‘हम कंठी-माला, पूजा-श्रृंगार नहीं बेचते हैं। हमारे आश्रम में सत्संग फ्री है। आप लोग किसी तरह के फ्रॉड से बचें। आश्रम के नाम पर कुछ लोग व्यवसाय कर रहे हैं, उनसे बचें।’ यह कहना है संत प्रेमानंद महाराज के ट्रस्ट श्री हित राधा केली कुंज का। दरअसल, प्रेमानंद महाराज की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी है। उनके सोशल मीडिया पर करोड़ों फॉलोअर हैं। हजारों लोग रोज दर्शन के लिए आते हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे में कई लोग उनके नाम पर दुकानें चला रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि महाराज के नाम पर आश्रम खोलने के लिए सस्ते दामों पर जमीन खरीदी जा रही है। इसके चलते ‘श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट’ ने शुक्रवार को 7 पॉइंट में एडवाइजरी जारी की। हम किसी तरह का विज्ञापन नहीं करते
आश्रम ने एडवाइजरी जारी कर बताया- आश्रम की कोई गोशाला नहीं है। किसी भी प्रकार की कंठी माला, पूजा-श्रृंगार सामग्री की दुकान भी नहीं है। आश्रम की ओर से किसी भी तरह का विज्ञापन नहीं किया जाता। आश्रम परिसर में एकांतिक वार्तालाप, सत्संग, कीर्तन और पाठ में शामिल होने के लिए किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है। इसके लिए बस एक दिन पहले आश्रम आकर नाम लिखवाना होता है। कोई भी व्यक्ति आश्रम का नाम जोड़कर किसी भी बारे में अगर भ्रमित करता है, तो ऐसे लोगों से सावधान और सतर्क रहें। उनके झांसे में न आएं। सही जानकारी श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम के सेवा भवन या पूछताछ केंद्र से हासिल करें। प्रेमानंद महाराज को 20 साल से किडनी की समस्या
केलि कुंज आश्रम के संत नवल नागरी दास महाराज ने बताया- प्रेमानंद महाराज को करीब 20 साल से किडनी की समस्या है। पहले हफ्ते में 3 बार डायलिसिस होती थी। लेकिन, अब समस्या बढ़ गई है। इसलिए हफ्ते में 4-5 बार डायलिसिस की जा रही है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या दूर होने के बाद वह फिर से पैदल यात्रा करेंगे। सोसाइटी में ही होती है डायलिसिस
संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनकी डायलिसिस की जाती है। पढ़िए एडवाइजरी के 7 पॉइंट रोज आते हैं 20 हजार से ज्यादा भक्त
प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए रात को हजारों की संख्या में भक्त उमड़ते हैं। आम दिनों में यह संख्या करीब 20 हजार के करीब होती है। वीकेंड पर दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है और लाखों में पहुंच जाती है। वहीं, बड़े पर्वों पर 3 लाख से ज्यादा हो जाती है। अब प्रेमानंद जी के बचपन से लेकर प्रसिद्ध कथावाचक और संत बनने की कहानी… 13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़ दिया था
प्रेमानंद महाराज का कानपुर के अखरी गांव में जन्म और पालन-पोषण हुआ। यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों के मन में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था। हर पीढ़ी में कोई न कोई एक बड़ा साधु-संत निकला
गणेश पांडे बताते हैं- हमारे पिताजी पुरोहित का काम करते थे। मेरे घर की हर पीढ़ी में कोई न कोई बड़ा साधु-संत होकर निकलता है। पीढ़ी दर पीढ़ी अध्यात्म की ओर झुकाव होने के चलते अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक रहे। बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से सभी देखा-सुना करता था। शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया
बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा। इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया। इससे वह मायूस हो गए। उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ दिया। घरवालों ने उनकी खोजबीन शुरू की। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं। घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने। फिर कुछ दिनों बाद बची-खुची मोह माया भी छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए। ……………………
ये खबर भी पढ़ें… गडकरी बोले-योगी ने यूपी में रामराज स्थापित किया, देश में ईमानदार नेताओं की कमी; लखनऊ में जून से बनेगी ब्रह्मोस मिसाइल लखनऊ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो फ्लाईओवर का उद्घाटन किया। पहला- मुंशी पुलिया। दूसरा- खुर्रम नगर फ्लाईओवर। फ्लाई ओवरों से 15 लाख लोगों को जाम से राहत मिलेगी। पढ़िए पूरी खबर ‘हम कंठी-माला, पूजा-श्रृंगार नहीं बेचते हैं। हमारे आश्रम में सत्संग फ्री है। आप लोग किसी तरह के फ्रॉड से बचें। आश्रम के नाम पर कुछ लोग व्यवसाय कर रहे हैं, उनसे बचें।’ यह कहना है संत प्रेमानंद महाराज के ट्रस्ट श्री हित राधा केली कुंज का। दरअसल, प्रेमानंद महाराज की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी है। उनके सोशल मीडिया पर करोड़ों फॉलोअर हैं। हजारों लोग रोज दर्शन के लिए आते हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे में कई लोग उनके नाम पर दुकानें चला रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि महाराज के नाम पर आश्रम खोलने के लिए सस्ते दामों पर जमीन खरीदी जा रही है। इसके चलते ‘श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट’ ने शुक्रवार को 7 पॉइंट में एडवाइजरी जारी की। हम किसी तरह का विज्ञापन नहीं करते
आश्रम ने एडवाइजरी जारी कर बताया- आश्रम की कोई गोशाला नहीं है। किसी भी प्रकार की कंठी माला, पूजा-श्रृंगार सामग्री की दुकान भी नहीं है। आश्रम की ओर से किसी भी तरह का विज्ञापन नहीं किया जाता। आश्रम परिसर में एकांतिक वार्तालाप, सत्संग, कीर्तन और पाठ में शामिल होने के लिए किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है। इसके लिए बस एक दिन पहले आश्रम आकर नाम लिखवाना होता है। कोई भी व्यक्ति आश्रम का नाम जोड़कर किसी भी बारे में अगर भ्रमित करता है, तो ऐसे लोगों से सावधान और सतर्क रहें। उनके झांसे में न आएं। सही जानकारी श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम के सेवा भवन या पूछताछ केंद्र से हासिल करें। प्रेमानंद महाराज को 20 साल से किडनी की समस्या
केलि कुंज आश्रम के संत नवल नागरी दास महाराज ने बताया- प्रेमानंद महाराज को करीब 20 साल से किडनी की समस्या है। पहले हफ्ते में 3 बार डायलिसिस होती थी। लेकिन, अब समस्या बढ़ गई है। इसलिए हफ्ते में 4-5 बार डायलिसिस की जा रही है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या दूर होने के बाद वह फिर से पैदल यात्रा करेंगे। सोसाइटी में ही होती है डायलिसिस
संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनकी डायलिसिस की जाती है। पढ़िए एडवाइजरी के 7 पॉइंट रोज आते हैं 20 हजार से ज्यादा भक्त
प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए रात को हजारों की संख्या में भक्त उमड़ते हैं। आम दिनों में यह संख्या करीब 20 हजार के करीब होती है। वीकेंड पर दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है और लाखों में पहुंच जाती है। वहीं, बड़े पर्वों पर 3 लाख से ज्यादा हो जाती है। अब प्रेमानंद जी के बचपन से लेकर प्रसिद्ध कथावाचक और संत बनने की कहानी… 13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़ दिया था
प्रेमानंद महाराज का कानपुर के अखरी गांव में जन्म और पालन-पोषण हुआ। यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों के मन में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था। हर पीढ़ी में कोई न कोई एक बड़ा साधु-संत निकला
गणेश पांडे बताते हैं- हमारे पिताजी पुरोहित का काम करते थे। मेरे घर की हर पीढ़ी में कोई न कोई बड़ा साधु-संत होकर निकलता है। पीढ़ी दर पीढ़ी अध्यात्म की ओर झुकाव होने के चलते अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक रहे। बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से सभी देखा-सुना करता था। शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया
बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा। इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया। इससे वह मायूस हो गए। उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ दिया। घरवालों ने उनकी खोजबीन शुरू की। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं। घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने। फिर कुछ दिनों बाद बची-खुची मोह माया भी छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए। ……………………
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प्रेमानंद महाराज का संदेश- हमारी कोई दूसरी ब्रांच नहीं:कंठी-माला नहीं बेचते, सत्संग भी फ्री; 7 पॉइंट में एडवाइजरी जारी की
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