पंजाब में 2 साल में लगभग 3.50 लाख लोगों ने अपना धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया है। यह दावा सिख स्कॉलर और रिसर्चर डॉ. रणबीर सिंह ने किया है। उनके सर्वे के मुताबिक पंजाब में धर्म परिवर्तन तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में यह संख्या और ज्यादा हो जाएगी। दैनिक भास्कर को डॉ. रणबीर सिंह ने बताया कि 2023 में 1.50 लाख लोग और 2024 से लेकर अभी तक करीब 2 लाख लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं। लोगों को गरीबी से छुटकारा, बेरोजगारी, समस्याओं का समाधान, मुफ्त सुविधाओं का लालच और बीमारी को लेकर धार्मिक चमत्कारों की कहानियां सुनाई जा रही हैं। डॉ. रणबीर सिंह की स्टडी की अहम बातें… पंजाब में 15 फीसदी तक बढ़ी संख्या
डॉ. रणबीर बताते हैं कि पंजाब की 2.77 करोड़ की जनसंख्या में ईसाई धर्म से जुड़े लोग 1.26 फीसदी थे। अब ये संख्या 15 फीसदी तक बढ़ चुकी है। 2023-24 में तकरीबन 1.50 लाख और 2024-25 में तकरीबन 2 लाख लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं। धर्म परिवर्तन के इस बढ़ते चलन से पंजाब में सामाजिक और धार्मिक संतुलन बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है। यह न केवल धार्मिक पहचान को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा असर डाल रहा है। गरीब और वंचित परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें चर्च द्वारा मुफ्त राशन, शिक्षा और चिकित्सा जैसी सुविधाओं का वादा किया जाता है। लोगों को यह भरोसा दिलाया जाता है कि उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं का समाधान प्रभु यीशु की चमत्कारिक शक्तियों से हो सकता है। धर्म परिवर्तन में गुरदासपुर सबसे आगे
रणबीर सिंह का दावा है कि अकेले गुरदासपुर की बात करें तो पिछले 5 सालों में ईसाई समुदाय में 4 लाख से अधिक की वृद्धि हुई है। गुरदासपुर में लगभग 120 चर्चों में धर्मांतरण होता है, जिनमें से अधिकांश हाल ही में बनी हैं। प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है। विशेषकर दलित सिख और हिंदू बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं। इन सभाओं में विविध प्रकृति के चमत्कार किए जाते हैं। एक बार जब वे चर्च के अंदर कदम रखते हैं तो उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि ईसाई धर्म सबसे अच्छा धर्म है और बांझपन, गुर्दे की बीमारियों, हृदय रोगों और कैंसर का इलाज पेश किया जाता है। धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई समुदाय को अमेरिका, पाकिस्तान व अन्य मुल्कों से फंडिंग हो रही है। सिर्फ सिख ही नहीं, हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी धर्म परिवर्तन के लिए चर्च तक लाया जा रहा है। धर्म बदलकर सिंह-कौर के पीछे मसीह जोड़ रहे
डॉ. रणबीर सिंह का कहना है कि धर्म परिवर्तन के इस मुद्दे से निपटने के लिए समाज और धार्मिक संगठनों को एकजुट होना होगा। सरकार को भी इस पर कड़ी निगरानी रखनी होगी और धर्म परिवर्तन की गतिविधियों में शामिल संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे। तकरीबन एक साल पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने आदेश दिया था कि जो लोग अपना धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, वे अपने नाम के पीछे सिंह या कौर का इस्तेमाल न करें, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। लोग सिंह या कौर तो नहीं हटाते, लेकिन साथ ही मसीह जोड़ देते हैं। जिसके चलते सरकार के लिए सही आंकड़ा निकाल पाना मुश्किल है। SGPC मेंबर बोले- सोची समझी साजिश के तहत हो रहा
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल का कहना है कि अभी कितनी कन्वर्जन हुई है, इसके आंकड़ों को बताना सही नहीं होगा। जब कभी सरकारी जनगणना होगी, तभी स्पष्ट हो पाएगा कि किस धर्म में कितना बदलाव आया है, लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता था कि सोची समझी साजिश के तहत दलित समुदाय को पैसों व सुविधाओं का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। इसके लिए फंडिंग हो रही है। गुरचरण ग्रेवाल ने आगे कहा कि सिख धर्म सभी धर्मों का सम्मान करता है, लेकिन पैसों का लालच देकर किसी को रोकना सिख धर्म में नहीं है। धर्म परिवर्तन का शोर जब पहले चला तो SGPC की तरफ से 300 प्रचारकों को घर-घर भेजा गया। बहुत कम लोग थे, जो ईसाई धर्म से प्रभावित होकर गए थे। कइयों को वापस भी लाया गया, लेकिन लालच देकर कभी सिख धर्म किसी को रोक नहीं सकता। रही बात सही आंकड़ों की तो वे सरकारी जनगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगे। पंजाब में 2 साल में लगभग 3.50 लाख लोगों ने अपना धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया है। यह दावा सिख स्कॉलर और रिसर्चर डॉ. रणबीर सिंह ने किया है। उनके सर्वे के मुताबिक पंजाब में धर्म परिवर्तन तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में यह संख्या और ज्यादा हो जाएगी। दैनिक भास्कर को डॉ. रणबीर सिंह ने बताया कि 2023 में 1.50 लाख लोग और 2024 से लेकर अभी तक करीब 2 लाख लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं। लोगों को गरीबी से छुटकारा, बेरोजगारी, समस्याओं का समाधान, मुफ्त सुविधाओं का लालच और बीमारी को लेकर धार्मिक चमत्कारों की कहानियां सुनाई जा रही हैं। डॉ. रणबीर सिंह की स्टडी की अहम बातें… पंजाब में 15 फीसदी तक बढ़ी संख्या
डॉ. रणबीर बताते हैं कि पंजाब की 2.77 करोड़ की जनसंख्या में ईसाई धर्म से जुड़े लोग 1.26 फीसदी थे। अब ये संख्या 15 फीसदी तक बढ़ चुकी है। 2023-24 में तकरीबन 1.50 लाख और 2024-25 में तकरीबन 2 लाख लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं। धर्म परिवर्तन के इस बढ़ते चलन से पंजाब में सामाजिक और धार्मिक संतुलन बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है। यह न केवल धार्मिक पहचान को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा असर डाल रहा है। गरीब और वंचित परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें चर्च द्वारा मुफ्त राशन, शिक्षा और चिकित्सा जैसी सुविधाओं का वादा किया जाता है। लोगों को यह भरोसा दिलाया जाता है कि उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं का समाधान प्रभु यीशु की चमत्कारिक शक्तियों से हो सकता है। धर्म परिवर्तन में गुरदासपुर सबसे आगे
रणबीर सिंह का दावा है कि अकेले गुरदासपुर की बात करें तो पिछले 5 सालों में ईसाई समुदाय में 4 लाख से अधिक की वृद्धि हुई है। गुरदासपुर में लगभग 120 चर्चों में धर्मांतरण होता है, जिनमें से अधिकांश हाल ही में बनी हैं। प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है। विशेषकर दलित सिख और हिंदू बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं। इन सभाओं में विविध प्रकृति के चमत्कार किए जाते हैं। एक बार जब वे चर्च के अंदर कदम रखते हैं तो उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि ईसाई धर्म सबसे अच्छा धर्म है और बांझपन, गुर्दे की बीमारियों, हृदय रोगों और कैंसर का इलाज पेश किया जाता है। धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई समुदाय को अमेरिका, पाकिस्तान व अन्य मुल्कों से फंडिंग हो रही है। सिर्फ सिख ही नहीं, हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी धर्म परिवर्तन के लिए चर्च तक लाया जा रहा है। धर्म बदलकर सिंह-कौर के पीछे मसीह जोड़ रहे
डॉ. रणबीर सिंह का कहना है कि धर्म परिवर्तन के इस मुद्दे से निपटने के लिए समाज और धार्मिक संगठनों को एकजुट होना होगा। सरकार को भी इस पर कड़ी निगरानी रखनी होगी और धर्म परिवर्तन की गतिविधियों में शामिल संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे। तकरीबन एक साल पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने आदेश दिया था कि जो लोग अपना धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, वे अपने नाम के पीछे सिंह या कौर का इस्तेमाल न करें, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। लोग सिंह या कौर तो नहीं हटाते, लेकिन साथ ही मसीह जोड़ देते हैं। जिसके चलते सरकार के लिए सही आंकड़ा निकाल पाना मुश्किल है। SGPC मेंबर बोले- सोची समझी साजिश के तहत हो रहा
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल का कहना है कि अभी कितनी कन्वर्जन हुई है, इसके आंकड़ों को बताना सही नहीं होगा। जब कभी सरकारी जनगणना होगी, तभी स्पष्ट हो पाएगा कि किस धर्म में कितना बदलाव आया है, लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता था कि सोची समझी साजिश के तहत दलित समुदाय को पैसों व सुविधाओं का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। इसके लिए फंडिंग हो रही है। गुरचरण ग्रेवाल ने आगे कहा कि सिख धर्म सभी धर्मों का सम्मान करता है, लेकिन पैसों का लालच देकर किसी को रोकना सिख धर्म में नहीं है। धर्म परिवर्तन का शोर जब पहले चला तो SGPC की तरफ से 300 प्रचारकों को घर-घर भेजा गया। बहुत कम लोग थे, जो ईसाई धर्म से प्रभावित होकर गए थे। कइयों को वापस भी लाया गया, लेकिन लालच देकर कभी सिख धर्म किसी को रोक नहीं सकता। रही बात सही आंकड़ों की तो वे सरकारी जनगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगे। पंजाब | दैनिक भास्कर