12 साल पहले इम्प्रुवमेंट ट्रस्ट की सात नंबर 7 स्कीम में एक सिर कटा शव मिलने वाले मामले में गुरदासपुर की जिला अदालत ने एडीजीपी राम सिंह और आम आदमी पार्टी के विधायक एवं तत्कालीन आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह को अदालत में पेश होने के समन जारी किए गए हैं, जबकि उस समय में डीएसपी यादविंदर सिंह की गिरफ्तारी के वारंट अदालत द्वारा जारी किए गए हैं। इसके अलावा अन्य कई पुलिस कर्मचारियों को भी कोर्ट में पेश होने के लिए समन भेजे गए हैं। बता दें कि मामले में एक महिला की हत्या के आरोप में उसके पति व पति के परिवारिक सदस्यों को पुलिस द्वारा हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया गया था। बाद में उक्त महिला जीवित निकली। अपने दामाद को फंसाने के लिए ससुर ने किसी अन्य महिला की हत्या करके उसे अपनी लड़की के कपड़े पहना दिए थे। शिकायतकर्ता मनोज कुमार ने बताया कि उसकी शादी गोल्डी पुत्री बुआ मसीह निवासी गांव मान चोपड़ा के साथ हुई थी। हालांकि मनोज का ससुर अपनी बेटी की शादी किसी अन्य लड़के के साथ करवाना चाहता था। इसलिए वह मनोज को किसी झूठे केस में फंसाने का इरादा रखता था। मनोज कुमार के ससुर बुआ मसीह ने उसे और उसके अन्य स्वजनों को फंसाने के लिए शिकायतकर्ता की पत्नी और उसके अन्य स्वजनों के साथ मिलीभगत करके 11 दिसंबर 2011 की रात को दर्शना उर्फ गोगन नामक एक महिला की हत्या कर दी और उसका सिर अलग कर दिया। शव से कपड़े उतार कर मनोज की पत्नी गोल्डी के कपड़े दर्शना उर्फ गोगन के शव पर डाल दिए। मनोज के ससुराल वालों का राजनीतिक प्रभाव था। उसने सिटी गुरदासपुर में झूठी शिकायत कर दी कि मनोज कुमार और उसके स्वजनों ने उसकी लड़की गोल्डी की हत्या कर दी है। राजनीतिक दबाव में थी पुलिस कथित राजनीति के दबाव में पुलिस ने पीएस सिटी गुरदासपुर ने झूठी कहानी बनाकर धारा 302, 201 और 34 आईपीसी के तहत 12 दिसंबर 2011 को झूठी एफआईआर 217 दर्ज कर दी और उसी दिन दोपहर दो बजे एएसआई जोगिंदर सिंह, एसएचओ जोगा सिंह, इंस्पेक्टर यादविंदर सिंह, डीएसपी गरीब दास और डीएसपी अजिंदर सिंह समेत अन्य पुलिस अधिकारियों ने उसके कवार्टर में छापेमारी की और शिकायकर्ता मनोज और उसके स्वजनों को भी हिरासत में लिया गया। उक्त पुलिस पार्टी के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता और उसके स्वजनों को अलग अलग थानों में 10 दिनों तक नाजायज हिरासत में रखा। मनोज कुमार और उनके स्वजनों को महिला की हत्या कबूलने के लिए प्रताड़ित किया गया। उसकी पूछताछ के दौरान भी पुलिस पार्टी ने शिकायतकर्ता को अंदरुनी चोटें पहुंचाई। जिस कारण अभी तक उसकी टांगों में सूजन रहती है और उसके हाथ भी ठीक तरह से काम नहीं कर रहे।
सदमे में हुई माता-पिता की मौत इतना ही नहीं मनोज कुमार का कहना है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा गैर कानूनी हिरासत में रखे जाने के सदमे के कारण ही उसके माता पिता व अन्य एक परिवारिक सदस्य की मौत हो चुकी है। बाद में मनोज कुमार ने अपने ससुराल परिवार की साजिश का पर्दाफाश किया और हाईकोर्ट की शरण ली। इसके बाद शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठी साजिश करने और एक महिला की हत्या के आरोप में मनोज की पत्नी, उसके ससुर, साले और अन्य साथियों सहित करीब 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जिन्हें अदालत द्वारा 9 मार्च 2017 को उम्रकैद की सजा भी दी जा चुकी है। सजा के बाद इनमें से कुछ एक की जमानत भी होने की खबर है। दूसरी तरफ हाईकोर्ट के ही हस्ताक्षेप के बाद जिले की एक अदालत ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों एडीजीपी राम सिंह, तत्कालीन डीआईजी अमृतसर कुंवर विजय प्रताप (अब आम आदमी पार्टी के विधायक), आईपीएस जसकीरत सिंह चाहल, एसपी गुरचरण सिंह गोराया, डीएसपी अजिंदर सिंह, डीएसपी गरीब दास, डीएसपी यादविंदर सिंह, एसएचओ जोगा सिंह और एएसआई जगदेव सिंह के खिलाफ मनोज कुमार और उसके स्वजनों को नाजायज हिरासत में रखने, प्रताड़ित करने और दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोपों में मामले की सुनवाई शुरू कर दी गई है। पहले भी जारी हो चुके हैं समन जिला अदालत की ओर से नियमों के तहत पुलिस अधिकारियों को पहले पेश होने के लिए समन निकाले गए थे। जिनमें से एएसआई जगदेव सिंह को जमानत मिल चुकी है, जबकि तत्कालीन डीएसपी गरीब दास की ओर से वकील के माध्यम से आत्मसमर्पण और जमानत के लिए याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई के बाद उसे भी गत दिन जमानत दे दी गई है। इसके अलावा राम सिंह, कुंवर विजय प्रताप सिंह, गुरचरण सिंह, अजिंदर सिंह, इंस्पेक्टर जोगा सिंह, जसकीरत सिंह चाहल को 7 सितंबर 2024 को फिर से पेश होने के लिए सम्मन जारी कर दिए गए है। जबकि मामले के एक और कथित आरोपी एएसआई यादविंदर सिंह की गिरफ्तारी के वारंट अदालत द्वारा जारी किए गए हैं। 12 साल पहले इम्प्रुवमेंट ट्रस्ट की सात नंबर 7 स्कीम में एक सिर कटा शव मिलने वाले मामले में गुरदासपुर की जिला अदालत ने एडीजीपी राम सिंह और आम आदमी पार्टी के विधायक एवं तत्कालीन आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह को अदालत में पेश होने के समन जारी किए गए हैं, जबकि उस समय में डीएसपी यादविंदर सिंह की गिरफ्तारी के वारंट अदालत द्वारा जारी किए गए हैं। इसके अलावा अन्य कई पुलिस कर्मचारियों को भी कोर्ट में पेश होने के लिए समन भेजे गए हैं। बता दें कि मामले में एक महिला की हत्या के आरोप में उसके पति व पति के परिवारिक सदस्यों को पुलिस द्वारा हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया गया था। बाद में उक्त महिला जीवित निकली। अपने दामाद को फंसाने के लिए ससुर ने किसी अन्य महिला की हत्या करके उसे अपनी लड़की के कपड़े पहना दिए थे। शिकायतकर्ता मनोज कुमार ने बताया कि उसकी शादी गोल्डी पुत्री बुआ मसीह निवासी गांव मान चोपड़ा के साथ हुई थी। हालांकि मनोज का ससुर अपनी बेटी की शादी किसी अन्य लड़के के साथ करवाना चाहता था। इसलिए वह मनोज को किसी झूठे केस में फंसाने का इरादा रखता था। मनोज कुमार के ससुर बुआ मसीह ने उसे और उसके अन्य स्वजनों को फंसाने के लिए शिकायतकर्ता की पत्नी और उसके अन्य स्वजनों के साथ मिलीभगत करके 11 दिसंबर 2011 की रात को दर्शना उर्फ गोगन नामक एक महिला की हत्या कर दी और उसका सिर अलग कर दिया। शव से कपड़े उतार कर मनोज की पत्नी गोल्डी के कपड़े दर्शना उर्फ गोगन के शव पर डाल दिए। मनोज के ससुराल वालों का राजनीतिक प्रभाव था। उसने सिटी गुरदासपुर में झूठी शिकायत कर दी कि मनोज कुमार और उसके स्वजनों ने उसकी लड़की गोल्डी की हत्या कर दी है। राजनीतिक दबाव में थी पुलिस कथित राजनीति के दबाव में पुलिस ने पीएस सिटी गुरदासपुर ने झूठी कहानी बनाकर धारा 302, 201 और 34 आईपीसी के तहत 12 दिसंबर 2011 को झूठी एफआईआर 217 दर्ज कर दी और उसी दिन दोपहर दो बजे एएसआई जोगिंदर सिंह, एसएचओ जोगा सिंह, इंस्पेक्टर यादविंदर सिंह, डीएसपी गरीब दास और डीएसपी अजिंदर सिंह समेत अन्य पुलिस अधिकारियों ने उसके कवार्टर में छापेमारी की और शिकायकर्ता मनोज और उसके स्वजनों को भी हिरासत में लिया गया। उक्त पुलिस पार्टी के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता और उसके स्वजनों को अलग अलग थानों में 10 दिनों तक नाजायज हिरासत में रखा। मनोज कुमार और उनके स्वजनों को महिला की हत्या कबूलने के लिए प्रताड़ित किया गया। उसकी पूछताछ के दौरान भी पुलिस पार्टी ने शिकायतकर्ता को अंदरुनी चोटें पहुंचाई। जिस कारण अभी तक उसकी टांगों में सूजन रहती है और उसके हाथ भी ठीक तरह से काम नहीं कर रहे।
सदमे में हुई माता-पिता की मौत इतना ही नहीं मनोज कुमार का कहना है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा गैर कानूनी हिरासत में रखे जाने के सदमे के कारण ही उसके माता पिता व अन्य एक परिवारिक सदस्य की मौत हो चुकी है। बाद में मनोज कुमार ने अपने ससुराल परिवार की साजिश का पर्दाफाश किया और हाईकोर्ट की शरण ली। इसके बाद शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठी साजिश करने और एक महिला की हत्या के आरोप में मनोज की पत्नी, उसके ससुर, साले और अन्य साथियों सहित करीब 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जिन्हें अदालत द्वारा 9 मार्च 2017 को उम्रकैद की सजा भी दी जा चुकी है। सजा के बाद इनमें से कुछ एक की जमानत भी होने की खबर है। दूसरी तरफ हाईकोर्ट के ही हस्ताक्षेप के बाद जिले की एक अदालत ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों एडीजीपी राम सिंह, तत्कालीन डीआईजी अमृतसर कुंवर विजय प्रताप (अब आम आदमी पार्टी के विधायक), आईपीएस जसकीरत सिंह चाहल, एसपी गुरचरण सिंह गोराया, डीएसपी अजिंदर सिंह, डीएसपी गरीब दास, डीएसपी यादविंदर सिंह, एसएचओ जोगा सिंह और एएसआई जगदेव सिंह के खिलाफ मनोज कुमार और उसके स्वजनों को नाजायज हिरासत में रखने, प्रताड़ित करने और दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोपों में मामले की सुनवाई शुरू कर दी गई है। पहले भी जारी हो चुके हैं समन जिला अदालत की ओर से नियमों के तहत पुलिस अधिकारियों को पहले पेश होने के लिए समन निकाले गए थे। जिनमें से एएसआई जगदेव सिंह को जमानत मिल चुकी है, जबकि तत्कालीन डीएसपी गरीब दास की ओर से वकील के माध्यम से आत्मसमर्पण और जमानत के लिए याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई के बाद उसे भी गत दिन जमानत दे दी गई है। इसके अलावा राम सिंह, कुंवर विजय प्रताप सिंह, गुरचरण सिंह, अजिंदर सिंह, इंस्पेक्टर जोगा सिंह, जसकीरत सिंह चाहल को 7 सितंबर 2024 को फिर से पेश होने के लिए सम्मन जारी कर दिए गए है। जबकि मामले के एक और कथित आरोपी एएसआई यादविंदर सिंह की गिरफ्तारी के वारंट अदालत द्वारा जारी किए गए हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर