हरियाणा के पानीपत में एक गोदाम पर काम करने वाले श्रमिक ने इमानदारी की बड़ी मिशाल पेश की है। उसे हजारों नहीं बल्कि एक लाख की नकदी मिली, जिसे उसने उसके असल मालिक एक फल विक्रेता को लौटा कर इंसानियत और इमानदारी कायम की है। श्रमिक की इस इमानदारी पर मालिक ने खुश होकर उसे इनाम भी दिया है। साथ ही उसे इसी तरह इमानदारी के रास्ते पर हमेशा डटे रहने के लिए प्रेरित भी किया है।
फल विक्रेता ने कबाड़ी को और कबाड़ी ने गोदाम वाले को बेचे गत्ते
मामला शहर के तहसील कैंप का है। दरअसल, यहां कैंप मंडी में वहां का स्थानीय निवासी दीपक चौरसिया फल बेचने का काम करता है। वह क्षेत्र में रेहड़ी-फड़ी लगाकर फल बेचता है। उसने पाई-पाई कर बहुत मेहनत से 1 लाख रुपए जोड़े थे। करीब एक माह पहले पहले उसने ये रुपए वेस्ट के गत्तों में रखे थे। दिनभर काम करने के बाद वह रुपए इसी में रखने के बाद भूल गया था। उसने गत्ते ज्यादा इकट्ठे होने की वजह एक कबाड़ी को बेच दिए। एक दिन बाद उसे याद आया कि उसके गत्ते में रुपए रखे थे। आनन-फानन में वह दौड़ता हुआ कबाड़ी के पास गया। जहां कबाड़ी ने बताया कि उसने भी उक्त गत्ते आगे गोदाम में बेच दिए हैं। गोदाम मालिक ने श्रमिकों को कहा- अच्छे से चेक करे गत्ते
इसके बाद कबाड़ी ने गोदाम वाले से संपर्क किया। गोदाम मालिक ने इस बात पर गौर करते हुए अपनी सभी लेबर को एक-एक गत्ता व अन्य सभी कबाड़ का सामान बहुत अच्छे से चेक करने को कहा था। उसने लेबर को बताया था कि गत्तों के भीतर 1 लाख रुपए मिल सकते हैं। अब करीब एक माह बाद उक्त रुपए गत्तों के भीतर से मिल गए। गोदाम पर करने वाले श्रमिक ने रुपए मिलते ही तुरंत गोदाम मालिक को बताया। जिसके बाद कबाड़ी के जरिए फल विक्रेता से संपर्क किया गया। जिसके बाद उसे बुलाकर रुपए लौटाए गए। गोदाम के मालिक ने कहा कि वह अपनी लेबर पर पूरा भरोसा करता है और उसकी लेबर ईमानदार है। फल विक्रेता दीपक चौरसिया ने दुकानदार और श्रमिक का धन्यवाद किया। हरियाणा के पानीपत में एक गोदाम पर काम करने वाले श्रमिक ने इमानदारी की बड़ी मिशाल पेश की है। उसे हजारों नहीं बल्कि एक लाख की नकदी मिली, जिसे उसने उसके असल मालिक एक फल विक्रेता को लौटा कर इंसानियत और इमानदारी कायम की है। श्रमिक की इस इमानदारी पर मालिक ने खुश होकर उसे इनाम भी दिया है। साथ ही उसे इसी तरह इमानदारी के रास्ते पर हमेशा डटे रहने के लिए प्रेरित भी किया है।
फल विक्रेता ने कबाड़ी को और कबाड़ी ने गोदाम वाले को बेचे गत्ते
मामला शहर के तहसील कैंप का है। दरअसल, यहां कैंप मंडी में वहां का स्थानीय निवासी दीपक चौरसिया फल बेचने का काम करता है। वह क्षेत्र में रेहड़ी-फड़ी लगाकर फल बेचता है। उसने पाई-पाई कर बहुत मेहनत से 1 लाख रुपए जोड़े थे। करीब एक माह पहले पहले उसने ये रुपए वेस्ट के गत्तों में रखे थे। दिनभर काम करने के बाद वह रुपए इसी में रखने के बाद भूल गया था। उसने गत्ते ज्यादा इकट्ठे होने की वजह एक कबाड़ी को बेच दिए। एक दिन बाद उसे याद आया कि उसके गत्ते में रुपए रखे थे। आनन-फानन में वह दौड़ता हुआ कबाड़ी के पास गया। जहां कबाड़ी ने बताया कि उसने भी उक्त गत्ते आगे गोदाम में बेच दिए हैं। गोदाम मालिक ने श्रमिकों को कहा- अच्छे से चेक करे गत्ते
इसके बाद कबाड़ी ने गोदाम वाले से संपर्क किया। गोदाम मालिक ने इस बात पर गौर करते हुए अपनी सभी लेबर को एक-एक गत्ता व अन्य सभी कबाड़ का सामान बहुत अच्छे से चेक करने को कहा था। उसने लेबर को बताया था कि गत्तों के भीतर 1 लाख रुपए मिल सकते हैं। अब करीब एक माह बाद उक्त रुपए गत्तों के भीतर से मिल गए। गोदाम पर करने वाले श्रमिक ने रुपए मिलते ही तुरंत गोदाम मालिक को बताया। जिसके बाद कबाड़ी के जरिए फल विक्रेता से संपर्क किया गया। जिसके बाद उसे बुलाकर रुपए लौटाए गए। गोदाम के मालिक ने कहा कि वह अपनी लेबर पर पूरा भरोसा करता है और उसकी लेबर ईमानदार है। फल विक्रेता दीपक चौरसिया ने दुकानदार और श्रमिक का धन्यवाद किया। हरियाणा | दैनिक भास्कर