शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हिमाचल के मंडी से भाजपा सांसद व एक्ट्रेस कंगना रनोट की फिल्म “इमरजेंसी” की रिलीज पंजाब में रोकने की मांग रख दी है। एसजीपीसी ने फिल्म में सिखों की छवि खराब करने और इतिहास को गलत तरीके से पेश करने के आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलने के बाद फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलीज होने वाली है। इस मुद्दे को लेकर शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि अगर यह फिल्म रिलीज होती है, तो सिख समुदाय के बीच रोष और आक्रोश पैदा होगा। इसलिए, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस फिल्म को राज्य में बैन करें। अगर यह फिल्म रिलीज होती है, तो शिरोमणि कमेटी इसका सख्त विरोध करेगी। फिल्म किसी संस्था को नहीं दिखाई गई एसजीपीसी सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि फिल्म के पहले ट्रेलर के बाद संस्था की तरफ से विरोध उठाया गया था। अब जब फिल्म रिलीज हो रही है तो कोई जानकारी नहीं है कि उसमें से कौन-कौन से दृश्य काटे गए हैं और कौन-कौन से रखे गए हैं। फिल्म को रिलीज से पहले किसी संस्था से ना पास करवाया गया और ना ही उन्हें दिखाया गया है। इसलिए एसजीपीसी चिंतित है कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो पंजाब का माहौल खराब हो सकता है। पढ़ें क्या लिखा है खत में एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने लिखा है कि हमारे संज्ञान में आया है, बीजेपी सांसद कंगना रनौत द्वारा निर्मित इमरजेंसी फिल्म 17 जनवरी 2025 को पंजाब के विभिन्न शहरों के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है और टिकटों की बुकिंग भी शुरू हो गई है। इस फिल्म को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को पत्र क्रमांक 22211 दिनांक 14.11.2024 के माध्यम से अपना विरोध जताया और आंतरिक कमेटी का प्रस्ताव क्रमांक 798 दिनांक 28.09.2024 भेजा, जिस पर पहले ही आपत्ति दर्ज हो चुकी है। सिखों को बदनाम करने के मकसद से बनाई गई इसके जरिए साफ तौर पर कहा गया कि ‘इमरजेंसी फिल्म को पंजाब के अंदर नहीं चलने दिया जाएगा, क्योंकि यह राजनीतिक तौर पर सिखों को बदनाम करने के मकसद से बनाई गई है। प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार से इस फिल्म की पंजाब में रिलीज रोकने की मांग की गई, लेकिन दुख की बात है कि आपके नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। अगर यह फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलीज होती है तो सिख जगत में आक्रोश और गुस्सा पैदा होना स्वाभाविक है। हम बताना चाहेंगे कि फिल्म में 1984 में सिखों के पवित्र तीर्थ सचखंड, श्री हरमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब और कई अन्य स्थानों पर हुए घातक हमले के साथ-साथ सिख नरसंहार और नरसंहार के खिलाफ जहर उगला गया है। देश में सिख विरोधी एजेंडे के तहत काम किया गया है इसके साथ ही फिल्म में सिख राष्ट्रीय शहीद संत जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाला का भी चित्रण किया गया है। इस पत्र के जरिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक बार फिर पुरजोर मांग करती है कि 17 जनवरी 2025 को कंगना रनोट की इमरजेंसी फिल्म को पंजाब में रिलीज होने से तुरंत रोका जाए. अगर यह फिल्म पंजाब में रिलीज हुई तो हम प्रदेश स्तर पर इसका पुरजोर विरोध करने को मजबूर होंगे। जानें क्या था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीनों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था कि यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक हमला है, जिस पर सरकार को पहले से ध्यान देकर दूसरे देशों में सिखों के प्रति नफरत भड़काना बंद कर देना चाहिए। फिल्म से 3 सीन हुए डिलीट करीब 4 महीने पहले सिख संगठनों के आपत्ति के बाद CBFC ने फिल्म का सर्टिफिकेट को रोक दिया था। CBFC ने इस फिल्म से 3 सीन डिलीट करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ सख्त हिदायत भी दी थी कि फिल्म को रिलीज करने से पहले इसमें 10 बदलाव किए जाएं। इन बदलावों के बाद ही फिल्म को सेंसर बोर्ड से हरी झंडी दी गई। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हिमाचल के मंडी से भाजपा सांसद व एक्ट्रेस कंगना रनोट की फिल्म “इमरजेंसी” की रिलीज पंजाब में रोकने की मांग रख दी है। एसजीपीसी ने फिल्म में सिखों की छवि खराब करने और इतिहास को गलत तरीके से पेश करने के आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलने के बाद फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलीज होने वाली है। इस मुद्दे को लेकर शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि अगर यह फिल्म रिलीज होती है, तो सिख समुदाय के बीच रोष और आक्रोश पैदा होगा। इसलिए, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस फिल्म को राज्य में बैन करें। अगर यह फिल्म रिलीज होती है, तो शिरोमणि कमेटी इसका सख्त विरोध करेगी। फिल्म किसी संस्था को नहीं दिखाई गई एसजीपीसी सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि फिल्म के पहले ट्रेलर के बाद संस्था की तरफ से विरोध उठाया गया था। अब जब फिल्म रिलीज हो रही है तो कोई जानकारी नहीं है कि उसमें से कौन-कौन से दृश्य काटे गए हैं और कौन-कौन से रखे गए हैं। फिल्म को रिलीज से पहले किसी संस्था से ना पास करवाया गया और ना ही उन्हें दिखाया गया है। इसलिए एसजीपीसी चिंतित है कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो पंजाब का माहौल खराब हो सकता है। पढ़ें क्या लिखा है खत में एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने लिखा है कि हमारे संज्ञान में आया है, बीजेपी सांसद कंगना रनौत द्वारा निर्मित इमरजेंसी फिल्म 17 जनवरी 2025 को पंजाब के विभिन्न शहरों के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है और टिकटों की बुकिंग भी शुरू हो गई है। इस फिल्म को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को पत्र क्रमांक 22211 दिनांक 14.11.2024 के माध्यम से अपना विरोध जताया और आंतरिक कमेटी का प्रस्ताव क्रमांक 798 दिनांक 28.09.2024 भेजा, जिस पर पहले ही आपत्ति दर्ज हो चुकी है। सिखों को बदनाम करने के मकसद से बनाई गई इसके जरिए साफ तौर पर कहा गया कि ‘इमरजेंसी फिल्म को पंजाब के अंदर नहीं चलने दिया जाएगा, क्योंकि यह राजनीतिक तौर पर सिखों को बदनाम करने के मकसद से बनाई गई है। प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार से इस फिल्म की पंजाब में रिलीज रोकने की मांग की गई, लेकिन दुख की बात है कि आपके नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। अगर यह फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलीज होती है तो सिख जगत में आक्रोश और गुस्सा पैदा होना स्वाभाविक है। हम बताना चाहेंगे कि फिल्म में 1984 में सिखों के पवित्र तीर्थ सचखंड, श्री हरमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब और कई अन्य स्थानों पर हुए घातक हमले के साथ-साथ सिख नरसंहार और नरसंहार के खिलाफ जहर उगला गया है। देश में सिख विरोधी एजेंडे के तहत काम किया गया है इसके साथ ही फिल्म में सिख राष्ट्रीय शहीद संत जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाला का भी चित्रण किया गया है। इस पत्र के जरिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक बार फिर पुरजोर मांग करती है कि 17 जनवरी 2025 को कंगना रनोट की इमरजेंसी फिल्म को पंजाब में रिलीज होने से तुरंत रोका जाए. अगर यह फिल्म पंजाब में रिलीज हुई तो हम प्रदेश स्तर पर इसका पुरजोर विरोध करने को मजबूर होंगे। जानें क्या था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीनों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था कि यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक हमला है, जिस पर सरकार को पहले से ध्यान देकर दूसरे देशों में सिखों के प्रति नफरत भड़काना बंद कर देना चाहिए। फिल्म से 3 सीन हुए डिलीट करीब 4 महीने पहले सिख संगठनों के आपत्ति के बाद CBFC ने फिल्म का सर्टिफिकेट को रोक दिया था। CBFC ने इस फिल्म से 3 सीन डिलीट करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ सख्त हिदायत भी दी थी कि फिल्म को रिलीज करने से पहले इसमें 10 बदलाव किए जाएं। इन बदलावों के बाद ही फिल्म को सेंसर बोर्ड से हरी झंडी दी गई। पंजाब | दैनिक भास्कर
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