पंजाब में सिखों के सर्वोच्च स्थान श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक 30 अगस्त को होगी। बैठक में शिरोमणि अकाली में चल रहे विवाद के बाद अध्यक्ष सुखबीर बादल की तरफ से दिए गए स्पष्टीकरण पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से तकरीबन 1 करोड़ रुपए के जारी इश्तहारों के मामले में सौंपे गए स्पष्टीकरण पर आगे विचार होगा। बता दें तकरीबन दो सप्ताह पहले ही सुखबीर बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच अपना स्पष्टीकरण जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को सौंपा था। ये स्पष्टीकरण बीते दिन सार्वजनिक भी हुआ। इसके बाद नए विवाद खड़े हो गए। स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल ने बेअदबी व डेरा मुखी को माफ करने की घटनाओं की जिम्मेदारी अपने सिर ली है। वहीं, एसजीपीसी ने भी साफ किया कि इश्तहार देने का फैसला पूर्व जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ के आदेश पर इश्तहार जारी करवाए गए थे। प्रकाश सिंह बादल का पुराना खत भी किया गया वायरल सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के बाद दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल हो रहा है, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्तूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना काफी हुई थी। 17 अक्तूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहब शक्ति और दया प्रदान करें। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। अकाली दल में फूट की वजह, 2 बार लगातार सरकार, फिर 2 बार हार अकाली दल में फूट की वजह सत्ता से बाहर होना है। 2008 तक अकाली दल प्रकाश सिंह बादल के हाथों में था, जबकि 2012 के चुनाव भी प्रकाश सिंह बादल की अगुआई में हुए। 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 62 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, जबकि अकाली दल ने 34 सीटें हासिल की। 2007 में अकाली दल फिर सत्ता में आई और 67 पर जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई। 2012 के चुनावों में पहली बार अकाली दल ने खुद को रिपिट किया। प्रकाश सिंह बादल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और अकाली दल ने 68 और कांग्रेस ने 44 सीटें हासिल की। इसके बाद 2017 में अकाली दल को सुखबीर बादल ने अपने हाथों में लिया। उन्होंने चुनाव की अगुआई की। मगर अकाली दल 18 सीटों पर सिमट गया और कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बना ली। इस चुनाव में अकाली दल तीसरे नंबर पर रहा क्योंकि 20 सीटें आम आदमी पार्टी जीत गई। 2022 में अकाली दल की स्थिति और दयनीय हो गई। आप 92, कांग्रेस 18 और अकाली दल मात्र 3 सीटों पर सिमट गई। लोकसभा में लगातार 2 बार 4 सीट जीती, अब एक सीट आई 2004 लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस ने 8, बीजेपी एक और शिरोमणि अकाली दल ने एक 4 सीट जीती थीं। जबकि साल 2014 में कांग्रेस 3, भाजपा 2, शिरोमणि अकाली दल 4, AAP 4 सीटों पर विजेता बनी थी। इसी तरह साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 8, शिरोमणि अकाली दल 2, भाजपा 2 और AAP को एक सीट मिली। इसी तरह साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस 7, आप 3, शिरोमणि अकाली दल एक, दो आजाद उम्मीदवार जीते। बागी गुट के अकाल तख्त को सौंपे माफीनामे में कबूली 4 गलतियां… 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत: 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी: श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई: 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ: SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। पंजाब में सिखों के सर्वोच्च स्थान श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक 30 अगस्त को होगी। बैठक में शिरोमणि अकाली में चल रहे विवाद के बाद अध्यक्ष सुखबीर बादल की तरफ से दिए गए स्पष्टीकरण पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से तकरीबन 1 करोड़ रुपए के जारी इश्तहारों के मामले में सौंपे गए स्पष्टीकरण पर आगे विचार होगा। बता दें तकरीबन दो सप्ताह पहले ही सुखबीर बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच अपना स्पष्टीकरण जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को सौंपा था। ये स्पष्टीकरण बीते दिन सार्वजनिक भी हुआ। इसके बाद नए विवाद खड़े हो गए। स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल ने बेअदबी व डेरा मुखी को माफ करने की घटनाओं की जिम्मेदारी अपने सिर ली है। वहीं, एसजीपीसी ने भी साफ किया कि इश्तहार देने का फैसला पूर्व जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ के आदेश पर इश्तहार जारी करवाए गए थे। प्रकाश सिंह बादल का पुराना खत भी किया गया वायरल सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के बाद दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल हो रहा है, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्तूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना काफी हुई थी। 17 अक्तूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहब शक्ति और दया प्रदान करें। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। अकाली दल में फूट की वजह, 2 बार लगातार सरकार, फिर 2 बार हार अकाली दल में फूट की वजह सत्ता से बाहर होना है। 2008 तक अकाली दल प्रकाश सिंह बादल के हाथों में था, जबकि 2012 के चुनाव भी प्रकाश सिंह बादल की अगुआई में हुए। 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 62 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, जबकि अकाली दल ने 34 सीटें हासिल की। 2007 में अकाली दल फिर सत्ता में आई और 67 पर जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई। 2012 के चुनावों में पहली बार अकाली दल ने खुद को रिपिट किया। प्रकाश सिंह बादल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और अकाली दल ने 68 और कांग्रेस ने 44 सीटें हासिल की। इसके बाद 2017 में अकाली दल को सुखबीर बादल ने अपने हाथों में लिया। उन्होंने चुनाव की अगुआई की। मगर अकाली दल 18 सीटों पर सिमट गया और कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बना ली। इस चुनाव में अकाली दल तीसरे नंबर पर रहा क्योंकि 20 सीटें आम आदमी पार्टी जीत गई। 2022 में अकाली दल की स्थिति और दयनीय हो गई। आप 92, कांग्रेस 18 और अकाली दल मात्र 3 सीटों पर सिमट गई। लोकसभा में लगातार 2 बार 4 सीट जीती, अब एक सीट आई 2004 लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस ने 8, बीजेपी एक और शिरोमणि अकाली दल ने एक 4 सीट जीती थीं। जबकि साल 2014 में कांग्रेस 3, भाजपा 2, शिरोमणि अकाली दल 4, AAP 4 सीटों पर विजेता बनी थी। इसी तरह साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 8, शिरोमणि अकाली दल 2, भाजपा 2 और AAP को एक सीट मिली। इसी तरह साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस 7, आप 3, शिरोमणि अकाली दल एक, दो आजाद उम्मीदवार जीते। बागी गुट के अकाल तख्त को सौंपे माफीनामे में कबूली 4 गलतियां… 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत: 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी: श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई: 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ: SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
पंजाब में गैंगस्टर लॉरेंस के 2 गुर्गे काबू:3 पिस्तौल और कारतूस बरामद, वारदात करने की तैयारी कर रहे थे बदमाश
पंजाब में गैंगस्टर लॉरेंस के 2 गुर्गे काबू:3 पिस्तौल और कारतूस बरामद, वारदात करने की तैयारी कर रहे थे बदमाश पंजाब पुलिस ने गैंगस्टर लॉरेंस और अनमोल बिश्नोई के 2 गुर्गों को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों को शहीद भगत सिंह नगर से पकड़ा है। आरोपियों के पास से 3देसी पिस्तौल और 15 कारतूस बरामद किए गए हैं। डीजीपी गौरव यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करके इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वे किस वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे।
लुधियाना में युवकों ने वकील को 200 मीटर तक घसीटा:कार टच होने को लेकर हुआ विवाद, की मारपीट, पकड़ने के लिए पीछे लटका
लुधियाना में युवकों ने वकील को 200 मीटर तक घसीटा:कार टच होने को लेकर हुआ विवाद, की मारपीट, पकड़ने के लिए पीछे लटका लुधियाना में फिरोजपुर रोड पर कार सवार कुछ युवकों द्वारा एक कार सवार वकील के साथ मारपीट की गई। मारपीट के बाद युवक कार भगाकर फरार हुए तो वकील भी युवकों की कार के पीछे-पीछे दौड़ा और युवकों की कार के पीछे ही लटक गया। जिसके बाद युवक उसे 200 मीटर तक घसीट कर ले गए। कीचड़ के बीच वकील कार से नीचे गिर गया और घायल हो गया। लोगों ने किसी तरह करके नौजवानों की कार को रोका और उन्हें काबू कर लिया। वहीं पुलिस ने वीडियो के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है। मामला मंगलवार शाम का फिरोजपुर रोड का है। जहां कार सवार कुछ नौजवानों की कार एक व्यक्ति की कार से टच हो गई, जिसके बाद दोनों में कहासुनी हो गई। कार सवार खुद को वकील बता रहा था। वह कार सवार युवकों को कार से नीचे उतरने के लिए कहने लगा तो तीन युवकों ने कार से नीचे उतरकर वकील के साथ मारपीट की। जब लोगों की भीड़ जुटने लगी तो आरोपी युवक कार में बैठ भागने लगे। कार के पीछे दौड़कर वकील ने पकड़ा कार सवार युवक जैसे ही कार में बैठकर भागने लगे तो वकील भी उनकी कार के पीछे ही दौड़ पड़ा। दौड़ते-दौड़ते वह युवकों की कार के पीछे लटक गया। जिसके बाद आरोपी युवक वकील को 200 मीटर तक घसीटते ले गए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमें युवकों की कार वकील को पीछे घसीटते ले जा रही है। राहगीरों ने किसी तरह करके युवकों की कार को रोका। कार में चार युवक सवार थे। लोगों द्वारा कंट्रोल रूम में फोन कर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
लुधियाना में वूलन गारमेंट फैक्ट्री में लगी आग:घर में चलाई जा रही थी, शार्ट सर्किट से हुआ हादसा, दमकल ने पाया काबू
लुधियाना में वूलन गारमेंट फैक्ट्री में लगी आग:घर में चलाई जा रही थी, शार्ट सर्किट से हुआ हादसा, दमकल ने पाया काबू लुधियाना में आज नूरवाला रोड के बसंत विहार में अचानक एक घर में भीषण आग लग गई। आग लगने की सूचना मिलते ही घर के पारिवारिक मैंबर बाहर निकले। घर में वूलन गारमेंट्स की फैक्ट्री खोली हुई थी। पता चला है कि आग लगने का कारण शार्ट सर्किट माना जा रहा है। लोगों ने खुद आग बुझाने की कोशिश की लेकिन आग बढ़ती देख तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया। घर की पहली मंजिल बुरी तरह हुई क्षतिग्रस्त आग की लपटें दूर से ही नजर आ रही थी। पहली घर की मंजिल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। घर में रखा वूलन का माल भी जल कर राख हो गया। दमकल विभाग के कर्मचारियों ने करीब 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। ADFO मनिंदर सिंह बोले… दमकल विभाग के ADFO मनिंदर सिंह ने कहा कि आग काफी ज्यादा लगी हुई थी। पहली मंजिल पर तो लपटें इतनी अधिक थी कि कंट्रोल करना ही मुश्किल हो रहा था। वूलन का माल फैक्ट्री में पड़ा था जिस कारण आग अधिक फैल गई। दमकल विभाग की करीब 4 से 5 गाड़ियां मौके पर पहुंची। पानी की बौछार लगातार चलाई जिसके बाद आग पर कंट्रोल किया गया। पता चला है कि घर में फैक्ट्री खोली हुई थी इस कारण विभागीय जो भी कार्रवाई बनती होगी वह की जाएगी।