा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। सरकार की तरफ से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश की कॉपी की स्टडी की जा रही है। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने मीडिया से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उनका कहना है कि कई नगर निगमों व नगर काउंसिलों में वार्डबंदी हो चुकी है, जबकि कुछ जगह चल रही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जनवरी व फरवरी अंत तक पूरी हो जाएगी। बाकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तय होगा। इससे पहले वीरवार को निकाय चुनाव को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग को अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन पर उच्च अदालत के आदेशों की पालन न करने का आरोप है। अदालत ने पहले 15 दिन में निकाय चुनाव करवाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश पंजाब सरकार व स्टेट निर्वाचन आयोग को दिए थे। लेकिन इस दिशा में काेई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके बाद अदालत में इस संबंधी याचिका दायर हुई है। अदालत ने अब अपने आदेश में कहा है कि 10 दिनों में नोटिफिकेशन जारी नहीं हुई तो 50 हजार का जुर्माना लगेगा, साथ ही अवमानना का केस चलेगा। 5 निगमों और 42 परिषदों का कार्यकाल हुआ पूरा राज्य में फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना नगर निगमों और 42 नगर परिषदों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इस समय को पूरा हुए काफी समय बीत गया है। लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नहीं करवाए हैं। चुनाव की मांग को लेकर यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा था। गत 14 अक्टूबर को सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिए थे कि चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन बिना वार्डबंदी से 15 दिनों में जारी की जाए। लेकिन तय समय अवधि यह प्रक्रिया नहीं हुई। इस दौरान बीच में सरकारी छुटि्टयां भी आ गई थी। इसके बाद इसी मामले लेकर अवमानना की याचिका दाखिल हुई थी। जिस पर सुनवाई देते हुए उच्च अदालत ने आदेश जारी किए हैं। वार्डबंदी के लिए 16 सप्ताह की जरूरत गत सुनवाई पर सरकारी वकील की तरफ से अदालत में दलील थी वार्डबंदी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल 16 सप्ताह की जरूरत है। उन्होंने अदालत को बताया कि वार्डबंदी संबंधी फैसला पिछली बार 17 अक्टूबर 2023 को रद्द किया गया था। ऐसे में नए सिरे से वार्डबंदी की काफी जरूरत है। हालांकि अदालत ने बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को कहा था। वहीं, याचिका में निकाय चुनाव न होने से लोगों को आ रही दिक्कतों को भी उठाया गया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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