खालिस्तान समर्थक और श्री खडूर साहिब सीट से नवनिर्वाचित सांसद अमृतपाल सिंह के भाई हरप्रीत सिंह हैप्पी को फिल्लौर कोर्ट से जमानत मिल गई है। 4 दिन पहले रिमांड खत्म होने के बाद हैप्पी और लवप्रीत को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। आपको बता दें कि, विगत शनिवार को कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख दी थी, लेकिन मंगलवार को लवप्रीत सिंह और हैप्पी की जमानत पर सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। आज कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने हैप्पी को जमानत दे दी है। फिल्लौर हाईवे से हुई थी हैप्पी और लवप्रीत की गिरफ्तारी बता दें कि, फिल्लौर पुलिस ने हैप्पी को उसके साथी लवप्रीत के साथ 11 जुलाई की शाम फिल्लौर हाईवे से गिरफ्तार किया था। इनके पास से 4 ग्राम आइस ड्रग बरामद हुई थी। निचली अदालत से दोनों का रिमांड न मिलने के कारण पुलिस ने एडिशनल सेशन जज केके जैन की अदालत में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की है। वहीं, पुलिस उस व्यक्ति को पहले ही जेल भेज चुकी है, जिससे हैप्पी और लवप्रीत ने ड्रग खरीदी थी। इनमें आइस सप्लायर संदीप अरोड़ा और संदीप के फोटोग्राफर दोस्त मनीष मारवाह का नाम शामिल है। लुधियाना से 10 हजार की आइस लेकर आया था हैप्पी मिली जानकारी के अनुसार हैप्पी और लवप्रीत अपनी क्रेटा कार में लुधियाना के हैबोवाल निवासी संदीप से 10 हजार रुपए का आइस ड्रग खरीदने आए थे। पुलिस ने संदीप को भी पकड़ लिया था। एसएसपी अंकुल गुप्ता ने बताया था कि रूटीन चेकिंग के दौरान पुलिस ने फिल्लौर हाईवे से दोनों को गिरफ्तार किया था। दोनों काले शीशे लगी सफेद क्रेटा कार में बैठकर ड्रग लेने की तैयारी कर रहे थे। आरोपियों के पास लाइटर और पन्नी भी थी। अमृतपाल के वकील ने कहा था कि केस दर्ज किया खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के वकील ईमान सिंह ने हरप्रीत की गिरफ्तारी पर कहा था कि पुलिस ने सियासत के दबाव में आकर झूठा केस दर्ज किया है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी द्वारा बदले की राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि, आम आदमी पार्टी द्वारा अमृतपाल की देखरेख में बनाई जा रही पार्टी को क्षति पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। जिससे क्षेत्रीय पार्टी पंजाब में सिर न उठा सके। ये झूठा केस 2-4 ग्राम के लिए बना दिया गया। जिले का एसएसपी सिर्फ चार ग्राम नशीले पदार्थ के लिए प्रेसवार्ता कर रहा है। कौन है अमृतपाल, जो नशा विरोधी मुहिम से सुर्खियों में आया अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। अमृतपाल दुबई में रहता था। लाल किला हिंसा से चर्चा में आए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 में पंजाब लौटा। यहां आकर दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे का चीफ बन गया। इसके बाद अमृतपाल ने पंजाब में नशा विरोधी मुहिम चलानी शुरू कर दी। उसने अपने गांव जल्लूपुर खेड़ा में नशा छुड़ाओ केंद्र तक खोला। अमृतपाल ने पंजाब में नशा विरोधी लहर भी चलाई। हालांकि इसी दौरान बाद अमृतपाल ने भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी शुरू कर दी। जिस वजह से पुलिस ने अमृतपाल के एक साथी को हिरासत में ले लिया। उसे छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने साथियों के साथ अजनाला पुलिस थाने में धरना दिया। अमृतपाल पर आरोप लगे कि उन्होंने थाने पर हमला किया। पुलिस से टकराव हुआ। इसके बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर केस दर्ज कर घेराबंदी शुरू कर दी। कई दिनों की फरारी के बाद अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अमृतपाल पर देश विरोधी साजिश रचने का आरोप लगाकर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत केस दर्ज कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था। खालिस्तान समर्थक और श्री खडूर साहिब सीट से नवनिर्वाचित सांसद अमृतपाल सिंह के भाई हरप्रीत सिंह हैप्पी को फिल्लौर कोर्ट से जमानत मिल गई है। 4 दिन पहले रिमांड खत्म होने के बाद हैप्पी और लवप्रीत को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। आपको बता दें कि, विगत शनिवार को कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख दी थी, लेकिन मंगलवार को लवप्रीत सिंह और हैप्पी की जमानत पर सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। आज कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने हैप्पी को जमानत दे दी है। फिल्लौर हाईवे से हुई थी हैप्पी और लवप्रीत की गिरफ्तारी बता दें कि, फिल्लौर पुलिस ने हैप्पी को उसके साथी लवप्रीत के साथ 11 जुलाई की शाम फिल्लौर हाईवे से गिरफ्तार किया था। इनके पास से 4 ग्राम आइस ड्रग बरामद हुई थी। निचली अदालत से दोनों का रिमांड न मिलने के कारण पुलिस ने एडिशनल सेशन जज केके जैन की अदालत में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की है। वहीं, पुलिस उस व्यक्ति को पहले ही जेल भेज चुकी है, जिससे हैप्पी और लवप्रीत ने ड्रग खरीदी थी। इनमें आइस सप्लायर संदीप अरोड़ा और संदीप के फोटोग्राफर दोस्त मनीष मारवाह का नाम शामिल है। लुधियाना से 10 हजार की आइस लेकर आया था हैप्पी मिली जानकारी के अनुसार हैप्पी और लवप्रीत अपनी क्रेटा कार में लुधियाना के हैबोवाल निवासी संदीप से 10 हजार रुपए का आइस ड्रग खरीदने आए थे। पुलिस ने संदीप को भी पकड़ लिया था। एसएसपी अंकुल गुप्ता ने बताया था कि रूटीन चेकिंग के दौरान पुलिस ने फिल्लौर हाईवे से दोनों को गिरफ्तार किया था। दोनों काले शीशे लगी सफेद क्रेटा कार में बैठकर ड्रग लेने की तैयारी कर रहे थे। आरोपियों के पास लाइटर और पन्नी भी थी। अमृतपाल के वकील ने कहा था कि केस दर्ज किया खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के वकील ईमान सिंह ने हरप्रीत की गिरफ्तारी पर कहा था कि पुलिस ने सियासत के दबाव में आकर झूठा केस दर्ज किया है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी द्वारा बदले की राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि, आम आदमी पार्टी द्वारा अमृतपाल की देखरेख में बनाई जा रही पार्टी को क्षति पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। जिससे क्षेत्रीय पार्टी पंजाब में सिर न उठा सके। ये झूठा केस 2-4 ग्राम के लिए बना दिया गया। जिले का एसएसपी सिर्फ चार ग्राम नशीले पदार्थ के लिए प्रेसवार्ता कर रहा है। कौन है अमृतपाल, जो नशा विरोधी मुहिम से सुर्खियों में आया अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। अमृतपाल दुबई में रहता था। लाल किला हिंसा से चर्चा में आए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 में पंजाब लौटा। यहां आकर दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे का चीफ बन गया। इसके बाद अमृतपाल ने पंजाब में नशा विरोधी मुहिम चलानी शुरू कर दी। उसने अपने गांव जल्लूपुर खेड़ा में नशा छुड़ाओ केंद्र तक खोला। अमृतपाल ने पंजाब में नशा विरोधी लहर भी चलाई। हालांकि इसी दौरान बाद अमृतपाल ने भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी शुरू कर दी। जिस वजह से पुलिस ने अमृतपाल के एक साथी को हिरासत में ले लिया। उसे छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने साथियों के साथ अजनाला पुलिस थाने में धरना दिया। अमृतपाल पर आरोप लगे कि उन्होंने थाने पर हमला किया। पुलिस से टकराव हुआ। इसके बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर केस दर्ज कर घेराबंदी शुरू कर दी। कई दिनों की फरारी के बाद अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अमृतपाल पर देश विरोधी साजिश रचने का आरोप लगाकर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत केस दर्ज कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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किसान संघर्ष खत्म करने को लेकर आज लेंगे फैसला:चंडीगढ़ के सेक्टर -34 में चल रहा है मोर्चा, सीएम से हो चुकी है मीटिंग चंडीगढ़ में कृषि पॉलिसी समेत आठ मुद्दों को लेकर संघर्ष पर चल रहे किसानों का मोर्चा आगे चलेगा या हटेगा। इस पर आज (शुक्रवार) को किसानों द्वारा फैसला लिया जाना है। किसानों की एक अहम मीटिंग सेक्टर-34 में सुबह 11 बजे होगी। इसमें किसानों द्वारा अपनी आगे की रणनीति की जाएगी। इससे पहले किसानों की वीरवार को सीएम भगवंत मान और अधिकारियों से तीन घंटे तक मीटिंग हुई। इसमें प्रत्येक मुद्दे पर मंथन हुआ था। लेकिन किसानों ने मोर्चे को हटाने के लिए कोई फैसला नहीं लिया था। उनका कहना था कि वह शुक्रवार को मीटिंग कर आगे का फैसला लेंगे। इन मुद्दों पर बनी थी सहमति सीएम से मीटिंग में तय हुआ कि खेती पॉलिसी का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसे किसानों व सभी विभागों के साथ शेयर किया जाएगा। फिर किसानों व अन्य मेंबरों से मीटिंग की जाएगी। इसके बाद इसे लागू किया जाएगा। किसानों के कर्ज से जुड़े मामले में कोआपरेटिव बैंक में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (OTS) लेकर आएंगे। किसानों पर जो केस गत समय में दर्ज हुए हैं, उन्हें वापस लेने पर चर्चा हुई है। हालांकि कई केसों में चालान तक पेश किए जा चुके हैं। ऐसे में एडवोकेट जनरल पंजाब से राय लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा भूमिगत जल को बचाने और और खेत के आखिरी किनारे तक नहरी पानी पहुंचाने पर मंथन हुआ। 15 साल बाद चंडीगढ़ में किसानों का मोर्चा पंजाब के यह किसान भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां ) और खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले जुटे हैं। मानसून सेशन शुरू होने से पहले किसान चंडीगढ़ पहुंच गए थे। करीब पंद्रह साल के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें चंडीगढ़ में मोर्चा लगाने की मंजूरी दे दी थी। किसानों ने सेक्टर-34 के दशहरा ग्राउंड में मोर्चा लगाया था। फिर किसानों की मांग थी वह सेशन के दौरान विधानसभा तक मार्च निकालेंगे। लेकिन बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें मटका चौक तक मार्च के रूप में जाने दिया था। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने मटका चौक पर पहुंचकर किसानों से मांग पत्र लिया था। साथ ही किसानों को विश्वास दिलाया था कि वह उनके वकील बनकर सीएम के समक्ष इस मामले को उठाएंगे।
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शहीद के पेरेंट्स-पत्नी को इंश्योरेंस फंड के 50-50 लाख मिले:आर्मी बोली- पेंशन पत्नी को मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था
शहीद के पेरेंट्स-पत्नी को इंश्योरेंस फंड के 50-50 लाख मिले:आर्मी बोली- पेंशन पत्नी को मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था सियाचिन में सेना के टेंट में आग लगने से 19 जुलाई 2023 को शहीद हुए देवरिया के कैप्टन अंशुमान के परिवार को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड से 1 करोड़ रुपए दिए गए। यह रकम अंशुमान के पेरेंट्स और उनकी पत्नी में आधी-आधी बांटी गई। शहीद के माता-पिता ने कहा था- बेटे को मिले मरणोपरांत कीर्ति चक्र को बहू ने छूने भी नहीं दिया। बेटे के जाने के बाद बहू सम्मान लेकर चली गई। हमारे पास कुछ नहीं बचा। आर्मी को शहीद के परिवार को मिलने वाली वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव करना चाहिए। इसे लेकर आर्मी के सूत्रों ने कहा है कि आर्मी की ओर से पेरेंट्स को 50 लाख और पत्नी को 50 लाख दिए जा चुके हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक शहीद की पेंशन उनकी पत्नी स्मृति को ही मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था। इसके अलावा UP सरकार ने भी परिवार को 50 लाख रुपए दिए थे। इसमें से 15 लाख माता-पिता और 35 लाख रुपए पत्नी स्मृति को दिए गए थे। इसके बावजूद शहीद के पेरेंट्स ने कहा था कि वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव होना चाहिए। आर्मी ने कहा- शहीद के पिता रिटायर्ड JCO, उन्हें पेंशन मिलती है
आर्मी के एक अधिकारी ने कहा- कैप्टन अंशुमान मार्च 2020 में आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में शामिल हुए थे। पत्नी स्मृति को आर्मी के ज्यादा बेनिफिट इसलिए मिल रहे हैं, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें अपना नॉमिनी बनाया था। साथ ही बताया कि अंशुमान के पिता आर्मी में रिटायर्ड JCO हैं। उन्हें पेंशन और आर्मी की अन्य सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे मुद्दे आर्मी के सामने पहले भी आए हैं, खासकर तब जब शहीद के माता-पिता उन पर आश्रित होते हैं, लेकिन आर्मी यूनिट ऐसे मुद्दों को निपटा लेती है। अंशुमान का मामला अलग है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि उनके पिता भी सेना में रह चुके हैं। आर्मी में PF और पेंशन के नियम पत्नी ने कहा था- एक कॉल ने 50 साल के सपने तोड़ दिए
सम्मान समारोह के बाद स्मृति ने कहा- अंशुमान के शहीद होने का कॉल आया था। इस कॉल ने 50 साल के सपने तोड़ दिए थे। कैप्टन अंशुमान बहुत सक्षम थे। वे अक्सर कहा करते थे, मैं अपने सीने पर गोली खाकर मरना चाहता हूं। मैं आम आदमी की तरह नहीं मरना चाहता, जिसे कोई जान ही न पाए। इंजीनियरिंग कॉलेज के पहले दिन हमारी मुलाकात हुई थी। यह पहली नजर का प्यार था। एक महीना ही बीता था कि उनका चयन AFMC में हो गया। वे सुपर इंटेलिजेंट शख्स थे। हम सिर्फ एक महीना ही रूबरू मिले। फिर आठ साल तक दूरी रही, लेकिन रिश्ता बना रहा। फरवरी, 2023 में हमने शादी कर ली। दुर्भाग्य से शादी के दो महीने बाद ही उनकी सियाचिन में पोस्टिंग हो गई। 18 जुलाई, 2023 को हमारी लंबी बातचीत हुई थी कि अगले 50 साल में हमारी जिंदगी कैसी होगी। अपना घर होगा। हमारे बच्चे होंगे …और भी बहुत कुछ। 19 जुलाई की सुबह मैं एक फोन कॉल से उठी। उधर से आवाज आई…कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। यह खबर भी पढ़ें… शादी के 5 महीने बाद कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद, ग्लेशियर में टेंट में आग लगने से गई थी जान सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। पूरी खबर पढ़ें…