ज्वेलर हत्याकांड…तीन आईपीएस-300 पुलिसकर्मी और टेक्नोलॉजी ने खोला केस:1000 सीसीटीवी चेक किए, सॉफ्टवेयर से साफ की धुंधली तस्वीर, तब बदमाशों तक पहुंचे

ज्वेलर हत्याकांड…तीन आईपीएस-300 पुलिसकर्मी और टेक्नोलॉजी ने खोला केस:1000 सीसीटीवी चेक किए, सॉफ्टवेयर से साफ की धुंधली तस्वीर, तब बदमाशों तक पहुंचे

आगरा में ज्वेलर की हत्या और लूट की घटना के बाद पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द घटना का खुलासा करने के लिए थे। मामला व्यापारी से जुड़ा था तो गूंज लखनऊ तक पहुंची। वहां से पल-पल का अपडेट लिया जा रहा था। ऐसे में हत्या और फरारी के समय के सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद पुलिस ने तकनीक का सहारा लिया। पुलिस को अमन का एक फोटो ऐसा मिला जब उसने नाकाब हटाया था। बस इसके बाद साफ्टवेयर की मदद से बदमाश के चेहरे को साफ किया गया। पुलिस ने सर्विलांस की भी मदद ले ली। दोनों तकनीक से पुलिस को एक ही दिशा मिली। इसके बाद आगे बढ़ी पुलिस ने बदमाशों को चिन्हित कर लिया। सिकंदरा के कारगिल तिराहा के पास बालाजी ज्वेलर्स शोरूम में लूटपाट के बाद बदमाशों ने सर्राफ योगेश चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस को बाजार में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग से बदमाशों का फुटेज मिला था। 23 सेकंड के वीडियो में बदमाश निकलते समय सर्राफ को गोली मारते दिख रहे थे। पुलिस ने स्मार्ट सिटी के सीसीटीवी कैमरों के साथ घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग भी देखी। पुलिस को बदमाशों के कई स्थानों के फुटेज मिले। इनमें से एक में बदमाश के चेहरे पर मास्क नहीं था। मगर, चेहरा साफ नहीं दिख रहा था। ऐसे में एडीशनल डीसीपी सिटी आदित्य कुमार ने बदमाश की तस्वीर को साफ करने के लिए साइबर सेल की मदद ली। साफ्टवेयर से चेहरे को स्पष्ट किया। इसके बाद फोटो लेकर पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में जानकारी की। उधर, सर्विलांस टीम की जांच में एक संदिग्ध नंबर भी मिल गया। मोबाइल कंपनी से जब मोबाइल सिम मालिक की जानकारी मिली तो पुलिस सुमित के दोस्त तक पहुंच गई। इसके बाद कड़ियां जुड़ती गईं और सुमित और अमन पुलिस की पकड़ में आ गए। तीन आईपीएस – 300 पुलिसकर्मी घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस की दस टीम फ्रंट पर काम कर रही थीं। इनमें करीब 150 पुलिसकर्मी थे। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार खुद मानीटरिंग कर रहे थे। डीसीपी सिटी सोनम कुमार अपने स्तर से निगरानी में लगे थे। जबकि अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य और एसीपी हरीपर्वत विनायक भोंसले सीधे टीम को लीड कर रहे थे। 150 से अधिक पुलिसकर्मी रूट के सीसीटीवी कैमरे चेक करने में लगाए गए थे। रातदिन में उन्होंने एक हजार से अधिक कैमरों की रिकार्डिंग चेक कर बदमाशों का सुराग तलाश। सर्विलांस टीम संदिग्ध मोबाइल नंबर पता करने को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही थीं। सभी टीमों को एक वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया था। इस पर अधिकारियों ने पल-पल का अपडेट लेकर निर्देशित किया। एक बदमाश की स्पष्ट तस्वीर सामने आने के बाद कई टीमें क्षेत्र में उसे लेकर घर-घर तक गईं। मैनपुरी के एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित को घटना के खुलासे के लिए स्पेशल परमिशन लेकर संबद्ध कराया गया। पर्दाफाश में इंस्पेक्टर सिकंदरा नीरज शर्मा, इंस्पेक्टर न्यू आगरा राजीव त्यागी, इंस्पेक्टर ताजगंज जसवीर सिंह सिरोही, एसओ चित्राहाट रुद्र प्रताप, एसओ डौकी योगेश कुमार और सर्विलांस प्रभारी अंकुर मलिक की अहम भूमिका रही। लुटेरे को तीन गोलियां लगी,शरीर में एक मिली
मुठभेड़ में लुटेरे अमन के शरीर पर तीन गोलियां लगीं। इनमें से दो गोलियां सीना और सिर चीर कर निकल गईं। पोस्टमार्टम के दौरान चिकित्सक को उसके शरीर पर गोलियों के तीन निशान मिले। सिर पर पीछे की तरफ,सीने पर और जांघ पर गोलियां लगी थीं, सिर्फ जांघ में बुलेट फंसी मिली है। आगरा में ज्वेलर की हत्या और लूट की घटना के बाद पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द घटना का खुलासा करने के लिए थे। मामला व्यापारी से जुड़ा था तो गूंज लखनऊ तक पहुंची। वहां से पल-पल का अपडेट लिया जा रहा था। ऐसे में हत्या और फरारी के समय के सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद पुलिस ने तकनीक का सहारा लिया। पुलिस को अमन का एक फोटो ऐसा मिला जब उसने नाकाब हटाया था। बस इसके बाद साफ्टवेयर की मदद से बदमाश के चेहरे को साफ किया गया। पुलिस ने सर्विलांस की भी मदद ले ली। दोनों तकनीक से पुलिस को एक ही दिशा मिली। इसके बाद आगे बढ़ी पुलिस ने बदमाशों को चिन्हित कर लिया। सिकंदरा के कारगिल तिराहा के पास बालाजी ज्वेलर्स शोरूम में लूटपाट के बाद बदमाशों ने सर्राफ योगेश चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस को बाजार में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग से बदमाशों का फुटेज मिला था। 23 सेकंड के वीडियो में बदमाश निकलते समय सर्राफ को गोली मारते दिख रहे थे। पुलिस ने स्मार्ट सिटी के सीसीटीवी कैमरों के साथ घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग भी देखी। पुलिस को बदमाशों के कई स्थानों के फुटेज मिले। इनमें से एक में बदमाश के चेहरे पर मास्क नहीं था। मगर, चेहरा साफ नहीं दिख रहा था। ऐसे में एडीशनल डीसीपी सिटी आदित्य कुमार ने बदमाश की तस्वीर को साफ करने के लिए साइबर सेल की मदद ली। साफ्टवेयर से चेहरे को स्पष्ट किया। इसके बाद फोटो लेकर पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में जानकारी की। उधर, सर्विलांस टीम की जांच में एक संदिग्ध नंबर भी मिल गया। मोबाइल कंपनी से जब मोबाइल सिम मालिक की जानकारी मिली तो पुलिस सुमित के दोस्त तक पहुंच गई। इसके बाद कड़ियां जुड़ती गईं और सुमित और अमन पुलिस की पकड़ में आ गए। तीन आईपीएस – 300 पुलिसकर्मी घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस की दस टीम फ्रंट पर काम कर रही थीं। इनमें करीब 150 पुलिसकर्मी थे। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार खुद मानीटरिंग कर रहे थे। डीसीपी सिटी सोनम कुमार अपने स्तर से निगरानी में लगे थे। जबकि अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य और एसीपी हरीपर्वत विनायक भोंसले सीधे टीम को लीड कर रहे थे। 150 से अधिक पुलिसकर्मी रूट के सीसीटीवी कैमरे चेक करने में लगाए गए थे। रातदिन में उन्होंने एक हजार से अधिक कैमरों की रिकार्डिंग चेक कर बदमाशों का सुराग तलाश। सर्विलांस टीम संदिग्ध मोबाइल नंबर पता करने को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही थीं। सभी टीमों को एक वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया था। इस पर अधिकारियों ने पल-पल का अपडेट लेकर निर्देशित किया। एक बदमाश की स्पष्ट तस्वीर सामने आने के बाद कई टीमें क्षेत्र में उसे लेकर घर-घर तक गईं। मैनपुरी के एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित को घटना के खुलासे के लिए स्पेशल परमिशन लेकर संबद्ध कराया गया। पर्दाफाश में इंस्पेक्टर सिकंदरा नीरज शर्मा, इंस्पेक्टर न्यू आगरा राजीव त्यागी, इंस्पेक्टर ताजगंज जसवीर सिंह सिरोही, एसओ चित्राहाट रुद्र प्रताप, एसओ डौकी योगेश कुमार और सर्विलांस प्रभारी अंकुर मलिक की अहम भूमिका रही। लुटेरे को तीन गोलियां लगी,शरीर में एक मिली
मुठभेड़ में लुटेरे अमन के शरीर पर तीन गोलियां लगीं। इनमें से दो गोलियां सीना और सिर चीर कर निकल गईं। पोस्टमार्टम के दौरान चिकित्सक को उसके शरीर पर गोलियों के तीन निशान मिले। सिर पर पीछे की तरफ,सीने पर और जांघ पर गोलियां लगी थीं, सिर्फ जांघ में बुलेट फंसी मिली है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर