जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत ने मंगलवार-बुधवार की रात आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए रात 1.30 बजे पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया। आज भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आदेशानुसार देशभर में मॉक ड्रिल और सुरक्षा तैयारियों के अभ्यास के निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के तहत पंजाब के संवेदनशील जोन-2 में शामिल अमृतसर, गुरदासपुर, बटाला और पठानकोट जैसे सीमावर्ती जिलों में बुधवार 7 मई को दो चरणों में सुरक्षा संबंधी अभ्यास किए जाएंगे। जानें दो चरणों में कैसी होगी ड्रिल स्थानीय जिला कार्यालयों से जारी जानकारी के अनुसार बुधवार शाम को पहले एयर अटैक मॉक ड्रिल करवाई जाएगी, जिसमें हवाई हमले की स्थिति में बचाव कार्यों और लोगों की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके तहत प्रशासनिक अमले, आपातकालीन सेवाओं और सुरक्षा बलों को सक्रिय किया जाएगा ताकि यह जांचा जा सके कि आपात स्थिति में कितना समय लगता है और कितनी दक्षता से कार्रवाई होती है। इसके बाद रात में ब्लैकआउट रिहर्सल होगी, जिसमें पूरे क्षेत्र में बिजली की रोशनी बंद कर दी जाएगी ताकि वास्तविक हमले की स्थिति में दुश्मन को निशाना साधने में कठिनाई हो। आम नागरिकों से भी अपील की जाएगी कि वे इस अभ्यास में सहयोग करें और आवश्यक सावधानियां बरतें। जानें कब है ब्लैकआउट व ड्रिल हर जिले की तरफ से अलग-अलग समय पर मॉकड्रिल करने का फैसला लिया गया है। एयर अटैक मॉक ड्रिल शाम 4 बजे होगी। अमृतसर में रामतीर्थ रोड व अजनाला रोड पर इस ड्रिल को आयोजित किया गया है। जबकि गुरदासपुर, बटाला और पठानकोट में शहरी इलाकों में ये ड्रिल होगी अमृतसर- 10 से 10.30 बजे तक बटाला- 9 से 9.30 बजे तक गुरदासपुर- 9 से 9.30 बजे तक पठानकोट- 10 से 10.30 बजे तक क्यों जरूरी है यह अभ्यास? प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इस अभ्यास को लेकर कोई अफवाह न फैलाएं और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। यह अभ्यास केवल सुरक्षा की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए है। पुलिस, SDRF समेत अन्य रेस्क्यू टीमें लेंगी मॉक ड्रिल में भाग इस मॉक ड्रिल में पुलिस, SDRF समेत अन्य रेस्क्यू टीमों को युद्ध के दौरान बचने की ट्रेनिंग दी जाएगी और मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाय जाएंगे। पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच पहली बार ऐसा केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। लोगों से अपील-फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस को दें रास्ता मॉकड्रिल सिर्फ सरकारी विभागों या आपातकालीन विभागों के लिए नहीं है, जबकि सभी नागरिकों के लिए भी है। कल के बाद जब भी सारन बजे और रास्ते पर आपको एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी नजर आए तो सभी का कर्तव्य बनता है कि सबसे पहले उसे रास्ता दिया जाए। जिला प्रशासन ने साफ किया है कि ये ड्रिल आगे भी होती रहेगी। ऐसे में एम्बुलेंस व फायर ब्रिगेड के साइरन की आवाज सुन प्रमुखता से सतर्क रहें। जानें ड्रिल से जुड़ी कुछ अहम बातें क्या होता है एयर रेड सायरन एयर रेड सायरन एक खास तरह की तेज और तीव्र ध्वनि होती है, जिसे 60 सेकेंड तक बजाया जाता है। इसका मकसद लोगों को किसी संभावित खतरे जैसे हवाई हमले या अन्य आपातकालीन स्थिति की पूर्व चेतावनी देना होता है, ताकि वे समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें। मॉक ड्रिल क्यों जरूरी वॉर सायरन कैसे काम करते हैं मैकेनिकल एयर सायरन – इनमें घूमने वाली डिस्क और हवा के दबाव से तेज आवाज पैदा होती है। इलेक्ट्रिक सायरन – ये बिजली से संचालित होते हैं और साउंड कंपन से अलर्ट करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सायरन – यह आधुनिक तकनीक है, जिसमें डिजिटल कंट्रोल और स्पीकर सिस्टम से दूर से भी ऑपरेट किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत ने मंगलवार-बुधवार की रात आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए रात 1.30 बजे पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया। आज भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आदेशानुसार देशभर में मॉक ड्रिल और सुरक्षा तैयारियों के अभ्यास के निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के तहत पंजाब के संवेदनशील जोन-2 में शामिल अमृतसर, गुरदासपुर, बटाला और पठानकोट जैसे सीमावर्ती जिलों में बुधवार 7 मई को दो चरणों में सुरक्षा संबंधी अभ्यास किए जाएंगे। जानें दो चरणों में कैसी होगी ड्रिल स्थानीय जिला कार्यालयों से जारी जानकारी के अनुसार बुधवार शाम को पहले एयर अटैक मॉक ड्रिल करवाई जाएगी, जिसमें हवाई हमले की स्थिति में बचाव कार्यों और लोगों की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके तहत प्रशासनिक अमले, आपातकालीन सेवाओं और सुरक्षा बलों को सक्रिय किया जाएगा ताकि यह जांचा जा सके कि आपात स्थिति में कितना समय लगता है और कितनी दक्षता से कार्रवाई होती है। इसके बाद रात में ब्लैकआउट रिहर्सल होगी, जिसमें पूरे क्षेत्र में बिजली की रोशनी बंद कर दी जाएगी ताकि वास्तविक हमले की स्थिति में दुश्मन को निशाना साधने में कठिनाई हो। आम नागरिकों से भी अपील की जाएगी कि वे इस अभ्यास में सहयोग करें और आवश्यक सावधानियां बरतें। जानें कब है ब्लैकआउट व ड्रिल हर जिले की तरफ से अलग-अलग समय पर मॉकड्रिल करने का फैसला लिया गया है। एयर अटैक मॉक ड्रिल शाम 4 बजे होगी। अमृतसर में रामतीर्थ रोड व अजनाला रोड पर इस ड्रिल को आयोजित किया गया है। जबकि गुरदासपुर, बटाला और पठानकोट में शहरी इलाकों में ये ड्रिल होगी अमृतसर- 10 से 10.30 बजे तक बटाला- 9 से 9.30 बजे तक गुरदासपुर- 9 से 9.30 बजे तक पठानकोट- 10 से 10.30 बजे तक क्यों जरूरी है यह अभ्यास? प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इस अभ्यास को लेकर कोई अफवाह न फैलाएं और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। यह अभ्यास केवल सुरक्षा की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए है। पुलिस, SDRF समेत अन्य रेस्क्यू टीमें लेंगी मॉक ड्रिल में भाग इस मॉक ड्रिल में पुलिस, SDRF समेत अन्य रेस्क्यू टीमों को युद्ध के दौरान बचने की ट्रेनिंग दी जाएगी और मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाय जाएंगे। पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच पहली बार ऐसा केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। लोगों से अपील-फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस को दें रास्ता मॉकड्रिल सिर्फ सरकारी विभागों या आपातकालीन विभागों के लिए नहीं है, जबकि सभी नागरिकों के लिए भी है। कल के बाद जब भी सारन बजे और रास्ते पर आपको एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी नजर आए तो सभी का कर्तव्य बनता है कि सबसे पहले उसे रास्ता दिया जाए। जिला प्रशासन ने साफ किया है कि ये ड्रिल आगे भी होती रहेगी। ऐसे में एम्बुलेंस व फायर ब्रिगेड के साइरन की आवाज सुन प्रमुखता से सतर्क रहें। जानें ड्रिल से जुड़ी कुछ अहम बातें क्या होता है एयर रेड सायरन एयर रेड सायरन एक खास तरह की तेज और तीव्र ध्वनि होती है, जिसे 60 सेकेंड तक बजाया जाता है। इसका मकसद लोगों को किसी संभावित खतरे जैसे हवाई हमले या अन्य आपातकालीन स्थिति की पूर्व चेतावनी देना होता है, ताकि वे समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें। मॉक ड्रिल क्यों जरूरी वॉर सायरन कैसे काम करते हैं मैकेनिकल एयर सायरन – इनमें घूमने वाली डिस्क और हवा के दबाव से तेज आवाज पैदा होती है। इलेक्ट्रिक सायरन – ये बिजली से संचालित होते हैं और साउंड कंपन से अलर्ट करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सायरन – यह आधुनिक तकनीक है, जिसमें डिजिटल कंट्रोल और स्पीकर सिस्टम से दूर से भी ऑपरेट किया जा सकता है। पंजाब | दैनिक भास्कर
