पानीपत में कांग्रेस से दोनों विधायकों को टिकट:समालखा से धर्मसिंह छौक्कर, इसराना से बलबीर को मौका; दोनों भूपेंद्र हुड्डा के करीबी

पानीपत में कांग्रेस से दोनों विधायकों को टिकट:समालखा से धर्मसिंह छौक्कर, इसराना से बलबीर को मौका; दोनों भूपेंद्र हुड्डा के करीबी

कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 31 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में 27 मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट दिया गया है। इन्हीं विधायकों में पानीपत जिले की 2 विधानसभाओं पर कांग्रेस ने अपने दोनों मौजूदा विधायकों को फिर मौका दिया है। जिनमें समालखा से धर्म सिंह छौक्कर और इसराना से बलबीर वाल्मीकि शामिल है। अब समालखा में बीजेपी के मनमोहन भड़ाना से धर्म सिंह छौक्कर का मुकाबला है। वहीं, इसराना सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी के कृष्ण लाल पंवार के सामने बलबीर सिंह वाल्मीकि होंगे। जानिए, कौन हैं धर्म सिंह छौक्कर? भाई के निधन के बाद संभाली राजनीति धर्म सिंह छौक्कर पुलिस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए। दरअसल, धर्म सिंह छौक्कर के दो और भाई थे। जिसमें से एक इंदर सिंह छौक्कर साल 2000 में पुलिस नौकरी छोड़ पहले इनेलो के कार्यकर्ता बने। फिर उन्होंने समालखा विधानसभा से राजनीति की शुरुआत की। इनेलो ने टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़े। इस दौरान वे पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के संपर्क में आए और हजकां में शामिल हो गए। इंदर सिंह का निधन होने के बाद उनके भाई धर्म सिंह छौक्कर भाई की राजनीतिक विरासत संभाली। 2008 में राजनीति में आए साल 2007 में इंदर सिंह छौक्कर की मौत के बाद साल 2008 में धर्म सिंह छौक्कर राजनीति में आए। पहली बार हजकां के टिकट पर कांग्रेस के उम्मीदवार संजय छौक्कर को हराकर विधायक बने। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 2014 में धर्म सिंह छौक्कर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हारने के बाद भी 5 साल तक वे अपनी विधानसभा में एक्टिव रहे और 2019 में उन्होंने बीजेपी के शशिकांत कौशिक को हराया और दूसरी बार विधायक बने। जानिए, कौन है बलबीर सिंह इसराना हलके के मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि ने अपना सियासी सफर सरपंच पद से ही शुरू किया था। हालांकि उन्होंने राजनीति के गुर अपनी मां के सरपंच पद पर रहते हुए ही सीखने शुरू कर दिए थे। उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि मजदूरी करने वाला कोई व्यक्ति एक दिन गांव की सामान्य गलियों से निकल कर हरियाणा विधानसभा के दरवाजे तक पहुंचेगा। गांव गवालड़ा निवासी बलबीर सिंह वाल्मीकि ने उनके सियासी सफर की शुरुआत 2005 में सरपंच पद से शुरू की थी। लेकिन सन 1995 में एससी श्रेणी के सरपंच पद पर उसकी मां के सरपंच रहते हुए ही उन्हें सामाजिक व राजनीतिक ताने-बाने के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। 2000 में लड़ा था सरपंच पद का चुनाव बलबीर सिंह वाल्मीकि 2000 में सामान्य वर्ग की सीट पर सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन मात्र 32 वोटों से वह चुनाव हार गए। साल 2005 में सरपंच पद सामान्य होते हुए भी 238 वोटों से विजय हासिल कर गांव के सरपंच बने। यहीं से उनका सियासी सफर परवान चढ़ता गया। इसके बाद वह खंड इसराना सरपंच एसोसिएशन के प्रधान बन गए। जबकि खंड की 32 ग्राम पंचायतों में वह अकेले ही वाल्मीकि सरपंच थे। इसी दौरान प्रदेश के कुछ वरिष्ठ राजनीतिज्ञों से उसकी मुलाकात अथवा संपर्क होता रहा। जिसके चलते उनके राजनीतिक रसूख बनते चले गए। 2009 में कांग्रेस से मिला टिकट पहली बार 2009 में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला, लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद भी उन्होंने राजनीतिक पकड़ कमजोर नहीं होने दी। 5 साल बाद सन 2014 में दोबारा कांग्रेस से टिकट मिल गया। लेकिन इस बार भी उन्हें हार का मुंह ही देखना पड़ा। लगातार 2 बार विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी उनका राजनीतिक हौसला कम नहीं हुआ। आखिर 2019 में तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर वह चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंचने में सफल हो गए। कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 31 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में 27 मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट दिया गया है। इन्हीं विधायकों में पानीपत जिले की 2 विधानसभाओं पर कांग्रेस ने अपने दोनों मौजूदा विधायकों को फिर मौका दिया है। जिनमें समालखा से धर्म सिंह छौक्कर और इसराना से बलबीर वाल्मीकि शामिल है। अब समालखा में बीजेपी के मनमोहन भड़ाना से धर्म सिंह छौक्कर का मुकाबला है। वहीं, इसराना सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी के कृष्ण लाल पंवार के सामने बलबीर सिंह वाल्मीकि होंगे। जानिए, कौन हैं धर्म सिंह छौक्कर? भाई के निधन के बाद संभाली राजनीति धर्म सिंह छौक्कर पुलिस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए। दरअसल, धर्म सिंह छौक्कर के दो और भाई थे। जिसमें से एक इंदर सिंह छौक्कर साल 2000 में पुलिस नौकरी छोड़ पहले इनेलो के कार्यकर्ता बने। फिर उन्होंने समालखा विधानसभा से राजनीति की शुरुआत की। इनेलो ने टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़े। इस दौरान वे पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के संपर्क में आए और हजकां में शामिल हो गए। इंदर सिंह का निधन होने के बाद उनके भाई धर्म सिंह छौक्कर भाई की राजनीतिक विरासत संभाली। 2008 में राजनीति में आए साल 2007 में इंदर सिंह छौक्कर की मौत के बाद साल 2008 में धर्म सिंह छौक्कर राजनीति में आए। पहली बार हजकां के टिकट पर कांग्रेस के उम्मीदवार संजय छौक्कर को हराकर विधायक बने। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 2014 में धर्म सिंह छौक्कर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हारने के बाद भी 5 साल तक वे अपनी विधानसभा में एक्टिव रहे और 2019 में उन्होंने बीजेपी के शशिकांत कौशिक को हराया और दूसरी बार विधायक बने। जानिए, कौन है बलबीर सिंह इसराना हलके के मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि ने अपना सियासी सफर सरपंच पद से ही शुरू किया था। हालांकि उन्होंने राजनीति के गुर अपनी मां के सरपंच पद पर रहते हुए ही सीखने शुरू कर दिए थे। उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि मजदूरी करने वाला कोई व्यक्ति एक दिन गांव की सामान्य गलियों से निकल कर हरियाणा विधानसभा के दरवाजे तक पहुंचेगा। गांव गवालड़ा निवासी बलबीर सिंह वाल्मीकि ने उनके सियासी सफर की शुरुआत 2005 में सरपंच पद से शुरू की थी। लेकिन सन 1995 में एससी श्रेणी के सरपंच पद पर उसकी मां के सरपंच रहते हुए ही उन्हें सामाजिक व राजनीतिक ताने-बाने के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। 2000 में लड़ा था सरपंच पद का चुनाव बलबीर सिंह वाल्मीकि 2000 में सामान्य वर्ग की सीट पर सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन मात्र 32 वोटों से वह चुनाव हार गए। साल 2005 में सरपंच पद सामान्य होते हुए भी 238 वोटों से विजय हासिल कर गांव के सरपंच बने। यहीं से उनका सियासी सफर परवान चढ़ता गया। इसके बाद वह खंड इसराना सरपंच एसोसिएशन के प्रधान बन गए। जबकि खंड की 32 ग्राम पंचायतों में वह अकेले ही वाल्मीकि सरपंच थे। इसी दौरान प्रदेश के कुछ वरिष्ठ राजनीतिज्ञों से उसकी मुलाकात अथवा संपर्क होता रहा। जिसके चलते उनके राजनीतिक रसूख बनते चले गए। 2009 में कांग्रेस से मिला टिकट पहली बार 2009 में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला, लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद भी उन्होंने राजनीतिक पकड़ कमजोर नहीं होने दी। 5 साल बाद सन 2014 में दोबारा कांग्रेस से टिकट मिल गया। लेकिन इस बार भी उन्हें हार का मुंह ही देखना पड़ा। लगातार 2 बार विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी उनका राजनीतिक हौसला कम नहीं हुआ। आखिर 2019 में तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर वह चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंचने में सफल हो गए।   हरियाणा | दैनिक भास्कर