हरियाणा में हुड्डा का करीबी होगा नेता प्रतिपक्ष:हाईकमान उनकी नाराजगी पर रिस्क नहीं लेना चाहता, अगले साल खाली होंगी राज्यसभा की 2 सीटें हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष पर कांग्रेस जल्द ही मुहर लगा सकती है। हुड्डा खेमे से ही नेता प्रतिपक्ष का बनना तय माना जा रहा है। हालांकि अभी हाईकमान किसका नाम आगे बढ़ाएगा यह तय नहीं है, मगर भूपेंद्र हुड्डा को आगे ना बढ़ाकर पार्टी उनके ही किसी नजदीकी का नाम आगे कर सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं कि 7 बार के बेरी से विधायक डॉ. रघुबीर कादियान (80) का नाम लगभग तय है और हाईकमान कभी भी इसकी घोषणा कर सकता है। हरियाणा में अगले साल राज्यसभा की 2 सीटें खाली हो रही हैं। 9 अप्रैल 2026 को भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा और दीपेंद्र हुड्डा के स्थान पर सांसद बनीं किरण चौधरी की सीट खाली हो रही है। कांग्रेस की एक राज्यसभा सीट तय मानी जा रही है। मगर इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस को पूरी तरह भूपेंद्र हुड्डा का साथ चाहिए। इसलिए कांग्रेस हुड्डा की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगी। रघुबीर कादियान के पास लंबा अनुभव
हरियाणा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में रघुबीर कादियान का नाम सबसे आगे है। कादियान पार्टी के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल हैं। कांग्रेस हाईकमान पार्टी में चल रही गुटबाजी के बीच सीनियर और अनुभवी नेता पर दांव खेल सकती है। हालांकि, इस दौड़ में पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के अलावा गैर जाट चेहरे में थानेसर से विधायक अशोक अरोड़ा और पंचकूला से विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम भी चर्चा में है, मगर हुड्डा को हाईकमान को अगर चुनना होता तो इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर 2024 को आए थे। इसके बाद विधायकों की चंडीगढ़ में मीटिंग हुई और हाईकमान को नेता प्रतिपक्ष चुनने के अधिकार दे दिए। मगर, इस पर फैसला नहीं हो पाया। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष के बिना ही 2 सत्र भी गुजर गए। जिन 3 चेहरों के नाम, उनका दावा क्यों कमजोर पड़ा… 1. अशोक अरोड़ा: इनेलो की छाप, कांग्रेस में आने के बाद पहली बार विधायक बने
नेता प्रतिपक्ष के लिए पहले केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा था। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को रेस में सबसे आगे बताया जा रहा था। मगर कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाईकमान उनके नाम पर सहमत नहीं है। सबसे बड़ा कारण है कि वह लंबे समय से चौटाला परिवार से जुड़े रहे हैं। वह 2019 में ही इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आए थे, जब इनेलो में पूरी तरह बिखराव हो चुका था। वह कांग्रेस में आने के बाद पहली बार विधायक बने हैं। भाजपा में पंजाबी समाज से मनोहर लाल खट्टर हैं और अरोड़ा मनोहर के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते। ऐसे में उनके नेता प्रतिपक्ष बनने से पार्टी को फायदा मिलना मुश्किल है। 2. चंद्रमोहन: BJP नेता के भाई, सैलजा के प्रति वफादार
चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम पर भी चर्चा हुई। हाईकमान को पक्ष और विपक्ष (नेगेटिव) दोनों कारण बताए गए। चंद्रमोहन के नेगेटिव पॉइंट ज्यादा हैं। वह पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे हैं। वहीं चंद्रमोहन के छोटे सगे भाई कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और बिश्नोई समाज के नेता भी हैं। हरियाणा में बिश्नोई समाज की भागीदारी अधिक नहीं है और कुछ सीटों पर ही उनका प्रभाव है। चंद्रमोहन को आगे करने से जाट समाज कांग्रेस से दूरी बना सकता है। वहीं हुड्डा भी चंद्रमोहन के नाम से अंदरखाते असहमत हैं। चंद्रमोहन चुनावों के दौरान खुलकर सांसद कुमारी सैलजा को सीएम बनाने की पैरवी वाले बयान दे चुके हैं। ऐसे में चंद्रमोहन को नेता प्रतिपक्ष बनाने से कांग्रेस हाईकमान पीछे हट सकता है। 3. भूपेंद्र हुड्डा: 3 हार का बोझ, लीडरशिप पर उठे सवाल
वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी रेस में बताया जा रहा है, मगर उनकी दावेदारी सबसे कम बताई जा रही है। इसका कारण है कि भूपेंद्र हुड्डा 2019 से 2024 तक नेता प्रतिपक्ष बन चुके। कांग्रेस लगातार उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रही, मगर 3 चुनाव में लगातार हार मिली, जिसका बोझ भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर है। हुड्डा को साइड लाइन दिखाकर हाईकमान मैसेज देना चाहेगा कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस नहीं है। वहीं हुड्डा को आगे करने से कांग्रेस में गैरजाट नेताओं में फूट का डर भी है। इसके अलावा चुनाव में माहौल के बावजूद कांग्रेस की हार के लिए हुड्डा की लीडरशिप पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसलिए हुड्डा के नाम पर सहमति होनी भी मुश्किल लग रही है। अब पढ़िए किस किस सांसद का कब कार्यकाल खत्म होगा…
हरियाणा में राज्यसभा की 5 सीटें हैं। अभी इन 5 में से 4 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। कार्तिकेय शर्मा भी भाजपा के आशीर्वाद से राज्यसभा गए थे। भाजपा के राज्यसभा सदस्यों में रामचंद्र जांगड़ा का कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 को पूरा होगा। कृष्ण लाल पंवार की जगह रेखा शर्मा राज्यसभा में हैं, जिनका कार्यकाल 11 जून 2028 को पूरा होना है। वहीं किरण चौधरी दीपेंद्र हुड्डा वाली सीट पर राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं, जिनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक है। जबकि भाजपा समर्थित निर्दलीय राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा का कार्यकाल 11 जून 2028 को पूरा होना है। वहीं सुभाष बराला 2024 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। 2030 में बराला का कार्यकाल पूरा होगा।