पानीपत जिले के समालखा कस्बे के नामुंडा गांव में रविवार रात घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में नया मोड़ सामने आया है। आरोपी रंजिश के चलते बेटे की हत्या करने आए थे, लेकिन जब वह घर पर नहीं मिला तो पिता को गोली मारकर फरार हो गए। दरअसल, बेटे ने पड़ोसी गांव की बेटी से प्रेम विवाह किया था। इसी बात को लेकर लड़की पक्ष रंजिश रखता है। आशंका है कि इसी बात को लेकर आरोपी वहां आए थे। घायल ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पहले बेटे के बारे में पूछने आया, फिर 20 मिनट बाद आकर गोली मार दी समालखा थाने में दी शिकायत में सुरेश ने बताया कि वह गांव नामुंडा का रहने वाला है। उसके तीन बच्चे हैं। इनमें दो बेटियां और एक बेटा है। उसका बेटा दीपक 7 नवंबर से घर से लापता है। सुरेश ने बताया कि 1 दिसंबर को वह घर पर था। शाम करीब 7 बजे एक युवक उसके घर आया। उसने पूछा कि दीपक कहां है। उसे बताया गया कि दीपक के बारे में उसे कुछ नहीं पता। इसके बाद वह वहां से चला गया। करीब 20 मिनट बाद युवक अपने एक साथी के साथ पिस्तौल लेकर घर पर आया। उस समय वह अपने भतीजे रोहित के साथ बैठा था। एक युवक घर में घुस गया, जबकि दूसरा स्टार्ट बाइक पर बाहर बैठा रहा। घर में घुसे युवक ने उस पर गोली चला दी। उसने करीब 3-4 गोलियां चलाईं, जिसमें से एक उसके कंधे पर लगी। इसके बाद जब उसने शोर मचाया तो वह अपने साथी के साथ वहां से भाग गया। अज्ञात आरोपी ने दीपक से रंजिश रखते हुए उसे जान से मारने की नीयत से गोली मार दी और फरार हो गया। पड़ोसी गांव की लड़की के साथ अज्ञात स्थान पर रह रहा बेटा घायल सुरेश का इकलौता बेटा पड़ोसी गांव की लड़की के साथ भाग गया था। जिसके चलते लड़की के परिवार ने पंचायत भी की थी। लड़का और लड़की दोनों ही कहीं और अज्ञात स्थान पर रह रहे हैं। लड़की के परिवार ने दोनों को एक साथ जान से मारने की धमकी दी है। फिलहाल वारदात को अंजाम देने की यही वजह मानी जा रही है। लेकिन इसके अलावा पुलिस अन्य पहलुओं पर भी जांच कर रही है। पानीपत जिले के समालखा कस्बे के नामुंडा गांव में रविवार रात घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में नया मोड़ सामने आया है। आरोपी रंजिश के चलते बेटे की हत्या करने आए थे, लेकिन जब वह घर पर नहीं मिला तो पिता को गोली मारकर फरार हो गए। दरअसल, बेटे ने पड़ोसी गांव की बेटी से प्रेम विवाह किया था। इसी बात को लेकर लड़की पक्ष रंजिश रखता है। आशंका है कि इसी बात को लेकर आरोपी वहां आए थे। घायल ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पहले बेटे के बारे में पूछने आया, फिर 20 मिनट बाद आकर गोली मार दी समालखा थाने में दी शिकायत में सुरेश ने बताया कि वह गांव नामुंडा का रहने वाला है। उसके तीन बच्चे हैं। इनमें दो बेटियां और एक बेटा है। उसका बेटा दीपक 7 नवंबर से घर से लापता है। सुरेश ने बताया कि 1 दिसंबर को वह घर पर था। शाम करीब 7 बजे एक युवक उसके घर आया। उसने पूछा कि दीपक कहां है। उसे बताया गया कि दीपक के बारे में उसे कुछ नहीं पता। इसके बाद वह वहां से चला गया। करीब 20 मिनट बाद युवक अपने एक साथी के साथ पिस्तौल लेकर घर पर आया। उस समय वह अपने भतीजे रोहित के साथ बैठा था। एक युवक घर में घुस गया, जबकि दूसरा स्टार्ट बाइक पर बाहर बैठा रहा। घर में घुसे युवक ने उस पर गोली चला दी। उसने करीब 3-4 गोलियां चलाईं, जिसमें से एक उसके कंधे पर लगी। इसके बाद जब उसने शोर मचाया तो वह अपने साथी के साथ वहां से भाग गया। अज्ञात आरोपी ने दीपक से रंजिश रखते हुए उसे जान से मारने की नीयत से गोली मार दी और फरार हो गया। पड़ोसी गांव की लड़की के साथ अज्ञात स्थान पर रह रहा बेटा घायल सुरेश का इकलौता बेटा पड़ोसी गांव की लड़की के साथ भाग गया था। जिसके चलते लड़की के परिवार ने पंचायत भी की थी। लड़का और लड़की दोनों ही कहीं और अज्ञात स्थान पर रह रहे हैं। लड़की के परिवार ने दोनों को एक साथ जान से मारने की धमकी दी है। फिलहाल वारदात को अंजाम देने की यही वजह मानी जा रही है। लेकिन इसके अलावा पुलिस अन्य पहलुओं पर भी जांच कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा BJP का पूर्व CM हुड्डा को चैलेंज:30 MLA इकट्ठा करके दिखाएं; JJP के 10 विधायक भी लाएं, भाजपा के एग्रेशन की ये वजह
हरियाणा BJP का पूर्व CM हुड्डा को चैलेंज:30 MLA इकट्ठा करके दिखाएं; JJP के 10 विधायक भी लाएं, भाजपा के एग्रेशन की ये वजह हरियाणा सरकार के अल्पमत को लेकर कांग्रेस के दावे को BJP ने चैलेंज किया है। भाजपा नेता और CM के पब्लिसिटी एडवाइजर ने कहा है कि मैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चैलेंज करता हूं कि वह अपनी पार्टी के 30 विधायकों को एक जगह इकट्ठा करा लें। साथ ही जननायक जनता पार्टी (JJP) के 10 विधायक एक साथ आ जाएं तो मैं ये मान लूंगा कि हरियाणा में भाजपा सरकार अल्पमत में है। इसके बाद भाजपा पटल पर जाकर अपना बहुमत साबित करेगी। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ऐसी अफवाहें फैलाने के लिए हरियाणा के लोगों से माफी मांगें। हुड्डा ने मंगलवार को चंडीगढ़ में बीजेपी सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार अल्पमत में है। हमने पहले भी राज्यपाल को लिखा था और अब फिर राज्यपाल को लिखेंगे। उन्होंने कहा कि सुनने में आ रहा है कि ये (BJP), जननायक जनता पार्टी (JJP) के 2 विधायकों से इस्तीफा दिलवा देंगे। एक तरह से BJP वाले हॉर्स ट्रेडिंग में लगे हैं। इन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा के चैलेंज की ये 2 वजहें… कांग्रेस की गुटबाजी
भाजपा के द्वारा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ये चैलेंज देने की वजह सबसे बड़ी गुटबाजी है। 10 जून को पूर्व सीएम के द्वारा बुलाई गई कांग्रेस दल की मीटिंग में 27 विधायक ही पहुंचे। चूंकि वरुण चौधरी अब अंबाला से सांसद बन चुके हैं तो अभी सदन में कांग्रेस के पास 29 विधायक ही बचे हुए हैं। जबकि सीएलपी में तोशाम विधायक किरण चौधरी और सढौरा से विधायक रेनू वाला नहीं शामिल हुईं। ये विधायक एसआरके गुट के हैं। वह नहीं चाहते कि हुड्डा प्रदेश में कांग्रेस को लीड करें। भाजपा इसी गुटबाजी को अब हवा देने में लग गई है। जजपा में पड़ चुकी है फूट
भाजपा जानती है कि जजपा में फूट पड़ी हुई है। जजपा की ओर से हाल ही में विधानसभा स्पीकर के सामने ये याचिका लगाई है। याचिका में कहा गया है कि जींद के नरवाना से विधायक सुरजाखेड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के के नामांकन में शामिल हुए थे, जबकि जोगीराम सिहाग ने हिसार सीट से बीजेपी कैंडिडेट रणजीत सिंह चौटाला के पक्ष में प्रचार किया। याचिका के साथ इन विधायकों के वीडियो को आधार बनाया गया है। पार्टी ने मांग की है कि इन विधायकों ने पार्टी विरोधी कार्य किए हैं, इसलिए उनकी सदस्यता भंग की जाए। ऐसे में यदि इनकी सदस्यता रद्द हो जाती है तो जजपा के पास 8 ही विधायक बचेंगे। इसके अलावा देवेंद्र बबली, राज कुमार गौतम भी खुलेआम बगावत कर रहे हैं। कांग्रेस क्यों कर रही है अल्पमत का दावा
हरियाणा के CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उपचुनाव जीतने के बाद भी BJP के पास सदन में बहुमत कम होने का कांग्रेस दावा कर रही है। कांग्रेस कह रही है कि हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का साथ होने के बाद भी संयुक्त विपक्ष के सामने भाजपा बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर दूर है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा दावा कर रहे हैं कि सरकार अल्पमत में है, इसलिए विधानसभा भंग होनी चाहिए। इधर, सदन में कांग्रेस-जजपा और INLD यदि साथ आ गए तो सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला भी राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर चुके हैं। हरियाणा में ऐसे हालात बनने की ये हैं बड़ी वजहें.. भाजपा-जजपा गठबंधन टूटा, सीएम चेहरा बदला
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुआई में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार चल रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर जजपा और भाजपा का गठबंधन टूट गया। इसके बाद जजपा सरकार से अलग हो गई। भाजपा के पास 41 विधायक थे, उन्होंने 5 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक को साथ लेकर सरकार बना ली। खट्टर की जगह नायब सैनी सीएम बने। 3 निर्दलीय विधायकों ने साथ छोड़ा
लोकसभा चुनाव के बीच भाजपा सरकार को झटका लगा। सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, सोमवीर सांगवान और धर्मवीर गोंदर ने कांग्रेस के साथ चले गए। उन्होंने सीएम नायब सैनी की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद सरकार के पास भाजपा के 40, हलोपा का एक और 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन बचा। एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का मतदान के दिन निधन हो गया। हरियाणा विधानसभा में बदली स्थिति
लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में और बदलाव हो चुका है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। भाजपा के पास 43, विपक्ष संयुक्त हुआ तो उनके 44 विधायक
मौजूदा स्थिति की बात करें तो भाजपा के पास 41 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा विधायक गोपाल कांडा और एक निर्दलीय नयनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है। भाजपा के पास 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष में भाजपा से एक ज्यादा यानी 44 विधायक हैं। इनमें कांग्रेस के 29, जजपा के 10, निर्दलीय 4 और एक इनेलो विधायक शामिल हैं। अगर ये सब एक साथ आ जाते हैं तो फिर सरकार अल्पमत में आ सकती है। हरियाणा में BJP सरकार और एकजुट विपक्ष का गणित समझें… क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है?
1. फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। 2. इसके साथ ही जजपा ने अपने 2 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के यहां याचिका दायर की हुई है। अगर JJP के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर सरकार के पक्ष में 43 और विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 42 हो जाएगी, जिससे सरकार फिर बहुमत में ही रहेगी। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भाजपा से विधायक हैं। फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो BJP सरकार कैसे बचाएगी?
BJP के सूत्रों के मुताबिक सरकार को किसी कीमत पर गिरने की स्थिति तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो जजपा के 2 विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग इस्तीफा दे सकते हैं। इन दोनों ने बागी होकर लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया था। ऐसी सूरत में विपक्ष के एकजुट होने पर भी उनके पास भाजपा के 43 के मुकाबले 42 ही विधायक रह जाएंगे।
असंध अयोग्य चेयरमैन मामले में SC में सुनवाई:कोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब; कटारिया ने HC के फैसले को दी थी चुनौती
असंध अयोग्य चेयरमैन मामले में SC में सुनवाई:कोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब; कटारिया ने HC के फैसले को दी थी चुनौती करनाल में असंध नगरपालिका के अयोग्य घोषित चेयरमैन सतीश कटारिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार, स्टेट इलैक्शन कमीशन, डिप्टी कमिश्नर करनाल, नगरपालिका असंध, नायब तहसीलदार कम सहायक रिटर्निग ऑफिसर से जवाब मांगने नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। जिसके लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है। सतीश कटारिया ने कहा कि उनकी मार्कशीट फर्जी नहीं है, इलैक्शन कमीशन उनके शिक्षा बोर्ड को मान्यता प्राप्त नहीं मान रहा है। सतीश कटारिया ने कहा कि मुझे इलैक्शन कमीशन ने अयोग्य घोषित किया है, जबकि इलैक्शन कमीशन के पास अयोग्य घोषित करने की पावर नहीं है। हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालकर समय मांगा गया था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार नहीं हो जाती तब तक समय दिया जाए, लेकिन समय नहीं मिला। जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। वहीं शिकायतकर्ता एडवोकेट सोनिया बोहत ने कहा कि सतीश कटारिया ने न केवल असंध नगरपालिका, बल्कि जनता के साथ भी बड़ा धोखा किया। स्टेट इलैक्शन कमीशन की जांच को भी हाईकोर्ट में गलत ठहराने का प्रयास किया है। कटारिया इलेक्शन कमीशन को ही चैलेंज कर रहा है कि वह उसे टर्मिनेट नहीं कर सकता, यह व्यक्ति प्रशासन को ही नहीं कोर्ट को भी गुमराह करने का काम कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी व जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की डबल बेंच कोर्ट में सुनवाई हुई। शिकायतकर्ता एडवोकेट सोनिया बोहत की ओर से एडवोकेट सनाया कौशल ने पैरवी की। वहीं सतीश कटारिया की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव भल्ला पैरवी के लिए खड़े थे। याचिकाकर्ता सतीश कटारिया ने बताया है कि अदालत द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के आदेश हुए, जिसके लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है और मुझे पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट से मुझे न्याय मिलेगा। जानिए क्या है पूरा मामला 2022 में हुए असंध नगरपालिका चुनाव में कटारिया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। कटारिया ने 4408 वोटों के साथ जीत दर्ज की और चेयरमैन बने। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी कमलजीत लाडी को 553 वोटों से हराया था। बाद में कटारिया बीजेपी में शामिल हो गए थे। असंध में आम आदमी पार्टी की टिकट पर नगरपालिका चेयरमैन का चुनाव लड़ रही एडवोकेट सोनिया बोहत ने सतीश कटारिया पर 10वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए थे। फर्जी मार्कशीट का खुलासा आरटीआई द्वारा हुआ था। एडवोकेट सोनिया बोहत ने कहा कि चुनाव के दौरान ही मार्कशीट पर संदेह हुआ था। यह यूपी बोर्ड की थी, लेकिन उसमें कई त्रुटियां थीं। उन्होंने आरटीआई से सच्चाई सामने लाई। हाईकोर्ट में पहुंचा मामला, चेयरमैन अयोग्य घोषित मामले को लेकर सोनिया बोहत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सोनिया ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर स्टेट इलैक्शन कमीशन ने जांच की, जिसके बाद 10 अप्रैल 2023 को सतीश कटारिया को चेयरमैन पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। एडवोकेट सोनिया बोहत ने बताया कि बीती चार नवंबर को हाईकोर्ट में फाइनल आर्ग्यूमेंट हुई थी। जिसके बाद 20 नवंबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इलैक्शन कमीशन की जांच का सही ठहराया था। इसके बाद कटारिया ने 26 नवंबर को उसी बेंच के समक्ष पुनर्विचार याचिका लगाई। 27 नवंबर को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इस पर सतीश कटारिया का कहना है कि मैने हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने तक के लिए समय मांगा था, लेकिन वह समय नहीं मिला। अब आगे क्या होगा नगरपालिका के सचिव प्रदीप खरब के मुताबिक, चेयरमैन पद को लेकर दोबारा इलैक्शन होता है। जिसके लिए छह माह का समय होता है। ऐसे में डायरेक्टर ऑफिस से डायरेक्शन आएगी, उसी के अनुरूप आगामी प्रक्रिया होगी। एडीसी के मार्फत डीएमसी को गाइडलाइंस जाएगी और वहां से डायरेक्शन नगरपालिका असंध को पहुंचेगी।
रोहतक में स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा लगाने पर हंगामा:सर्व समाज ने दिया धरना, पंडित श्रीराम शर्मा की मूर्ति लगाने से पुलिस ने रोका
रोहतक में स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा लगाने पर हंगामा:सर्व समाज ने दिया धरना, पंडित श्रीराम शर्मा की मूर्ति लगाने से पुलिस ने रोका रोहतक के नया बस स्टैंड के सामने स्थित पंडित श्रीराम शर्मा पार्क के गेट पर स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा की प्रतिमा लगाने को लेकर सोमवार को हंगामा हो गया। विवाद उस समय बढ़ा जब पुलिस ने प्रतिमा लगाने से रोक दिया। जिसके कारण काफी समय तक हंगामा भी चला। प्रतिमा लगाने से रोकने पर व एसएचओ के खिलाफ सर्व समाज ने धरना भी दिया। हालांकि संपदा अधिकारी ने आकर उन्हें समझाया। पंडित श्रीराम शर्मा विचार मंच के अध्यक्ष डॉ. अशोक दीक्षित ने कहा कि आज स्वतंत्रता पंडित श्रीराम शर्मा की पुण्यतिथि थी। इसलिए पंडित श्रीराम शर्मा पार्क के गेट पर उनके प्रतिमा को लगा रहे थे। जैसे ही क्रेन से उतारकर लगाने लगे तो किसी ने कॉल की, यह नहीं पता। इसी दौरान पीसीआर, पुलिस व सिविल ड्रेस में एसएचओ आए। एसएचओ ने आते ही पूछा कि क्या कर रहे हो तो कहा कि प्रतिमा लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद एसएचओ ने कहा कि आपके खिलाफ शिकायत है। जब शिकायत दिखाने के लिए कहा तो नहीं दिखाई। लेकिन उनके साथ 2 व्यक्ति थे और उन्होंने कहा कि वे विरोध कर रहे हैं। हालांकि बाद में दोनों व्यक्ति यहां से चले गए। लेकिन बाद में एसएचओ खुद उन व्यक्तियों को पकड़कर ले आया। सिविल लाइन के एसएचओ ने अभद्रता की और ऐसा काम किया जैसे वह खुद विरोध कर रहा हो। एसएचओ पर लगाए आरोप
डॉ. अशोक दीक्षित ने कहा कि जब क्रेन प्रतिमा को रखने लगी तो उसे धमकी दी कि खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद जब पंडित श्रीराम शर्मा की प्रतिमा सम्मानपूर्वक खड़ी करवाने का आग्रह किया तो, उन्होंने प्रतिमा सम्मान जनक खड़ी करवाने से भी मना कर दिया। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने 30 सितंबर 2023 को हुड्डा पार्क का नाम पंडित श्रीराम शर्मा किया था। पिछले तीन महीने से डीसी, नगर निगम कमीशनर व एचएसवीपी को पत्र लिखे हैं। कार्यवाहक सीएम नायब सैनी ने 20 अगस्त के बाद का समय दिया था, लेकिन 16 अगस्त को आचार संहिता लगने के कारण स्थगित कर दिया था। अब वोटिंग भी हो चुकी है और आज पंडित श्रीराम शर्मा की पुण्यतिथि का ऐतिहासिक दिन था, इसलिए उनकी प्रतिमा यहां स्थापित करना चाहते थे। आगे जो भी सरकार बनेगी उसके बाद इसका उद्घाटन करवाते। इसके बाद धरना प्रदर्शन करके मांग की कि एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई की जाए और पंडित श्रीराम शर्मा की प्रतिमा लगाने दी जाए। संपदा अधिकारी के आश्वासन पर माने
मामले को बढ़ता देख एचएसवीपी के संपदा अधिकारी मुकुंद तंवर व डीएसपी अमित कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने धरना दे रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया। संपदा अधिकारी मुकुंद तंवर ने आश्वासन दिया कि आचार संहिता हटने के बाद आगे की कागज कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल आचार संहिता में प्रतिमा नहीं लगा सकते। फिलहाल प्रतिमा को सम्मानपूर्वक एक स्थान पर रख लें। जिसके बाद धरने पर बैठे लोग मान गए।