केंद्रीय जेल पटियाला में बंद एक हवालाती गैंगस्टर ने तलाशी के लिए कहने पर जेल वॉर्डन का गला दबा दिया। साथी मुलाजिमों ने जेल वॉर्डन को बचाया, जिसके बाद पुलिस केस दर्ज होने के डर से हवालाती ने खुद का सिर बैरक पर मारते हुए जख्मी कर दिया। तरनतारन के रहने वाले हवालाती मलकीत सिंह के खिलाफ जेल के असिस्टेंट जेलर करनैल सिंह की कंप्लेंट पर एफआईआर दर्ज की गई है। हवालाती के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर करते हुए इसे फिरोजपुर के जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। जग्गू भगवानपुरिया गैंग से जुड़ा है आरोपी घटना के अनुसार, गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया के गैंग से जुडे़ मलकीत सिंह को केंद्रीय जेल पटियाला में बंद किया गया था। जेल के अंदर बंद मलकीत सिंह के खिलाफ कत्ल व जानलेवा हमले जैसे कई मामले दर्ज हैं, जिस वजह से उसे जेल के अहाता नंबर 10 के चक्की नंबर 2 में रखा गया था। औचक चेकिंग के दौरान जेल वॉर्डन नाजर सिंह ने उसे तलाशी देने के लिए कहा तो पहले उसने गालियां दी। जिसके बाद नाजर सिंह का गला दबा दिया। मदद के लिए शोर मचाया तो अन्य मुलाजिमों ने आरोपी को काबू कर नाजर सिंह जेल वार्डन से अलग कर दिया। इसके बाद आरोपी ने जेल प्रशासन को गालियां निकालते हुए अपना सिर जेल की बैरक में मारना शुरू कर दिया, ताकि जेल अधिकारियों पर ही इल्जाम लगा सके। केंद्रीय जेल पटियाला में बंद एक हवालाती गैंगस्टर ने तलाशी के लिए कहने पर जेल वॉर्डन का गला दबा दिया। साथी मुलाजिमों ने जेल वॉर्डन को बचाया, जिसके बाद पुलिस केस दर्ज होने के डर से हवालाती ने खुद का सिर बैरक पर मारते हुए जख्मी कर दिया। तरनतारन के रहने वाले हवालाती मलकीत सिंह के खिलाफ जेल के असिस्टेंट जेलर करनैल सिंह की कंप्लेंट पर एफआईआर दर्ज की गई है। हवालाती के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर करते हुए इसे फिरोजपुर के जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। जग्गू भगवानपुरिया गैंग से जुड़ा है आरोपी घटना के अनुसार, गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया के गैंग से जुडे़ मलकीत सिंह को केंद्रीय जेल पटियाला में बंद किया गया था। जेल के अंदर बंद मलकीत सिंह के खिलाफ कत्ल व जानलेवा हमले जैसे कई मामले दर्ज हैं, जिस वजह से उसे जेल के अहाता नंबर 10 के चक्की नंबर 2 में रखा गया था। औचक चेकिंग के दौरान जेल वॉर्डन नाजर सिंह ने उसे तलाशी देने के लिए कहा तो पहले उसने गालियां दी। जिसके बाद नाजर सिंह का गला दबा दिया। मदद के लिए शोर मचाया तो अन्य मुलाजिमों ने आरोपी को काबू कर नाजर सिंह जेल वार्डन से अलग कर दिया। इसके बाद आरोपी ने जेल प्रशासन को गालियां निकालते हुए अपना सिर जेल की बैरक में मारना शुरू कर दिया, ताकि जेल अधिकारियों पर ही इल्जाम लगा सके। पंजाब | दैनिक भास्कर
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राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा
राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम समेत 5 लोगों को डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है। राम रहीम समेत 5 आरोपियों को CBI कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी। राम रहीम इस वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 3 मामलों में सजा हुई थी। इनमें रणजीत हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में उसे उम्रकैद और यौन शोषण के 2 केसों में 10-10 साल की कैद हुई थी। इस केस में बरी होने के बावजूद राम रहीम को अभी जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट के फैसले पर डेरा सच्चा सौदा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर हमेशा पूर्ण विश्वास रहा है और माननीय न्यायालय से हमें न्याय मिला है। 22 साल पहले हत्या, 19 साल बाद हुई थी सजा, 3 साल बाद बरी
कुरुक्षेत्र के रहने वाले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच हुई, लेकिन डेरे को क्लीन चिट दे दी गई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी। हालांकि, शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच CBI को सौंपी गई। फिर 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को शामिल किया गया। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे। 19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद CBI ने इन्हें उम्रकैद की सजा दे दी। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया। रणजीत का पूरा परिवार डेरे से जुड़ा था, चिट्ठी के बाद इस्तीफा दिया
साल 2002 में रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। रणजीत सिंह कुरुक्षेत्र के रहने वाले थे। उनका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक गुमनाम चिठ्ठी की वजह से डेरा सच्चा सौदा में हंगामा खड़ा हो गया था। उस गुमनाम खत में एक साध्वी का यौन शोषण किए जाने का खुलासा था। चिठ्ठी सामने आते ही डेरा सच्चा सौदा पर सवाल उठने लगे। डेरे में यौन शोषण के आरोप सामने आने के बाद रणजीत सिंह आहत हो गए। इसी बात को लेकर उन्होंने डेरे के मैनेजर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ परिवार के लोग भी डेरे से अलग हो गए। गुमनाम चिट्ठी के शक में मारी गई थी गोली
रणजीत सिंह की हत्या का मामला गुमनाम चिट्ठी से जुड़ा हुआ है, जिसमें डेरे में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। ये वह चिट्ठी थी, जो तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गई थी। CBI ने दावा किया था कि डेरे को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से साध्वियों के यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है। CBI ने जांच के बाद कोर्ट में कहा था कि राम रहीम को शक था कि गुमनाम चिट्ठी के पीछे रणजीत का हाथ है। इस चिट्ठी में रणजीत की बहन का भी जिक्र था। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद रणजीत को डेरे में बुलाया गया। जहां उसे गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, रणजीत ने कहा कि इस चिट्ठी के पीछे उसकी कोई भूमिका नहीं है। जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। यह चिट्ठी बाद में सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापी थी। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर को गोली मारी गई थी। इसके बाद उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। छत्रपति की हत्या के केस में भी राम रहीम उम्रकैद काट रहा है। ये खबरें भी पढ़ें… वह गुमनाम चिट्ठी, जिसके बाद रणजीत का मर्डर हुआ:इसी केस में राम रहीम बरी हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम के साम्राज्य को एक गुमनाम चिट्ठी ने तबाह किया था। यह चिट्ठी डेरे में साध्वियों के यौन शोषणा से जुड़ी हुई थी। यह चिट्ठी 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संबोधित कर लिखी गई थी।इस चिट्ठी के सामने आने के बाद पहले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह का मर्डर हुआ (पूरी खबर पढ़ें) गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी:17 की उम्र में शादी, 23 में संन्यासी बना; एक पोशाक से हिंसा फैली, रेप-मर्डर में सजा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 22 साल पुराने रणजीत सिंह मर्डर केस में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। राम रहीम अभी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। वह जेल से बाहर नहीं आएगा। एक सामान्य इंसान से डेरा सच्चा का प्रमुख बनने तक राम रहीम की कहानी दिलचस्प है। राम रहीम का जन्म 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की गुरुसर मोडिया गांव में जट सिख परिवार में हुआ। वह माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता मघर सिंह गांव के जमींदार थे। माता का नाम नसीब कौर है। (पूरी खबर पढ़ें) रणजीत का परिवार जाएगा सुप्रीम कोर्ट:राम रहीम को बरी किए जाने से परिवार मायूस, बेटा और जीजा बोले-मरते दम तक लड़ेंगे लड़ाई हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह के मर्डर केस में हाईकोर्ट ने डेरा प्रमुख को बरी कर दिया है। इस फैसले से रणजीत सिंह का परिवार मायूस है। परिवार का कहना है कि वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके लिए वकीलों से राय ली जा रही है। जल्द ही इसके लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
अबोहर के सीतो हत्याकांड में SSP से मिले ग्रामीण:राजनीतिक दबाव में केस दर्ज करने के आरोप, एसपी ऑपरेशनल को सौंपी जांच
अबोहर के सीतो हत्याकांड में SSP से मिले ग्रामीण:राजनीतिक दबाव में केस दर्ज करने के आरोप, एसपी ऑपरेशनल को सौंपी जांच अबोहर के गांव सीतो गुन्नो में बहुचर्चित हत्याकांड के मामले की जांच करवाने के लिए गांववासियों का एक शिष्ट मंडल एसएसपी वरिंद्र सिंह बराड़ से मिला। शिष्ट मंडल की मांग पर एसएसपी द्वारा इस मामले की जांच एसपी ऑपरेशनल करणवीर सिंह को सौंप दी है। शिष्ट मंडल में संतरो देवी, मन्नी देवी, नेपाल, पप्पू राम, सतपाल, बोहड़ सिंह, महिंद्र, बिमला, कालू राम, सूरज रानी, बेबी, गीता, पप्पू राम आदि शामिल थे। एसएसपी वरिंद्र सिंह बराड़ ने कहा कि इस हत्याकांड मामले की जांच एसपी ऑपरेशनल करणवीर सिंह फाजिल्का बारीकी से करेंगे। लोगों का आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने मुकदमा धारा 302, 307, 324, 323, 148, 149 के तहत 19 लोगों को बायनेम व 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। राजनीतिक दबाव मे दर्ज हुआ मुकदमा लोगों का आरोप है कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में मामला दर्ज किया था। अगर इस मामले की जांच करवाई जाए तो सच्चाई खुलकर सामने आएगी। इस मामले में थाना बहाववाला पुलिस 7 लोगों को गिरफ्तार कर अदालत में चालान पेश कर चुकी है। गांववासियों का आरोप है कि मामले की जांच बारीकी से की जाए तो गिरफ्तार लोग निर्दोष पाए जा सकते हैं। इस मामले में हत्या के साथ जो दूसरा साथी घायल हुआ था उसके पुलिस ने बयान नहीं लिए हैं। अगर पूछताछ की जाये तो हमलावरों की सच्चाई खुलकर सामने आ सकती है।
लुधियाना में ट्रेवल एजेंट पर ED का एक्शन:लोगों को वर्क वीजा के नाम पर ठगा, धोखाधड़ी के सैकड़ों केस हैं दर्ज
लुधियाना में ट्रेवल एजेंट पर ED का एक्शन:लोगों को वर्क वीजा के नाम पर ठगा, धोखाधड़ी के सैकड़ों केस हैं दर्ज पंजाब के लुधियाना में एक ट्रैवल एजेंट पर थाना डिवीजन नंबर 5 की पुलिस ने मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई ED के असिस्टेंट डायरेक्टोरेट राकेश जंघू के बयानों पर हुई है। फिलहाल आरोपी अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। ED मुताबिक एजेंट नीतीश घई के खिलाफ पंजाब के विभिन्न जिलों और यहां तक कि देश भर के विभिन्न राज्यों के भोले-भाले लोगों को विदेशों में कार्य वीजा की पेशकश करके धोखा देने के कई आरोप है। ED का आरोप है कि एजेंट घई ने लोगों से ली रकम के साथ जायदाद बनाई है। इमिग्रेशन एक्ट के तहत हुआ मामला दर्ज पुलिस डिवीजन 5 द्वारा आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा 61(2), 318(4) और इमिग्रेशन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। राकेश जंघू सहायक निदेशक प्रवर्तन निदेशालय जालंधर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था।
थाना डिवीजन नंबर 5 के सब-इंस्पेक्टर बलवंत सिंह ने कहा कि ED अधिकारियों ने घई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस कमिश्नरेट लुधियाना को लिखा था। SHO बलवंत सिंह ने कहा कि ED ने शिकायत में उल्लेख किया था कि एजेंट नितीश घई ने कई लोगों को विदेश भेजने के नाम पर धोखा दिया। ED ने शिकायत में यह भी उल्लेख किया है कि घई ने ट्रैवल फर्मों का अवैध कारोबार चलाकर सरकार के साथ धोखाधड़ी भी की है। ED मुताबिक अब मामले की जांच संबंधी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की जा रही है। कई मामलों में हो चुका समझौता साल 2018 में घई, उनके स्टाफ और परिवार के सदस्यों के खिलाफ ट्रैवल धोखाधड़ी की 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं। पंजाब के निवासियों के अलावा, घई ने हरियाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी धोखा दिया। फिलहाल कुछ मामलों की जांच चल रही है, जिनमें पुलिस अभी तक जांच पूरी नहीं कर पाई है। कई मामलों में कथित तौर पर समझौता भी हो चुका है।