पहली बार भारत से 10 हजार रिवॉल्वर अमेरिका जाएंगी:यूपी में बनेगी 100 साल पहले बंद हुई वेब्ले-455; आखिरी बार ब्रिटेन में बनी थी

पहली बार भारत से 10 हजार रिवॉल्वर अमेरिका जाएंगी:यूपी में बनेगी 100 साल पहले बंद हुई वेब्ले-455; आखिरी बार ब्रिटेन में बनी थी

उत्तर प्रदेश अमेरिका को हथियार सप्लाई करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। हथियार है 100 साल पहले बंद हो चुकी वेब्ले-455 रिवॉल्वर। इस ब्रिटिश कंपनी ने साल 1887 में इस मॉडल को बाजार में उतारा था। फिर 1924 में इस रिवॉल्वर को बनाना बंद कर दिया। इसका उत्पादन बंद होने से पहले यह 19वीं और 20वीं सदी में दुनियाभर में हुई कई क्रांतियों और युद्धों की गवाह बन चुकी थी। करीब 37 सालों में यह दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची। इसी यात्रा में अंग्रेज इसे भारत लेकर आए। लंबे समय से इस एंटीक रिवॉल्वर को फिर से बनाने की मांग उठ रही थी। अब इस मॉडल को बनाने के लिए वेब्ले ने भारत के स्याल मैन्युफैक्चरर प्राइवेट लिमिटेड से समझौता किया है। क्यों वेब्ले-455 का हरदोई से फिर उत्पादन शुरू होना खास है? रिवॉल्वर की खासियत से लेकर इसका इतिहास भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- वेब्ले एंड स्कॉट यूपी में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली पहली ग्लोबल हथियार कंपनी
वेल्बे एंड स्कॉट ब्रिटेन की हथियार कंपनी है। यही कंपनी वेब्ले-455 रिवॉल्वर बनाती थी। अब इस कंपनी का यूपी से कनेक्शन हो गया है। यह पहली ग्लोबल हथियार कंपनी है, जिसने 2020 में यूपी में हथियार बनाना शुरू किया। हरदोई में इसकी फैक्ट्री है। यहां वेब्ले एंड स्कॉट कंपनी के बने हथियारों की सप्लाई दुनियाभर में होती है। नया मामला अब इसमें एंटीक वेब्ले-455 रिवॉल्वर के बनाने और उसको अमेरिका भेजने का है। इसके पहले इस रिवॉल्वर का निर्माण सिर्फ ब्रिटेन में हुआ है। अब अमेरिका, ब्राजील और यूरोपीय देशों में इसे दोबारा बनाने की मांग बढ़ती जा रही थी। तभी कंपनी ने इसे फिर बनाने का फैसला किया है। अमेरिका ने 10 हजार वेब्ले-455 रिवॉल्वर का ऑर्डर पहले ही दे रखा है। अमेरिका में सप्लाई के लिए राज्य में हथियार बनेगा
यह पहली बार है कि यूपी में बनने वाले हथियार की सप्लाई अमेरिका में होगी। खास इसलिए भी कि उत्तर प्रदेश इसी के साथ देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां बने हथियार अमेरिका भेजे जाएंगे। कंपनी 2020 से हरदोई में .32 रिवॉल्वर, राइफल्स और शॉटगन का प्रोडक्शन करती है। कंपनी ने तब यहां मैन्युफैक्चरिंग शुरू करते हुए कहा था कि भारत जैसे बड़े बाजार को देखते हुए वो यहां उत्पादन शुरू कर रहे हैं। यूपी हथियार मैन्युफैक्चरिंग का हब
भारत सरकार के मुताबिक, फिलहाल देश में हथियार बनाने की कुल 39 फैक्ट्रियां हैं। इनमें 10 फैक्ट्रियां अकेले उत्तर प्रदेश में हैं। ये पूरे भारत में सबसे ज्यादा हैं। इतनी ही महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्य हैं। साल 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में यूपी इंवेस्टर्स समिट में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की घोषणा की थी। इसमें 6 नोडल सेंटर्स हैं- अलीगढ़, आगरा, कानपुर, चित्रकूट, झांसी और लखनऊ। इस कॉरिडोर की नोडल एजेंसी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी को बनाया गया। इस कॉरिडोर को बनाने के पीछे मकसद था, प्रदेश को हथियारों के मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाया जा सके। इसके लिए सिंगल विंडो अप्रूवल और क्लियरेंस की व्यवस्था की गई। इसके बाद से ही प्रदेश में हथियारों के मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। डिफेंस कॉरिडोर का लॉन्चिंग पैड है बुंदेलखंड का क्षेत्र
राज्य में डिफेंस कॉरिडोर बनाने में जिन जिलों को शामिल किया गया, उनमें ध्यान रखा गया कि हथियार बनाने के लिए रॉ मटेरियल से लेकर ट्रांसपोर्टेशन सब सहूलियत भरा हो। इसके लिए बुंदेलखंड के इलाके में सबसे ज्यादा निवेश की योजना बनाई गई। इस कॉरिडोर की घोषणा के समय ही बुंदेलखंड क्षेत्र में 20 हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव रखा गया। इस क्षेत्र में डिफेंस कॉरिडोर पर सरकार के फोकस की वजह है यहां पड़ी खाली जमीनें। अब जानिए वेब्ले-455 की कहानी जो 100 साल बाद बनेगी पहले विश्व युद्ध में वेब्ले-455 ब्रिटिश सेना की सर्विस रिवॉल्वर रही
1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ, तब जॉर्ज पंचम ब्रिटेन के राजा थे। उन्होंने युद्ध शुरू होते ही ब्रिटिश आर्मी के लिए वेब्ले-455 को सर्विस रिवॉल्वर घोषित कर दिया। सभी सैनिकों को यह रिवॉल्वर दी गई। विश्व युद्ध जिन हालातों में लड़ा जा रहा था, सैनिकों ने महसूस किया कि रिवॉल्वर की साइज छोटी होने की वजह से उसे रखना ज्यादा आसान था। तेज और सटीक भी थी। जमीन में ट्रेंच (गड्ढे) खोदकर महीनों सैनिकों को उसमें रहना पड़ता था। इन हालात में रिवॉल्वर की मांग बढ़ गई। तब वॉर डिपार्टमेंट ने वेब्ले एंड स्कॉट कंपनी को वेल्बे- 455 का ऑर्डर दिया। सितंबर 1914 में कंपनी ने 20 हजार रिवॉल्वर के ऑर्डर का पहला बैच ब्रिटिश आर्मी को डिलीवर किया। ब्रिटिश सेना के साथ यह रिवॉल्वर तब तक जुड़ी रही, जब तक दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत नहीं हो गई। 1939 में 25 साल बाद जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ, तब ब्रिटिश सर्विस से इस रिवॉल्वर को हटाया गया। पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के इस्तेमाल ने वेब्ले- 455 को क्लासिक बनाया
पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की सर्विस गन होने की वजह से वेब्ले-455 रिवाल्वर को सभी जानने लगे। यह बड़ी बात थी। वॉर डिपार्टमेंट सीधे कंपनी को इन हथियारों की सप्लाई का ऑर्डर देता था। इसकी क्षमता, सटीकता, तेजी सब कुछ एक जीते-जागते युद्ध के मैदान में परखी और इस्तेमाल की जा रही थी। इसने इसे भरोसेमंद बना दिया। यह रिवॉल्वर के डिजाइन को और बेहतर बनाने के लिए मुफीद मौका साबित हुआ। इन वजहों ने वेब्ले-455 को क्लासिक रिवॉल्वर बना दिया। यह खबर भी पढ़ें बहराइच हिंसा; उपद्रवी बोले- 2 घंटे पुलिसवाले हट गए थे, लोगों ने गद्दारी की, नहीं तो महराजगंज खत्म हो गया होता बहराइच के महराजगंज में हिंसा में कौन लोग शामिल थे? इसे रोकने में पुलिस क्यों फेल हुई? क्या यह सब कुछ पहले से प्लान्ड था? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने 5 दिन तक महराजगंज और उसके आसपास के गांवों में इन्वेस्टिगेशन किया। हमने 3 उन महत्वपूर्ण किरदारों को ढूंढा। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तर प्रदेश अमेरिका को हथियार सप्लाई करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। हथियार है 100 साल पहले बंद हो चुकी वेब्ले-455 रिवॉल्वर। इस ब्रिटिश कंपनी ने साल 1887 में इस मॉडल को बाजार में उतारा था। फिर 1924 में इस रिवॉल्वर को बनाना बंद कर दिया। इसका उत्पादन बंद होने से पहले यह 19वीं और 20वीं सदी में दुनियाभर में हुई कई क्रांतियों और युद्धों की गवाह बन चुकी थी। करीब 37 सालों में यह दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची। इसी यात्रा में अंग्रेज इसे भारत लेकर आए। लंबे समय से इस एंटीक रिवॉल्वर को फिर से बनाने की मांग उठ रही थी। अब इस मॉडल को बनाने के लिए वेब्ले ने भारत के स्याल मैन्युफैक्चरर प्राइवेट लिमिटेड से समझौता किया है। क्यों वेब्ले-455 का हरदोई से फिर उत्पादन शुरू होना खास है? रिवॉल्वर की खासियत से लेकर इसका इतिहास भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- वेब्ले एंड स्कॉट यूपी में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली पहली ग्लोबल हथियार कंपनी
वेल्बे एंड स्कॉट ब्रिटेन की हथियार कंपनी है। यही कंपनी वेब्ले-455 रिवॉल्वर बनाती थी। अब इस कंपनी का यूपी से कनेक्शन हो गया है। यह पहली ग्लोबल हथियार कंपनी है, जिसने 2020 में यूपी में हथियार बनाना शुरू किया। हरदोई में इसकी फैक्ट्री है। यहां वेब्ले एंड स्कॉट कंपनी के बने हथियारों की सप्लाई दुनियाभर में होती है। नया मामला अब इसमें एंटीक वेब्ले-455 रिवॉल्वर के बनाने और उसको अमेरिका भेजने का है। इसके पहले इस रिवॉल्वर का निर्माण सिर्फ ब्रिटेन में हुआ है। अब अमेरिका, ब्राजील और यूरोपीय देशों में इसे दोबारा बनाने की मांग बढ़ती जा रही थी। तभी कंपनी ने इसे फिर बनाने का फैसला किया है। अमेरिका ने 10 हजार वेब्ले-455 रिवॉल्वर का ऑर्डर पहले ही दे रखा है। अमेरिका में सप्लाई के लिए राज्य में हथियार बनेगा
यह पहली बार है कि यूपी में बनने वाले हथियार की सप्लाई अमेरिका में होगी। खास इसलिए भी कि उत्तर प्रदेश इसी के साथ देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां बने हथियार अमेरिका भेजे जाएंगे। कंपनी 2020 से हरदोई में .32 रिवॉल्वर, राइफल्स और शॉटगन का प्रोडक्शन करती है। कंपनी ने तब यहां मैन्युफैक्चरिंग शुरू करते हुए कहा था कि भारत जैसे बड़े बाजार को देखते हुए वो यहां उत्पादन शुरू कर रहे हैं। यूपी हथियार मैन्युफैक्चरिंग का हब
भारत सरकार के मुताबिक, फिलहाल देश में हथियार बनाने की कुल 39 फैक्ट्रियां हैं। इनमें 10 फैक्ट्रियां अकेले उत्तर प्रदेश में हैं। ये पूरे भारत में सबसे ज्यादा हैं। इतनी ही महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्य हैं। साल 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में यूपी इंवेस्टर्स समिट में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की घोषणा की थी। इसमें 6 नोडल सेंटर्स हैं- अलीगढ़, आगरा, कानपुर, चित्रकूट, झांसी और लखनऊ। इस कॉरिडोर की नोडल एजेंसी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी को बनाया गया। इस कॉरिडोर को बनाने के पीछे मकसद था, प्रदेश को हथियारों के मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाया जा सके। इसके लिए सिंगल विंडो अप्रूवल और क्लियरेंस की व्यवस्था की गई। इसके बाद से ही प्रदेश में हथियारों के मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। डिफेंस कॉरिडोर का लॉन्चिंग पैड है बुंदेलखंड का क्षेत्र
राज्य में डिफेंस कॉरिडोर बनाने में जिन जिलों को शामिल किया गया, उनमें ध्यान रखा गया कि हथियार बनाने के लिए रॉ मटेरियल से लेकर ट्रांसपोर्टेशन सब सहूलियत भरा हो। इसके लिए बुंदेलखंड के इलाके में सबसे ज्यादा निवेश की योजना बनाई गई। इस कॉरिडोर की घोषणा के समय ही बुंदेलखंड क्षेत्र में 20 हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव रखा गया। इस क्षेत्र में डिफेंस कॉरिडोर पर सरकार के फोकस की वजह है यहां पड़ी खाली जमीनें। अब जानिए वेब्ले-455 की कहानी जो 100 साल बाद बनेगी पहले विश्व युद्ध में वेब्ले-455 ब्रिटिश सेना की सर्विस रिवॉल्वर रही
1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ, तब जॉर्ज पंचम ब्रिटेन के राजा थे। उन्होंने युद्ध शुरू होते ही ब्रिटिश आर्मी के लिए वेब्ले-455 को सर्विस रिवॉल्वर घोषित कर दिया। सभी सैनिकों को यह रिवॉल्वर दी गई। विश्व युद्ध जिन हालातों में लड़ा जा रहा था, सैनिकों ने महसूस किया कि रिवॉल्वर की साइज छोटी होने की वजह से उसे रखना ज्यादा आसान था। तेज और सटीक भी थी। जमीन में ट्रेंच (गड्ढे) खोदकर महीनों सैनिकों को उसमें रहना पड़ता था। इन हालात में रिवॉल्वर की मांग बढ़ गई। तब वॉर डिपार्टमेंट ने वेब्ले एंड स्कॉट कंपनी को वेल्बे- 455 का ऑर्डर दिया। सितंबर 1914 में कंपनी ने 20 हजार रिवॉल्वर के ऑर्डर का पहला बैच ब्रिटिश आर्मी को डिलीवर किया। ब्रिटिश सेना के साथ यह रिवॉल्वर तब तक जुड़ी रही, जब तक दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत नहीं हो गई। 1939 में 25 साल बाद जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ, तब ब्रिटिश सर्विस से इस रिवॉल्वर को हटाया गया। पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के इस्तेमाल ने वेब्ले- 455 को क्लासिक बनाया
पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की सर्विस गन होने की वजह से वेब्ले-455 रिवाल्वर को सभी जानने लगे। यह बड़ी बात थी। वॉर डिपार्टमेंट सीधे कंपनी को इन हथियारों की सप्लाई का ऑर्डर देता था। इसकी क्षमता, सटीकता, तेजी सब कुछ एक जीते-जागते युद्ध के मैदान में परखी और इस्तेमाल की जा रही थी। इसने इसे भरोसेमंद बना दिया। यह रिवॉल्वर के डिजाइन को और बेहतर बनाने के लिए मुफीद मौका साबित हुआ। इन वजहों ने वेब्ले-455 को क्लासिक रिवॉल्वर बना दिया। यह खबर भी पढ़ें बहराइच हिंसा; उपद्रवी बोले- 2 घंटे पुलिसवाले हट गए थे, लोगों ने गद्दारी की, नहीं तो महराजगंज खत्म हो गया होता बहराइच के महराजगंज में हिंसा में कौन लोग शामिल थे? इसे रोकने में पुलिस क्यों फेल हुई? क्या यह सब कुछ पहले से प्लान्ड था? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने 5 दिन तक महराजगंज और उसके आसपास के गांवों में इन्वेस्टिगेशन किया। हमने 3 उन महत्वपूर्ण किरदारों को ढूंढा। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर