मथुरा की जिस पानी की टंकी को बनने में 3 साल लग गए। शुरू होने के सिर्फ डेढ़ साल में ही वह ढह गई। 2 महिलाओं की मौत हो गई, 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए। शुरुआती जांच में सामने आया कि 6 करोड़ से बनी इस टंकी को आगरा की 2 फर्म ने मिलकर बनाया था। भ्रष्टाचार के आरोपों में जल निगम के तत्कालीन 3 अफसर भी घिरे हैं। पीड़ित परिवारों के मुताबिक- ये कोई हादसा नहीं, बल्कि हत्या का मामला है। डीएम मथुरा ने पूरे मामले की रिपोर्ट 7 दिन में तलब की है। कृष्णा विहार कॉलोनी में रविवार की शाम को जो ओवरहेड पानी की टंकी ढह गई। वह गंगाजल परियोजना के तहत 1.96 करोड़ से बनी थी। इस टंकी का प्रोजेक्ट 2018 में शुरू हुआ। इसको पहले जलनिगम की शाखा सीवेज एंड ड्रेनेज सिस्टम ने बनाया। फिर जल निगम की नई इकाई अतिरिक्त निर्माण शाखा ने बनाया। जनवरी 2023 में पानी की टंकी नगर निगम को हैंडओवर
आगरा की कंपनी एसएम कंस्ट्रक्शन और मैसर्स बनवारी महर्षिपुरम को ठेका मिला था। एसएम कंस्ट्रक्शन के मालिक सुधीर मिश्रा हैं। इनकी फर्म दयालबाग के एड्रेस पर रजिस्टर्ड है। यह टंकी 2021 में बनकर तैयार हो गई। जनवरी 2023 में पानी की टंकी को नगर निगम के हैंड ओवर किया गया। इसके बाद टंकी को नगर निगम का जलकल विभाग संचालित कर रहा था। इस टंकी से नगर निगम के वार्ड-8 के 11 हजार 638 घरों में पानी की सप्लाई की जा रही थी। हादसे के लिए जिम्मेदार
इस मामले में सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में जल निगम है। बताया जा रहा है कि निर्माण के बाद ही टंकी के निर्माण का परीक्षण कर ओके की रिपोर्ट बना दी गई और पेमेंट भी कर दिया गया। टंकी की भौतिक रिपोर्ट जल निगम के जेई शोभित कुमार ने दी थी। जिस पर एई ललित मोहन ने अपने साइन किए और फिर एक्सईएन सुजीत कुमार ने उसे फाइनल कर दिया। हैंडओवर के वक्त नगर निगम के अफसरों ने भी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। तकनीकी रिपोर्ट में बरती लापरवाही
जल निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिस समय टंकी का निर्माण किया जाना था। उस समय वहां की जमीन की जांच की रिपोर्ट लगती है। मगर निगम की तकनीकी टीम ने उस समय केवल खानापूर्ति की। इसके बाद जब निर्माण पूरा हो गया, तब भी मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया। जल निगम के मौजूदा एक्सईएन आरके श्रीवास्तव ने बताया-जल्द ही जल निगम की टीम इसकी जांच करेगी। मलबा की टेस्टिंग के लिए सैंपल लिए गए हैं। उन्हें जांच के किए लैब भेज दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इतनी घनी आबादी में टंकी बन नहीं सकती। इसलिए यहां भी मानकों से खिलवाड़ हुआ है। घटिया निर्माण कराए, हादसा तो होना ही था
टंकी के निर्माण में प्रयोग की जा रही सामग्री को लेकर सवाल खड़े कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता कमल शर्मा ने बताया-इसमें सरिया 4 सूत की लगाई गई, जबकि आमतौर पर घरों में 6 से 8 सुत की सरिया लगाई जाती है। वहीं इसमें लगने वाला सीमेंट भी अच्छी क्वालिटी का नहीं था। RCC का मिश्रण बना हुआ मंगाया गया। निर्माण के दौरान की सामने आने लगी थीं गड़बड़ियां कृष्णा बिहार निवासी RTI कार्यकर्ता कमल शर्मा ने इसमें प्रयोग की जा रही सामग्री को लेकर सूचना के अधिकार के नियम के तहत जल निगम से सूचना मांगी। 19 फरवरी 2021 को जल निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना में बताया गया कि अमृत योजना के तहत ओवर हेड टैंक और अंडर ग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण आगरा की एसएम कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया है। कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ FIR
हादसा होने के बाद जल निगम के एक्सईएन आरके श्रीवास्तव ने निर्माण करने वाली कंपनी सहित आगरा निवासी ठेकेदार बनवारी, अल्मोड़ा निवासी त्रिलोक सिंह रावत समेत अन्य अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कराया है। वहीं डीएम ने अपर जिलाधिकारी न्यायिक की अध्यक्षता में 3 सदस्यों की कमेटी बना दी है। 5 इंजीनियर निलंबित
मामले को तूल पकड़ता देख सोमवार की देर शाम 5 इंजीनियर निलंबित किए गए हैं। निलंबित किए गए इंजीनियर में जल निगम शहरी के AE ललित मोहन, JE शोभित कुमार, वीरेंद्र पाल सिंह और रविंद्र प्रताप सिंह हैं। जबकि जल निगम ग्रामीण के अधिशासी अभियंता दयानंद शर्मा के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की गई है। वहीं तत्कालीन अधिशसी अभियंता कुमकुम गंगवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 6 महीने पहले हुआ था वॉल्व लीक
इसी पानी की टंकी का 6 महीने पहले वाल्व लीक हो गया था। जिसके कारण पूरे इलाके में पानी भर गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस टंकी से रिसाव बंद ही नहीं हुआ था। एक हफ्ते से नगर निगम की टीम काम भी कर रही थी। रविवार को बारिश के कारण काम रुका हुआ था। 500 घरों की लाइट और 10 हजार घरों में पानी की सप्लाई हुई ठप
हादसे के बाद करीब 500 घरों की लाइट कटी हुई है तो 11 हजार से ज्यादा घरों में पेयजल सप्लाई ठप हो गई है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा दिक्कत हादसे वाली जगह के आसपास बने मकानों में है। जहां मलबा और मिट्टी भर जाने से खाने के लाले पड़ गए हैं। हालांकि प्रशासन ने इन घरों में खाने के पैकेट और पीने का पानी पहुंचाया है। डीएम ने मांगी 7 दिन में रिपोर्ट
टंकी गिरने के मामले में डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने अपर जिला अधिकारी न्यायिक की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी बनाई है। जिसमें जल निगम के SE, PWD और नगर निगम के एक्सईएन को सदस्य बनाया गया है। कमेटी से डीएम ने कहा है-7 दिन में दोषी अधिकारीयों के नाम खोलते हुए रिपोर्ट दें। संबंधित ये खबर भी पढ़िए- मथुरा में पानी से भरी टंकी ढही-CCTV: 5 सेकेंड में बादल फटने जैसा नजारा; टैंक की क्षमता 25 लाख लीटर मथुरा वृंदावन नगर निगम के वार्ड संख्या 47 में बनी पानी की टंकी रविवार शाम को धराशायी हो गई। टैंक की क्षमता 25 लाख लीटर थी। पानी से भरी टंकी गिरने का CCTV सामने आया है। जिसमें दिख रहा कि सिर्फ 5 सेकेंड में बादल फटने जैसा मंजर छा गया। तेज धमाके के साथ टैंक फटा और बाउंड्रीवॉल तोड़ते हुए कॉलोनी और घरों में एक फीट पानी भर गया। कुछ देर आंधी जैसा मंजर भी दिखा। पढ़ें पूरी खबर… मथुरा की जिस पानी की टंकी को बनने में 3 साल लग गए। शुरू होने के सिर्फ डेढ़ साल में ही वह ढह गई। 2 महिलाओं की मौत हो गई, 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए। शुरुआती जांच में सामने आया कि 6 करोड़ से बनी इस टंकी को आगरा की 2 फर्म ने मिलकर बनाया था। भ्रष्टाचार के आरोपों में जल निगम के तत्कालीन 3 अफसर भी घिरे हैं। पीड़ित परिवारों के मुताबिक- ये कोई हादसा नहीं, बल्कि हत्या का मामला है। डीएम मथुरा ने पूरे मामले की रिपोर्ट 7 दिन में तलब की है। कृष्णा विहार कॉलोनी में रविवार की शाम को जो ओवरहेड पानी की टंकी ढह गई। वह गंगाजल परियोजना के तहत 1.96 करोड़ से बनी थी। इस टंकी का प्रोजेक्ट 2018 में शुरू हुआ। इसको पहले जलनिगम की शाखा सीवेज एंड ड्रेनेज सिस्टम ने बनाया। फिर जल निगम की नई इकाई अतिरिक्त निर्माण शाखा ने बनाया। जनवरी 2023 में पानी की टंकी नगर निगम को हैंडओवर
आगरा की कंपनी एसएम कंस्ट्रक्शन और मैसर्स बनवारी महर्षिपुरम को ठेका मिला था। एसएम कंस्ट्रक्शन के मालिक सुधीर मिश्रा हैं। इनकी फर्म दयालबाग के एड्रेस पर रजिस्टर्ड है। यह टंकी 2021 में बनकर तैयार हो गई। जनवरी 2023 में पानी की टंकी को नगर निगम के हैंड ओवर किया गया। इसके बाद टंकी को नगर निगम का जलकल विभाग संचालित कर रहा था। इस टंकी से नगर निगम के वार्ड-8 के 11 हजार 638 घरों में पानी की सप्लाई की जा रही थी। हादसे के लिए जिम्मेदार
इस मामले में सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में जल निगम है। बताया जा रहा है कि निर्माण के बाद ही टंकी के निर्माण का परीक्षण कर ओके की रिपोर्ट बना दी गई और पेमेंट भी कर दिया गया। टंकी की भौतिक रिपोर्ट जल निगम के जेई शोभित कुमार ने दी थी। जिस पर एई ललित मोहन ने अपने साइन किए और फिर एक्सईएन सुजीत कुमार ने उसे फाइनल कर दिया। हैंडओवर के वक्त नगर निगम के अफसरों ने भी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। तकनीकी रिपोर्ट में बरती लापरवाही
जल निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिस समय टंकी का निर्माण किया जाना था। उस समय वहां की जमीन की जांच की रिपोर्ट लगती है। मगर निगम की तकनीकी टीम ने उस समय केवल खानापूर्ति की। इसके बाद जब निर्माण पूरा हो गया, तब भी मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया। जल निगम के मौजूदा एक्सईएन आरके श्रीवास्तव ने बताया-जल्द ही जल निगम की टीम इसकी जांच करेगी। मलबा की टेस्टिंग के लिए सैंपल लिए गए हैं। उन्हें जांच के किए लैब भेज दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इतनी घनी आबादी में टंकी बन नहीं सकती। इसलिए यहां भी मानकों से खिलवाड़ हुआ है। घटिया निर्माण कराए, हादसा तो होना ही था
टंकी के निर्माण में प्रयोग की जा रही सामग्री को लेकर सवाल खड़े कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता कमल शर्मा ने बताया-इसमें सरिया 4 सूत की लगाई गई, जबकि आमतौर पर घरों में 6 से 8 सुत की सरिया लगाई जाती है। वहीं इसमें लगने वाला सीमेंट भी अच्छी क्वालिटी का नहीं था। RCC का मिश्रण बना हुआ मंगाया गया। निर्माण के दौरान की सामने आने लगी थीं गड़बड़ियां कृष्णा बिहार निवासी RTI कार्यकर्ता कमल शर्मा ने इसमें प्रयोग की जा रही सामग्री को लेकर सूचना के अधिकार के नियम के तहत जल निगम से सूचना मांगी। 19 फरवरी 2021 को जल निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना में बताया गया कि अमृत योजना के तहत ओवर हेड टैंक और अंडर ग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण आगरा की एसएम कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया है। कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ FIR
हादसा होने के बाद जल निगम के एक्सईएन आरके श्रीवास्तव ने निर्माण करने वाली कंपनी सहित आगरा निवासी ठेकेदार बनवारी, अल्मोड़ा निवासी त्रिलोक सिंह रावत समेत अन्य अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कराया है। वहीं डीएम ने अपर जिलाधिकारी न्यायिक की अध्यक्षता में 3 सदस्यों की कमेटी बना दी है। 5 इंजीनियर निलंबित
मामले को तूल पकड़ता देख सोमवार की देर शाम 5 इंजीनियर निलंबित किए गए हैं। निलंबित किए गए इंजीनियर में जल निगम शहरी के AE ललित मोहन, JE शोभित कुमार, वीरेंद्र पाल सिंह और रविंद्र प्रताप सिंह हैं। जबकि जल निगम ग्रामीण के अधिशासी अभियंता दयानंद शर्मा के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की गई है। वहीं तत्कालीन अधिशसी अभियंता कुमकुम गंगवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 6 महीने पहले हुआ था वॉल्व लीक
इसी पानी की टंकी का 6 महीने पहले वाल्व लीक हो गया था। जिसके कारण पूरे इलाके में पानी भर गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस टंकी से रिसाव बंद ही नहीं हुआ था। एक हफ्ते से नगर निगम की टीम काम भी कर रही थी। रविवार को बारिश के कारण काम रुका हुआ था। 500 घरों की लाइट और 10 हजार घरों में पानी की सप्लाई हुई ठप
हादसे के बाद करीब 500 घरों की लाइट कटी हुई है तो 11 हजार से ज्यादा घरों में पेयजल सप्लाई ठप हो गई है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा दिक्कत हादसे वाली जगह के आसपास बने मकानों में है। जहां मलबा और मिट्टी भर जाने से खाने के लाले पड़ गए हैं। हालांकि प्रशासन ने इन घरों में खाने के पैकेट और पीने का पानी पहुंचाया है। डीएम ने मांगी 7 दिन में रिपोर्ट
टंकी गिरने के मामले में डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने अपर जिला अधिकारी न्यायिक की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी बनाई है। जिसमें जल निगम के SE, PWD और नगर निगम के एक्सईएन को सदस्य बनाया गया है। कमेटी से डीएम ने कहा है-7 दिन में दोषी अधिकारीयों के नाम खोलते हुए रिपोर्ट दें। संबंधित ये खबर भी पढ़िए- मथुरा में पानी से भरी टंकी ढही-CCTV: 5 सेकेंड में बादल फटने जैसा नजारा; टैंक की क्षमता 25 लाख लीटर मथुरा वृंदावन नगर निगम के वार्ड संख्या 47 में बनी पानी की टंकी रविवार शाम को धराशायी हो गई। टैंक की क्षमता 25 लाख लीटर थी। पानी से भरी टंकी गिरने का CCTV सामने आया है। जिसमें दिख रहा कि सिर्फ 5 सेकेंड में बादल फटने जैसा मंजर छा गया। तेज धमाके के साथ टैंक फटा और बाउंड्रीवॉल तोड़ते हुए कॉलोनी और घरों में एक फीट पानी भर गया। कुछ देर आंधी जैसा मंजर भी दिखा। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर