सुखदीप चाहार | चरखी दादरी दादरी हलके की सीट पर फिलहाल कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच ही सीधी टक्कर है। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की दादरी हलके की सीट पर हालत पतली दिखाई दे रही थी। मगर भाजपा ने सभी पुरानी भाजपाइयों को दरकिनार कर पूर्व सहकारिता मंत्री के पूर्व जेलर बेटे सुनील सांगवान को टिकट देकर कांग्रेस की टक्कर में लाकर खड़ा कर दिया है। क्योंकि बीजेपी का वोट बैंक में अब पूर्व मंत्री का वोट बैंक भी जुड़ गया है। लेकिन नया प्रत्याशी उतारने से पुराने भाजपाइयों में नाराजगी भी दिखाई दे रही है। वहीं दूसरे तरफ कांग्रेस ने भी दादरी सीट पर अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल कर महिला प्रत्याशी डॉ मनीषा सांगवान को टिकट थमा दी है। मनीषा सांगवान पिछले दस साल से लगातार ग्राउंड लेवल पर कांग्रेस पार्टी और समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाकर मजबूती के साथ उभर चुकी हैं। वहीं दादरी जाट बाहुल्य क्षेत्र होने से भी मनीषा सांगवान को फायदा पहुंच रहा है। क्योंकि किसान आंदोलन के चलते जाट लगातार भाजपा का विरोध कर रहे हैं। दादरी विधानसभा में करीब 2 लाख 8 हजार मतदाता हैं। इनमें सबसे अधिक 70 हजार जाट मतदाता हैं। उसके बाद ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 20 हजार, राजपूत 18 हजार, अहीर 15 हजार हैं। इनके अलावा पिछड़ा वर्ग मतदाताओं की संख्या लगभग 48 हजार, एससी वर्ग के 32 हजार मतदाता हैं। चुनाव में मुख्य प्रत्याशियों में सभी जाट समुदाय से ही हैं। भाजपा प्रत्याशी सुनील सांगवान के चुनाव की कमान उनके पिता पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान और सांसद धर्मबीर सिंह सहित उनके बेटे मोहित ने संभाली हुई है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी डॉ मनीषा सांगवान का चुनाव खुद मनीषा सांगवान व उनकी टीम ने संभाला हुआ है। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी खुद ही अपना प्रचार संभाले हुए हैं। सभी प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए नये नये सपने दिखा रहे हैं। प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी तरफ रिझाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। फिलहाल कांग्रेस व भाजपा की तरफ से कोई भी स्टार प्रचारक हलके में नहीं आया है। दादरी सीट पर वैसे तो भाजपा व कांग्रेस में ही सीधा मुकाबला है। मगर इस बार दादरी सीट पर भाजपा की टिकट के लिए ब्राह्मणों ने बड़ा दावा ठोका हुआ था। लेकिन भाजपा ने सुनील सांगवान को टिकट थमा दी। ऐसे में भाजपा नेता संजय शर्मा छपार निर्दलीय चुनाव मैदान में आ गए हैं। ऐसे में कुछ नाराज ब्राह्मणों ने संजय छपार को मजबूत बनाने के लिए कार्य शुरू कर दिया है। जिसका नुकसान भाजपा को हो रहा है। दूसरी तरफ 20 साल से लगातार कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य कर रहे अजीत फौगाट ने टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनावी मैदान में आ गए हैं। अजीत की युवाओं में काफी पकड़ है और फौगाट गौत्र के गांव भी काफी है। ऐसे में अजीत फौगाट सीधा सीधा कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 1967 गणपतराय इंडियन नेशनल कांग्रेस, 1968 गणपतराय इंडियन नेशनल कांग्रेस, 1972 गणपतराय नेशनल कांग्रेस आर्गेनाइजेशन, 1977 हुकम सिंह जनता पार्टी, 1982 हुकम सिंह लोकदल, 1987 हुकम सिंह लोकदल, 1991 धर्मपाल सांगवान हविपा, 1996 सतपाल सांगवान हविपा, 2000 जगजीत सांगवान एनसीपी, 2005 नृपेंद्र सांगवान इंडियन नेशनल कांग्रेस, 2009 सतपाल सांगवान हजकां, 2014 राजदीप फौगाट इनेलो, 2019 सोमबीर सांगवान निर्दलीय सुखदीप चाहार | चरखी दादरी दादरी हलके की सीट पर फिलहाल कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच ही सीधी टक्कर है। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की दादरी हलके की सीट पर हालत पतली दिखाई दे रही थी। मगर भाजपा ने सभी पुरानी भाजपाइयों को दरकिनार कर पूर्व सहकारिता मंत्री के पूर्व जेलर बेटे सुनील सांगवान को टिकट देकर कांग्रेस की टक्कर में लाकर खड़ा कर दिया है। क्योंकि बीजेपी का वोट बैंक में अब पूर्व मंत्री का वोट बैंक भी जुड़ गया है। लेकिन नया प्रत्याशी उतारने से पुराने भाजपाइयों में नाराजगी भी दिखाई दे रही है। वहीं दूसरे तरफ कांग्रेस ने भी दादरी सीट पर अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल कर महिला प्रत्याशी डॉ मनीषा सांगवान को टिकट थमा दी है। मनीषा सांगवान पिछले दस साल से लगातार ग्राउंड लेवल पर कांग्रेस पार्टी और समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाकर मजबूती के साथ उभर चुकी हैं। वहीं दादरी जाट बाहुल्य क्षेत्र होने से भी मनीषा सांगवान को फायदा पहुंच रहा है। क्योंकि किसान आंदोलन के चलते जाट लगातार भाजपा का विरोध कर रहे हैं। दादरी विधानसभा में करीब 2 लाख 8 हजार मतदाता हैं। इनमें सबसे अधिक 70 हजार जाट मतदाता हैं। उसके बाद ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 20 हजार, राजपूत 18 हजार, अहीर 15 हजार हैं। इनके अलावा पिछड़ा वर्ग मतदाताओं की संख्या लगभग 48 हजार, एससी वर्ग के 32 हजार मतदाता हैं। चुनाव में मुख्य प्रत्याशियों में सभी जाट समुदाय से ही हैं। भाजपा प्रत्याशी सुनील सांगवान के चुनाव की कमान उनके पिता पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान और सांसद धर्मबीर सिंह सहित उनके बेटे मोहित ने संभाली हुई है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी डॉ मनीषा सांगवान का चुनाव खुद मनीषा सांगवान व उनकी टीम ने संभाला हुआ है। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी खुद ही अपना प्रचार संभाले हुए हैं। सभी प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए नये नये सपने दिखा रहे हैं। प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी तरफ रिझाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। फिलहाल कांग्रेस व भाजपा की तरफ से कोई भी स्टार प्रचारक हलके में नहीं आया है। दादरी सीट पर वैसे तो भाजपा व कांग्रेस में ही सीधा मुकाबला है। मगर इस बार दादरी सीट पर भाजपा की टिकट के लिए ब्राह्मणों ने बड़ा दावा ठोका हुआ था। लेकिन भाजपा ने सुनील सांगवान को टिकट थमा दी। ऐसे में भाजपा नेता संजय शर्मा छपार निर्दलीय चुनाव मैदान में आ गए हैं। ऐसे में कुछ नाराज ब्राह्मणों ने संजय छपार को मजबूत बनाने के लिए कार्य शुरू कर दिया है। जिसका नुकसान भाजपा को हो रहा है। दूसरी तरफ 20 साल से लगातार कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य कर रहे अजीत फौगाट ने टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनावी मैदान में आ गए हैं। अजीत की युवाओं में काफी पकड़ है और फौगाट गौत्र के गांव भी काफी है। ऐसे में अजीत फौगाट सीधा सीधा कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 1967 गणपतराय इंडियन नेशनल कांग्रेस, 1968 गणपतराय इंडियन नेशनल कांग्रेस, 1972 गणपतराय नेशनल कांग्रेस आर्गेनाइजेशन, 1977 हुकम सिंह जनता पार्टी, 1982 हुकम सिंह लोकदल, 1987 हुकम सिंह लोकदल, 1991 धर्मपाल सांगवान हविपा, 1996 सतपाल सांगवान हविपा, 2000 जगजीत सांगवान एनसीपी, 2005 नृपेंद्र सांगवान इंडियन नेशनल कांग्रेस, 2009 सतपाल सांगवान हजकां, 2014 राजदीप फौगाट इनेलो, 2019 सोमबीर सांगवान निर्दलीय हरियाणा | दैनिक भास्कर
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