प्रयागराज में 29 साल पुराने मामले में आया फैसला:तीन आरोपियों को मिली सजा, 20 हजार का मुचलका और 3 माह का सदाचरण आदेश

प्रयागराज में 29 साल पुराने मामले में आया फैसला:तीन आरोपियों को मिली सजा, 20 हजार का मुचलका और 3 माह का सदाचरण आदेश

प्रयागराज के सरायममरेज थाना क्षेत्र में 29 साल पहले दर्ज हुए एक मामले में न्यायालय ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। यह मामला 16 अप्रैल 1994 का है, जब धर्मराज, मुकादम, महेंद्र और पारसनाथ के खिलाफ मारपीट और धमकी का केस दर्ज किया गया था। सभी आरोपी सरायआलम गांव के रहने वाले थे। मामले में आरोपियों ने 26 अप्रैल 1994 को न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस ने 3 अक्टूबर 1994 को आरोप पत्र दाखिल किया। विचारण के दौरान एक आरोपी पारसनाथ की मृत्यु हो गई। थाना पुलिस और अभियोजन विभाग के बीच समन्वय से मामले की प्रभावी पैरवी की गई। एसीजेएम-6 की अदालत ने 24 फरवरी 2025 को फैसला सुनाया। धर्मराज को धारा 324/504/506/34 आईपीसी में दोषी पाया गया। वहीं महेंद्र कुमार और मुकादम को धारा 323/504/506/34 आईपीसी के तहत दोषी करार दिया गया। अदालत ने तीनों आरोपियों को 20,000 रुपये के दो जमानती मुचलके और इतनी ही राशि का निजी मुचलका जमा करने का आदेश दिया। साथ ही तीन माह तक सदाचरण बनाए रखने की शर्त भी लगाई। मामले में थानाध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह पैरवीकर्ता रहे, जबकि हेड कांस्टेबल रमेश पैरोकार और कांस्टेबल मनोज यादव कोर्ट मोहर्रिर की भूमिका में रहे। प्रयागराज के सरायममरेज थाना क्षेत्र में 29 साल पहले दर्ज हुए एक मामले में न्यायालय ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। यह मामला 16 अप्रैल 1994 का है, जब धर्मराज, मुकादम, महेंद्र और पारसनाथ के खिलाफ मारपीट और धमकी का केस दर्ज किया गया था। सभी आरोपी सरायआलम गांव के रहने वाले थे। मामले में आरोपियों ने 26 अप्रैल 1994 को न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस ने 3 अक्टूबर 1994 को आरोप पत्र दाखिल किया। विचारण के दौरान एक आरोपी पारसनाथ की मृत्यु हो गई। थाना पुलिस और अभियोजन विभाग के बीच समन्वय से मामले की प्रभावी पैरवी की गई। एसीजेएम-6 की अदालत ने 24 फरवरी 2025 को फैसला सुनाया। धर्मराज को धारा 324/504/506/34 आईपीसी में दोषी पाया गया। वहीं महेंद्र कुमार और मुकादम को धारा 323/504/506/34 आईपीसी के तहत दोषी करार दिया गया। अदालत ने तीनों आरोपियों को 20,000 रुपये के दो जमानती मुचलके और इतनी ही राशि का निजी मुचलका जमा करने का आदेश दिया। साथ ही तीन माह तक सदाचरण बनाए रखने की शर्त भी लगाई। मामले में थानाध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह पैरवीकर्ता रहे, जबकि हेड कांस्टेबल रमेश पैरोकार और कांस्टेबल मनोज यादव कोर्ट मोहर्रिर की भूमिका में रहे।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर