पंजाब के दो चहरे पद्म श्री से होंगे सम्मानित:भाई हरजिंदर सिंह का कला, एवन साइकिल के ओंकार पाहवा का उद्योगिक क्षेत्र में अतुलनीय योगदान

पंजाब के दो चहरे पद्म श्री से होंगे सम्मानित:भाई हरजिंदर सिंह का कला, एवन साइकिल के ओंकार पाहवा का उद्योगिक क्षेत्र में अतुलनीय योगदान

सरकार द्वारा घोषित प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों में इस वर्ष पंजाब के दो दिग्गजों को शामिल किया गया है। गुरबानी कीर्तन के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले भाई हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले और उद्योग व सामाजिक कल्याण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले ओंकार सिंह पाहवा को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा। खास बात है कि दोनों ही चेहरे राज्य के लुधियाना से संबंधित हैं। 2025 के लिए राष्ट्रपति ने कुल 139 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी है। इनमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। इस वर्ष की सूची में 23 महिलाएं, 10 विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई श्रेणी के लोग और 13 मरणोपरांत पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा, इस सूची में एक युगल (द्वय) मामला भी है, जिसे एक पुरस्कार के रूप में गिना गया है। भाई हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले भाई हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले सिख धर्म की गुरबानी कीर्तन परंपरा के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने भावनात्मक और मधुर कीर्तन के माध्यम से गुरबानी और साहिबजादों के बलिदान की कहानियों को जीवंत किया है। उनका जन्म 1958 में पंजाब के गुरदासपुर जिले के गांव बलडवाल में हुआ। उनके पिता भी रागी थे, और उनके छोटे भाई भाई मनिंदर सिंह श्रीनगर वाले भी एक प्रसिद्ध रागी हैं। भाई हरजिंदर सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अंतर्गत अमृतसर के शहीद सिख मिशनरी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। 1980 के दशक में उन्होंने गुरबानी कीर्तन के क्षेत्र में कदम रखा और जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर क्षेत्र के एक गुरुद्वारे में कीर्तन करना शुरू किया। 1983 में, वे लुधियाना चले गए और कुछ समय तक स्थानीय गुरुद्वारे में कीर्तन करते रहे। वर्तमान में, वे लुधियाना में रह रहेहैं। श्रीनगर से आने के कारण उनके नाम के साथ ‘श्रीनगर वाले’ जोड़ा गया ताकि उनकी पहचान अलग हो सके। भाई हरजिंदर सिंह ने 100 से अधिक एल्बम जारी किए हैं और 650 से अधिक गुरबानी शबद रिकॉर्ड किए हैं। उनकी एल्बम ‘गल्लां जोग न होए’ और ‘वाटां लंबियां ते रास्ता पहाड़ दा’ साहिबजादों पर आधारित उनकी प्रसिद्ध कविताओं में से एक हैं। ओंकार सिंह पाहवा ओंकार सिंह पाहवा, जो एवन साइकिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं, ने भारतीय साइकिल उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। 1952 में जन्मे श्री पहवा ने 1974 में पारिवारिक व्यवसाय में कदम रखा और 2002 में कंपनी के प्रबंध निदेशक बने। उनके नेतृत्व में एवन साइकिल्स का वार्षिक उत्पादन 1.4 मिलियन से बढ़कर 2.5 मिलियन हो गया। उन्होंने कंपनी के उत्पादों की रेंज को 25-30 मॉडलों से बढ़ाकर 170+ मॉडल तक पहुंचाया और इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया। श्री पहवा ने कंपनी को पर्यावरण की दिशा में भी आगे बढ़ाया, जिसमें पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा में निवेश किया।उनकी सामाजिक सेवा की पहल, जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में चैरिटी शामिल है, भी सराहनीय हैं। सरकार द्वारा घोषित प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों में इस वर्ष पंजाब के दो दिग्गजों को शामिल किया गया है। गुरबानी कीर्तन के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले भाई हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले और उद्योग व सामाजिक कल्याण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले ओंकार सिंह पाहवा को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा। खास बात है कि दोनों ही चेहरे राज्य के लुधियाना से संबंधित हैं। 2025 के लिए राष्ट्रपति ने कुल 139 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी है। इनमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। इस वर्ष की सूची में 23 महिलाएं, 10 विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई श्रेणी के लोग और 13 मरणोपरांत पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा, इस सूची में एक युगल (द्वय) मामला भी है, जिसे एक पुरस्कार के रूप में गिना गया है। भाई हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले भाई हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले सिख धर्म की गुरबानी कीर्तन परंपरा के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने भावनात्मक और मधुर कीर्तन के माध्यम से गुरबानी और साहिबजादों के बलिदान की कहानियों को जीवंत किया है। उनका जन्म 1958 में पंजाब के गुरदासपुर जिले के गांव बलडवाल में हुआ। उनके पिता भी रागी थे, और उनके छोटे भाई भाई मनिंदर सिंह श्रीनगर वाले भी एक प्रसिद्ध रागी हैं। भाई हरजिंदर सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अंतर्गत अमृतसर के शहीद सिख मिशनरी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। 1980 के दशक में उन्होंने गुरबानी कीर्तन के क्षेत्र में कदम रखा और जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर क्षेत्र के एक गुरुद्वारे में कीर्तन करना शुरू किया। 1983 में, वे लुधियाना चले गए और कुछ समय तक स्थानीय गुरुद्वारे में कीर्तन करते रहे। वर्तमान में, वे लुधियाना में रह रहेहैं। श्रीनगर से आने के कारण उनके नाम के साथ ‘श्रीनगर वाले’ जोड़ा गया ताकि उनकी पहचान अलग हो सके। भाई हरजिंदर सिंह ने 100 से अधिक एल्बम जारी किए हैं और 650 से अधिक गुरबानी शबद रिकॉर्ड किए हैं। उनकी एल्बम ‘गल्लां जोग न होए’ और ‘वाटां लंबियां ते रास्ता पहाड़ दा’ साहिबजादों पर आधारित उनकी प्रसिद्ध कविताओं में से एक हैं। ओंकार सिंह पाहवा ओंकार सिंह पाहवा, जो एवन साइकिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं, ने भारतीय साइकिल उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। 1952 में जन्मे श्री पहवा ने 1974 में पारिवारिक व्यवसाय में कदम रखा और 2002 में कंपनी के प्रबंध निदेशक बने। उनके नेतृत्व में एवन साइकिल्स का वार्षिक उत्पादन 1.4 मिलियन से बढ़कर 2.5 मिलियन हो गया। उन्होंने कंपनी के उत्पादों की रेंज को 25-30 मॉडलों से बढ़ाकर 170+ मॉडल तक पहुंचाया और इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया। श्री पहवा ने कंपनी को पर्यावरण की दिशा में भी आगे बढ़ाया, जिसमें पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा में निवेश किया।उनकी सामाजिक सेवा की पहल, जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में चैरिटी शामिल है, भी सराहनीय हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर