हरियाणा के नूंह में बदमाशों ने कबाड़े के गोदाम से करीब 15 लाख रुपए का सामान चोरी कर लिया। फिर पड़ोसी कबाड़ी को बेच दिया। इसका खुलासा सीसीटीवी फुटेज से हुआ है। पुलिस ने 5 लोगों पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। मामला तावडू थाना क्षेत्र के गांव खोरी कला का है। पुलिस को दी शिकायत में गांव धोली पहाड़ी जिला अलवर राजस्थान के रहने वाले अजरूद्दीन ने बताया कि उनका गांव खोरी कला में एक कबाड़ का गोदाम है। उन्होंने कहा कि बीते 7 जनवरी से वसीम और सलीम निवासी खोरी कला उनके गोदाम में सामान चोरी करने पहुंच और पीछे की दीवार के ऊपर कांटे वाले तार काटकर अंदर घुसे। आरोपियों ने कॉपर तार, गन मेटल और सिल्वर पॉलिस कॉपर सहित करीब 15 लाख रुपए का माल चोरी कर लिया। सीसीटीवी कैमरे से हुआ खुलासा शिकायतकर्ता अजरूद्दीन ने बताया कि जब उन्होंने गोदाम में लगे हुए सीसीटीवी कैमरों को चेक किया तो आरोपियों की पहचान हुई। आरोपियों ने किस तरह गोदाम में प्रवेश किया और वहां से सामान को कैसे निकाला वह पूरी वारदात कैमरों में कैद हो गई। आरोपियों ने रात के समय चोरी को अंजाम दिया था। आरोपियों ने पड़ोसी कबाड़ी को बेचा सामान शिकायतकर्ता के मुताबिक आरोपी रात के समय उनके गोदाम से सामान चोरी करते और रात को ही पड़ोसी कबाड़ी इलियास और उसके लड़के साहबदीन को माल बेच देते। सीसीटीवी कैमरे में आरोपी सामान को पड़ोसी कबाड़ी इलियास के पास बेचते हुए नजर आ रहे है। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक आरोपियों ने 7 जनवरी से लेकर 12 जनवरी तक पड़ोसी कबाड़ी के यहां माल का वजन कराया है। जिसके बाद चोरी के माल को एक पिकअप गाड़ी में लोड कर आगे भेज दिया गया। आरोप है कि चोरी कराने में पड़ोसी कबाड़ी इलियास ने भी आरोपियों का पूरा साथ दिया है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर जांच में जुटी पुलिस डीएसपी हरेंद्र कुमार ने कहा कि गांव खोरी कला स्थित एक कबाड़ गोदाम से 7 से 12 जनवरी तक करीब 15 लाख रुपए का सामान चोरी होने की शिकायत पर पुलिस ने 4 नामजद सहित 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में एक आरोपी वसीम को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर आरोपियों से माल की बरामदगी की जाएगी। हरियाणा के नूंह में बदमाशों ने कबाड़े के गोदाम से करीब 15 लाख रुपए का सामान चोरी कर लिया। फिर पड़ोसी कबाड़ी को बेच दिया। इसका खुलासा सीसीटीवी फुटेज से हुआ है। पुलिस ने 5 लोगों पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। मामला तावडू थाना क्षेत्र के गांव खोरी कला का है। पुलिस को दी शिकायत में गांव धोली पहाड़ी जिला अलवर राजस्थान के रहने वाले अजरूद्दीन ने बताया कि उनका गांव खोरी कला में एक कबाड़ का गोदाम है। उन्होंने कहा कि बीते 7 जनवरी से वसीम और सलीम निवासी खोरी कला उनके गोदाम में सामान चोरी करने पहुंच और पीछे की दीवार के ऊपर कांटे वाले तार काटकर अंदर घुसे। आरोपियों ने कॉपर तार, गन मेटल और सिल्वर पॉलिस कॉपर सहित करीब 15 लाख रुपए का माल चोरी कर लिया। सीसीटीवी कैमरे से हुआ खुलासा शिकायतकर्ता अजरूद्दीन ने बताया कि जब उन्होंने गोदाम में लगे हुए सीसीटीवी कैमरों को चेक किया तो आरोपियों की पहचान हुई। आरोपियों ने किस तरह गोदाम में प्रवेश किया और वहां से सामान को कैसे निकाला वह पूरी वारदात कैमरों में कैद हो गई। आरोपियों ने रात के समय चोरी को अंजाम दिया था। आरोपियों ने पड़ोसी कबाड़ी को बेचा सामान शिकायतकर्ता के मुताबिक आरोपी रात के समय उनके गोदाम से सामान चोरी करते और रात को ही पड़ोसी कबाड़ी इलियास और उसके लड़के साहबदीन को माल बेच देते। सीसीटीवी कैमरे में आरोपी सामान को पड़ोसी कबाड़ी इलियास के पास बेचते हुए नजर आ रहे है। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक आरोपियों ने 7 जनवरी से लेकर 12 जनवरी तक पड़ोसी कबाड़ी के यहां माल का वजन कराया है। जिसके बाद चोरी के माल को एक पिकअप गाड़ी में लोड कर आगे भेज दिया गया। आरोप है कि चोरी कराने में पड़ोसी कबाड़ी इलियास ने भी आरोपियों का पूरा साथ दिया है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर जांच में जुटी पुलिस डीएसपी हरेंद्र कुमार ने कहा कि गांव खोरी कला स्थित एक कबाड़ गोदाम से 7 से 12 जनवरी तक करीब 15 लाख रुपए का सामान चोरी होने की शिकायत पर पुलिस ने 4 नामजद सहित 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में एक आरोपी वसीम को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर आरोपियों से माल की बरामदगी की जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे एक समय था, जब लोग नेताओं के चुनावी प्रचार में उनके भाषण सुनने नहीं, उनकी गाड़ी को देखने जाते थे। कच्ची सड़कों पर धूल उड़ती थी, फिर भी बच्चे गाड़ियों के पीछे पर्चे उठाने के लिए भागते थे और लोग सड़कों के किनारे कतार लगाकर खड़े होते थे। हरियाणा में जब पहली बार चुनाव हुआ तो माहौल में इतना चकाचौंध नहीं था, सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना भी नहीं था, उस वक्त चुनावी प्रचार करने में नेताओं के पसीने छूट जाया करते थे। एक गांव से दूसरे गांव पैदल चलकर जाना, घर-घर वोट मांगना, अपनी पहचान और पार्टी का नाम बताना और लोगों को वोट के महत्त्व के बारे में समझाना आज के समय से कहीं ज्यादा मुश्किल हुआ करता था। 1967 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव हरियाणा में कुछ ही दिनों बाद 15वां विधानसभा का चुनाव होने वाला है, सभी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं, किसकी हार होगी और किसकी जीत? यह तो तय नहीं है, मगर ये जरूर तय है कि सत्ता की कुर्सी किसी एक को ही मिलेगी। चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, मगर एक वक्त था जब नेताओं के पास अपनी गाड़ी भी नहीं होती थी। उस वक्त चुनावी प्रचार के लिए नेता पैदल या साइकिल से जाते थे। उस दौर में लाउड स्पीकर/साउंड का जमाना नहीं था, इतने शोर-शराबे भी नहीं होते थे। ये बात उस समय की है जब देश अंग्रेजों के चंगुल से नया-नया आजाद हुआ था और पहली बार चुनाव हुआ। वो साल था 1951-52 का, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। तब हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य हुआ करते थे। जब हरियाणा कटकर अलग हुआ तो 1967 में विधानसभा का पहला चुनाव हुआ। नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी होती थी पलवल जिले के न्यू कॉलोनी में रहने वाले 92 वर्षीय तीर्थ दास रहेजा बताते हैं कि “पहले के समय में लोकसभा चुनाव को बड़ी वोट और विधानसभा की चुनाव को छोटी वोट बोला जाता था। आज के समय में उम्मीदवार पैसे को पानी की तरह बहाते हैं, लेकिन एक वक्त था जब उम्मीदवार पैदल-पैदल चलकर ही शहरों व गांवों में वोट मांगने जाया करते थे। उस समय सादगी पूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार होता था। वो ऐसा वक्त था जब उम्मीदवार के पास न तो गाड़ी थी, न प्रचार के लिए माइक थे। गांवों में जाने के लिए पक्की सड़कें भी नहीं थी। प्रचार के लिए साधन के रूप में केवल साइकिल का इस्तेमाल होता था या फिर प्रत्याशी को पैदल ही जाना पड़ता था। आज के समय में नेताओं की रैली में हजारों लग्जरी गाड़ियों का काफिला निकलता है, पर उस समय रैली के नाम पर नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी और तांगे चला करते थे। उसमें भी अधिकांश प्रत्याशी ऐसे होते, जो ये सुविधाएं भी नहीं जुटा पाते थे।” सोशल मीडिया और इंटरनेट का नहीं था जमाना तीर्थ दास बताते हैं, उस समय की भी अपनी कहानी है। आज के दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना है, लोग घर बैठे नेताओं के भाषण सुन लेते हैं, क्षण-क्षण बदलते उनके बयान सुन लेते हैं, टीवी और इंटरनेट पर छपे विज्ञापनों में नेताओं का प्रचार देख लेते हैं। मगर उस दौर में प्रत्याशी को अपनी पहचान बताने के लिए घर-घर जाना पड़ता था, एक-एक व्यक्ति से मिलना पड़ता था। हां मगर उस समय आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नहीं था, नेता उल्टी-सीधी बयानबाजी भी नहीं करते थे। आज के समय में सोशल मीडिया पर केवल एक पोस्ट वायरल हो जाने से रातों-रात नेताओं की छवि बदल जाती है, जिसका सीधा असर चुनावी नतीजे पर पड़ता है पर उस दौर में ऐसा कुछ भी नहीं होता था। वैलेट पेपर पर डाले जाते थे वोट तीर्थ दास पुरानी यादों के बारे में बताते हुए उस दौर का जिक्र करते हैं, जब देश में पहली बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हुआ था। एक समस्या ये भी थी, कितने लोगों को पता ही नहीं था कि वोट कैसे डाला जाता है, उस टाइम ईवीएम मशीन प्रचलन में नहीं था, वैलेट पेपर पर वोट डाले जाते थे। कितने वोट तो गलत तरीके से डालने के कारण रद्द हो जाते थे। प्रत्याशी चुनावी प्रचार के दौरान वैलेट पेपर का एक नमुना अपने साथ ले जाते और उसे दिखाकर लोगों को वोट डालने के तरीके के बारे में भी समझाते थे। उस समय प्रत्याशी जब चुनाव प्रचार के लिए किसी गांव में पहुंचता तो लोग उसे देखने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। तब शहर और गांवों को जोड़ने के लिए कच्चे रास्ते होते थे, पक्की सड़कें या गाड़ी तो थी ही नहीं। उस समय के चुनावों में प्रचार का जिम्मा प्रत्याशी के गांव के लोग, रिश्तेदार व सगे- संबंधी खुद संभालते थे और पैदल-पैदल गांवों में जाकर सादगी के साथ वोट मांगा करते थे। 1967 से 2024 तक चुनावी सफर उस समय चुनावी प्रचार में न तो बैंडबाजे होते थे, न ही लाउड स्पीकर, न जातिवाद न संप्रदायवाद केवल विकास ही मुद्दा होता था। उन्होंने बताया कि 1966 में जब हरियाणा बना तो चुनाव प्रचार में कुछ बदलाव आया। माइक व प्रचार में एक-दो अंबेसडर गाड़ी आ चुकी थी। चुनाव प्रचार के लिए जब गाड़ी गांव में पहुंचती थी तो लोग चुनाव प्रचार को कम, गाड़ी को देखने के लिए ज्यादा एकत्रित होते थे। लेकिन उस समय भी कच्चे रास्ते होते थे, गाड़ी जब निकलती थी तो धूल उड़ती थी, लेकिन उसके बाद भी बच्चे पर्चे लेने के लिए गाड़ी के पीछे काफी दूर तक दौड़ा करते थे। आज के समय में बहुत कुछ बदल गया है, चुनावी प्रचार के तरीके बदल गए, वोट मांगने तरीकों में भी बदलाव आ गया और मुद्दे भी बदल गए। मगर आज भी हरियाणा के कई पिछड़े गांव विकास की राह निहार रहे हैं। जो पक्की सड़क, बेहतर शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था से आज भी अछूते हैं। कौन हैं तीर्थ दास रहेजा? 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चरखी दादरी में DC के तबादले पर भड़के संगठन:शहर में किया प्रदर्शन, रोड जाम; बोले- मनदीप कौर ने जिले का सुधार किया
चरखी दादरी में DC के तबादले पर भड़के संगठन:शहर में किया प्रदर्शन, रोड जाम; बोले- मनदीप कौर ने जिले का सुधार किया हरियाणा के चरखी दादरी में डीसी मनदीप कौर के तबादले के विरोध में सामाजिक संगठनों के लोग सोमवार को सड़क पर उतर आए। लोगों ने पहले रोजगार्डन में एकत्रित होकर रोष मीटिंग की और इसके बाद वे हाथों में बैनर व पटि्टयां लेकर शहर की सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतरे। इस दौरान परशुराम चौक पर रोड़ जाम करके डीसी के तबादले का विरोध जताया गया। लोगों की मांग है कि डीसी मनदीप कौर का तबादला रद्द किया जाए। बता दें कि हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में कई आईएएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं। उनमें चरखी दादरी की डीसी मनदीप कौर का तबादला फतेहाबाद किया गया है। फतेहाबाद के डीसी राहुल नरवाल को चरखी दादरी भेजा गया है। इसको लेकर स्थानीय लोगों में रोष देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है है कि डीसी मनदीप कौर के कार्यकाल के दौरान जिले में काफी सुधार हुआ है चरखी दादरी शहर की जलभराव जैसी दशकों पुरानी समस्या का भी काफी हद तक समाधान हुआ है। इसके अलावा आमजन की समस्याओं पर गंभीरता से संज्ञान लिया गया है। लोगों की मांग है कि उनका स्थानांतरण न किया जाए ताकि जिले में और सुधार हो सके। इसके लिए सामाजिक संगठनों के लोगों ने सोमवार को संजीव तक्षक की अगुआई में चरखी दादरी के रोज गार्डन में मीटिंग की। इसमें विभिन्न संगठनों व बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। इस दौरान संजीव तक्षक, शीतल साहू, कृष्ण फोगाट आदि ने कहा कि फतेहाबाद डीसी पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का खामियाजा दादरी क्यों भुगते। उन्होंने कहा कि मनदीप कौर के कार्यकाल में दादरी का सुधार किया गया है। डीसी ने आमजन के लिए 24 घंटे दरवाजे खुले रखे। मनदीप कौर की कार्यप्रणाली पारदर्शी रही है, जिससे दादरी की जनता बिल्कुल संतुष्ट है। मनदीप कौर का तबादला चरखी दादरी जिले के लिए एक बड़ी हानि होगी। बैठक के बाद काफी संख्या में लोग शहर की सड़कों पर उतरे और बस स्टैंड रोड़, रोहतक चौक, कोर्ट रोड़ आदि स्थानों पर डीसी का तबादला रद्द करो, हमारा उपायुक्त कैसा हो, मनदीप कौर जैसा हो आदि नारे लिखे बैनर व पटि्टयों के साथ नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
जींद में ब्लाइंड मर्डर की सुलझी गुत्थी:हाथ बांधकर पानी में डुबोकर की युवक की हत्या, शराब ठेकों को लेकर हुई कहासुनी
जींद में ब्लाइंड मर्डर की सुलझी गुत्थी:हाथ बांधकर पानी में डुबोकर की युवक की हत्या, शराब ठेकों को लेकर हुई कहासुनी हरियाणा के जींद जिले के जुलाना क्षेत्र में पांच अगस्त को हुए विजय के ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को डिटेक्टिव स्टाफ पुलिस को सुलझाते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान गांव करसोला निवासी संदीप व गांव लिजवाना खुर्द निवासी कुलदीप उर्फ कुल्ला के रूप में हुई है। आरोपियों ने विजय के हाथ बांधकर उसे नहर में डुबोकर मारा था। फोन कॉल पर हुआ था झगड़ा बुधवार को डीएसपी रोहताश ढुल ने बताया कि पांच अगस्त को जुलाना पुलिस को सूचना मिली थी कि सुंदर ब्रांच नहर में खरैंटी पुल के पास एक नामपता नामालूम व्यक्ति का शव पडा हुआ है। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर जांच शुरू की, तो मृतक की पहचान गांव लिजवाना कलां निवासी विजय उर्फ जडेजा के रूप में हुई। मृतक विजय उर्फ जडेजा के साले गांव डावला झज्जर निवासी संजय ने हत्या की आशंका जताते हुए शिकायत दी थी। इसमें संजय ने बताया था कि विजय का किसी के साथ फोन कॉल पर झगड़ा हुआ था। जिसके बाद वह घर से निकला था और वापस घर नहीं आया। खरैंटी पुल के पास मिला शव सुबह उसका शव खरैंटी पुल के पास मिला है। जिस पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया था। एसपी सुमित कुमार ने जुलाना थाना व डिटेक्टिव स्टाफ जींद की टीम बना कर ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझाने वाले आदेश जारी किए थे। पुलिस की टीमों ने जांच में मामले का खुलासा करते हुए दो आरोपितों को काबू किया है। दोनों को अदालत में पेश करके पुलिस रिमांड हासिल किया जाएगा। पुलिस पूछताछ में आरोपितयों ने बताया कि 2018 में विजय उर्फ जडेजा तथा शीशपाल की फोन पर कहासुनी हो गई थी। जिस पर शीशपाल उर्फ पाली वासी जुलाना ठेके पर चला गया। जहां विजय व शिवपाल की आपस में फिर से कहासुनी हो गई। बदला लेने के लिए मारने की बनाई थी योजना विजय ने कुलदीप वासी फतेहगढ़ को लिजवाना खुर्द के ठेके पर पिस्तौल लेकर बुला लिया। वहां कुलदीप ने शीशपाल को गोली मार दी थी। वहां से उनकी दुश्मनी शुरू हुई थी। पकड़े गए आरोपित करसोला निवासी संदीप ने बताया कि उसकी शीशपाल के साथ पहचान थी और शीशपाल ने ही अपना बदला लेने के लिए विजय को मारने की योजना बनाई थी। तीन अगस्त को योजना के अनुसार लिजवाना खुर्द व ढिगाणा के बीच एक आई-20 गाड़ी में विजय व कुलदीप को बीयर पीते हुए पकड़ लिया। विजय को शीशपाल की गाड़ी में बैठा लिया और गढ़वाली खेड़ा नहर पुल के पास पहुंच गए। विजय के दोनों हाथों को अंगोछे से बांध दिया और पानी में डुबोकर उसकी हत्या कर दी थी।