पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रस्तावित एडवोकेट्स (संशोधन) एक्ट, 2025 के विरोध में 24 फरवरी को काम से विरत रहने का फैसला लिया है। यह फैसला एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने 21 फरवरी को सर्वसम्मति से लिया। वकीलों का कहना है कि एडवोकेट एक्ट में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे वकालत पेशे की छवि खराब होगी। बिल में वकीलों के लिए एक भी कल्याणकारी योजना नहीं है। इसे वापस लिया जाना चाहिए। दरअसल, केंद्र सरकार एडवोकेट एक्ट 1961 में संशोधन करने जा रही है। वकीलों का एक बड़ा वर्ग इसका विरोध कर रहा है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष जसदेव सिंह बरार और मानद सचिव स्वर्ण सिंह टिवाना ने बताया कि केंद्र का यह फैसला सही नहीं है। क्योंकि उनका मानना है कि इसमें वकीलों और न्यायपालिका के लिए नुकसानदेह प्रावधान हैं। केंद्र ने लोगों के मांगे सुझाव केंद्र सरकार 1961 के एडवोकेट एक्ट में बदलाव करने के लिए अमेंडमेंट बिल लाने की तैयारी में है। लोगों के सुझाव के लिए बिल का फाइनल ड्राफ्ट सामने आने पर देशभर के वकील बिल के विरोध में खड़े हो गए हैं। बिल का विरोध दिल्ली से शुरू होकर देश के 14 राज्यों में फैल गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर चुका है। अगर केंद्र सरकार बिल वापस नहीं लेती तो वकील देशभर में हड़ताल करेंगे। एक्ट में ये पांच बड़े बदलाव होंगे.. 1. हड़ताल-बहिष्कार पर बैन नए बिल की धारा 35A वकील या वकीलों के संगठन को कोर्ट का बहिष्कार करने, हड़ताल करने या वर्क सस्पेंड करने से रोकती है। इसका उल्लंघन वकालत के पेशे का मिसकंडक्ट माना जाएगा और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। 2. प्रोफेशनल मिसकंडक्ट प्रोफेशनल मिसकंडक्ट की वजह से किसी का नुकसान होता है तो बिल की धारा 45B के तहत प्रोफेशनल मिसकंडक्ट के कारण वकील के खिलाफ कार्रवाई के लिए BCI में शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी। 3. कानूनी व्यवसायी की परिभाषा नए बिल में कानूनी व्यवसायी (धारा 2) की परिभाषा व्यापक बनेगी। इसमें कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ ही कार्पोरेट वकीलों, इन-हाउस परामर्शदाताओं, वैधानिक निकायों और विदेशी कानूनी फर्मों में कानूनी काम में लगे लोगों को भी कानूनी व्यवसायी माना जाएगा। 4. वकीलों पर सरकारी निगरानी एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 4 में संशोधन का प्रस्ताव है। इससे केंद्र को BCI में निर्वाचित सदस्यों के साथ 3 सदस्यों को नामित करने का अधिकार मिल जाएगा। इससे केंद्र कानून के प्रावधानों को लागू करने में BCI को निर्देश दे सकेगी। 5. एक बार-एक वोट की नीति बिल में एक नई धारा 33A जोड़ी गई है। इसके मुताबिक अदालतों, ट्रिब्यूनल और अन्य प्राधिकरणों में वकालत करने वाले सभी वकीलों को उस बार एसोसिएशन में पंजीकरण कराना होगा, जहां पर वे वकालत की प्रैक्टिस करते हैं। शहर बदलने पर वकील को 30 दिन के अंदर बार एसोसिएशन को बताना होगा। कोई वकील एक से ज्यादा बार एसोसिएशन का सदस्य नहीं हो सकेगा। वकील को केवल एक ही बार एसोसिएशन में मतदान करने की अनुमति होगी। इसे वकील उनकी आजादी और वोट के अधिकार में केंद्र का दखल मान रहे हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रस्तावित एडवोकेट्स (संशोधन) एक्ट, 2025 के विरोध में 24 फरवरी को काम से विरत रहने का फैसला लिया है। यह फैसला एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने 21 फरवरी को सर्वसम्मति से लिया। वकीलों का कहना है कि एडवोकेट एक्ट में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे वकालत पेशे की छवि खराब होगी। बिल में वकीलों के लिए एक भी कल्याणकारी योजना नहीं है। इसे वापस लिया जाना चाहिए। दरअसल, केंद्र सरकार एडवोकेट एक्ट 1961 में संशोधन करने जा रही है। वकीलों का एक बड़ा वर्ग इसका विरोध कर रहा है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष जसदेव सिंह बरार और मानद सचिव स्वर्ण सिंह टिवाना ने बताया कि केंद्र का यह फैसला सही नहीं है। क्योंकि उनका मानना है कि इसमें वकीलों और न्यायपालिका के लिए नुकसानदेह प्रावधान हैं। केंद्र ने लोगों के मांगे सुझाव केंद्र सरकार 1961 के एडवोकेट एक्ट में बदलाव करने के लिए अमेंडमेंट बिल लाने की तैयारी में है। लोगों के सुझाव के लिए बिल का फाइनल ड्राफ्ट सामने आने पर देशभर के वकील बिल के विरोध में खड़े हो गए हैं। बिल का विरोध दिल्ली से शुरू होकर देश के 14 राज्यों में फैल गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर चुका है। अगर केंद्र सरकार बिल वापस नहीं लेती तो वकील देशभर में हड़ताल करेंगे। एक्ट में ये पांच बड़े बदलाव होंगे.. 1. हड़ताल-बहिष्कार पर बैन नए बिल की धारा 35A वकील या वकीलों के संगठन को कोर्ट का बहिष्कार करने, हड़ताल करने या वर्क सस्पेंड करने से रोकती है। इसका उल्लंघन वकालत के पेशे का मिसकंडक्ट माना जाएगा और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। 2. प्रोफेशनल मिसकंडक्ट प्रोफेशनल मिसकंडक्ट की वजह से किसी का नुकसान होता है तो बिल की धारा 45B के तहत प्रोफेशनल मिसकंडक्ट के कारण वकील के खिलाफ कार्रवाई के लिए BCI में शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी। 3. कानूनी व्यवसायी की परिभाषा नए बिल में कानूनी व्यवसायी (धारा 2) की परिभाषा व्यापक बनेगी। इसमें कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ ही कार्पोरेट वकीलों, इन-हाउस परामर्शदाताओं, वैधानिक निकायों और विदेशी कानूनी फर्मों में कानूनी काम में लगे लोगों को भी कानूनी व्यवसायी माना जाएगा। 4. वकीलों पर सरकारी निगरानी एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 4 में संशोधन का प्रस्ताव है। इससे केंद्र को BCI में निर्वाचित सदस्यों के साथ 3 सदस्यों को नामित करने का अधिकार मिल जाएगा। इससे केंद्र कानून के प्रावधानों को लागू करने में BCI को निर्देश दे सकेगी। 5. एक बार-एक वोट की नीति बिल में एक नई धारा 33A जोड़ी गई है। इसके मुताबिक अदालतों, ट्रिब्यूनल और अन्य प्राधिकरणों में वकालत करने वाले सभी वकीलों को उस बार एसोसिएशन में पंजीकरण कराना होगा, जहां पर वे वकालत की प्रैक्टिस करते हैं। शहर बदलने पर वकील को 30 दिन के अंदर बार एसोसिएशन को बताना होगा। कोई वकील एक से ज्यादा बार एसोसिएशन का सदस्य नहीं हो सकेगा। वकील को केवल एक ही बार एसोसिएशन में मतदान करने की अनुमति होगी। इसे वकील उनकी आजादी और वोट के अधिकार में केंद्र का दखल मान रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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