देश के गृहमंत्री अमित शाह के राज्यसभा में डॉ.अंबेडकर पर दिए गए बयान पर राजनीति गरमाई हुई है। इसी मामले को लेकर आज पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के एक डेलिगेशन ने पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की। इस डेलिगेशन की अगुआई पंजाब AAP के प्रधान अमन अरोड़ा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुलाकात में हमने 2 प्रमुख चीजों को प्रमुखता से उठाया है। यह हमारी 3 करोड़ आबादी के मेमोरेंडम को राष्ट्रपति तक पहुंचाए। साथ ही एक तो इसके लिए अमित शाह माफी मांगे। साथ ही उन्हें इस पद से हटाया जाए। दूसरा उन्होंने मुद्दा उठाया है कि पंजाब और हरियाणा की सीमा पर करीब 10 महीने से किसान आंदोलन चल रहा है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्थिति खराब है। ऐसे में केंद्र सरकार तुरंत किसानों बातचीत शुरू करें। डेलिगेशन में शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर सहित कई नेता मौजूद थे। दलित भाईचारे का मजाक उड़ाया गया इससे पहले पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने गृहमंत्री अमित शाह को बाबा साहब अंबेडकर का अपमान करने के लिए घेरा। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने देश के दलितों का किया अपमान किया है।आंबेडकर का पार्लियामेंट में मजाक उड़ाना दलित भाईचारे का मजाक उड़ाने के बराबर है। बीजेपी देश के संविधान और अंबेडकर से नफरत करती है। वहीं, बीजेपी देश के संविधान को खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री इसके लिए लोगों से माफी मांगे। देश के गृहमंत्री अमित शाह के राज्यसभा में डॉ.अंबेडकर पर दिए गए बयान पर राजनीति गरमाई हुई है। इसी मामले को लेकर आज पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के एक डेलिगेशन ने पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की। इस डेलिगेशन की अगुआई पंजाब AAP के प्रधान अमन अरोड़ा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुलाकात में हमने 2 प्रमुख चीजों को प्रमुखता से उठाया है। यह हमारी 3 करोड़ आबादी के मेमोरेंडम को राष्ट्रपति तक पहुंचाए। साथ ही एक तो इसके लिए अमित शाह माफी मांगे। साथ ही उन्हें इस पद से हटाया जाए। दूसरा उन्होंने मुद्दा उठाया है कि पंजाब और हरियाणा की सीमा पर करीब 10 महीने से किसान आंदोलन चल रहा है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्थिति खराब है। ऐसे में केंद्र सरकार तुरंत किसानों बातचीत शुरू करें। डेलिगेशन में शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर सहित कई नेता मौजूद थे। दलित भाईचारे का मजाक उड़ाया गया इससे पहले पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने गृहमंत्री अमित शाह को बाबा साहब अंबेडकर का अपमान करने के लिए घेरा। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने देश के दलितों का किया अपमान किया है।आंबेडकर का पार्लियामेंट में मजाक उड़ाना दलित भाईचारे का मजाक उड़ाने के बराबर है। बीजेपी देश के संविधान और अंबेडकर से नफरत करती है। वहीं, बीजेपी देश के संविधान को खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री इसके लिए लोगों से माफी मांगे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में शिअद के लिए SGPC चुनाव होंगे चुनौती:लगातार हार से पार्टी में बगावत; निशाने पर सुखबीर; बड़े बादल से अनुभव की कमी
पंजाब में शिअद के लिए SGPC चुनाव होंगे चुनौती:लगातार हार से पार्टी में बगावत; निशाने पर सुखबीर; बड़े बादल से अनुभव की कमी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत ने पार्टी नेतृत्व को पूरी तरह उलझा दिया है। बागी गुट के नेता पार्टी की इस हालत के लिए प्रधान सुखबीर बादल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। पार्टी में फूट का असर जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में भी साफ देखने को मिला। जहां शिअद के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 1500 से भी कम वोट मिले और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। वहीं, अगर यह बगावत जल्द नहीं थमी तो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) चुनाव भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे। ऐसे में आइए समझते हैं कि पार्टी में बगावत क्यों पैदा हुई। 10 साल सत्ता में रहने के बाद लगातार हार शिरोमणि अकाली दल वो पार्टी है जो 2017 तक लगातार दो बार सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि, साल 2015 में बेअदबी कांड और डेरा प्रमुख को माफ़ी देने का मामला हुआ। इससे लोगों की नाराज़गी बढ़ती चली गई। जिसका असर 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। पार्टी सिर्फ़ 15 सीटों पर सिमट गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी दो सीटें जीतने में कामयाब रही। कार्यकर्ता भी पार्टी से दूर होने लगे और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ़ 3 सीटें मिलीं। सभी बड़े नेता चुनाव हार गए। हालांकि, उस समय प्रकाश सिंह बादल ज़िंदा थे। ऐसे में उन्होंने झुंडा कमेटी बनाकर संगठनात्मक ढांचे को भंग कर दिया। हालांकि, सुखबीर बादल को प्रधान बनाए रखा। लोकसभा चुनाव में एक सीट तक सीमित 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी प्रमुख ने पंजाब बचाओ यात्रा निकाली। लोगों से जुड़ने की कोशिश की गई। साथ ही पार्टी को मजबूत किया गया। लेकिन इससे भी पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। पार्टी बठिंडा सीट को छोड़कर किसी भी सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुई। यह सीट भी बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर ने जीती। इसके बाद जैसे ही चुनाव के लिए मंथन शुरू हुआ, उससे पहले ही पार्टी प्रमुख से इस्तीफा मांग लिया गया। इसके बाद बागी गुट श्री अकाली तख्त पहुंच गया। माफी के लिए अर्जी भी लगा दी। अब आइए जानते हैं एसजीपीसी चुनाव की चुनौतियां इस बार एसजीपीसी चुनाव में शिअद को किसी और से नहीं बल्कि अपने ही लोगों से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अकाली दल के बागी गुट में शामिल हुए नेता ही अकाली दल की ताकत हैं। इन लोगों का अपना प्रभाव है। चाहे वो वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा हों, प्रो. प्रेम चंदूमाजरा हों, बीबी जागीर कौर हों या कोई और नाम। अमृतपाल और खालसा की तरफ झुकाव खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह और फरीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा ने चुनाव जीता है। वे शिरोमणि अकाली दल के थिंक टैंक की भी नींद उड़ा रहे हैं। माना जा रहा है कि वे इस बार एसजीपीसी चुनाव में अपने समर्थकों को भी उतारेंगे। सरबजीत सिंह खालसा ने कुछ दिन पहले दिल्ली में मीडिया से बातचीत में इस बात के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में इस बारे में फैसला लिया जाएगा। दोनों का अपने इलाकों में अच्छा प्रभाव है। एसजीपीसी में बड़े नेताओं की दिलचस्पी बीजेपी और आप में शामिल कई सिख नेता भी एसजीपीसी चुनाव में काफी दिलचस्पी रखते हैं। ऐसे में अकाली दल के लिए सीधी चुनौती है। अगर पिछले ढाई दशक की बात करें तो कभी ऐसा मौका नहीं आया जब किसी ने पार्टी द्वारा नामित उम्मीदवार को चुनौती दी हो। लेकिन अगर वे चुनाव में कमजोर पड़ गए तो यह भी देखने को मिलेगा। अकालियों के पास जो ताकत है वह भी उनके हाथ से निकल जाएगी। बड़े बादल जैसे अनुभव की कमी भले ही पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के पास करीब 29 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनके पास अपने पिता स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल जैसा अनुभव नहीं है, जो नाराज लोगों को मनाने और दुश्मन को गले लगाने में माहिर थे। इसका फायदा अब विपक्ष उठा रहा है। हालांकि प्रकाश सिंह बादल के बाद तीन बार सरकार बनी। उस समय भी कई नेता पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी को बगावत का मौका नहीं दिया।
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सुखबीर पर हमले को लेकर बोले केंद्रीय मंत्री रवनीत:कहा- नारायण चौड़ा को सम्मानित करो, उनकी फोटो लगाओ, मजीठिया उन्हें गले लगाए श्री अकाल तख्त साहिब की सजा पूरी करते हुए सुखबीर बादल पर हुए हमले के बाद अकाली दल की प्रतिक्रिया पर केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को हमलावर नारायण को गले लगाने, उनकी फोटो लगाने और सम्मानित करने की बात कह दी है। उनका कहना है कि उन्हें भी वैसा सम्मान मिलना चाहिए, जैसा वे दूसरे हमलावरों के साथ करते हैं। रवनीत बिट्टू ने कहा कि सुखबीर बादल पर हुए हमले में किसी गैंगस्टर या फिर आतंकी संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। नारायण चौड़ा को सुखबीर बादल से हुई बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुई, इसलिए उसने गोली चला दी। चौड़ा कौम का हीरा है और उसकी फोटो को म्यूजियम में भी लगानी चाहिए। बिट्टू ने बिक्रम मजीठिया पर भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि मजीठिया बेअंत सिंह के हत्यारे को गले लगा चुके हैं, उसी तरह अब नारायण सिंह चौड़ा को भी गले लगाना चाहिए। नारायण सिंह चौड़ा ने गुरु की भावना से सुखबीर पर गोली चलाई है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। चौड़ा भी बंदी सिखों की तरह हैं बिट्टू ने कहा कि नारायण सिंह चौड़ा भी बंदी सिखों की तरह ही हैं और उन्हें भी वैसा ही सम्मान मिलना चाहिए। उनका कहना था कि अकाली नेता राजोआना की बहन को जेल में लेकर जाते हैं, वैसे ही अब उन्हें नारायण चौड़ा के लिए फल और जरूरी सामान लेकर जाने चाहिए। उनकी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। बुजुर्ग नारायण सिंह चौड़ा से पूछताछ के लिए मारपीट हो रही है। दरबार साहिब पर फायरिंग गलत मीडिया से बातचीत में रवनीत सिंह बिट्टू ने लगातार अकाली दल पर निशाना साधा। लेकिन इसी दौरान गोल्डन टेंपल पर हुए हमले की निंदा भी की। बिट्टू ने कहा कि वह फायरिंग की निंदा करते हैं। गोली चलाने या कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। गोल्डन के बाहर फायरिंग करना बहुत गलत है और वे उसकी निंदा करते हैं। बिक्रम मजीठिया ने रवनीत बिट्टू को दिया जवाब वहीं, चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अकाली नेता बिक्रम मजीठिया ने रवनीत सिंह बिट्टू को जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि रवनीत सिंह बिट्टू को खुद पता नहीं चल रहा कि वे कह क्या रहे हैं। कभी कांग्रेस में थे और अब भाजपा में हैं। चुनाव हारने के बाद वे अपनी मानसिक स्थिति खो बैठे हैं।
पंजाब में डॉक्टर्स हड़ताल पर:सेहत मंत्री बलबीर सिंह ने सोमवार बुलाई बैठक; कहा- सरकार डॉक्टर्स के साथ
पंजाब में डॉक्टर्स हड़ताल पर:सेहत मंत्री बलबीर सिंह ने सोमवार बुलाई बैठक; कहा- सरकार डॉक्टर्स के साथ कोलकाता में महिला डॉक्टर के रेप-मर्डर के विरोध में आज शनिवार भी पंजाब के सरकारी व गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोटेस्ट किया गया। डॉक्टर्स सुरक्षा की मांग को लेकर आज सड़कों पर उतर आए। कोलकाता की घटना के बाद पंजाब में पैदा हुए हालातों के मद्देनजर सेहतमंत्री बलबीर सिंह ने सोमवार बैठक बुला ली है। सोमवार को बुलाई गई बैठक में पंजाब के सेहत मंत्री बलबीर सिंह ने IMA, PCMS, मेडिकल टीचर्स न्योता भेजा है। इस बैठक का एजेंडा डॉक्टर्स की सुरक्षा है। ये बैठक सोमवार की दोपहर पंजाब भवन में होगी। बैठक में सेहत विभाग के अधिकारियों सहित सरकारी डॉक्टर, प्राइवेट डॉक्टर और नर्स एसोसिएशन भी होंगे शामिल होंगे। पंजाब सरकार ने बैठक बुला कर संदेश दिया है कि सरकार डॉक्टर के साथ खड़ी है और उनके हर मामले को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। पंजाब में सड़कों पर डॉक्टर्स 24 घंटे के लिए ओपीडी बंद रखने के बाद शनिवार आज डॉक्टर्स सड़कों पर हैं। पंजाब के सभी सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर्स व छात्रों ने आज सड़कों पर रोष मार्च निकाला। सरकार से मांग की है कि उनकी सुरक्षा को पहल दी जाए। डॉक्टर्स का कहना है कि डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। लेकिन इंडिया में हालात ये बन गए हैं कि पहले पढ़ाई के समय वे सेफ नहीं। फिर डॉक्टर बनकर अपना हॉस्पिटल खोलते हैं तो गुंडागर्दी होती है। सरकारी जॉब करते हैं तो इसका शिकार होते हैं। हमें सरकारें बताएं कि हम कहां सेफ हैं। हेल्पलाइन नंबर की उठी मांग डॉक्टर्स ने इस दौरान स्पेशल डॉक्टर्स के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी करने की भी मांग रखी है। उनका कहना है कि एक ऐसा हेल्पलाइन नंबर जारी होना चाहिए, जहां जरूरत पड़ने पर डॉक्टर तुरंत कॉल कर मदद मांग सके।