<p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News: </strong>14 फरवरी 2019 का दिन देश के लिए किसी काला दिवस से कम नहीं है. इस दिन देश के एक साथ 40 जवान आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. देश के अलग अलग हिस्सों के रहनेवाले जवानों ने इस हमले में अपनी जान गवां दी थी और इन्हीं में थे कानपुर देहात जिले के रहने वाले शहीद श्याम बाबू कमल. इस मौके पर तमाम नेताओं का शहीद के घर आना हुआ लेकिन पत्नी को सरकारी नौकरी के अलावा परिवार से किए गए सरकार के कई वादे आज भी अधूरे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>शहीद का परिवार आज भी सरकार से उन वादों के पूरा करने की उम्मीद लगाए हुए हैं और हर साल श्यामबाबू की शहादत के दिन गमगीन होकर घर वापस लौट जाते हैं. शहीद श्याम बाबू सीआरपीएफ में जवान थे, लेकिन पाकिस्तान के एक आतंकी समूह जैश ए मोहम्मद ने जवानों से भरी बस पर हमला कर दिया था. जिसमें श्याम बाबू समेत 40 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शहीद श्याम बाबू कानपुर देहात के निवासी हैं<br /></strong>शहीद श्याम बाबू उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के डेरापुर क्षेत्र के रहने वाले थे. 14 फरवरी का दिन श्यामबाबू के परिवार के लिए ऐसा मनहूस दिन साबित हुआ, जब एक पत्नी ने अपने सुहाग को खो दिया, एक मां ने अपना बेटा खो दिया और बच्चों ने उने पिता को, इस दर्द को शायद हम और आप महज महसूस कर सकते हैं लेकिन सही मायने में इस दर्द को श्याम बाबू का परिवार किसी ज़ख्म के दौरान होने वाले दर्द की तरह रोज झेल रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बेटे की सूरत आज भी सबके जहन में ताजा है, मानें ये हादसा कल ही हुआ हो. सरकार की ओर से कई राजनेताओं ने शहीद के परिवार से मिल उसे बहुत से वादे और दिलासे दिए थे लेकिन आज भी ये परिवार अपनी दुश्वारियों पर आंसू बहा रहा है, पति की मौत के बाद उसे शहीद का दर्जा मिला. सरकार ने पत्नी रूबी देवी को भले ही राज्य सरकार की ओर से सरकारी नौकरी दिला दी हो, लेकिन परिवार में शहीद के माता पिता आज भी बहुत से सरकारी वादों से महरूम हैं. शहीद के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी दोनों पढ़ाई कर रहे है. लेकिन श्याम बाबू के पिता रामप्रसाद और मां कैलाशी बुढ़ापे में सरकार से आज भी आर्थिक सहयोग की उम्मीद लगाए हैं.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/2aNpHrdjGNA?si=6lXNUoDomQPZtwsh” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हादसे के बाद बीजेपी नेता स्मृति ईरानी भी आई<br /></strong>भाई कमलेश आज कुछ भी नहीं करता क्योंकि उसके पास कोई नौकरी नहीं है. दूसरों के खेतों में काम करने के लिए वो मजबूर है. कमलेश का कहना है की सरकार ने बहुत वादे किए थे न तो माता पिता को कोई आर्थिक मदद मिली, न कोई पेंशन, मैं खुद बेरोजगार हूं. मुझे होमगार्ड तक की नौकरी नहीं दी गई, भैया श्याम बाबू के न रहने पर सभी लोग ज्वाइंट परिवार में रहते हैं. लेकिन खर्चे आमदनी से ज्यादा है. भाभी को मिली नौकरी से उनके दो बच्चे और भाभी का ही काम चल पाता है. बावजूद इसके भाभी कुछ पैसे अपनी सैलरी से माता पिता को दे देती हैं. हादसे के बाद बीजेपी नेता स्मृति ईरानी भी उनके घर आई थी और हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज भी कोई न तो स्थाई मदद मिली और न कोई दोबारा हमसे हमारा दर्द पूछने आया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं शहीद के भाई कमलेश ने बताया कि हर साल हम भाई की स्मारक पर पहुंच कर गमगीन हो जाते हैं, और इस बात की उम्मीद करते हैं कि शायद कोई मदद के लिए आएगा. लेकिन न कोई आता है और न कोई उम्मीद पूरी होती है. शहीद श्याम बाबू के लिए शहीद द्वार बनाया गया था लेकिन आज तक उसपर प्लास्टर तक नहीं कराया गया. बाउंड्री भी पूरी नहीं बनी, देश के लिए शहीद होने वाले शहीदों की देश में यही स्थित रहती है क्या? इस गांव से बहुत से बच्चे फौज में जाने का सपना देख रहे थे लेकिन अब इस दुर्दशा को देख सबने अपने सपने को बदल लिया है.</p>
<p>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/meerut-bus-stations-will-be-shifted-outside-the-city-problem-of-jam-will-end-ann-2884329″>यूपी के इस जिले में शहर के बाहर शिफ्ट होंगे बस अड्डे, जाम की समस्या से मिलेगा निजात</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News: </strong>14 फरवरी 2019 का दिन देश के लिए किसी काला दिवस से कम नहीं है. इस दिन देश के एक साथ 40 जवान आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. देश के अलग अलग हिस्सों के रहनेवाले जवानों ने इस हमले में अपनी जान गवां दी थी और इन्हीं में थे कानपुर देहात जिले के रहने वाले शहीद श्याम बाबू कमल. इस मौके पर तमाम नेताओं का शहीद के घर आना हुआ लेकिन पत्नी को सरकारी नौकरी के अलावा परिवार से किए गए सरकार के कई वादे आज भी अधूरे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>शहीद का परिवार आज भी सरकार से उन वादों के पूरा करने की उम्मीद लगाए हुए हैं और हर साल श्यामबाबू की शहादत के दिन गमगीन होकर घर वापस लौट जाते हैं. शहीद श्याम बाबू सीआरपीएफ में जवान थे, लेकिन पाकिस्तान के एक आतंकी समूह जैश ए मोहम्मद ने जवानों से भरी बस पर हमला कर दिया था. जिसमें श्याम बाबू समेत 40 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शहीद श्याम बाबू कानपुर देहात के निवासी हैं<br /></strong>शहीद श्याम बाबू उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के डेरापुर क्षेत्र के रहने वाले थे. 14 फरवरी का दिन श्यामबाबू के परिवार के लिए ऐसा मनहूस दिन साबित हुआ, जब एक पत्नी ने अपने सुहाग को खो दिया, एक मां ने अपना बेटा खो दिया और बच्चों ने उने पिता को, इस दर्द को शायद हम और आप महज महसूस कर सकते हैं लेकिन सही मायने में इस दर्द को श्याम बाबू का परिवार किसी ज़ख्म के दौरान होने वाले दर्द की तरह रोज झेल रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बेटे की सूरत आज भी सबके जहन में ताजा है, मानें ये हादसा कल ही हुआ हो. सरकार की ओर से कई राजनेताओं ने शहीद के परिवार से मिल उसे बहुत से वादे और दिलासे दिए थे लेकिन आज भी ये परिवार अपनी दुश्वारियों पर आंसू बहा रहा है, पति की मौत के बाद उसे शहीद का दर्जा मिला. सरकार ने पत्नी रूबी देवी को भले ही राज्य सरकार की ओर से सरकारी नौकरी दिला दी हो, लेकिन परिवार में शहीद के माता पिता आज भी बहुत से सरकारी वादों से महरूम हैं. शहीद के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी दोनों पढ़ाई कर रहे है. लेकिन श्याम बाबू के पिता रामप्रसाद और मां कैलाशी बुढ़ापे में सरकार से आज भी आर्थिक सहयोग की उम्मीद लगाए हैं.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/2aNpHrdjGNA?si=6lXNUoDomQPZtwsh” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हादसे के बाद बीजेपी नेता स्मृति ईरानी भी आई<br /></strong>भाई कमलेश आज कुछ भी नहीं करता क्योंकि उसके पास कोई नौकरी नहीं है. दूसरों के खेतों में काम करने के लिए वो मजबूर है. कमलेश का कहना है की सरकार ने बहुत वादे किए थे न तो माता पिता को कोई आर्थिक मदद मिली, न कोई पेंशन, मैं खुद बेरोजगार हूं. मुझे होमगार्ड तक की नौकरी नहीं दी गई, भैया श्याम बाबू के न रहने पर सभी लोग ज्वाइंट परिवार में रहते हैं. लेकिन खर्चे आमदनी से ज्यादा है. भाभी को मिली नौकरी से उनके दो बच्चे और भाभी का ही काम चल पाता है. बावजूद इसके भाभी कुछ पैसे अपनी सैलरी से माता पिता को दे देती हैं. हादसे के बाद बीजेपी नेता स्मृति ईरानी भी उनके घर आई थी और हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज भी कोई न तो स्थाई मदद मिली और न कोई दोबारा हमसे हमारा दर्द पूछने आया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं शहीद के भाई कमलेश ने बताया कि हर साल हम भाई की स्मारक पर पहुंच कर गमगीन हो जाते हैं, और इस बात की उम्मीद करते हैं कि शायद कोई मदद के लिए आएगा. लेकिन न कोई आता है और न कोई उम्मीद पूरी होती है. शहीद श्याम बाबू के लिए शहीद द्वार बनाया गया था लेकिन आज तक उसपर प्लास्टर तक नहीं कराया गया. बाउंड्री भी पूरी नहीं बनी, देश के लिए शहीद होने वाले शहीदों की देश में यही स्थित रहती है क्या? इस गांव से बहुत से बच्चे फौज में जाने का सपना देख रहे थे लेकिन अब इस दुर्दशा को देख सबने अपने सपने को बदल लिया है.</p>
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