तरनतारन से जुड़े 31 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में मोहाली की सीबीआई स्पेशल कोर्ट आज सजा सुनाएगी। इससे पहले गुरुवार को इस मामले में पूर्व डीआईजी दिलबाग सिंह और रिटायर्ड डीएसपी गुरबचन सिंह को दोषी करार दिया गया था। इस बीच, मामले में शिकायतकर्ता की मौत हो गई है। घर से उठाकर ले गए, फिर किया एनकाउंटर मृतक के परिवार ने इस मामले में न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। तरनतारन के जंडाला रोड निवासी गुलशन कुमार फल विक्रेता थे। यह मामला गुलशन कुमार के पिता चमन लाल की शिकायत पर 1996 में दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि 22 जून 1993 को डीएसपी दिलबाग सिंह (जो डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए) के नेतृत्व में तरनतारन पुलिस की एक टीम उनके बेटे को जबरन उठा ले गई। वे उनके दो बेटों परवीन कुमार और बॉबी कुमार को भी अपने साथ ले गए। लेकिन कुछ दिनों बाद सभी को छोड़ दिया गया। हालांकि गुलशन को रिहा नहीं किया गया। एक महीने बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में उनकी हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना उनके बेटे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। मामले में 32 लोगों की गवाही हुई सीबीआई की जांच रिपोर्ट यह बात साफ हो चुकी है कि गुरबचन सिंह, जो उस समय सब-इंस्पेक्टर थे और वह तरनतारन (शहर) पुलिस स्टेशन में एसएचओ के रूप में तैनात थे। उन्होंने गुलशन कुमार को अवैध हिरासत में रखा था। इस मामले में सुनवाई के दौरान अर्जुन सिंह, दविंदर सिंह और बलबीर सिंह की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा इस मामले में 32 गवाहों का हवाला दिया गया था। लेकिन मामले में 15 लोगों की गवाही हुई। मामले के शिकायतकर्ता चमन लाल की भी मौत हो गई है। तरनतारन से जुड़े 31 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में मोहाली की सीबीआई स्पेशल कोर्ट आज सजा सुनाएगी। इससे पहले गुरुवार को इस मामले में पूर्व डीआईजी दिलबाग सिंह और रिटायर्ड डीएसपी गुरबचन सिंह को दोषी करार दिया गया था। इस बीच, मामले में शिकायतकर्ता की मौत हो गई है। घर से उठाकर ले गए, फिर किया एनकाउंटर मृतक के परिवार ने इस मामले में न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। तरनतारन के जंडाला रोड निवासी गुलशन कुमार फल विक्रेता थे। यह मामला गुलशन कुमार के पिता चमन लाल की शिकायत पर 1996 में दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि 22 जून 1993 को डीएसपी दिलबाग सिंह (जो डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए) के नेतृत्व में तरनतारन पुलिस की एक टीम उनके बेटे को जबरन उठा ले गई। वे उनके दो बेटों परवीन कुमार और बॉबी कुमार को भी अपने साथ ले गए। लेकिन कुछ दिनों बाद सभी को छोड़ दिया गया। हालांकि गुलशन को रिहा नहीं किया गया। एक महीने बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में उनकी हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना उनके बेटे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। मामले में 32 लोगों की गवाही हुई सीबीआई की जांच रिपोर्ट यह बात साफ हो चुकी है कि गुरबचन सिंह, जो उस समय सब-इंस्पेक्टर थे और वह तरनतारन (शहर) पुलिस स्टेशन में एसएचओ के रूप में तैनात थे। उन्होंने गुलशन कुमार को अवैध हिरासत में रखा था। इस मामले में सुनवाई के दौरान अर्जुन सिंह, दविंदर सिंह और बलबीर सिंह की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा इस मामले में 32 गवाहों का हवाला दिया गया था। लेकिन मामले में 15 लोगों की गवाही हुई। मामले के शिकायतकर्ता चमन लाल की भी मौत हो गई है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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कांग्रेस प्रधान आज सभी जिला प्रधानों से करेंगे मीटिंग:लोकसभा चुनाव नतीजों पर होगा मंथन, विधानसभा उप चुनावों पर बनेगी रणनीति लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग आज पार्टी के सभी जिला प्रधानों से मीटिंग करने जा रहे हैं। इस मीटिंग में जहां चुनाव नतीजों पर मंथन होगा। इसके साथ ही वह आने वाले पांच विधानसभा उप चुनावों को लेकर भी रणनीति बनाएंगे। मीटिंग चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में सुबह साढ़े 11 बजे मीटिंग रखी गई है। पार्टी की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव से पार्टी को जो आक्सीजन मिली है, उसे बरकरार रखा जाए। सीधे लोगों से जुड़ा जाए, क्योंकि अब विधानसभा चुनाव में ढाई साल से कम समय रह गया है। ऐसे में पार्टी कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है। ऐसे मिली थी पार्टी को जीत इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी ने 13 सीटों में सात सीटें जीती है। जबकि सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। शिरोमणि अकाली दल को एक और दो आजाद उम्मीदवार जीते हैं। हालांकि भाजपा चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई है। इस चुनाव में मिली सफलता कई मायनों में खास थी। क्योंकि पार्टी के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्ध पत्नी की बीमारी वजह से बिल्कुल दूर रहे है।राज्य में पार्टी की सरकार नहीं थी। हालांकि पार्टी हाईकमान की पंजाब में पूरी दिलचस्पी थी। प्रियंका और राहुल गांधी पंजाब में रैलियां की थी। उन्होंने अमृतसर, पटियाला, फतेहगढ़, साहिब और लुधियाना में रैलियां । सभी जगह पर पार्टी काे जीत मिली है। हालांकि 2019 में राज्य कांग्रेस की सरकार थी। उस समय पार्टी 8 सीटें जीत पाई थी। जबकि अकाली दल भाजपा गठबंधन को चार और एक सीट आप को मिली थी। अब जालंधर चुनाव में परीक्षा लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली जीत के बाद अब जालंधर वेस्ट का उप चुनाव पार्टी के लिए परीक्षा बन गया है। पिछले कुछ दिनों से पार्टी की सीनियर लीडरशिप ने जालंधर में डेरा हुआ था। सभी पुराने दिग्गज नेताओं को एक मंच पर लाने की तैयारी की जा रही है। वहीं, पार्टी की कोशिश है किसी तरीके से इस सीट को जीता जाए। हालांकि सूत्रों की माने तो पहले इस सीट पर चुनाव लड़ने में लोग कम दिलचस्पी दिखाते थे, लेकिन इस बार दस से 12 लोग टिकट की दौड़ में है। वहीं, पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी जालंधर से लोकसभा चुनाव जीते हैं। ऐसे में पार्टी को इस सीट से उम्मीदें और ज्यादा हो गई है।
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श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे वल्टोहा:SAD छोड़ पहली बार हुए पेश, विरसा सिंह ने की अरदास, बोले-ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आरोप गलत अकाली दल से इस्तीफा देने के बाद पहली बार विरसा सिंह वल्टोहा मंगलवार यानी आज श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए। जहां उन्होंने अरदास की। अरदास करने के बाद विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा- सतगुरु मैं आपके दरबार में हाजिर हूं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, वे झूठे हैं। अगर ज्ञानी हरप्रीत सिंह के पास उनके खिलाफ कोई सबूत है तो उन्हें गुरु पंथ के दरबार में रखना चाहिए। ज्ञानी हरप्रीत सिंह का परिवार उनका अपना परिवार है। सतगुरु जी ध्यान रखें, मेरे दिल में बहुत दर्द है। 15 अक्टूबर को छोड़ी थी अकाली दल इसी माह 15 अक्टूबर को शिरोमणी अकाली दल के नेता रहे विरसा सिंह वल्टोहा श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए थे। जहां से उन्हें अकाली दल छोड़ने के आदेश दिए गए थे। कुछ देर बाद उनके द्वारा भेजा गया इस्तीफा अकाली दल ने मंजूर कर लिया था। इसकी जानकारी अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दी गई थी। चीमा ने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था कि शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने विरसा सिंह वल्टोहा का प्राथमिक सदस्यता एवं शिअद के सभी पदों से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। वल्टोहा ने कार्रवाई के बाद कहा था कि मैं आदेश स्वीकार करता हूं इससे पहले वल्टोहा ने कहा था कि श्री अकाल तख्त साहिब पर सिंह साहिब के सामने पेश होने के बाद मेरे बारे में जो आदेश जारी किया गया है, मैं उसे सिर झुकाकर स्वीकार करता हूं। इस आदेश को लागू करने के लिए शिरोमणि अकाली दल नेतृत्व को किसी भी खतरे में डाले बिना, मैं स्वयं अकाली दल की प्राथमिक सदस्यता छोड़ता हूं। मुझे पता है कि अकाली दल का नेतृत्व मुझसे बहुत प्यार करता है और हमेशा मेरा समर्थन एक शास्त्रीय विचारक का करेगा। श्री अकाल तख्त साहिब ने दिए थे आदेश बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब ने पेशी के बाद शिरोमणि अकाली दल को आदेश दिए हैं कि विरसा सिंह वल्टोहा को पार्टी से निकाला जाए। पार्टी के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ को 24 घंटे में उन्हें अकाली दल से निकालने के लिए कहा गया है। साथ ही उनकी प्रारंभिक मेंबरशिप को भी खारिज की जाएगी। शिरोमणि अकाली दल में 10 साल तक उनकी वापसी पर रोक लगाई जाए। अगर इसके बाद भी वह कुछ बयानबाजी करते है तो सख्त फैसला लिया जाएगा। इस मौके जत्थेदारों ने कहा कि उन्होंने विश्वासघात किया। उनकी हालचाल पूछने के बहाने रिकॉर्डिंग की है। विरसा सिंह वल्टोहा मंगलवार को श्री अकाल तख्त साहिब पेश हुए थे। उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से 15 अक्तूबर को सुबह 9 बजे सबूतों सहित पेश होने के आदेश दिए गए थे। विरसा सिंह वल्टोहा ने दो दिन पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों पर आरएसएस और बीजेपी का दबाव बताया था।
जालंधर वेस्ट से विधायक मोहिंदर आज बनेंगे मंत्री:CM मान ने उप-चुनाव में किया था वादा, MLA बलकार की कैबिनेट से छुट्टी तय
जालंधर वेस्ट से विधायक मोहिंदर आज बनेंगे मंत्री:CM मान ने उप-चुनाव में किया था वादा, MLA बलकार की कैबिनेट से छुट्टी तय पंजाब के जालंधर वेस्ट हलके से उप चुनाव में इलैक्शन जीतने वाले AAP विधायक मोहिंदर भगत को आज मंत्री बनाया जाएगा। उन्हें स्पोर्ट्स मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। वहीं, जालंधर के करतारपुर से आप विधायक बलकार सिंह ने कल ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जालंधर शहर के बीचो-बीच के एरिया एमएलए को AAP ने मौका दिया है। सूत्रों के अनुसार भगत को कल कॉल आ गया था। भगत का ज्यादातर एरिया ऐसा है, जहां पर स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से जुड़े पंजाब के सबसे बड़े कारोबारी बैठे हैं। ऐसे में आशंका है कि उन्हें स्पोर्ट्स मंत्री बनाया जाएगा। इससे पहले स्पोर्ट्स मंत्री मीन हेयर थे, जिन्होंने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था। भगत को मंत्री बनाने के लिए CM मान ने किया था वादा जालंधर उप चुनाव के वक्त CM भगवंत मान ने भी वादा किया था कि जालंधर वेस्ट वाले मोहिंदर भगत को एक सीढ़ी चढ़ा दें, दूसरी सीढ़ी वह खुद चढ़ा देंगे। यहां सीएम मान के कहने का मकसद मोहिंदर भगत को मंत्री बनाने से जोड़ा गया। जालंधर अर्बन से AAP सरकार में फिलहाल कोई मंत्री नहीं है। हालांकि जालंधर जिले की करतारपुर सीट से विधायक बलकार सिंह जरूर सरकार में मंत्री हैं। पिता चुन्नी लाल भगत भी मंत्री रह चुके मोहिंदर भगत के पिता चुन्नी लाल भगत भी मंत्री रह चुके हैं। वह अकाली-भाजपा की गठबंधन सरकार में भाजपा के कोटे से मंत्री बने थे। हालांकि अब वह एक्टिव पॉलिटिशियन नहीं है। मोहिंदर भगत ने लोकसभा चुनाव के वक्त AAP जॉइन की थी। इसके बाद उन्हें उप चुनाव में जालंधर वेस्ट से टिकट दिया गया। पूर्व मंत्री भगत ने कहा था कि अब उनका भाजपा या किसी दूसरी पार्टी से संबंध नहीं है। वह राजनीति छोड़ चुके हैं। एकतरफा जीत की यही बड़ी वजह भी जालंधर वेस्ट सीट पर AAP को एकतरफा जीत मिली। उप चुनाव की मतगणना में AAP के मोहिंदर भगत यहां से 37,325 वोटों से जीते। उन्हें 55,246 वोट मिले। इसके उलट उनके खिलाफ चुनाव लड़े भाजपा, कांग्रेस, अकाली दल और निर्दलीय समेत 15 उम्मीदवारों के वोट जोड़ दें तो भी उन्हें कुल 39,363 वोट मिले थे। ऐसे बनी थी उप चुनाव की स्थिति जालंधर वेस्ट सीट पर उप चुनाव की स्थिति उस समय बनी थी, जब AAP के ही विधायक शीतल अंगुराल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि तब उनका इस्तीफा विधानसभा स्पीकर की तरफ से मंजूर नहीं किया गया था। इसके बाद जैसे ही लोकसभा चुनाव संपन्न हुए तो विधानसभा स्पीकर से मिले थे। साथ ही उन्होंने इस्तीफा वापस लेने की मांग की थी। उनका कहना था कि वह नहीं चाहते है कि दोबारा चुनाव की प्रक्रिया हो। हालांकि इसके बाद स्पीकर ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। साथ ही निर्वाचन आयोग की तरफ से इस सीट पर चुनाव की घोषणा कर दी गई थी।