पटियाला नगर निगम चुनाव में जिन 7 वार्डों के चुनाव के स्थगित किए थे। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस आदेश को खारिज कर दिया है। वहीं, इन वार्डों में जो उम्मीदवार विजयी रहे हैं। वह अब अपने पद की शपथ ले पाएंगे। अदालत ने कहा कि अगर किसी को इस बात एतराज है, तो वह अपनी याचिका दाखिल कर सकता है। अदालत में दी गई यह दलील जानकारी के मुताबिक दिसंबर महीने में निकाय चुनाव हुए थे। इस दौरान एक अवमानना की याचिका अदालत में दाखिल हुई थी। इस दौरान चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। अदालत में सरकार ने कहा था कि 7 वार्डों के चुनाव स्थगित कर दिए थे। इसके बाद स्टेट निर्वाचन आयोग ने कहा था कि उनकी तरफ से बाद में चुनाव करवाए जाएंगे। हालांकि यहां पर पहले ही निर्वाचन की प्रक्रिया हो चुकी थी। विजेता उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट तक दिए जा चुके थे। एडवोकेट फैरी सोफत ने कहा कि हमारी तरफ से अदालत को बताया कि चुनाव डैफर करने का अधिकार स्टेट के पास नहीं था। वहां पर चुनाव की प्रक्रिया पहले पूरी हो चुकी है। इसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया है। ऐसे हुआ था चुनाव पटियाला नगर निगम में कुल 60 वार्ड है। इनमें से आम आदमी पार्टी ने कुल 43 सीटें जीती थी। जबकि कांग्रेस को 4, भाजपा को 4 और शिरोमणि अकाली दल के 2 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। जबकि 7 वार्डों के चुनाव मुल्तवी कर दिए। हालांकि आम आदमी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत था। ऐसे में आप की तरफ से मेयर बनाया गया है। पटियाला नगर निगम चुनाव में जिन 7 वार्डों के चुनाव के स्थगित किए थे। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस आदेश को खारिज कर दिया है। वहीं, इन वार्डों में जो उम्मीदवार विजयी रहे हैं। वह अब अपने पद की शपथ ले पाएंगे। अदालत ने कहा कि अगर किसी को इस बात एतराज है, तो वह अपनी याचिका दाखिल कर सकता है। अदालत में दी गई यह दलील जानकारी के मुताबिक दिसंबर महीने में निकाय चुनाव हुए थे। इस दौरान एक अवमानना की याचिका अदालत में दाखिल हुई थी। इस दौरान चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। अदालत में सरकार ने कहा था कि 7 वार्डों के चुनाव स्थगित कर दिए थे। इसके बाद स्टेट निर्वाचन आयोग ने कहा था कि उनकी तरफ से बाद में चुनाव करवाए जाएंगे। हालांकि यहां पर पहले ही निर्वाचन की प्रक्रिया हो चुकी थी। विजेता उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट तक दिए जा चुके थे। एडवोकेट फैरी सोफत ने कहा कि हमारी तरफ से अदालत को बताया कि चुनाव डैफर करने का अधिकार स्टेट के पास नहीं था। वहां पर चुनाव की प्रक्रिया पहले पूरी हो चुकी है। इसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया है। ऐसे हुआ था चुनाव पटियाला नगर निगम में कुल 60 वार्ड है। इनमें से आम आदमी पार्टी ने कुल 43 सीटें जीती थी। जबकि कांग्रेस को 4, भाजपा को 4 और शिरोमणि अकाली दल के 2 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। जबकि 7 वार्डों के चुनाव मुल्तवी कर दिए। हालांकि आम आदमी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत था। ऐसे में आप की तरफ से मेयर बनाया गया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके
सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य के फैसले पर आज विचार होगा। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री अकाल तख्त कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर सुखबीर बादल के “तनखैया” मामले पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में उन्हें दिए जाने वाली संभावित धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। इस चर्चा में कुल 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इन सदस्यों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है। सुखबीर बादल पर लगे आरोप और “तनखैया” मामला
अकाली दल से जुड़े असंतुष्ट नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान (2007-2017) हुए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे, जिन्हें उन्होंने सिख धर्म के हितों के विरुद्ध बताया। इसके बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं दी गई। तनखैया घोषित किए जाने के कारण सुखबीर सिंह बादल को विधानसभा उपचुनावों में प्रचार या भाग लेने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते अकाली दल ने उपचुनावों से दूरी बना ली थी। हालांकि, सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) चुनाव में अकाली दल समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं। किस प्रकार की सजा मिल सकती है?
अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, तनखैया घोषित व्यक्ति को अक्सर गुरुद्वारे में सेवा करने जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जैसे कि जूते या फर्श साफ करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस प्रकार की धार्मिक सजा दी जा सकती है। इस फैसले से पहले जत्थेदारों की एक बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल भी उपस्थित हो सकते हैं। इस निर्णय के आधार पर सुखबीर बादल के धार्मिक और राजनीतिक सफर पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्या होता है तनखैया
सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा
अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। 1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी
2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई
1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ
अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
मानसा में बस ने मारी ट्रैक्टर-ट्राली को टक्कर:धुंध के कारण हुआ हादसा, एक युवक की मौत, 5 गंभीर घायल
मानसा में बस ने मारी ट्रैक्टर-ट्राली को टक्कर:धुंध के कारण हुआ हादसा, एक युवक की मौत, 5 गंभीर घायल पंजाब के मानसा में आज सुबह घनी धुंध होने के चलते एक प्राइवेट बस और ट्रैक्टर ट्राली के बीच टक्कर हो गई। इस हादसे में ट्रैक्टर ट्राली में सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि पांच अन्य गंभीर रुप से घायल हो गए। घायलों केा उपचार के लिए सरदूलगढ़ के हड़ताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार, सरदूलगढ़ में आज सुबह 9 बजे कोहरा होने के चलते आगे जा रही एक ट्रैक्टर ट्राली को पीछे से आ रही एक प्राइवेट बस ने टक्कर मार दी। इस हादसे में सुक्खू कीशू नामक युवक की मौत हो गई, जबकि पांच अन्य गंभीर रुप से घायल हो गए। हादसे के बाद तुरंत आसपास के लोग एकत्रित हो गए, जिन्होंने तुरंत घायलों को अस्पताल पहुंचाया। सेलर में मजदूरी के लिए जा रहे थे बताया जाता है कि ट्रैक्टर ट्राली में सवार मजदूर एक सेलर में मजदूरी करने के लिए जा रहे थे। अस्पताल की डॉक्टर हरसिमरन कौर ने बताया कि एक मजदूर की मौत हो गई है और एक की हालत गंभीर होने के कारण उसे हायर सेंटर रेफर किया गया है। वहीं ट्रैक्टर के ड्राइवर ने भी यही बताया कि धुंध होने के चलते पीछे से आ रही बस ने ट्रैक्टर ट्राली में टक्कर मार दी, जिससे यह हादसा हुआ है
अमृतसर में एनआरआई पर जानलेवा हमला:घर में घुसकर मारी गोलियां, हाथ जोड़कर रोकते रहे बच्चे; सुखबीर बादल ने सीएम से मांगा इस्तीफा
अमृतसर में एनआरआई पर जानलेवा हमला:घर में घुसकर मारी गोलियां, हाथ जोड़कर रोकते रहे बच्चे; सुखबीर बादल ने सीएम से मांगा इस्तीफा पंजाब के अमृतसर में घर में घुसकर एक एनआरआई को गोलियां मारने का मामला सामने आया है। अमृतसर के दबुर्जी सुबह 7 बजे के करीब दो युवक घर में घुसे और परिवार के सामने गोलियां मार दी। फिलहाल पीड़ित घायल है और उसे अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। घटना के बाद अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सीएम मान से इस्तीफा मांग लिया है। घायल की पहचान सुखचैन सिंह के तौर पर हुई है। जो अमेरिका में रहता था। एडीसीपी हरपाल सिंह ने बताया कि घटना सुबह तकरीबन 7.05 बजे की है। सुखचैन सिंह जिम जाने से पहले ब्रश कर रहे थे। तभी दो युवक बाइक पर आए और घर में दाखिल हो गए। घर के अंदर दाखिल होते ही आरोपी उनकी मर्सिडिज कार के कागज दिखाने की मांग करने लगे। जब सुखचैन ने इसका विरोध किया तो आरोपी हथियार दिखाकर सुखचैन सिंह को अंदर की तरफ ले गए। आरोपियों ने पिस्टल से 3 फायर कर दिए। जिनमें से 2 गोलियां सुखचैन सिंह को लगी। आरोपी सुखचैन पर और गोलियां दागना चाहते थे, लेकिन उनका हथियार अटक गया। अस्पताल में करवाया गया दाखिल सुखचैन की पत्नी ने बताया कि जिस समय ये घटना हुई, घर दो बच्चों व बुजुर्ग मां सहित 5 लोग थे। छोटे बच्चे पिता को छोड़ने के लिए हाथ जोड़ते रहे। लेकिन आरोपियों की नीयत उन्हें मारने की थी। तीन फायर के बाद जब हथियार अटक गया तो आरोपी घर से फरार हो गए। वे तुरंत सुखचैन को अस्पताल में ले आए। फिलहाल उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। सुखचैन की पत्नी ने बताया कि वे उनकी दूसरी पत्नी हैं और उनकी पहली पत्नी ने सुसाइड कर लिया था। पहली पत्नी के परिवार से चल रहा विवाद पारिवारिक सदस्य परमजीत सिंह ने बताया कि सुखचैन का उनकी पहली पत्नी के परिवार से विवाद चल रहा था। उनकी पहली पत्नी ने 2022 में सुसाइड किया था। इसके बाद मृतक पत्नी के मायका पक्ष की तरफ से एफआईआर भी करवाई गई थी। जिसमें सुखचैन को पुलिस जांच में निर्दोष पाया गया, जबकि सुखचैन की मां के खिलाफ चालान कोर्ट में पेश किया गया है। केस अभी कोर्ट में चला था। उनके दो बच्चे हैं, जो सुखचैन के साथ ही रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि तकरीबन 5 महीने पहले उन्हें जान से मारने की धमकियां मिली थी। एक महीने पहले लौटा था सुखचैन परमजीत ने बताया कि सुखचैन अमेरिका में रहता था। उनका एक भाई अमेरिका में है। लेकिन पत्नी के सुसाइड के बाद बच्चों की देखरेख के चलते तकरीबन 1 साल से वे भारत रह रहा था। बीच में कई बार उसने काम के सिलसिले में अमेरिका का चक्कर लगाया। तकरीबन एक महीने पहले उनकी पत्नी का एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद सुखचैन एक महीने से अमृतसर के दबुर्जी में ही रुका हुआ था। सुखबीर बादल ने इस्तीफे की मांग रखी अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल सीएम भगवंत मान से इस्तीफे की मांग कर दी है। सुखबीर बादल ने लिखा- पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी है। पंजाब की मौजूदा स्थिति देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है। आज सुबह श्री अमृतसर साहिब के दुबुर्जी के एनआरआई सुखचैन सिंह के घर पर बदमाशों ने गोलियां चलाई। मां अपने बेटे को बचाने के लिए और मासूम बच्चा अपने पिता को बचाने के लिए हाथ जोड़ रहा है, लेकिन बेरहम बदमाश एक नहीं सुन रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान, आपके राज्य में हर दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं। पंजाबी अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। मुझे लगता है कि आपको नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। मैं बुरी तरह घायल सुखचैन सिंह के ठीक होने की प्रार्थना करता हूं।