यूपी में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में 27 श्रमिक संघों ने समर्थन का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद बिजली कर्मियों ने विरोध-प्रदर्शन और तेज कर दिया है। सरकार से आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके संगठनों ने लामबंदी शुरू कर दी है। बिजली कर्मियों के साथ ही 27 संगठनों के कर्मचारी भी निजीकरण के फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं। मांगें न मानी तो उग्र आंदोलन होगा संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यदि सरकार ने शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन कर रहे बिजलीकर्मियों की बात नहीं मानती है उग्र आंदोलन किया जाएगा। कर्मचारियों का उत्पीड़न किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शैलेंद्र दुबे ने राज्य के सभी कर्मचारी और शिक्षकों को आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया। सरकार कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखे माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को अपने कर्मचारियों के हितों को ध्यान रखना चाहिए। निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेकर सरकार संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा की नीति लाए। संविदा कर्मचारी पूरी मेहनत और निष्ठा से मामूली मानदेय पर जोखिम भरा काम करके उपभोक्ताओं के हित में काम करते हैं। निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाए उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन के महासचिव इं. आशीष यादव ने बिजलीकर्मियों का समर्थन करते हुए कहा कि निजीकरण के इस प्रस्ताव को वापस लिया जाए। यह न केवल कर्मचारियों के हित में है, बल्कि प्रदेश की जनता के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। सरकारी विभागों और उपभोक्ताओं पर भारी पड़ेगा निजीकरण राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा कि बिजली विभाग में निजीकरण का व्यापक प्रभाव सरकारी विभागों पर भी पड़ेगा। बिजली महंगी होगी, यातायात सेवाएं एवं उपभोक्ता को मिलने वाली सभी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। निजीकरण एवं संविदा कर्मियों के साथ हो रहे शोषण पर सभी संगठनों को एक एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। फैसला वापस ले सरकार जवाहर भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडेय ने कहा कि यदि प्रदेश में विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया गया तो बिजली दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी। उन्होंने मुंबई का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां दो बड़ी निजी कंपनियों के होने के बावजूद घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में अभी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दर 6.50 रुपए प्रति यूनिट है। यूपी में महंगी हो जाएगी बिजली यूपी मिनिस्ट्रियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी ने कहा कि निजीकरण के बाद यूपी में बिजली महंगी हो जाएगी। लोगों की जेब पर अधिक भार पड़ेगा। सरकार को अपनी फैसले पर विचार करना चाहिए और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। सरकार की नीतियां कर्मचारी विरोधी विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तिवारी ने बिजलीकर्मियों के आंदोलन को समर्थन करते हुए कहा सरकार व्यवस्था सुधारने की बजाय निजीकरण पर जोर दे रही है। सरकार की नीतियां जन विरोधी होती जा रही हैं। निजीकरण का फैसला जनता के विश्वास का गला घोटना है। पहले भी विफल हुआ निजीकरण का प्रस्ताव राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का प्रयोग पहले ही विफल हो चुका है। इन दोनों क्षेत्रों में निजी कंपनियों का संचालन गरीब उपभोक्ताओं और किसानों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। निजी कंपनियां अधिकतर मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यापारिक उपभोक्ताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, इससे गरीब और किसान वर्ग को उचित बिजली आपूर्ति में कठिनाई हो रही है। मानवीयता के आधार पर काम करे सरकार राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने बताया कि सरकार को अपनी हठवादी रवैया को छोड़कर बिजली कर्मचारियों की समस्या का निदान मानवीयता के आधार पर करना चाहिए। बिजली विभाग में दो निगमों का निजीकरण का विरोध करते हुए उन्होंने आरपार के संघर्ष का ऐलान किया। कर्मचारियों की अनदेखी ठीक नहीं उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जायसवाल ने बिजली विभाग में निजीकरण का विरोध किया है। उन्होंने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को अपने कर्मचारियों के हितों का ध्यान में रखना चाहिए। कर्मचारी अपने खून पसीने से राज्य के विकास के लिए योगदान देता है। ऐसे में इनके हितों की अनदेखी से आक्रोश और बढ़ेगा। 14 घंटे काम करने वाले कर्मचारियों की बात सुने सरकार विद्युत मोर्चा कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष आरएस राय ने कहा कि 8- 9 हज़ार रुपए के मामूली वेतन और बिना सुरक्षा उपकरणों के प्रदेश में लगभग 65 हज़ार संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं। विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिन रात 12 से 14 घंटे काम कर रहे हैं। इनमें से लगभग 30 हज़ार संविदा कर्मचारियों की आजीविका पर निजीकरण के कारण ख़तरा उत्पन्न हो गया है। मनमानी पर उतारु है सरकार विद्युत मोर्चा संविदा कर्मचारी संघ के प्रभारी पुनीत राय ने कहा कि ऊर्जा मंत्री एवं चेयरमैन के आश्वासन के बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा गत मार्च 2023 की हड़ताल में निकाले गए और हाल मे छंटनी किए गए निर्दोष संविदा कर्मियों को अभी तक काम पर वापस नहीं लिया गया है। उन्होंने कर्मचारियों के सेवा सुरक्षा के लिए सरकार से कदम उठाने की मांग की। इन कर्मचारी नेताओं ने भी दिया समर्थन यूपी में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में 27 श्रमिक संघों ने समर्थन का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद बिजली कर्मियों ने विरोध-प्रदर्शन और तेज कर दिया है। सरकार से आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके संगठनों ने लामबंदी शुरू कर दी है। बिजली कर्मियों के साथ ही 27 संगठनों के कर्मचारी भी निजीकरण के फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं। मांगें न मानी तो उग्र आंदोलन होगा संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यदि सरकार ने शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन कर रहे बिजलीकर्मियों की बात नहीं मानती है उग्र आंदोलन किया जाएगा। कर्मचारियों का उत्पीड़न किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शैलेंद्र दुबे ने राज्य के सभी कर्मचारी और शिक्षकों को आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया। सरकार कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखे माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को अपने कर्मचारियों के हितों को ध्यान रखना चाहिए। निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेकर सरकार संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा की नीति लाए। संविदा कर्मचारी पूरी मेहनत और निष्ठा से मामूली मानदेय पर जोखिम भरा काम करके उपभोक्ताओं के हित में काम करते हैं। निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाए उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन के महासचिव इं. आशीष यादव ने बिजलीकर्मियों का समर्थन करते हुए कहा कि निजीकरण के इस प्रस्ताव को वापस लिया जाए। यह न केवल कर्मचारियों के हित में है, बल्कि प्रदेश की जनता के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। सरकारी विभागों और उपभोक्ताओं पर भारी पड़ेगा निजीकरण राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा कि बिजली विभाग में निजीकरण का व्यापक प्रभाव सरकारी विभागों पर भी पड़ेगा। बिजली महंगी होगी, यातायात सेवाएं एवं उपभोक्ता को मिलने वाली सभी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। निजीकरण एवं संविदा कर्मियों के साथ हो रहे शोषण पर सभी संगठनों को एक एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। फैसला वापस ले सरकार जवाहर भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडेय ने कहा कि यदि प्रदेश में विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया गया तो बिजली दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी। उन्होंने मुंबई का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां दो बड़ी निजी कंपनियों के होने के बावजूद घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में अभी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दर 6.50 रुपए प्रति यूनिट है। यूपी में महंगी हो जाएगी बिजली यूपी मिनिस्ट्रियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी ने कहा कि निजीकरण के बाद यूपी में बिजली महंगी हो जाएगी। लोगों की जेब पर अधिक भार पड़ेगा। सरकार को अपनी फैसले पर विचार करना चाहिए और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। सरकार की नीतियां कर्मचारी विरोधी विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तिवारी ने बिजलीकर्मियों के आंदोलन को समर्थन करते हुए कहा सरकार व्यवस्था सुधारने की बजाय निजीकरण पर जोर दे रही है। सरकार की नीतियां जन विरोधी होती जा रही हैं। निजीकरण का फैसला जनता के विश्वास का गला घोटना है। पहले भी विफल हुआ निजीकरण का प्रस्ताव राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का प्रयोग पहले ही विफल हो चुका है। इन दोनों क्षेत्रों में निजी कंपनियों का संचालन गरीब उपभोक्ताओं और किसानों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। निजी कंपनियां अधिकतर मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यापारिक उपभोक्ताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, इससे गरीब और किसान वर्ग को उचित बिजली आपूर्ति में कठिनाई हो रही है। मानवीयता के आधार पर काम करे सरकार राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने बताया कि सरकार को अपनी हठवादी रवैया को छोड़कर बिजली कर्मचारियों की समस्या का निदान मानवीयता के आधार पर करना चाहिए। बिजली विभाग में दो निगमों का निजीकरण का विरोध करते हुए उन्होंने आरपार के संघर्ष का ऐलान किया। कर्मचारियों की अनदेखी ठीक नहीं उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जायसवाल ने बिजली विभाग में निजीकरण का विरोध किया है। उन्होंने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को अपने कर्मचारियों के हितों का ध्यान में रखना चाहिए। कर्मचारी अपने खून पसीने से राज्य के विकास के लिए योगदान देता है। ऐसे में इनके हितों की अनदेखी से आक्रोश और बढ़ेगा। 14 घंटे काम करने वाले कर्मचारियों की बात सुने सरकार विद्युत मोर्चा कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष आरएस राय ने कहा कि 8- 9 हज़ार रुपए के मामूली वेतन और बिना सुरक्षा उपकरणों के प्रदेश में लगभग 65 हज़ार संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं। विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिन रात 12 से 14 घंटे काम कर रहे हैं। इनमें से लगभग 30 हज़ार संविदा कर्मचारियों की आजीविका पर निजीकरण के कारण ख़तरा उत्पन्न हो गया है। मनमानी पर उतारु है सरकार विद्युत मोर्चा संविदा कर्मचारी संघ के प्रभारी पुनीत राय ने कहा कि ऊर्जा मंत्री एवं चेयरमैन के आश्वासन के बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा गत मार्च 2023 की हड़ताल में निकाले गए और हाल मे छंटनी किए गए निर्दोष संविदा कर्मियों को अभी तक काम पर वापस नहीं लिया गया है। उन्होंने कर्मचारियों के सेवा सुरक्षा के लिए सरकार से कदम उठाने की मांग की। इन कर्मचारी नेताओं ने भी दिया समर्थन उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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