पंजाब पुलिस ने नशा तस्करों, गैंगस्टरों और आतंकियों के नेटवर्क को तोड़ने को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस के इंटरनल सिक्योरिटी विंग ने ढाई साल में 1673 ऐसे मोबाइल की पहचान की थी, जो अपराधियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे थे। ऐसे में इन सभी मोबाइल के IMEI नंबर और 475 मोबाइल नंबर ब्लॉक करवाए गए हैं। इसके अलावा 6500 के करीब सोशल मीडिया अकाउंट पर कार्रवाई की है। ताकि आरोपी इनका प्रयोग न कर पाए। पंजाब पुलिस के IG हेडक्वार्टर सुखचैन सिंह ने यह जानकारी सोमवार को दी। 290 ड्रोन अब तक गिराए गए IG ने बताया कि तस्करों पर पुलिस की कड़ी नजर है। BSF और पंजाब पुलिस बॉर्डर पर हर मूवमेंट पर नजर रखते हैं। ढाई साल में 939 ड्रोन साइटिंग हुई है, इस दौरान 290 ड्रोन को गिराया है। साथ ही करोड़ों रुपए की ड्रग्स पकड़ी है। नशा तस्करी की 29152 FIR दर्ज इस समय अवधि में सरकार ने 29152 एफआईआर दर्ज हुई है। जिसमें 39840 आरोपी पकड़े गए। इस दौरान 3581 कॉमर्शियल कैटेगरी के केस दर्ज कर 5856 बड़े तस्कर पकड़े गए है। कॉमर्शियल कैटेगरी की एफआईआर एसटीएफ के थाने में सबसे अधिक दर्ज हुई है। जबकि दूसरे नंबर पर अमृतसर रूरल और तीसरे नंबर होशियारपुर में दर्ज हुई है। 245 केसों में 264 ए केस के तहत कार्रवाई की है। साथ इसमें शामिल लोगों को सुधरने का मौका दिया है। पंजाब पुलिस ने नशा तस्करों, गैंगस्टरों और आतंकियों के नेटवर्क को तोड़ने को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस के इंटरनल सिक्योरिटी विंग ने ढाई साल में 1673 ऐसे मोबाइल की पहचान की थी, जो अपराधियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे थे। ऐसे में इन सभी मोबाइल के IMEI नंबर और 475 मोबाइल नंबर ब्लॉक करवाए गए हैं। इसके अलावा 6500 के करीब सोशल मीडिया अकाउंट पर कार्रवाई की है। ताकि आरोपी इनका प्रयोग न कर पाए। पंजाब पुलिस के IG हेडक्वार्टर सुखचैन सिंह ने यह जानकारी सोमवार को दी। 290 ड्रोन अब तक गिराए गए IG ने बताया कि तस्करों पर पुलिस की कड़ी नजर है। BSF और पंजाब पुलिस बॉर्डर पर हर मूवमेंट पर नजर रखते हैं। ढाई साल में 939 ड्रोन साइटिंग हुई है, इस दौरान 290 ड्रोन को गिराया है। साथ ही करोड़ों रुपए की ड्रग्स पकड़ी है। नशा तस्करी की 29152 FIR दर्ज इस समय अवधि में सरकार ने 29152 एफआईआर दर्ज हुई है। जिसमें 39840 आरोपी पकड़े गए। इस दौरान 3581 कॉमर्शियल कैटेगरी के केस दर्ज कर 5856 बड़े तस्कर पकड़े गए है। कॉमर्शियल कैटेगरी की एफआईआर एसटीएफ के थाने में सबसे अधिक दर्ज हुई है। जबकि दूसरे नंबर पर अमृतसर रूरल और तीसरे नंबर होशियारपुर में दर्ज हुई है। 245 केसों में 264 ए केस के तहत कार्रवाई की है। साथ इसमें शामिल लोगों को सुधरने का मौका दिया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना में रेलवे स्टेशन के बाहर बवाल:सवारी बैठाने को लेकर चालकों में भिड़ंत, मुक्का लगने से ई-रिक्शा चालक की मौत लुधियाना में आज रेलवे स्टेशन के बाहर खूब बवाल हुआ। एक ऑटो चालक और एक ई-रिक्शा चालक के बीच सवारी बैठाने को लेकर भिड़ंत हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि ऑटो चालक और ई-रिक्शा चालक से हाथापाई पर उतर आए। बीच सड़क दोनों में बहसबाजी हुई और ऑटो चालक ने उसे मुक्का मार दिया। मुक्का लगने से बुजुर्ग ई-रिक्शा चालक सड़क पर गिर गया। उसकी हालत खराब हो गई। लोगों ने उसे सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां उसने दम तोड़ दिया। घटना स्थल से मिली मरने वाला ई-रिक्शा चालक का नाम संजीव कुमार है। महिला सवारी बैठाने को लेकर हुई बहसबाजी पता चला है कि आज दो महिलाओं को ऑटो में बैठाने को लेकर ऑटो चालक प्रताप सिंह निवासी हैबोवाला और ई रिक्शा चालक संजीव कुमार के बीच बहसबाजी हुई। ऑटो चालक महिलाओं से 80 रुपए सवारी मांग रहा था जबकि संजीव 70 रुपए मांग रहा था। गुस्से में आकर ऑटो चालक ने संजीव के मुक्का जड़ दिया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। संजीव को आसपास के लोगों ने प्राथमिक उपचार भी दिया, लेकिन उसकी हालत गंभीर बन गई। सिविल अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृतक करार दे दिया। संजीव के दो बच्चे और पत्नी है। मामला के जांच है जारी- SHO गगनदीप सिंह
उधर, इस मामले में थाना कोतवाली के एसएचओ गगनदीप सिंह ने कहा कि मामले की जांच कर रहे हैं। जल्द ऑटो चालक को पकड़ कर पूछताछ की जाएगी। घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरें भी ढूंढे जा रहे हैं। संजीव की मौत के असल कारणों का पता पोस्टमार्टम और सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद ही पता चल पाएगा।
पंजाब के अग्निवीर का परिवार बोला-हमें 48 लाख मिले:राहुल गांधी ने कहा- कुछ नहीं मिला; रक्षामंत्री का दावा- 1 करोड़ देते हैं
पंजाब के अग्निवीर का परिवार बोला-हमें 48 लाख मिले:राहुल गांधी ने कहा- कुछ नहीं मिला; रक्षामंत्री का दावा- 1 करोड़ देते हैं संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना का मुद्दा उठाया। उन्होंने दावा किया कि अग्निवीरों के शहीद होने पर उनके परिवारों को कुछ नहीं मिलता। राहुल गांधी ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए खन्ना (पंजाब) के शहीद अग्निवीर अजय का उदाहरण भी दिया। इससे पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी अजय के घर भी पहुंचे थे। राहुल गांधी ने दावा किया कि अग्निवीर अजय के परिवार को कुछ नहीं मिला। इस पर संसद में ही मौजूद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें टोकते हुए दावा किया था कि शहीद अग्निवीरों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस पूरे विवाद के बीच, मंगलवार को खन्ना में शहीद अग्निवीर अजय का परिवार सामने आया। अजय के पिता चरणजीत सिंह ने स्पष्ट किया कि उनके परिवार को पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की तरफ से एक करोड़ रुपए दिए गए। पंजाब सरकार ने उनकी बेटी को नौकरी का भरोसा भी दिया। सेना की तरफ से 48 लाख रुपए दिए गए लेकिन केंद्र सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया। चरणजीत सिंह ने कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में झूठ बोला। मंगलवार को ही पंजाब में बरनाला के शहीद अग्निवीर सुखविंदर सिंह का परिवार भी सामने आया। सुखविंदर के माता-पिता ने साफ किया कि उन्हें किसी भी सरकार की तरफ से कुछ नहीं मिला। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बेशक सरकार की तरफ से एक करोड़ रुपए देने का दावा कर रहे हों लेकिन सच्चाई यही है कि उनके परिवार को आज तक ऐसी कोई रकम नहीं मिली। पहले पढ़िए संसद में अग्निवीर स्कीम पर राहुल गांधी और राजनाथ सिंह ने क्या कहा… सोमवार (1 जुलाई) को संसद सत्र के छठे दिन, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरा देश समझता है कि ये सेना की स्कीम है लेकिन सेना जानती है कि ये स्कीम उसकी नहीं, पीएम का ब्रेन चाइल्ड है। अगर कांग्रेस की सरकार आई तो इस स्कीम को हटा दिया जाएगा। अग्निवीर स्कीम भारतीय सेना और उसके जवानों के खिलाफ है। इस स्कीम के तहत भर्ती होने वाले फौजियों के परिवारों को शहादत के बाद कुछ नहीं मिलता। राहुल गांधी के यह दावा करते ही संसद में मौजूद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने खड़े होकर इसे गलत बताया और कहा कि राहुल गांधी को गलत बयानबाजी करके सदन को गुमराह नहीं करना चाहिए। सरहद पर अगर कोई अग्निवीर शहीद होता है तो उसे सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए दिए जाते हैं। राजनाथ सिंह के इस दावे पर राहुल गांधी ने कहा कि सच्चाई क्या है, ये अग्निवीर जानता है। इस पर सदन में मौजूद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी की बात का सत्यापन किया जाना चाहिए और अगर वह इसे साबित नहीं कर पाते तो सदन और देश से माफी मांगनी चाहिए। अब दोनों अग्निवीर के बारे में पढ़िए…. जनवरी में शहीद हो गए थे अजय
खन्ना के गांव रामगढ़ सरदारां के अग्निवीर अजय सिंह (23) जनवरी 2024 में जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए थे। राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में बारूदी सुरंग में विस्फोट हो गया था। जिसकी चपेट में अजय सिंह आ गए थे। शहीद अजय सिंह के पिता चरणजीत सिंह ने बताया था कि 6 बेटियों के बाद उन्होंने बेटा देखा था। वे खुद मेहनत मजदूरी करते थे। कड़ी मेहनत करके बेटे का पालन पोषण किया। पत्नी भी काम करती थी। बेटियां भी प्राइवेट नौकरी करती थीं। बेटा खुद कभी पेंट करने जाता था तो कभी राजमिस्त्री के साथ दिहाड़ी पर जाता था। 12वीं पास करने के बाद फरवरी 2022 में बेटा भर्ती हुआ। अब आस थी कि बेटा परिवार का सहारा बन गया है, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि ऐसे बेटा शहीद हो जाएगा। 25 दिसंबर 2022 को भर्ती हुए थे सुखविंदर
दूसरे अग्निवीर सुखविंदर सिंह 6 अप्रैल 2024 को शहीद हो गए थे। वह पंजाब के बरनाला के रहने वाले थे। उनकी मां रणजीत कौर ने कहा कि बेटा 25 दिसंबर 2022 को अग्निवीर योजना के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल हुआ था। बेटे की शहादत की वजह अभी तक सामने नहीं आई। उनके पास सुखविंदर सिंह की मौत का सर्टिफिकेट आ चुका है। उसमे मौत का कारण नहीं दर्शाया गया। मां बोली- आज तक कोई वादा पूरा नहीं हुआ
मां ने कहा कि बेटे के अंतिम संस्कार में सलामी तक नहीं दी गई। उस मौके पर तमाम राजनीतिक दलों के नेता घर आए और परिवार से कई वादे किए, लेकिन आज तक कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। परिवार को मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में कोई सुनवाई नहीं हुई। हमारा परिवार अग्निवीर योजना के खिलाफ है, क्योंकि इस योजना के तहत सेना में भर्ती हुए युवाओं को कोई सुविधा नहीं दी जाती। मेहता गांव की पूर्व सरपंच और सुखविंदर की दादी गुरदेव कौर ने कहा कि सुखविंदर के पिता सेना में थे। इसी वजह से उसका रुझान भी सेना की तरफ हुआ। हमारा बच्चा वापस नहीं आ सकता। मेरे बेटे को सेना में सेवा के दौरान सरकार ने पेंशन समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई, लेकिन मेरे पोते के शहीद होने के बाद भी सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी। पूर्व सैनिक एक्शन ग्रुप पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष गुरतेज सिंह दानगढ़ ने कहा कि अग्निवीर योजना ही गलत है, इसे बंद किया जाना चाहिए। सुखविंदर की शहादत के दौरान संगठन ने अधिकारियों से सवाल-जवाब किए थे, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जवान के परिवार को पंजाब और केंद्र सरकार मुआवजा और सभी सुविधाएं दे। जम्मू की सिख लाइट इन्फेंट्री में तैनात थे
सुखविंदर सिंह (22) बरनाला के मेहता गांव के रहने वाले थे। उन्होंने घुन्नस स्थित गुरु नानक स्कूल से 12वीं कक्षा पास की और डिग्री के लिए कॉलेज में दाखिला लिया। इसी दौरान 25 दिसंबर 2022 को उनका सिलेक्शन अग्निवीर स्कीम के तहत भारतीय सेना में हो गया। इसके बाद उनकी तैनाती जम्मू के सिख लाइट इन्फेंट्री में हुई। मौत के कारणों का नहीं चला पता
सेना के अधिकारियों के मुताबिक, सुखविंदर शाम को ड्यूटी खत्म होने पर खाना खाने के बाद सोने वाली जगह पर चले गए थे। जब सुबह के लिए उसे उठाया गया तो सुखविंदर की मौत हो चुकी थी। अधिकारियों ने परिवार को यही बताया कि सुखविंदर ने सुसाइड किया है। जब सुखविंदर की डेडबॉडी पैतृक गांव मेहता लाई गई तो परिवार और सेना के अधिकारियों के बीच बहस भी हुई। परिवार ने आरोप लगाया कि बेटे के शरीर पर कोई भी निशान नहीं है। तब अधिकारियों ने उन्हें सुसाइड की ही बात कही। इस संबंध में बरनाला के डिप्टी कमिश्नर पूनमदीप कौर का कहना है कि सुखविंदर सिंह के परिवार को अभी तक सरकारी तौर पर कोई भी बेनिफिट नहीं दिया गया है। सैनिक भलाई विभाग की सिफारिश पर ही प्रशासन द्वारा बेनिफिट दिए जाते हैं। पिता रिटायर्ड सूबेदार, भाई कनाडा रहता है
सुखविंदर के घर में मां रणजीत कौर, पिता नायब सिंह, दादी गुरदेव कौर और भाई लखविंदर सिंह हैं। पिता नायब सिंह सेना में सूबेदार पद से रिटायर हो चुके हैं। भाई लखविंदर, सुखविंदर की मौत से 6 महीने पहले स्टडी वीजा पर कनाडा गया था। भाई के अंतिम संस्कार में भी लखविंदर शामिल नहीं हुआ था। अग्निवीर के परिवार को कितनी मिलती है सहायता राशि?
सेना की वेबसाइट के मुताबिक अगर अग्निवीर की ड्यूटी के दौरान मृत्यु होती है तो उन्हें 48 लाख का बीमा कवर, 44 लाख अनुग्रह राशि, 4 साल तक का पूर्ण वेतन और सेवा निधि के साथ सेवा निधि कोष में जमा राशि और सरकार का योगदान मिलता है। अगर अग्निवीर की मृत्यु ड्यूटी के दौरान नहीं होती है तो परिवार को 48 लाख का बीमा कवर और सेवा निधि कोष में जमा राशि और सरकार का योगदान मिलता है। वहीं, विकलांग होने की स्थिति में अग्निवीर को विकलांगता के स्तर (100%, 75% या 50%) के आधार पर 44 लाख, 25 लाख या 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि, 4 साल तक का पूर्ण वेतन और सेवा निधि, और सेवा निधि कोष में जमा राशि और सरकार का योगदान मिलता है। महाराष्ट्र के शहीद अग्निवीर अक्षय के पिता का दावा- 1.10 करोड़ मुआवजा मिल चुका
महाराष्ट्र के बुलढाणा के रहने वाले शहीद अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण के पिता के मुताबिक, उन्हें सरकार से अब तक 1 करोड़ 10 लाख का मुआवजा मिल चुका है। पहले 48 लाख रुपए मिले और फिर 50 लाख रुपए दिए गए। महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी 10 लाख रुपए दिए गए। 20 वर्षीय अक्षय दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे, जहां अक्टूबर 2023 में हार्ट अटैक के कारण वह बीमार हो गए और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। ये खबर भी पढ़ें… भास्कर एक्सप्लेनर- 70% अग्निवीरों को स्थायी नौकरी: ज्यादा सैलरी और 7 साल का कार्यकाल; अग्निपथ योजना में क्या बदलाव कर सकती है मोदी सरकार 27 मई 2024 को बिहार के बख्तियारपुर में चुनावी रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हम सत्ता में आए तो अग्निवीर योजना खत्म कर देंगे। 2024 चुनाव में राहुल कमोबेश हर रैली में अग्निवीरों का मुद्दा उठाते रहे। राहुल गांधी सत्ता में तो नहीं आए, लेकिन मजबूत विपक्ष में जरूर आ गए। नतीजों के बाद 11 जून को राहुल ने कहा कि विपक्ष में ‘सेना’ बैठी है। हम अग्निवीर योजना को रद्द करवाकर रहेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
लुधियाना में करंट लगे मरीज को नहीं मिला स्ट्रैचर:सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में E-रिक्शा लेकर अंदर घुसे, युवक ने तोड़ा दम
लुधियाना में करंट लगे मरीज को नहीं मिला स्ट्रैचर:सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में E-रिक्शा लेकर अंदर घुसे, युवक ने तोड़ा दम पंजाब के लुधियाना का सिविल अस्पताल एक बार फिर चर्चा में आ गया है। मंगलवार रात करीब सवा दस बजे एक राहगीर ई-रिक्शा चालक करंट लगने से घायल को इलाज के लिए सिविल अस्पताल लेकर आया। मरीज की पत्नी भी उसके साथ थी। उसे इमरजेंसी में भर्ती करने के लिए उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला। मरीज के परिजनों और ई-रिक्शा चालक कंवलजीत सिंह ने जब काफी शोर मचाया तो अस्पताल स्टाफ ने उन्हें बताया कि अगर स्ट्रेचर लेना है तो शवगृह जाना पड़ेगा। किसी तरह लोगों की मदद से मरीज अजय मेहता को ई-रिक्शा से नीचे उतारा गया और हाथ-पैर पकड़कर इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। मरीज अजय मेहता की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे पीजीआई रेफर कर दिया। स्ट्रेचर न मिलने पर इमरजेंसी में ई-रिक्शा घुसाया कंवलजीत के अनुसार परिजनों ने मरीज को इमरजेंसी से बाहर ले जाने के लिए दोबारा स्ट्रेचर की मांग की। जब किसी ने स्ट्रेचर नहीं दिया तो मरीज की जान बचाने के लिए वह ई-रिक्शा चलाकर अस्पताल की इमरजेंसी में ले गया ताकि मरीज को जल्दी से लादकर निजी अस्पताल ले जाया जा सके। लेकिन वहां मौजूद पुलिस कर्मियों से उसकी कहासुनी हो गई। इसके बाद वह मरीज अजय मेहता को सीएमसी अस्पताल ले गया लेकिन उसकी मौत हो गई। राजमिस्त्री का काम करता था मृतक जानकारी देते हुए मृतक अजय की पत्नी अजयमती ने बताया कि उसका पति राजमिस्त्री का काम करता है। वह कुछ दिन पहले ही बिहार से लुधियाना आया है। उसकी 1 बेटी और दो बेटे हैं। वह अपने परिवार के साथ बैंक कॉलोनी में रहती है। मंगलवार रात को जब उसका पति कमरे में प्रवेश कर रहा था तो मीटर बॉक्स के पास बिजली की तार से उसका हाथ छू गया। जिससे वह झुलस गया। लोगों की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया गया। अजय के शव को अब पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल में रखा जाएगा।